हेलो दोस्तों, मैं विश्वास अपनी कहानी के अगले पार्ट के साथ वापस आया हू. अगर आपने पिछला पार्ट नही पढ़ा है, तो पहले जाके उसको पढ़े. उमीद है आपको पिछले पार्ट में मज़ा आएगा.
पिछले पार्ट में आप सब ने पढ़ा था की अपनी मा को अपने अंकल और उनके बेटे से चूड़ते हुए देख कर मुझे बहुत बुरा लगा. मैं जान गया था की मेरी मा कितनी बड़ी रंडी थी. और अब मैने अपनी मा को छोड़ने का फैंसला किया. अब मैं अपनी सोई हुई मा के रूम में आ चुका था. अब आयेज बढ़ते है.
मा बेड पर सोई हुई थी, और मैं मा की तरफ बढ़ रहा था. वो सीधी लेती हुई थी, और उनका बदन निघट्य में मस्त लग रहा था. मुझे शुरुआत में उनको नही जगाना था, और पहले उनको तोड़ा गरम करना था.
मा बेड के एक कॉर्नर पर सोई हुई थी. मैं उनके पास गया, और ज़मीन पर घुटनो के बाल बैठ गया. पहले मैं अपना फेस मा के बदन के करीब लेके गया. क्या खुश्बू आ रही थी मा के मस्त बदन में से, जो किसी भी मर्द का लंड खड़ा कर दे.
फिर मैने अपना बया हाथ आयेज बढ़ाया, और मा के पेट पर रखा. क्या सॉफ्ट पेट था मा का. ये वही पेट था जिसमे मैं 9 महीने रहा था. फिर मैं हाथ नीचे लेके गया तो मुझे उनकी पनटी महसूस हुई. मैने दया हाथ मा के बूब्स पर रखा, तो उन्होने ब्रा नही पहनी थी.
मा ने वो निघट्य पहनी थी, जो सर से पैर तक बंद होती है. पहले मैं सोचने लगा की कहा से शुरू करूँगा. फिर मैने सोचा की स्वर्ग के द्वार से शुरू करता हू. फिर मैं मा के पैरों के पास जाके बैठ गया.
पहले मैने उनके पैरों को चूमा, और फिर टाँगो को चूमने लगा. चूमते-चूमते मैं उनकी निघट्य को उपर की तरफ सरकने लग गया. पहले मेरे सामने उनकी गोरी टांगे आई, फिर जांघें आई, और फिर उनकी ग्रे कलर की पनटी मेरे सामने थी.
मैं अपना मूह मा की पनटी के पास लेके गया, और उसकी खुश्बू सूंघने लगा. मुझे ऐसा लगा जैसे कोई नशा हो मा की छूट की खुसबु में जो मुझे और वाइल्ड बना रहा था.
पहले तो मैने उनकी छूट पर पनटी के उपर से किस किया. फिर मैने सोचा की इससे पहले की वो जाग जाए, मैं अपनी तैयारी कर लेता हू. ये सोच कर मैं खड़ा हुआ, और मैने अपने सारे कपड़े उतार दिए. अब मेरा खड़ा लंड मा की तरफ इशारा कर रहा था, और उसके अंदर जाने के लिए उछाल रहा था.
मुझे मा का चेहरा बड़ा कामुक लग रहा था सोते हुए. तो मैं पहले मा के चेहरे के पास गया, और अपने लंड को उनके होंठो पर टच किया. ऐसा करने से मेरे अंदर एक अजीब सा करेंट लगा. फिर मैं वापस नीचे गया, और मा की पनटी में हाथ डाल कर नीचे करने लगा.
पनटी नीचे करते वक़्त मा नींद में तोड़ा हिली, जिससे पनटी आसानी से नीचे हो गयी. फिर मैने धीरे-धीरे करके उनकी पनटी निकाल दी. अब उनकी नंगी छूट मेरी आँखों के सामने थी. मैने ज़रा भी देर नही की, और उनकी छूट पर अपना मूह लगा लिया. मैं हल्के-हल्के उनकी छूट पर अपनी जीभ फेरने लगा.
क्या मज़ा आ रहा था. जब मेरी जीभ मा की छूट पर फिरती, तो उसके हल्के बालों का एहसास कमाल का था. अब मुझसे और कंट्रोल नही हुआ, और मैने छूट को ज़ोर-ज़ोर से चाटना शुरू कर दिया. जैसे ही मेरी चटाई ने स्पीड पकड़ी, मा की नींद खुल गयी. मा हिली, और उन्होने नीचे देखा.
