ही फ्रेंड्स, मई 24 साल की गोरी और लंबी सुनीता हू. मेरी काली गहरी ज़ूलफे, मदिरा छिड़कते मेरे ये मस्त-मस्त दो नैन, रस्स से भरे मेरे दो गुलाबी होंठ और मेरे गोरे-गोरे गालो के सब दीवाने है.
मेरे इस रूप के जाल मे जो भी फ़ससा, बस फ़ससा ही रह गया. संगेमरमर जैसे मेरे बदन का तो कहना ही क्या है. मेरे इस बदन पर जो बड़े-बड़े चूचे है, उसकी तो दुनिया दीवानी है. हर कोई मेरे इन काससे हुए चूचो का मज़ा लेना चाहता है.
मेरी उभरी हुई मस्त गांद के तो कहने ही क्या है. जब मई मटक-मटक कर चलती हू, तो चाहे वो बच्चे हो, बुड्दे हो, या जवान हो, सबके लंड खड़े हो जाते है. मुझे देख-देख कर सब आहें भरते है और हाए-हाए करते है.
मई बस इसी तरह से अपने जवान और मादक जिस्म का प्रयोग करती हू और हमेशा जवान, स्मार्ट और हॅंडसम लड़को से अपनी छूट चुड़वाती हू और उनको अपने रूप का रस्स-पॅयन करवाती हू. जो भी मेरी चुदाई करता है, वो मेरे खूसूरत अंगो मे उलझ कर रह जाता है.
मेरे इसी रूप के जाल मे नंदन भी फ़ासस गया और ये कहानी बन गयी. हुआ कुछ यू, की मई टी गार्डेन मे काम करती थी और मेरे साथ हज़ारो लड़किया वाहा काम करती थी.
एक बार कंपनी के मालिक का बेटा नंदन टी गार्डेन मे आया हुआ था. वो किसी नये प्रॉजेक्ट के लिए गार्डेन मे आया था. नंदन 19 साल का गबरू-जवान लड़का था और जवानी उसकी राग-राग से तपाक रही थी.
उसकी हाइट 6 फुट की थी और वो गोरा, स्मार्ट और गुड लुकिंग टाइप का लड़का था. उसकी बॉडी आत्लेटिक टाइप की थी. ये सब मिल कर उसको एक जान-लेवा लुक देते थे. वो गार्डेन मे मॅनेजर के साथ घूम रहा था और घूमते-घूमते उसकी नज़र मुझ पर पड़ी.
उसने जैसे ही मुझे देखा, तो वो मेरे रूप के जाल मे क़ैद हो गया. फिर उसने मुझे अपने पास बुलाया और पूछा-
नंदन: तुम्हारा नाम क्या है? तुम कितनी पढ़ी-लिखी हो? और मॅरीड हो, या अनमॅरीड हो?
फिर मैने उसके सवालो का जवाब दिया-
मई: मेरा नाम सुनीता है और मैने ब.स्क. की हुई है. मई अभी तक अनमॅरीड हू.
फिर नंदन बोला: देखो नयी कंपनी मे ऑफीस के लिए मुझे 3 लड़कियो की ज़रूरत है. अगर तुम ऑफीस का काम ऑफीस का काम करना चाहती हो, तो तुम्हे मुझे अपने सारे काग़ज़ जैसे- मेट्रिक, इंटर और ग्रॅजुयेशन के सर्टिफिकेट दिखाने होंगे. इसके अलावा मुझे तुम्हारे आधार कार्ड की भी एक कॉपी चाहिए होगी. तो अगर तुम इंट्रेस्टेड हो, तो ये सारे डॉक्युमेंट्स लेके 2 बजे तक मेरे ऑफीस आ जाओ.
मई तो खुशी से पागल हुई जेया रही थी. जहा खोजने से भी नौकरी नही मिलती थी, वाहा मुझे बुला कर नौकरी दी जेया रही थी. फिर मई आचे से फ्रेश हुई, मैने अपने सारे काग़ज़ लिए और कंपनी के ऑफीस की तरफ चल दी.
