दोस्तों कहानी के पहले भाग में मैं संधान से बोली थी: हो गयी ना छूट की आग ठंडी? लेकिन मेरी छूट तो अब जलने लगी है.
इस पर संधान अपने हज़्बेंड के पीठ पर हाथ रख कर बोली: भेज देती हू इसे, तू भी करवा ले अपनी छूट की आग को ठंडी.
मैं बोली: वो आएगा?
इस पर संधान बोली: मैं हू इसकी बेगम. ये मेरा गुलाम, तो फिर जो कहेंगे करना पड़ेगा.
मैं हेस्ट हुए अपने रूम में आ गयी. पीछे-पीछे वो टॉम भी आ गया रूम में. घुसते ही उस काले टॉम ने पीछे से मेरी दोनो चूचियों को पकड़ मुझे अपनी बाजू में दबोच लिया. वो साला इतना लंबा मोटा तगड़ा था, की मैं उसके साथ बिल्ली, और वो शेर लग रहा था.
मैं बोली: अर्रे छ्चोढो भी, चूड़ने के लिए तैयार होना होता है. तैयार तो होने दे.
लेकिन वो साला कहा मानने वाला था. उसने चूचियों को पकड़े-पकड़े मुझे दबोचे हुए अपना मूह मेरे मूह से सताया, और ठीक बोटू की तरह बॉन बॉन करने लगा. मुझे ये हरकत अजीब लगी, लेकिन वो बार-बार मूह में मूह सता कर बॉन बॉन बॉन बॉन कर रहा था.
टॉम मुझे दबोचे हुए था. मेरी गांद पर उसका मोटा विशाल लंड रग़ाद खा रहा था. मैं सॉफ-सॉफ फील कर रही थी. उसने मुझे अपनी बाजू में दबोचे-दबोचे मेरी टॉप शर्ट को खोल दिया. इतनी देर की हरकत से अब मैं भी थोड़ी गरम हो गयी थी.
मैने हाथ पीछे कर उसके मोटे लंड को हाथ में ले लिया. अब तक उसका लोड्ा काफ़ी सख़्त हो चुका था. उसने दबोचे हुए ही मेरी ब्रा भी खोल दी. अब मेरी दोनो गोरी-गोरी चमकदार चूचियाँ आज़ाद हो चुकी थी. नंगी चूचियों को देख उसका जोश पूरा हाइ हो चुका था.
अब वो अपना मूह मेरी चूचियों पर लाके फिरसे बॉन बॉन बॉन बॉन करने लगा. अब मैं उसकी इस आवाज़ की आदि हो चुकी थी. वो मेरी चूचियों से बच्चो की तरह खेल रहा था. कभी चूची को मूह में लेता, तो कभी मूह से रग़ाद कर वही बॉन बॉन बॉन बॉन करता.
मैं अब उसके बंधन से ढीली हो कर उसकी तरफ मूड गयी, और उसकी पंत को उतारने लगी. जैसे ही पंत को मैं नीचे सर्काय, उसका विशाल लंबा मोटा लोड्ा मेरी नज़रों के सामने था, जो करीबन 12 इंच लंबा और मोटा था.
मैं तो इसी विशाल लंड खाने के लिए उससे छुड़वा रही थी. अदरवाइज़ इस जानवर नुमा आदमी से क्यूँ चुड़वति. मैने लोड को हाथ में ले लिया, इसी बीच टॉम मेरी लोवर खोलने लगा. लोवर खोल कर जब उसकी नज़रों के सामने मेरी गोरी सॉफ सुंदर छूट आई, वो साला पागल हो गया.
छूट पर मूह फिरता वो फिरसे दोगुने उत्साह से बॉन बॉन बॉन बॉन करने लगा. वो मेरी छूट को छत रहा था. छूट से बहती धार को भी पी रहा था. उसने सर उठा कर मुझे कहा-
टॉम: देख बेबी, अगर तुझे सस्यू आ जाए तो रोकना मत.
मैने इशारों से पूछा: क्यूँ?
तो उसने बताया: गोरी छ्होरी की छूट से निकला हर पदार्थ मेरे लिए अमृत है, जिसे पीने से मेरा स्टॅमिना बढ़ता है.
मैं कुछ ना बोली. अब टॉम मेरी छूट को चाट रहा था, और प्यूबिक एरिया पर अपनी उंगलियों को इस तरह से नाचा रहा था, की मेरी छूट में अजीब सी सुरसूराहट होने लगी. मेरी छूट सुरसुरते सूरते सच में उसके मूह सस्यू आ गया. टॉम ठीक जानवरो की भाँति सारे सस्यू को पी गया.
फिर वो सर उठा के बोला: देखना अब मेरे लंड में कैसी ताक़त आती है.
वो खड़ा हो गया, और मुझसे सात गया. मैं और वो दोनो बिल्कुल नंगे थे. उसने मेरी दोनो गांद के फांको पर अपने हाथ दिए, और मुझे इस तरह उठा लिया मानो मेरा कोई वज़न ही ना हो. उसने मुझे इतना उठाया, की मेरी छूट के मूह पर उसका लंड टकराने लगा.
वो मुझे हाथो पर उठाए-उठाए मेरी छूट पर अपना लंड रगड़ता. जब लंड छूट के च्छेद पर होता, तो लंड को बर के अंदर डालता. लेकिन बहुत प्रयास के बाद भी लंड छूट के अंदर नही जेया पाया.