मुझे देख कर वो हैरान होते हुए बोली: विश्वास! तुम ये क्या कर रहे हो?
मैं बिना कुछ बोले मा के उपर कूद पड़ा, और अपने होंठ मा के होंठो के साथ लगा दिए. मा कुछ समझ नही पाई और झटपटाने लगी. तभी मैने अपना लंड मा की छूट पर सेट किया, और ज़ोर के झटके से पूरा अंदर घुसा दिया.
अभी दिन में मा चूड़ी थी, वो भी 2 लंड से. लेकिन फिर भी उनकी छूट टाइट थी. फिर मैं तबाद-तोड़ धक्के लगा कर अपनी मा की छूट छोड़ने लगा. मा मुझे अपने से डोर करने की कोशिश कर रही थी. लेकिन उनकी कोई भी कोशिश कामयाब नही हो रही थी. 2-3 मिनिट के धक्को के बाद मुझे मा की छूट का गीला-पन्न अपने लंड पर महसूस होने लगा.
मा ने मुझे डोर करना भी बंद कर दिया, और अपने बंद होंठो से ह्म ह्म करने लगी. मैं समझ गया था की मा को मज़ा आना शुरू हो गया था. फिर मैने मा के होंठ रिलीस कर दिए तो मा बोली-
मा: आ विश्वास आ ये तू क्या कर रहा है? मैं तेरी मा हू आ. ये ग़लत है.
मैं कुछ नही बोला, और मा की निघट्य गले से फाड़ कर बूब्स बाहर निकाल लिए. फिर मैं उनके बूब्स चूस्टे हुए उनको छोड़ने लगा. तभी मा बोली-
मा: आ ज़ोर से करो आ, बहुत मज़ा आ रहा है. ज़ोर से करो बेटा, अपनी मा को और मज़ा दो.
मैने अपनी स्पीड बधाई, और मा बोली-
मा: हा ऐसे ही. बहुत अछा कर रहे हो तुम.
फिर मैने मा की तरफ देखा, तो वो आँखें बंद करके मज़े ले रही थी. तभी मैने मा से पूछा-
मैं: मा मज़ा आ रहा है?
मा बोली: हा बेटा, बहुत मज़ा आ रहा है.
तभी मैने मा के मूह पर ज़ोर से थप्पड़ मारा, जिससे मा हैरान हो गयी. फिर वो बोली-
मा: क्या हुआ बेटा?
मैने एक और थप्पड़ मारा, और बोला: साली रंडी, तुझे लंड की इतनी भूख थी तो मुझे बोलती. बाहर के मर्दों से क्यूँ चुड्ती है छिनाल?
मा: नही बेटा, ऐसा कुछ नही है.
मैने एक और थप्पड़ मारा, और बोला: मैने तुझे अपनी आँखों से देखा है शर्मा और उसके बेटे के साथ रांड़-पन्न करते हुए. और तू कह रही है ऐसा कुछ नही है.
ये सुन कर मा चुप हो गयी. फिर मैने उसको बोला-
मैं: आज से तू मेरी रंडी है. सिर्फ़ मेरे लंड पर चढ़ेगी.
मा: हा मेरे बेटे, सिर्फ़ तुझसे ही चुड़ूँगी.
मैं: गुलाम है तू मेरी, मालिक बुला मुझे रंडी.
मा: हा मेरे मालिक आ ज़ोर से छोड़ो मालिक.
फिर मैने उसको घोड़ी बना लिया और पीछे से उसको छोड़ने लग गया. मैं ज़ोर से उसकी गांद पर थप्पड़ मारने लगा. मा आ आ करते हुए मुझसे चुड रही थी. उसका पानी निकल चुका था, लेकिन मैने 10 मिनिट और उसको रगड़ा.
फिर जब मेरा पानी निकालने वाला हुआ, तो मैने मा के मूह में लंड डाल कर छोड़ना शुरू कर दिया. कुछ देर में मा का मूह मेरे पानी से भर गया. उस पूरी रात मैने मा को बहुत छोड़ा. अब मा हमेशा के लिए मेरी रंडी बन चुकी थी.
तो दोस्तों मेरी कहानी यहा ख़तम होती है. अगर आपको ये कहानी पसंद आई हो, तो इसको अपने फ्रेंड्स के साथ भी ज़रूर शेर करे. कहानी पढ़ने के लिए धन्यवाद.