दोस्तो मेरा नाम विनय है, मैं पुंजब का रहें वाला हूँ. आज आपके सामने अपने सचे प्यार की कहानी र्खाने जा रा हूँ. ये मेरी पहेली कहानी है, वेसए तो मैने काफ़ी टाइम से इंटरनेट पर देसी पंजाबी और हिन्दी कहानी पढ़ रा हूँ.
पर मुझे हर कहानी पढ़ कर अपने प्यार दीपिका की बहोट याद आती है. आज वो मुझे मिल तो न्ही पति. पर आज मैं अपनी ये कहानी लिखे कर अपने प्यार को हुमेशा के लिए अमर कर रा हूँ.
मुझे एक आस ज़रूर है, की मेरी ये कहानी एक बार दीपिका ज़रूर पढ़ ले. तो मेरी सारी मेहनत सफल हो जाएगी. दोस्तो मैं पहले ही बीटीये डून, की ये कहानी एक दम साची है. इस कहानी मे नाम प्लेस एक एक पल के बारे मे सच ही लिखा हुआ है.
क्योकि आज की डटे मे हम दोनो की शादी और बचे हो गये है. अगर कोई ये पढ़ भी लेता है, तो गणता मेरा वो कुछ न्ही बिगड़ स्कता. क्योकि डरता तो मैं अपने बाप से न्ही हूँ. तो चलिए कहानी शुरू करता हूँ, मुझे आशा है की आपको मेरी ये कहानी पसंद आएगी.
ये बात तब शुरू होती है, जब मैं अपनी +2 क्लास पूरी कर ली थी. फिर मैं ब.कॉम के लिए शहेर के दाव कॉलेज मे अड्मिशन के लिए चला गया. मेरा घर गाओं मे है, पर फिर भी मैं डेली बिके पर उप डाउन कर लेता हूँ.
पहले दिन कॉलेज मे जिस दिन अड्मिशन के लिए मैं कॉलेज मे आया हुआ था. काफ़ी आचे आए हुए थे, मैं बाहर गाते के पास सबके साथ खड़ा अपनी बरी का वेट कर रा था. अब जो स्कूल से कॉलेज आता है, तो उसके दिल मे काफ़ी सपने होते है.
मेरा भी एक सपना था, की एक खूबसूरत लड़की से दोस्ती करूँगा, और फिर उसके चाकर मे डेली कॉलेज आया करूँगा. और फिर टाइम तो टाइम उसे मैं डेली छोड़ूँगा करूँगा. क्योकि पहले ही दो लड़कियो ने मेरे दिल की मा छोड़ दी थी.
खैर वो कुछ छूतयया बातें है, वो मैं आपको न्ही बटुंगा. क्योकि इससे कहानी का मज़ा खराब होने का दर है मुझे. मैं वापिस से अपनी कहानी पर आता हूँ. मैं आराम से अपनी बरी का वेट कर रा था, तभी थोड़ी देर एक ऑटो गाते के सामने आ कर रुका.
उसमे से पहले एक खूबसूरत मॉर्डन आंटी टाइप की औरत निकली. और उसके साथ ही एक बहोट ही ज़्यादा खूबसूरत और हॉट सेक्सी लड़की बाहर आई. जेसे ही वो कॉलेज मे एंटर हुई. तभी सबकी नज़र उसके उपेर थी, उसकी खूबसूरती देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया. और मेरा मूह खुला का खुला रह गया.
मैने उसको पहली नज़र मे ही अपना दिल दे दिया था. कसम से वो बहोट ही सेक्सी थी. सब को अपना बनना चाहते थे, फिर मुझे पता चला की वो मेरी ही क्लास मे है. ये जान कर सच मे मैं खुशी से एक बार उछाल पड़ा. क्योकि मुझे उमीद थी, की अब ज़रूर मैं उससे दोस्ती कर पौँगा.
क्लास के पहले दिन मुझे उसका नाम पता चला. उसका नाम दीपिका था, हाए जितना प्यारा उसका नाम था. उससे काफ़ी ज़्यादा वो प्यारी थी, मेरी क्लास मे एक लड़का था. जिसका कुछ लड़को का ग्रूप था, उसने मुझे भी अपने साथ जाय्न कर लिया.