उस वक़्त ऑफीस मे ज़्यादा आदमी नही थे. मई नंदन के ऑफीस मे गयी, तो उसने मुझे बिताया और मेरे डॉक्युमेंट्स लेके देखने लग गया. फिर नंदन बोला-
नंदन: तुम्हारे सारे काग़ज़ ठीक है, तो तुम अपनी नौकरी पक्की समझो. लेकिन मुझे इसके बदले मे क्या मिलेगा?
ये सुन कर मई बोली: साहब मई आपको क्या दे सकती हू. मई तो मज़दूरी करके ज़िंदगी गुज़ार रही थी. मेरे पास आपको देने के लिए कुछ भी नही है.
फिर नंदन बोला: अर्रे तुम तो जीती-जागती टकसाल हो टकसाल. तुम्हारा ये गोरा बदन और ये जवानी कमाल की है.
मई समझ चुकी थी, की नंदन क्या कह रहा था. फिर मई उसको बोली-
मई: अछा तो तुम्हे घूस मे ये सब चाहिए. साहब ये कों सा कोई बड़ी चीज़ है.
और ये बोलते ही मई नंदन के एक-दूं करीब हो गयी और अपनी बड़ी-बड़ी चूचियो को उसके बदन के साथ रगड़ने लग गयी. फिर मई बोली-
मई: अर्रे साहब, आपके जैसे गबरू-जवान लड़के से भला कों सी लड़की नही चूड़ना चाहेगी. तुम्हारे साथ तो मुझे भी मज़ा मिलेगा.
ये कह कर मई नंदन के होंठो और गालो पर ज़ोर-ज़ोर से किस करने लग गयी. फिर नंदन ने मुझे अपनी गोद मे खींच लिया और मई नंदन की आगोश मे क़ैद हो गयी. उसी वक़्त मई मज़े के लहजे मे बोली-
मई: देखो साहब जी, मेरी छूट बहुत गहरी है. इसको छोड़ते-छोड़ते अगर तुम अंदर चले गये, तो फिर मुझे अपायंटमेंट लेटर कों देगा? फिर मई तुमसे चुड भी जौंगी और मुझे नौकरी भी नही मिलेगी.
मेरी बात सुन कर नंदन ठहाका लगा कर हासणे लगा और बोला-
नंदन: ऐसा कर, पहले तू काग़ज़ पर ठप्पा लगवा ले, उसके बाद मुझे अपनी छूट पर ठप्पा लगाने देना.
मई भी उसकी बात सुन कर हस्स पड़ी, क्यूकी उसने भी नहले पे दहला मार दिया था. फिर नंदन ने मुझे अपायंटमेंट लेटर साइन करके दी और मई भी पुर जोश से आतुर होकर छुड़वाने के लिए तैयार हो गयी.
मैने जल्दी से नंदन की पंत और शर्ट उतार दी और अब 6 फुट का जवान लौंडा मेरे सामने अंडरवेर और बनियान मे खड़ा था. वो बहुत की सेक्सी लग रहा था और उसने मुझे अपनी बाहो मे ले लिया. अब मई उसकी बाहो मे कसमसा रही थी.
फिर नंदन ने भी मेरी कमीज़ उतारी और मेरी 36″ की चूचिया बाहर निकालने को मचल रही थी. अब नंदन अपने होंठो को आहिस्ते-आहिस्ते मेरी चूचियो पर फेर रहा था. नीचे मेरी छूट अब खुली हवा के लिए तड़प रही थी.
नंदन को शायद मेरी छूट पर दया आ गयी थी और उसने मेरी सलवार और पनटी दोनो एक साथ उतार दी. सलवार उतरते ही मेरी गरम-गरम छूट की आँखों से खुशी के आँसू निकल गये. नंदन ने मेरी छूट से टपकते रस्स को देखा और जल्दी से अपनी जीभ लगा कर मेरी छूट के रस्स का रस्स-पॅयन करने लगा.
छूट चाट-ते हुए नंदन बीच मे अपनी जीभ को मेरी छूट के अंदर धकेल रहा था. उसकी जीभ मेरे ग-स्पॉट को टच करती, जिससे मई उछाल पड़ती. फिर मई बोली-
मई: नंदन अब उपर आ जाओ और मेरी गली की सैर अपने लंड महाराज को करने दो.
