hindi sex story गरिमा की शादी की पूरी तैयारियां हो चुकी थी उसके घर में रंग बिरंगी लड़ियाँ लगी हुई थी और घर पूरी तरीके से चमक रहा था हमारे घर से गरिमा का घर साफ दिखाई दे रहा था इसलिए मैं गरिमा के घर को देख पा रही थी। मुझे बहुत खुशी थी कि गरिमा की शादी होने जा रही है और उसके चेहरे पर भी कहीं ना कहीं इस बात की खुशी थी कि उसके मनपसंद का लड़का उसे मिलने जा रहा है। मैं जब गरिमा से मिलने के लिए गई तो गरिमा के घर में पकवानों की खुशबू और मसालेदार खाने से घर पूरी तरीके से महक चुका था और घर में खुशनुमा माहौल बना हुआ था। मैं जब गरिमा से मिली तो गरिमा कहने लगी काजल आखिरकार तुम्हे समय मिल गया मैं तुम्हारा इंतजार कब से कर रही थी और तुम अब जाकर आ रही हो। मैंने गरिमा से कहा यार सॉरी आने का समय नहीं मिल पाया, मैं भी उस वक्त क्या कहती मेरे पास कोई जवाब नहीं था।
मैंने जब गरिमा को यह बात कही तो गरिमा कहने लगी चल कोई बात नहीं तुम यह बताओ कि आंटी कहां है आंटी कहीं दिखाई नहीं दे रही है मैंने गरिमा से कहा मम्मी के पैर में दिक्कत है इसलिए वह नहीं आई। मैंने देखा दिनेश अंकल सामने से आ रहे थे मैंने गरिमा से कहा दिनेश अंकल आज बहुत खुश नजर आ रहे हैं। गरिमा मुझे कहने लगी पापा तो खुश होंगे ही ना आखिरकार मेरी शादी होने जा रही है। अंकल ने जैसे ही मुझे देखा तो मैंने अंकल से कहा अंकल अब तो गरिमा अपने ससुराल चली जाएगी तो दिनेश अंकल कहने लगे अरे बेटा तुम पहले ही मुझे मत रुलाओ पहले ही मैं इतना काम में बिजी हूं। मैं अंकल के साथ हमेशा मजाक किया करती थी इसलिए अंकल को भी कभी मेरी बातों का बुरा नहीं लगता था हम लोग आपस में बात कर ही रहे थे कि तभी गरिमा के मामा जी भी आ गए। गरिमा के मामा जी को मैं अच्छी तरीके से पहचानती थी क्योंकि उनसे मेरी मुलाकात पहले भी कई बार हो चुकी थी उन्होंने मुझे कहा की काजल बेटा तुम कब शादी कर रही हो। मैंने उन्हें कहा बस अंकल जल्दी ही शादी कर लूंगी आप देखिए यदि आपकी नजर में कोई लड़का हो तो वह कहने लगे कि जरूर यदि मेरी नजर में कोई तुम्हारे लायक लड़का होगा तो मैं जरूर बताऊंगा।
हम लोग आपस में बात कर ही रहे थे की तभी अंकल कहने लगे बेटा खाना खा लो, हम लोगों ने जब खाना खाया तो खाना वाकई में बड़ा स्वादिष्ट बना हुआ था। मेहंदी की रस्म अब पूरी होने वाली थी और काफी देर तक मेहंदी की रस्में चलती रही मैंने भी गरिमा के हाथ में मेहंदी लगा दी थी उसके बाद देर रात मैं अपने घर लौट आई। जब मैं घर पर आई तो मां कहने लगी बेटा तुमने खाना तो खा लिया था ना मैंने मां से कहा हां मैंने खाना खा लिया था क्या पापा अभी तक आये नहीं है तो मां कहने लगे तुम्हें तो मालूम है तुम्हारे पापा कहां इतनी जल्दी आते हैं। पापा को हमारे पूरे मोहल्ले में कोई भी पसंद नहीं करता था क्योंकि उनके शराब की लत की वजह से सब लोगों उनसे दूर जाने की कोशिश किया करते थे। उनकी शराब की आदत ने उन्हें इस कदर बर्बाद कर दिया था कि वह किसी से भी अच्छे से बात नहीं किया करते थे जब वह घर आते तो हमेशा वह झगड़ा किया करते थे। मैं