उसका नाम अक्षय था, वो काफ़ी पैसे वाला था. उसके पास कार भी थी, इसलिए उस बहें के लंड ने मेरी दीपिका को पता लिया. मुझे पहले बहोट गुस्सा आया, पर उपेर वाला जो करता है अछा ही करता है.
क्योकि मैं अक्षय का एक अछा और ख़ास्स दोस्त बन चुका था. इसलिए मैं उसके साथ रहता था, और दीपिका उसके साथ रहती थी. इसी बहाने मैं दीपिका को बहोट पास से देख लेता था. और उससे मीठी मीठी प्यार भारी बातें भी कर लेता था.
पर मेरे दिल मे उसके लिए उस टाइम भी बहोट प्यार था. मुझे पता था की अक्षय दीपिका को छोड़ता है, क्योकि काफ़ी बार मैने दीपिका की पनटी और ब्रा कार मे देखी थी.
फिर धीरे धीरे अक्षय के ग्रूप मे से सारे लड़के बाहर चले गये. अब उसके ग्रूप मे मैं और मेरा एक दोस्त सुनील ही रह गया थे. हम चारो अपना ग्रूप चला र्हे थे. हम चारो एक साथ स्टडी करते और साथ ही कार मे घूमते भी थे.
ग्रूप मे एक लड़की होने के कारण हम लोग देख देख कर जलते थे. ऐसे ही टाइम निकलता रा और धीरे धीरे हुमरा फर्स्ट सेम्सटेर ख़तम हो गया. एग्ज़ॅम के बाद ह्यूम टीन वीक की हॉलिडे हुई. दीपिका का मान शिमला जाने का हो रा था.
इसलिए अक्षय ने खा की हम सब एक साथ जाएगे और आने जाने का सारा खर्च वो ही करेगा. ये सुन कर मैं और सुनील झट से त्यआर हो गया. सुनील को मेरे प्यार के बारे मे पता था. डर्सल सुनील को भी दीपिका अक्षय के साथ पसंद न्ही थी.
क्योकि अक्षय दीपिका से बहोट बुरा बिहेव करता था. काफ़ी बार वो गुस्से मे वो हम दोनो के सामने उसे गंदी गंदी मा बहें की गलिया भी निकल देता था. और एक बार तो उसने उसके मूह पर तपद भी मार दिया. ये सब देख कर मान तो करता था, की साले अक्षय का मैं सिर फाड़ डून.
पर मैं आचे से टाइम और आचे मोके का वेट कर रा था. क्योकि मैं दीपिका के सामने अपने प्यार का इज़हार करके उसे अपना बनना चाहता था. ऐसे लड़ाई करके उसके आयेज हीरो बनाने का मुझे कोई शॉंक न्ही था. मैं चाहता था, की दीपिका उसे बहें के लंड को खुद छ्चोड़ कर मेरे पास आए.
दोस्तो वो कहते है, ना की भगवान के घर देर है पर अंधेर न्ही है. ऐसा ही कुछ मेरे साथ हुआ. मैं जब शिमला उनके साथ घूमने के लिए गया तो व्हन मुझे एक बहोट अछा मोका मिला.
व्हन हम सब ने काफ़ी एंजाय किया, व्हन मैने पहली बार दीपिका के साथ चिपक कर फोटो खिचवाई. उसने मेरा साथ पकड़ा हुआ था, हाए राम उस टाइम तो मुझे ऐसा लगा की मैं जन्नत मे आ गया हूँ.
दोस्तो इससे आयेज क्या हुआ, केसे मैने दीपिका को अपना बनाया. ये मैं आपको इस कहानी के अगले और फाइनल पार्ट मे ब्टौँगा. क्योकि मैं चाहता हूँ, जेसे मैने दीपिका के लिए इतना तडपा हूँ. तोड़ा सा आप भी उसकी चुदाई के लिए तड़पो.
अछा वेसए आपको मेरी ये कहानी केसी लगी, प्लीज़ मुझे ज़रूर बताना. क्योकि जानना चाहता हूँ, की मेरी महेनट सफल हुई या न्ही हुई. [email protected]