चुदसी चूत को खड़े लंड का सलाम

ही फ्रेंड्स, मई 24 साल की लंबी, गोरी और मस्त माला हू. अपनी सुंदरता का बखान मई क्या करू. लेकिन मेरी काया कामुकता से लबालब भारी हुई है. जो भी मेरी काया देखता है, वो बस मुझे छोड़ने की परिकल्पना मे गोते लगाने लगता है.

मई अपने आशिक़ो के सपने मे आने लगती हू. या यू कहिए, की मई उनकी ड्रीम गर्ल हू. मजनुओ की भीड़ मुझे देखते ही गाने लगती है “ड्रीम गर्ल, ड्रीम गर्ल, किसी शायर की ग़ज़ल, ड्रीम गर्ल”. चलिए मई आज की कहानी पर आती हू.

ये बात इसी साल जून महीने की है. मई अपनी कुछ सहेलियो के साथ हिमाचल की सैर को गयी थी. यात्रा मे मज़े ही मज़े थे. हम लोग हेस्ट खेलते हिमाचल पहुच गये. वाहा रुकने के लिए सभी ने होटेल मे कमरे बुक करवा लिए.

मई भी एक रूम मे शिफ्ट हो गयी. मेरी एक कमज़ोरी है, की जब भी मई होटेल के कमरे मे अकेली रहती हू, बस छुड़वाने के लिए तड़प उठती हू. मुझे बिना चुडवाए चैन नही मिलता. उस दिन भी कुछ ऐसा ही हुआ. मई होटेल के कमरे मे रुकी, थोड़ी सी ड्रिंक ली और अब मई छुड़वाने के लिए तड़प उठी.

क्या करू, कैसे करू, कैसे अपनी छूट की ज्वाला को शांत करू, मुझे कुछ भी समझ नही आ रहा था. बेचैनी के इस आलम मे मैने अपनी छूट मे उंगली डाली और फिंगरिंग की. फिर मैने डिल्डो से अपनी छूट को ठंडा करने की कॉषश् की. लेकिन सब बेकार चला गया.

मेरी छूट तड़प-तड़प के कह रही थी, की जो मज़ा लंड मे है, वो और कहा. मेरी छूट को शांति चाहिए थी और छूट अपनी आग को ठंडा करना चाहती थी. इसलिए पल-पल मेरी छूट को सिर्फ़ लंड के ही ख़याल आ रहे थे और वो लंड का स्वाद चाहती थी.

फिर मई बेबबसी मे रूम से बाहर बरामदे मे आ गयी और इधर-उधर ताकने-झाँकने लगी और चहल कदमी करने लगी. तभी मेरी नज़र 18 से 19 साल के एक लंबे हृष्ट-पुष्ट कद-काठी के नौ-जवान पर पड़ी.

वो लड़का बहुत स्मार्ट और हॅंडसम था और आठेलेटिक बॉडी थी उसकी. बस मेरा दिल उस नौ-जवान पर फिदा हो गया. लेकिन समस्या ये थी, की उसको पटाया कैसे जाए. मई सोच रही थी, की उसको सीधे चुदाई के लिए कह डू, या घुमा फिरा के बोलू. और उसका रिक्षन क्या होगा.

जब मई इन सब बातो मे उलझी हुई थी, वो लड़का तब तक मे मेरे बिल्कुल करीब आ गया. वो मेरी तरफ मुखातिब हुआ और बोला-

वो लड़का: क्या बात है माँ, रात के एक बाज गये है, और आप सोई नही? कुछ चाहिए क्या आपको?

ये सुन कर मेरे मॅन मे खुशी की घंटी बाज गयी. मुझे यकीन हो गया, की वो लड़का मेरे काम का था और वो मेरी छूट की आग को बुझा कर शांत कर देगा. फिर मई बोली-

मई: हा कुछ तो चाहिए.

