हेलो फ्रेंड्स, मैं हू आपकी जानी-पहचानी 36 साल की बड़ी-बड़ी चूचियो वाली पुष्पा. वैसे हू तो मैं 36 साल की. लेकिन मेरे मादक रूप और नशीली अदाओं का जादू सिर चढ़ कर बोलता है.
हर आशिक़ जो मुझे देखता है, उसपे ये जादू चल जाता है, और वो मुझे छोड़ने की तमन्ना पाल ही लेता है. जब मैं चलती हू, तो मटकती हुई मेरी गांद कहर धाती है. हिलती-डुलती मेरी चूचिया कामदेव के बान की तरह चलती है.
आज जो कहानी मैं सुनने जेया रही हू, वो मेरी सहेली रीमा के साथ मिल कर किराए के घोड़े से छुड़वाने की है. अब मैं कहानी पर आती हू.
मेरी पोस्टिंग अरुणाचल में थी. अलग भाषा और बोल-चाल की वजह से मेरे वाहा ज़्यादा दोस्त नही थे. पर एक दोस्त थी, जिसका नाम रीमा था. रीमा मस्त जिस्म की मल्लिका है. उसकी स्पेसिफिकेशन मैं बताती हू. उसकी मदिरा से भारी बड़ी-बड़ी कमाल की पंखुड़ियो सी आँखें है.
गर्दन उसकी सुरहीदार है, और सीने पर मस्त-मस्त चूचिया है. रस्स-भरे गुलाबी उसकी होंठ थे, और चिकनी सपाट पेट कहर धाती है. उसकी नाभि के नीचे गुलाबी छूट है. मेरे और रीमा में किसी बात का कोई परदा नही है.
मैं भी सिंगल थी, और वो भी सिंगल थी. अनेको बार हम दोनो, या यू कहिए, ली जब भी मूड बन जाए हम लोग सेक्स करते थे. ग़ज़ब का ताल-मेल था हम दोनो के बीच में. मैं उसकी छूट चाट-ती हू, तो वो मेरी छूट चाट-ती थी.
मैं उसकी चूचियो से खेलती हू, तो वो मेरी चूचियो से खेलती है. काई बार हम दोनो ने साथ मिल कर लड़को से भी चुडवाई है. ये बात पिछले महीने की है. सनडे का दिन था, और मैं अपने रूम में यू ही बैठी थी. खाली-खाली समय था. और ऐसे में ध्यान छूट चुदाई पर तो चला ही जाता है.
मैं छुड़वाने के लिए तड़प रही थी, और अनायास ही मेरा हाथ छूट पर चला गया. अब मैं अपनी प्यारी छूट को अपनी ही नाज़ुक उंगलियो से सहला रही थी. कभी-कभी मैं उंगली अंदर भी डाल लेती थी. विचारों की बारात दिमाग़ में दौड़ लगा रही थी.
ऐसा लग रहा था, की काश कोई लंड-धारी मिल जाए, और वो साला अपने फौलादी लंड से मेरी बर को हुत-हुत कर छोड़ दे. ठीक उसी समय मेरी विचारों की तंद्रा को भंग करते हुए मेरी फोन की घंटी बाज उठी. मैने देखा, तो रीमा का फोन था. फिर मैने फोन रेसीएवे किया और बोली-
मैं: हा रीमा बोल.
रीमा बोली: क्या कर रही है पुष्पा?
मैं बोली: कुछ नही यार, ऐसे ही बैठी थी. मेरी महरानी चैन नही लेने दे रही थी, सो ज़रा उसको माना रही थी.
रीमा: अछा तो तू भी वही कर रही थी, जो मैं कर रही हू. पुष्पा तू मेरे यहा फ़ौरन आजा, तुझे मैं सर्प्राइज़ दूँगी. बस अब जितनी जल्दी हो सके यहा आजा.
मैं बोली: बस आ रही हू.
फिर मैं रीमा के यहा गयी. दरवाज़े पर दस्तक दी, तो रीमा अंदर से बोली-
रीमा: आजा यार, दरवाज़ा खुला है.
