ही फ्रेंड्स, मई 32 साल की प्यारी सी हनी हू. नाम के अनुरूप मेरे अंग-अंग से शहद टपकता है. मेरी काली गहरी ज़ूलफे, मदिरा छिड़कते मेरे ये मस्त-मस्त दो नैन, रस्स से भरे मेरे दो गुलाबी होंठ और मेरे गोरे-गोरे गालो के सब दीवाने है.
मेरे इस रूप के जाल मे जो भी फ़ससा, बस फ़ससा ही रह गया. संगेमरमर जैसे मेरे बदन का तो कहना ही क्या है. मेरे इस बदन पर जो बड़े-बड़े चूचे है, उसकी तो दुनिया दीवानी है. हर कोई मेरे इन काससे हुए चूचो का मज़ा लेना चाहता है.
मेरी उभरी हुई मस्त गांद के तो कहने ही क्या है. जब मई मटक-मटक कर चलती हू, तो चाहे वो बच्चे हो, बुड्दे हो, या जवान हो, सबके लंड खड़े हो जाते है. मुझे देख-देख कर सब आहें भरते है और हाए-हाए करते है.
मई बस इसी तरह से अपने जवान और मादक जिस्म का प्रयोग करती हू और हमेशा जवान, स्मार्ट और हॅंडसम लड़को से अपनी छूट चुड़वाती हू और उनको अपने रूप का रस्स-पॅयन करवाती हू. जो भी मेरी चुदाई करता है, वो मेरे खूसूरत अंगो मे उलझ कर रह जाता है.
मेरी छूट हर बार प्यासी रह जाती है. इस वजह से मई हमेशा असंतुष्ट रहती हू और जहा मुझे कोई हॅंडसम लड़का दिखे, तो मई चुदसी हो जाती हू. मई जब भी किसी खूबसूरत मर्द को देखती हू, तो मेरे मॅन मे अलग-अलग भाव आने लगते है.
मई ये सोचने लगती हू, की उस मर्द का लंड कैसा होगा, उसका लंड कितना तगड़ा होगा, कितना बड़ा होगा. क्या ये मेरी छूट की प्यास को बुझा पाएगा वग़ैरा-वग़ैरा. मई हमेशा चुदाई करवाने के जुगाड़ मे ही रहती हू.
सेल्स प्रमोशन की जॉब की वजह से मुझे हमेशा पुर देश के शहरो मे घूमना पड़ता था. अब मई ट्रॅवेल करते हुए किसी ऐसे होटेल मे रुकती हू, जहा मई विश्राम करने के साथ-साथ चुदाई का मज़ा भी ले साकु और जहा चुदाई के लिए बहुत सारे विकल्प हो.
एक दिन मई काम के सिलसिले मे जाईपुर मे थी. मुझे वाहा पर 3 दीनो तक रुकना था और मैने किसी ऐसे होटेल मे रूम बुक किया, जहा मेरी ज़रूरत पूरी हो जाए. फिर मई होटेल मे पहुँच गयी और सारे मर्द मेरी तरफ घूर-घूर कर देखने लगे.
मई अपने रूम मे चले गये और थोड़ी देर मे मेरे रूम का दरवाज़ा किसी ने नॉक किया. मैने बाहर देखा, तो रूम बॉय आया था. उसने मुझे एक अची पार्टी का हवाला दिया और मैने भी हामी भर दी.
फिर रात को 10 बजे रूम बॉय एक आदमी को लेकर मेरे पास आया. वो एक हॅंडसम लड़का था और उसकी बॉडी बिल्कुल आत्लेटिक और मस्क्युलर टाइप की थी. उसकी उमर कोई 24 या 25 साल रही होगी. उस लड़के का नाम नाभनईत था.
नाभनईत को देख कर मई बहुत खुश हो गयी थी. मैने सोचा, की नाभनईत के साथ चुदाई का बहुत मज़ा आएगा. फिर नाभनईत मेरे पास आया और मेरे साथ सतत कर बैठ गया. वो मेरी चूचियो को निहारने लगा, मानो मुआएना करना चाह रहा था.
फिर उसने मेरे चेहरे को पकड़ा और मेरे गालो को चूमने लग गया. गालो को चूमते हुए वो मेरे होंठो पर आ गया और मेरे होंठो को चूसने लग गया. मई भी भला पीछे क्यू रहती. मैने भी उसके बालो मे हाथ डाला और उसके मूह को अपनी और धकेलने लगी.