और मैने उसको रूम के अंदर आने का इशारा किया. वो लड़का भी मेरे साथ रूम के अंदर आ गया. रूम मे पहुँचने पर मैने उसके गले मे अपनी बाहो का हार पहना दिया और बोली-

मई: मेरे तंन मॅन मे आग सी लगी हुई है. प्लीज़ मेरे तंन मॅन की इस आग को बुझा दो और मेरी छूट की ज्वाला को शांत कर दो.

रिप्लाइ मे उस नौ-जवान ने मेरे होंठो को चूमा और मुझे अपने सीने से लगा लिया. फिर हमारी बाते शुरू हुई. उस लड़के का नाम अमन था. चुम्मा-छाती ले दौरान मुझे पता चला, की वो होटेल मे भी काम करता था.

फिर अमन मेरे अंग-अंग को चूमने लगा. मेरे अंग-अंग से मानो शराब तपाक रही हो. अमन उस शराब से माधमस्त होता जेया रहा था. वो मेरे रस्स भरे गुलाबी होंठो को चूम चाट रहा था. उसके हाथ की उंगलिया मेरी चूचियो से खेल रही थी.

फिर धीरे-धीरे अमन मेरे गाउन को उतारने लगा . मई खुद भी आयेज बढ़ कर, कपड़े उतारने मे अमन का सहयोग कर रही थी. जब मैने 36″ साइज़ की अपनी ब्रा को उतारा, तो मेरी क़ास्सी हुई, गोरी, चमकीली और मस्त चूचियो को देख कर अमन उछाल पड़ा.

शायद इससे पहले अमन ने ऐसी सुंदर सुडोल चूचिया नही देखी थी. फिर एक हाथ से अमन मेरी एक चूची को मसलता रहा और दूसरी चूची को लपक कर उसने मूह मे ले लिया. मेरी दोनो चूचियो को जॉब मिल रहा था और मई मस्ती से झूम रही थी.

मेरे मूह से सी-सी की आवाज़े निकल रही थी. अब तक मई अमन के लंड का दर्शन नही कर पाई थी. फिर मैने अमन की पंत को उतारा और एक झटके से उसके जांघीए को भी उतार दिया. जैसे ही अमन का जांघिया निकला, तो अमन का विशाल मोटा लंड उछाल कर फंफना उठा.

उसके लंड को देख कर तो मई फूली नही समा रही थी. कहा मई किसी भी तरह के लंड को तरस रही थी. और यहा मिला तो मस्त लंड मिला. ये कहावत बिल्कुल सही है, की उपर वाला जब भी देता है, तो चप्पड़ फाड़ के देता है. मई मस्ती से अमन के 8 इंच के लंड को सहलाने लगी.

उसका 4 इंच से ज़्यादा मोटा लंड, मेरे नाज़ुक हाथो मे समा ही नही रहा था. फिर अमन मेरी चूचियो से खेलता हुआ, मेरी छूट तक पहुँच चुका था. मेरी चिकनी और सॉफ छूट, अमन को छूट चाटने को मजबूर कर रही थी.

फिर अमन ने अपना मूह मेरी छूट पर लगाया और छूट से टपकते मदन रस्स का मज़ा लेने लगा. अमन मेरी छूट चाट-ता रहा और मई मदहोश होती गयी. वो मेरी मदहोशी का भरपूर फ़ायदा ले रहा था. कभी-कभी वो अपनी जीभ छूट मे घुसेध देता.

जब उसकी जीभ ग-स्पॉट को टच करती, तो मई मदहोशी मे आ श करती. मुझसे अब और बर्दाश्त नही हो रहा था और मई उसको बोली-

मई: अर्रे सेयेल बुरछट्‍टे, सिर्फ़ बर चाट-ता रहेगा, या छोड़ेगा भी? उठ, और अपने फंफंते लोड को मेरी बर मे थोक दे. ढाका-धक छोड़ अब मेरी बर को.