फिर मैं अंदर गयी. ये देख कर मेरी आँखें फटी की फटी रह गयी. रीमा सोफे पर पैर लटकाए बिल्कुल नंगी पड़ी थी. वाहा पर एक ट्राइबल कम्यूनिटी का लड़का था, जो एक-दूं नंगा था. वो रीमा की बर एक-दूं कुत्ते की तरह चतर-चतर चाट रहा था.
मुझे देखते ही रीमा ठहाका लगा कर हस्स पड़ी. फिर वो बोली-
रीमा: देख यार, है ना सर्प्राइज़? आ तू भी छुड़वा ले. ज़ालिम बहुत ही तगड़े लंड का मालिक है. हम दोनो को छोड़-छोड़ कर बर का भरता बना देगा.
मैं छ्होरे के छ्होटे साइज़ को देख के बोली-
मैं: ये तो दूध पीने वाला लड़का है. ये भला बर छोड़ पाएगा?
तभी वो छ्होरा एक कविता सुनने लगा-
छ्होरा: मुझे बच्चा ना समझना मेरी जान. मेरे लंड के सामने तुम्हारी छूट किसी कुवारि लड़की की छूट है.
उसकी कविता सुन कर मैं और रीमा एक साथ हस्स पड़ी. छ्होरा जो रीमा की बर चाट रहा था, वो उसको छोढ़ मेरे पर झपटा. उसने मुझे अपनी आगोश में ले लिया. मैं गाउन पहने हुए थी. उसने झटके से मेरा गाउन उतार दिया. फिर मेरी पनटी और ब्रा को भी खोल कर मुझे भी नंगी कर दिया.
अब एक कमरे में टीन नंगे जिस्म-जिस्म फ़रोशी के लिए तैयार थे. छ्होरा नाता था, पर काड्द-काठी का मुझे बहुत मज़बूत लगा. उसने अपना नाम विकी बताया. मुझे लगा विकी 20 के आस-पास का होगा. उसकी हाइट 05 फीट से ज़्यादा नही थी.
वो नाता था, पर मोटा था. छ्होटा पर मोटा था उसका लोड्ा, जो तंन-तंन कर रहा था. आख़िर करे भी क्यू नही, दो-दो चिकनी चमेली छूट उसके लोड की आस में थी. मैं अभी सोच ही रही थी, की विकी बोला-
विकी: रीमा रानी, अब तू लोड्ा बर में ले, और इसका मज़ा ले. मैं पुष्पा डार्लिंग के छूट को अपनी जीभ के पानी से गीला करता हू.
मैं बोली: गीला क्या करेगा रे सेयेल? मेरी छूट तो पहले से गीली पड़ी है. अब तो झरने का पानी बाहर भी बहने लगा है. तो आजा मेरी बर के नीचे, मैं तुझे इस अमृत जल से नहला के शूध कर देती हू.
इस बात पर एक साथ हम तीनो हस्स पड़े. Vईcक्य मेरी छूट को चूसने लगा. वो बहते पानी की हर बूँद को गले से नीचे उतारने लगा. उधर रीमा की छूट में विकी का लोड्ा कहर तोड़ रहा था. विकी गांद उछला-उछला कर बेहद तेज़ गति से रीमा को छोड़ रहा था.
उसके छोड़ने की रफ़्तार इतनी तेज़ थी, की रीमा चोट का जवाब नही दे पा रही थी. वो बस मज़े से आ आ करके छुड़वा रही थी. मेरी बर को विकी चाट रहा था, पक्के बुरछट्टे की तरह. वैसे अंदर से मैं नेरस्स थी, ये सोच कर की लंड का मज़ा शायद मुझे ना मिले.
विकी एक साथ टीन काम कर रहा था. वो रीमा का बर छोड़ रहा था, मेरी बर चाट रहा था, और हाथ से मेरी चूचियो को मसल रहा था. रीमा मस्ती में झूमते हुए आ आ कर रही थी. वो बोल भी रही थी-
रीमा: बड़ा मज़ा आ रहा है. छोड़ घपा-घाप छोड़. छोड़ रे मादरचोड़ छोड़. मैं गयी, मैं गयी आहह.