फिर नाभनईत मेरी चूचियो को टटोलने लगा . मैने भी उसके लंड पर हाथ रख लिया और उसको सहलाने लगी. अब हम दोनो चुदाई की जन्नत की तरफ बढ़ते जेया रहे थे.
फिर मैने नाभनईत की पंत उतार दी और उसने मेरी कुरती, पाज़ामी और बाकी सारे कपड़े उतार दिए. अब मेरी गोरी-गोरी चूचिया उसके सामने थी और मेरी छूट भी उसके सामने बंधन-मुक्त हो चुकी थी. मई उसके सामने बिल्कुल नंगी थी और चूड़ने के लिए एक-दूं तैयार थी.
फिर नाभनईत ने अपना अंडरवेर भी उतार दिया और उसका 7 इंच लंबा लंड उसके अंडरवेर से उछाल कर बाहर आ गया. उसका लंड तकरीबन 3.5 इंच मोटा था. उसके लंड को देख कर मुझे अजीब सा सुकून मिल रहा था और उसका खड़ा हुआ लंड मुझे सलामी दे रहा था.
मेरी छूट उसके ज़बरदस्त लंड का स्वागत करने की तैयारी मे थी. हम दोनो की चुम्मा-छाती अपने चरम पर थी. फिर देखते ही देखते नाभनईत मेरी छूट पर पहुँच गया और मेरी छूट को चाट कर छूट से टपकते रस्स का मज़ा ले रहा था.
अब मई नाभनईत के मज़बूत लंड को अपने नरम होंठो की गर्मी दे रही थी. ना तो मई सबर कर पा रही थी और ना ही नाभनईत सबर कर पा रहा था. फिर नाभनईत ने मेरे नंगे जिस्म को उठाया और मुझे बेड के किनारे पर जेया कर लिटा दिया.
फिर उसने मेरी टांगे खोली, जिससे मेरी गरम छूट उसके लंड के बिल्कुल सामने आ गयी. उसके बाद उसने अपने लंड को मेरी छूट के मूह पर रखा और रगड़ना शुरू कर दिया. लंड की रग़ाद से मेरी छूट और तड़प रही थी और लंड अंदर लेने के लिए तड़प रही थी.
फिर रगड़ते-रगड़ते लंड का टोपा मेरी छूट के छेड़ मे अटक गया. नाभनईत ने लंड अटकते ही एक ज़ोरदार झटका मारा और उसका बड़ा और मोटा लंड सनसानता हुआ मेरी छूट के अंदर चला गया. उसका पूरा लंड मेरी छूट की दीवारो को फाड़ता हुआ मेरी छूट के अंदर समा गया.
लंड अंदर जाने से मेरी छूट को एक अजीब सा सुकून मिलने लगा और मई बहुत खुश थी. फिर नाभनईत मेरी चुदाई करने लगा और मई भी ताल से ताल मिला कर उसका साथ देने लग गयी.
वो ज़ोर-ज़ोर से धक्के दे रहा था और मई गांद उछाल-उछाल कर लंड अंदर ले रही थी. पटक-पटक की आवाज़े आ रही थी और मेरी छूट को शांति मिल रही थी. पूरा कमरा हमारी चुदाई की आवाज़ो से गूँज रहा था.
अब मेरी छूट से रस्स की बूंदे टपकनी शुरू हो गयी थी और मुझे चरम सुख की प्राप्ति होनी शुरू हो गयी थी. मई तो अब जन्नत की सैर कर रही थी और नाभनईत भी मेरे साथ जन्नत मे था. नाभनईत भी आहह आहह करते हुए झाड़ गया और उसने अपने वीर्या की पिचकारी मेरी छूट मे छोढ़ दी.
अब दोनो पहलवान चुदाई रूपी कुश्ती पूरी कर चुके थे. लेकिन चुदाई का घमासान यही नही रुका और फिरसे चला. पूरी रात हमारी चुदाई का सिलसिला चलता रहा और हम दोनो ने परम संतुष्टि की प्राप्ति की.
मेरी छूट का बुरा हाल हो गया था, लेकिन मुझे मज़ा बहुत आया था.
इस स्टोरी मे इतना ही. अपनी फीडबॅक देने के लिए आप मुझे मैल कर सकते है.