तो बहुत ज्यादा परेशान हो जाती इसलिए मैं अपने पापा से बहुत कम बात किया करती थी उन्हें कभी अपनी जिम्मेदारी का एहसास ही नहीं हुआ ना जाने मां ने भी कैसे पापा के साथ लव मैरिज कर ली थी। मैं जब भी अपनी मां से पूछती कि आपने पापा को कैसे पसंद कर लिया तो वह कहती बेटा उस वक्त तुम्हारे पापा बहुत ही अच्छे और शरीफ थे लेकिन समय के साथ साथ वह बदलते चले गए और उन्हें ना जाने कब शराब की लत ने अपनी ओर जकड़ लिया कुछ पता ही नहीं चला। अब मां को भी जैसे आदत सी हो गई थी मां पिताजी को कुछ नहीं कहती थी और इस बात का असर हमेशा मुझ पर ही पड़ता था। मुझे तो पिताजी को किसी से मिलवाने में हमेशा यही डर लगा रहता था कहीं वह कुछ अनाप-शनाप ना कह दे वह हमेशा ही शराब के नशे में चूर रहते थे और उनसे अगर कुछ भी कह दो तो वह बहुत जल्दी गुस्सा हो जाते थे।
मेरी उम्र भी अब शादी की होने लगी थी और गरिमा की भी शादी हो चुकी थी गरिमा की शादी बड़े ही अच्छे तरीके से हुई उसके बाद गरिमा अपने ससुराल चली गई। अभी भी वह मुझसे संपर्क में रहती थी गरिमा जब अपने ससुराल चली गई तो काफी समय बाद वह मुझे मिली वह अपने घर आई हुई थी उसने मुझे फोन कर के कहा मैं घर आई हूं तो मैं उससे मिलने के लिए चली गई। मैं जब गरिमा से मिली तो गरिमा कहने लगी काजल तुम भी अपने लिए कोई लड़का देख लो मैंने गरिमा से कहा यार तुम भी कैसी बात करती हो मैं कैसे अपने लिए कोई लड़का देख लूँ मम्मी पापा जब तक कोई लड़का पसंद नहीं कर लेते तब तक भला मैं कैसे किसी को देख लूँ। गरिमा ने मुझे छठ से जवाब दिया और कहने लगी तुम भी तो किसी को पसंद कर सकती हो ना मैंने गरिमा से कहा तुम्हें तो मालूम ही है कि मैं इन अब पछड़ो में नहीं पड़ती और मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं है। गरिमा ने जब मुझे यह सब कहा तो मैंने गरिमा से कहा ठीक है मैं देखती हूं मुझे क्या पता था गरिमा की बात सच होने वाली है और मेरे जीवन में जैसे सचमुच में कोई राजकुमार आने वाला है। जब मेरी मुलाकात अजय के साथ हुई तो मुझे अजय का साथ पाकर बहुत अच्छा लगा अजय का जीवन भी बिल्कुल मेरी तरह ही था हम दोनों के जीवन में बिल्कुल एक समानताएं थी। अजय के पिता जी भी बहुत शराब पिया करते थे और मेरे पिताजी भी बिल्कुल अजय के पिता जी जैसे ही थे अजय को भी अपने पिताजी का कभी प्यार नहीं मिल पाया और मैं भी अपने पापा के प्यार से हमेशा वंचित रह गई।
हम दोनों ने एक दूसरे का साथ देने का फैसला कर लिया था और मैंने अपनी मां को जब अजय से मिलवाया तो मेरी मां को अजय बहुत पसंद आया। मेरी माँ अजय से कहने लगी बेटा देखो हम चाहते हैं कि तुम काजल को हमेशा खुश रखो और तुम काजल का ध्यान दो अजय ने कहा मैं काजल से प्यार करता हूं और उसका हमेशा ही ध्यान रखूंगा अब काजल की जिम्मेदारी मुझ पर ही है। कुछ ही समय बाद हम लोगों की सगाई भी हो गई मेरे पिताजी को तो जैसे हमसे कोई लेना देना ही नहीं था। मैं अपनी मां के लिए बहुत ज्यादा दुखी थी क्योंकि जब मेरी शादी हो जाएगी तो उसके बाद मेरी मां की देखभाल कौन करेगा क्योंकि मेरे पिता जी से तो मुझे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी। मुझे दिन-रात यही चिंता सताती रहती लेकिन जब भी मैं अजय से मिलती तो मुझे बहुत अच्छा लगता। जब भी मैं अजय से मिलती तो मेरे चेहरे पर मुस्कान आ जाती थी और अजय भी बहुत खुश होते थे। एक दिन अजय और मेरे बीच फोन पर काफी देर तक बात हुई उस दिन जब हम दोनों की बात हो रही थी तो हम दोनों की जवानी उछाल मारने लगी थी। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं अपने आपको नहीं रोक पाऊंगा उस रात मैंने अजय के साथ काफी ज्यादा अश्लील बातें की अजय भी खुश हो चुके थे। वह मुझे कहने लगे हम लोगों को मिलना चाहिए हम लोगों ने कुछ समय बाद मिलने का फैसला किया तो हम दोनों ही अपने आपको नहीं रोक पाए। अजय मुझे कहने लगे आज मैं तुम्हारे साथ शारीरिक संबंध बनाना चाहता हूं अजय को मैंने अपना दिल तो दे ही दिया था उसे अब मैं अपना तन भी देना चाहती थी। मैने अपना तन बदन सौंपने का पूरा फैसला कर लिया था मैं और अजय एक गेस्ट हाउस में चले गए।
वहां पर जब हम दोनो गए तो अजय ने मेरे गुलाबी होठों का अपने होठों से चुंबन किया तो मेरे अंदर से आग निकलने लगी मै अजय की बाहों में जाने लगी। जब मै अजय की बाहों में चली गई तो मुझे मजा ही आ गया। अजय ने मेरे स्तनों को अपने मुंह में लिया तो मेरे अंदर से भी गर्मी बढ़ने लगी थी हम दोनों ने सफेद रंग की चादर को अपने ऊपर ओठ लिया। अजय ने कमरे की बत्ती बुझा दी थी जिससे कि माहौल पूरा रंगीन हो चुका था मैं भी पूरी तरीके से उत्तेजित होने लगी थी। मैं और अजय इतने ज्यादा उत्तेजित होने लगे थे अजय ने जब अपनी जीभ को मेरी योनि पर लगाना शुरू किया तो मेरी योनि से पानी बाहर निकल आया था। जैसे ही अजय ने अपने मोटे लंड को मेरी योनि के अंदर डाला तो मेरी योनि से खून आने लगा। मेरी चूत अंदर से बुरी तरीके से छिल चुकी थी लेकिन जब मुझे अजय धक्के मारते तो उससे मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था।
मैं अजय का पूरा साथ दे रही थी अजय ने मुझे कहा काजल तुम उल्टा लेट जाओ? मैंने अजय से कहा मेरी योनि से खून आ रहा है मुझे बहुत जलन महसूस हो रही है तुम ऐसे ही करो ना। मैं नहीं चाहती थी कि मैं उल्टी लेट जाऊं लेकिन अजय चाहते थे कि मैं अपने पेट के बल लेट जाऊं। अजय मेरी योनि के अंदर लंड डालते कुछ देर बाद मै अजय की बात मान गई जैसे ही अजय ने मेरी योनि के अंदर अपने लंड को प्रवेश करवाया तो मैं दर्द से करहाने लगी। मुझे बहुत ही ज्यादा दर्द होने लगा तो मुझे बहुत तकलीफ हो रही थी लेकिन अजय मुझे तेजी से धक्के मारे जा रहे थे। वह जिस गति से मुझे धक्के मारते उससे मैं पूरी तरीके से मचलने लगती और मेरा तन बदन हिल उठता। अजय मुझे कहने लगे बस कुछ देर की बात है। मैने अजय से कहा मुझे बहुत दर्द हो रहा है मैं ज्यादा देर तक नहीं झेल पाऊंगी। अजय कहने लगे बस कुछ ही देर की बात है जैसे ही अजय ने अपने वीर्य को मेरी चूत के अंदर प्रवेश करवा दिया और मुझे कहा तुम आराम से लेट जाओ। मुझे बहुत दर्द हो रहा था मैं आराम से लेटी रही।