नंदन मेरे उपर आ गया और मेरी चूचियो के साथ भीड़ गया. उसका लोड्ा अब मेरी बर पर रग़ाद खा रहा था और मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. मई अपनी गांद को उठा-उठा कर घर्षण को बढ़ा रही थी.
फिर नंदन ने मुझे अपनी बाहो मे उठाया और मुझे बेड के किनारे पर ले गया. वाहा ले-जाके उसने मेरी दोनो टांगे खोली, जिससे मेरी छूट का मूह भी उसके लंड के सामने खुल गया. फिर उसने अपने लंड को मेरे छूट पे लगाया और छूट महारानी के द्वार को खोजने लगा.
जैसे की उसके लंड के सुपारे को छूट का द्वार मिला, तो उसने एक ज़ोर का झटका मारा और उसका लंड छूट की दीवारो को चीरता हुआ उसमे समा गया. तभी मई बोली-
मई: अब छोड़ो मेरे राजा, ज़ोर लगा कर छोड़ो आहह.. और ज़ोर से छोड़ो मेरी जान आअहह..
अब नंदन पुर जोश मे आ गया था और ढाका-धक मेरी बर मे लंड पेले जेया रहा था. उसके लंड पेलते-पेलते मेरी बर के साथ मेरा शरीर भी काँपने लगा और मेरी बर सिकुड़ने लग गयी. मेरी बर उसके लंड को मसल रही थी और पानी छोढ़ कर थोड़ी देर के लिए शांत हो गयी थी.
फिर मैने नंदन को पटट्री बदलने को बोला और उसने मुझे घोड़ी बना लिया. वो खुद कुत्ता बन गया और मेरी बर को पहले चाटने लगा. फिर मेरी पीठ पर सवार होकर, वो मेरी बर को ताबाद-तोड़ छोड़ने लगा.
चुदाई का खेल पुर आधे घंटे तक चल रहा था और कॉन्सा योढ़ा किस पर भारी पद रहा था, ये अभी पता लगना बाकी था. नंदन ने फिरसे पोज़िशन बदली और इस बात उसने मुझे चिट लिटा दिया. फिर वो मेरी टाँगो के बीच आ गया और अब उसका लंड मेरी बर के सामने था.
वो अपना लंड मेरी बर पर रगड़ने लगा और जन्नत का द्वार ढूँढने लगा. फिर जैसे ही उसको बर का द्वार मिला, तो उसने ज़रा भी देर नही की, और अपना लंड बर मे घुसा दिया. उसका लंड मेरी बर की दीवारो को चीरता हुआ अंदर चला गया और मेरी तड़पति छूट को शांति मिल गयी.
अब नंदन ने अपना लोड्ा मेरी छूट मे भागना शुरू कर दिया था और साथ मे वो आहह आहह की आवाज़े कर रहा था. हम दोनो को बहुत मज़ा आ रहा था. थोड़ी देर तक मेरी बर छोड़ने के बाद, नंदन का पानी निकालने वाला था.
मेरी बर तो अब तक 4 बार अपना पानी छोढ़ चुकी थी. मई समझ गयी थी, की नंदन अपना माल छोढ़ने वाला था. इसलिए मैने भी अपनी गांद उछालने की स्पीड बढ़ा ली.
नंदन एक आत्लीट था और जवान था. वो एक बार मे नही रुकने वाला था. उसने मुझे काई बार छोड़ा और मेरी छूट का भोंसड़ा बना दिया. फिर वो सो गया. रात के 8 बाज रहे थे और मैने नंदन को उठाया. मैने उसको बोला-
मई: अभी एक रौंद और बचा है.
ये सुनते ही नंदन का लंड फिरसे खड़ा हो गया और उसने मेरी चुदाई की. इस कहानी मे बस इतना ही. ये कहानी आपको कैसी लगी, मुझे ज़रूर बताना. मई आपके आइडियास के अनुसार अपनी स्टोरीस को ढालने की कोशिश कर रही हू.