मैं बोली: रूको, मैं लंड पर तेल रगड़ती हू. तब चिकना हो कर लंड बर में समा जाएगा.
उसने मुझे छ्चोढ़ दिया. मैने अपने बाग से तेल की शीसी निकली, और लंड पर आचे से तेल की मालिश कर दी. अपनी छूट में भी तेल डाल कर उसको चिकना कर दिया. टॉम ने मुझे फिर अपनी हथेलियों पर उठाया, लोड को बर पर सेट करा, और बर में लोड्ा धकेल दिया.
लोड्ा घाप से बर के अंदर चला गया. मैं दर्द से बिलबिला उठी. टॉम ने हाथ को आयेज-पीछे करना शुरू कर दिया. लोड्ा हाथ के इशारे से बर के अंदर आयेज-पीछे होने लगा था. अब दर्द की जगह मुझे मज़ा मिलने लगा. टॉम मुझे अपने हाथों के झूले पर झूलते हुए छोड़ रहा था. मैं इस स्टाइल में कभी नही चुडवाई थी. सो बड़ा मज़ा मिल रहा था.
टॉम मुहे झूलता रहा, और मैं झूल-झूल कर चुड़वति रही. अभी मैं टॉम के रंग-रूप सब भूल कर सिर्फ़ टॉम के लंड का मज़ा ले रही थी. इस तरह से चूड़ते हुए काफ़ी देर हो चुकी थी.
मैं बोली: पोज़िशन चेंज कर लो.
मैं फिर चिट लेट गयी अपनी दोनो चूचियों को हाथो से दबा कर दरार तैयार की, और टॉम को बुला कर बोली: अब चूचियों का भी मज़ा लेले.
टॉम ने चूचियों की दरार में लंड को घुसाया, और फिर दाना-दान छोड़ने लगा.
मैं पूछी: कैसा लग रहा है?
टॉम बोला: बहुत मज़ा आ रहा है.
लंड बर के खेल को काफ़ी देर हो चुकी थी. मेरी बर भी लगातार पानी छ्चोढ़ कर संकेत दे रही थी. अब जल्दी फाइनल करो मैं उगलने वाली हू. उधर टॉम का लोड्ा भी बेकाबू होता जेया रहा था. इस बार मैं चिट लेती टाँगो को फैला कर.
मेरी छूट की फाँक अलग-अलग होके बीच में गुलाबी रेखा दिख रही थी. टॉम बस इस सुंदर दृश्या को देखता ही रह गया. वो छोड़ना भूल गया. इस मनोरम दृश्या को देख कर मैने उसकी तंद्रा भंग की-
मैं: सेयेल छोड़ ना, देर क्या कर रहा है?
टॉम ने हा-हा बड़बड़ाते हुए अपना लोड्ा मेरी बर पर रख खच से दबा दिया. लोड्ा बर को चीरता फाड़ता अंदर तक घुस गया. लेकिन पूरा नही गया. जितना गया, टॉम उसे दनादन छोड़ने लगा. मैं गांद उठा-उठा कर चुड़वति रही. लेकिन अब मेरी ताक़त जवाब दे रही थी.
मैं टॉम को बार-बार जल्दी छोड़ने को कह रही थी. लेकिन वो साला ध्यान नही दे रहा था. वो एक-दूं मेरी बर को उखल समझ घचा-घच छोड़े जेया रहा था. मेरी तो जान निकली जेया रही थी. ठीक इसी समय उसकी बीवी आ गयी. मेरी हालत खराब देख वो ठीक मेरे साइड में बर फैला कर लेट गयी, और टॉम को गुस्से से बोली-
उसकी बीवी: उसको छ्चोढ़ मेरी बर को छोड़ बेचारी का हाल खराब हो रहा है.
टॉम ने मेरी बर से लोड्ा खींचा और बीवी की बर में थोक दिया. मैने राहत की साँस ली. टॉम बीवी की बर को घचा-घच छोड़ रहा था, और करीब 15 मिनिट छोड़ने के बाद वो बड़बड़ाने लगा. फिर आ आ करके उसने सारा माल बीवी की बर में उधेल दिया. इधर उसकी बीवी भी चरमसुख को पा चुकी थी.
चुदाई का खेल समाप्त हो चुका था. उन दोनो ने कपड़े पहने, और अपने रूम में चली गयी. मैं नंगे बेड पर पड़ी-पड़ी सो गयी. रूम के दरवाज़े पर मेरी नींद खुली. मैने जल्दी से बदन पर गाउन बाँधे पूछी-
मैं: कों?
उधर से आवाज़ आई: रूम सर्विस माँ.
मैने दरवाज़ा खोला, और सोफे पर बैठ गयी. रूम सर्विस वाले लड़के ने सॉफ-सफाई की. बेडशीट को वो बार-बार देखे, फिर हमे देखे. वो अंदाज़ा लगा रहा था बेडशीट की ऐसी हालत हो गयी थी. मतलब चुदाई का खेल बहुत ज़्यादा हुआ था.
फिर काम ख़तम करके वो बोला: और कुछ माँ.
मैने सिर्फ़ एक ग्लास दूध माँगा.
फिर उसने पूछा: और कुछ माँ?
मैं ज़ोर देकर बोली: नही और कुछ नही.
आज की कहानी का यही पर एंड हो रहा है. दोस्तों कहानी पसंद हो या ना-पसंद, आप अपनी रिक्षन यहा ज़रूर देना पुष्परानी.कुशवाहा@गमाल.कॉम
धन्यवाद.