फिर अमन ने मेरे नंगे जिस्म को उठाया और बेड के किनारे पर लिटा दिया. फिर उसने मेरी टाँगो को फैला कर अपने कंधे पर लिया. अमन का मस्त लोड्‍ा अब ठीक मेरी बर के मुहाने पर था. चुदसी बर को फंफनता हुआ लोड्‍ा सलामी दे रहा था. मेरी छूट ने लंड के अभिवादन को स्वीकार किया और बोली-

छूट की आवाज़: आजा बेटा, अब अंदर की सैर कर ले. मई तुझे जन्नत की सैर करवा दूँगी.

फिर लंड छूट का कहा मानते हुए, छूट की गहराई मे कूद पड़ा. लंड ने धक्का लगाया और छूट की दीवारो को चीरता हुआ अंदर चला गया. मोटे लंड के एहसास से मुझे असीम आनंद की अनुभूति हुई. जब छूट मे लंड हो, तो इससे सुखद और कोई एहसास हो ही नही सकता. अब मई आ आ करते हुए अमन को बराबर ललकार रही थी-

मई: ज़ोर से छोड़ो, और ज़ोर से, और ज़ोर से. बहुत मज़ा आ रहा है आहह.. और ज़ोर से करो.

अमन भी ललकार सुन कर मस्ती से मुझे ढाका-धक छोड़ रहा था. मई गांद उछाल-उछाल कर छुड़वा रही थी और चुदाई का खेल पुर ज़ोरो पर चल रहा था. अमन का लोड्‍ा निरंतर मोटा होके मेरी छूट मे कसता जेया रहा था. वो श श करते हुए, बहुत ही तेज़ी से मुझे छोड़ने लगा.

मई चुड़क्कड़ नंबर वन समझ गयी थी, की वो साला अब झड़ने वाला था. मेरी तो अभी आधी चुदाई भी नही हुई थी. इसीलिए तो मई बार-बार कहती हू, की मई अकेली टीन-टीन लंड को शांत करने की क्षमता रखती हू.

मैने अपनी दोनो टाँगो से अमन को कस्स के बाँध लिया और अपने हाथो से उसकी गांद को पकड़ा, ताकि किसी भी सूरत मे साला छ्छूट ना पाए. अमन का गरमा-गरम लावा छूट मे मुझे गर्मी दे रहा था. लेकिन मुझे संतुष्टि नही मिली थी.

मेरे पैरो और हाथो के बंधन से अमन छ्छूट नही पाया, पर उसका लंड शिथिल पद चुका था. लंड को छूट मे अंदर लिए-लिए ही, मई लंड को हरकत देने लगी. मई लंड को सख़्त बनाने की कोशिश कर रही थी. मेरी मेहनत रंग लाई और केवल 5 से 7 मिनिट के अंदर लंड सख़्त हो गया. फिर मई अमन को बोली-

मई: छोड़ बेटा, तू मुझे जलता छोढ़ कर भाग रहा था. मई तुझे ऐसे कैसे जाने दूँगी. छोड़ अब ढाका-धक और शांत कर दे मेरी छूट की आग को. अमन फिर ज़ोर-ज़ोर का धक्का मारने लगा. उसके हर धक्के पर उसके मूह से निकल रहा था-

अमन: ले साली ले. आज तेरी छूट फाड़ डालूँगा.

मई भी अमन के हर धक्के का जवाब गांद उछाल-उछाल कर दे रही थी. आधे घंटे की ताबाद-तोड़ चुदाई के बाद, मेरा बदन अकड़ने लगा. मेरे मूह से आ श की आवाज़े आने लगी और मेरी छूट से मदन रस्स की फुहार निकल पड़ी.

अमन अब भी मुझे दाना दान छोड़ रहा था, लेकिन उसके बदन मे भी कंपन हुआ और आ आ करता हुआ उसका भी दोबारा वीर्या-पतन हो गया. अमन के लंड के गरम-गरम वीर्या से मेरी छूट सराबोर हो गयी.

अब अमन एक तरफ लूड़क चुका था. मुझे भी नींद आ चुकी थी और मई सपने मे अपने रीडर्स की रिक्षन देख रही थी. बस थॅंक्स.

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