इन बोलो को सुन मैं जान गयी थी, की रीमा बस झड़ने वाली थी. तभी रीमा चीखते हुए बोली-
रीमा: अब बस कर रे ज़ालिम. तेरा लोड्ा है की रोड? साला माल उगल ही नही रहा है. मेरी तो चूड़ते-चूड़ते बर लाल हो गयी है.
विकी रीमा की बातो से और जोशीला हो गया. फिर वो ढाका-धक उसको छोड़ते हुए साइड में लूड़क गया. मैं समझ गयी थी, की विकी ने अपना मसाला बर में उगल दिया था. रीमा एक तरफ लूड़क गयी थी, और विकी ने अपने ढीले पड़े लंड को मेरे सामने कर दिया.
फिर मैने उसके लंड को हाथ में ले लिया, और उसको सहलाने लगी. नाटू का मोटा लॉडा कुछ ही देर में फिरसे ताम-तामा कर खड़ा हो चुका था. मेरी आँखों के सामने चुदाई का नज़ारा चलने से मैं काफ़ी आवेशित हो चुकी थी.
मेरी बर ज़रा भी देरी बर्दास्त नही कर पा रही थी. फिर मैने विकी को अपनी तरफ खीचा. मैं उसके लंड को अपनी बर पर रगड़ने लगी. रगड़ते-रगड़ते जैसे ही लॉडा बर के मुहाने पर गया, विकी को बर का एहसास हो गया. फिर विकी ने खच से लॉडा बर में डाल दिया.
पन्यायी बर में लॉडा घाप से अंदर चला गया. मैं चीख उठी, पर बड़ा मज़ा आया. फिर विकी हौले-हौले मेरी छूट छोड़ने लगा. छोड़ते-छोड़ते उसकी रफ़्तार भी तेज़ हो रही थी. फ़चा-फॅक लॉडा बर को खुश कर रहा था. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.
फिर मज़ा मारते-मारते मेरी छूट का रस्स और तेज़ी से बाहर निकल गया. मैं आनंद से सराबोर हो गयी थी. आप लोग पूचोगे की कितना मज़ा आया, तो मैं बता नही पौँगी. हा ये कहूँगी, की बर छुड़वा कर उसको खोल कर देखा, तो मैं झाड़ चुकी थी.
लेकिन विकी अब भी मुझे छोड़ रहा था. इस पुर सेशन में मैं टीन बार झड़ी. लेकिन ज़ालिम विकी का लॉडा अब भी बर को हिलोर रहा था. फिर मैं चिल्लाने लगी-
मैं: झाड़ कर निकाल ना रे लोड को मादरचोड़. मेरी बर का तो चीथड़ा उखाड़ गया है.
विकी को दया आ गयी, और वो बोला-
विकी: देखा ना साली कितना दूं है मेरे लंड में? तेरी छूट जवाब दे गयी. तो ले अब, पानी पीक तोड़ा आराम कर ले.
ये कहते हुए विकी ने ताबाद-तोड़ धक्के दिए मेरी बर में, और साथ में बर में वीर्या की बरसात कर दी. मैं कसम से सराबोर हो गयी थी. रीमा छुड़वा कर जो सोई थी, और अब तक सोई हुई थी.
फिर विकी एक तरफ लेट गया, और मैं भी शिथिल पड़ी थी. विकी ने लेते-लेते मेरी चूचियो को हाथ में लिया, और बोला-
विकी: आज रात भर तुम दोनो को मैं छोड़ता रहूँगा. अभी थोड़ी देर की तिफ्फ़िं है आराम कर ले.
सच में उस रात उसने रात भर हम दोनो को छोड़ा. मेरी तो बर का भोंसड़ा बन गया.
तो ये थी मेरी चुदाई की कहानी मेरी ज़ुबानी. आज की कहानी बस यही तक. मेरे दोस्तो, कहानी अची लगी हो, तो अपने पार्ट्नर के साथ बस शुरू हो जाओ. और हा, अपना एक्सपीरियेन्स मुझे ज़रूर बताना थॅंक्स.