ही फ्रेंड्स, मई हू आप सब की पुष्पा. मेरे पुराने रीडर्स तो मुझे जानते ही है. अपने नये रीडर्स को मई अपने बारे मे बता देती हू. मई 35 साल की मस्त कूदी हू और हमेशा छुड़वाने की इच्छा रखती हू.
मई लड़को को अपने रूप जाल मे फसाने वाली और अपने आशिक़ो को अपनी चूचियो से लुभाने वाली मस्तानी छ्होरी हू. मेरी गांद की गोलाई मर्दो के दिलो पर बरछे सी वार करती है. अब मई ज़्यादा इधर-उधर की बाते ना करते हुए, सीधा कहानी पर आती हू.
ये पूरा वाक़या पिछले माह के लास्ट सनडे का है. मई जिस इंटर विद्यालय हू, उसका कॅंपस बिल्कुल सुरक्षित घिरा हुआ है. कॅंपस मे दो ही लोग रहता है. उन दो लोगो मे से एक मई हू और दूसरी है मेरी हेडमिस्ट्रेस आरती.
आरती 45 साल की औरत है. उसका रंग एक-दूं दूधिया है और बदन भरा हुआ है. उसके 40″ साइज़ के चूचे एक-दूं काससे हुए है और गांद उभरी हुई है. एक-दूं शीशे से चमकते उसके गाल है और अंगारो से उसके होंठ है.
उसकी काली कजरारी आँखों से हर वक़्त मदिरा चलकती रहती है. सनडे को अकेले मेरी तबीयत नही लग रही थी. आरती भी मेरी तरह अकेली ही है, तो मैने सोचा, की उसके पास चली जौ. मैने सोचा, उसके साथ कुछ छत-पति बाते करूँगी.
फिर मई आरती के क्वॉर्टर मे पहुँची. वाहा रूम का दरवाज़ा तो बंद था, लेकिन अंदर से कुछ अजीब सी आवाज़े बाहर आ रही थी.
आरती: आ.. आ.. ज़ोर से मारो आहह.. हा ऐसे ही करो आहह.. बहुत मज़ा आ रहा है.
इन आवाज़ो को सुन कर मई जान गयी थी, की वो आवाज़े आरती माँ की ही थी और वो किसी से छुड़वा रही थी. आख़िर मुझे अंदाज़ा होता भी क्यू ना, मई खुद जो एक बहुत बड़ी चुड़क्कड़ हू.
मुझे 18 से 22 के छ्होरो से छुड़वाने मे मज़ा आता है. मई जब भी ऐसे छ्होरो को देखती हू, तो मेरी छूट कुलबुलाने लगती है. जब भी मई ऐसे छ्होरो को देखती हू, तो सोचने लगती हू, की किसका लंड किस तरह का होगा, किसका लंड कितना लंबा होगा और किसका लंड कितना मोटा होगा. मई सोचती हू, की कों कितनी देर छोड़ता होगा और कैसे चुदाई का मज़ा आता होगा.
अब मई ये तो जान चुकी थी, की वो चुदाई करवा रही थी. लेकिन वो किससे छुड़वा रही थी, ये पता नही था. आरती भी मेरी तरह बिना पति वाली महिला है. तो चुदाई करने वाला उसका बाय्फ्रेंड हो सकता था.
इतनी देर तक रूम मे होने वाली हुलचल अब शांत हो गयी थी. फिर मैने दरवाज़े पर नॉक किया और पंचू ने दरवाज़ा खोला. पंचू आरती माँ के यहा पार्ट टाइम जॉब करता था. वो सुबा और शाम को उनके घर काम करने आता था.
पंचू की कद-काठी बड़ी सॉलिड है. वो भूटिया जनजाति का लड़का था. उसकी हाइट ज़्यादा नही थी, लेकिन शरीर एक-दूं काला था और बिल्कुल कॅसा हुआ था. फिर जब मई अंदर गयी, तो आरती सिर्फ़ एक गाउन पहन कर बेड पर लेती हुई थी. बड़ी ही गरम-जोशी से उसने मुझे पास बिताया और बोली-
आरती: सॉरी यार, तुम्हे बहुत इंतेज़ार करना पड़ा. आज मेरी छूट चूड़ने के लिए बहुत मचल रही थी. तो मैने इस छ्होरे को बोला, की मेरी छूट की मस्ती निकाल दे और मेरी गर्मी ठंडी कर दे.
बड़ा मस्त छोड़ता है ये छ्होरा. तू भी तो मेरी ही तरह है. छुड़वा ले इस छ्होरे से.
मई आरती की ये बात सुन कर हक्की-बक्की रह गयी. फिर वो आयेज बोली-
आरती: अब तुम सब जान ही गयी हो, तो मई तुम्हारे साथ एक वाक़या शेर करती हू.
मैने उसकी बात सुनी और बोली-
मई: मई क्या जान गयी? मई तो अभी आई हू.
फिर आरती बोली: झूठ मत बोल. यहा देखो.
ये कहते हुए आरती ने सामने स्क्रीन की तरफ इशारा किया. उस स्क्रीन पर बाहर का पूरा सीन दिखाई पद रहा था. फिर आरती बोली-
आरती: जब पंचू का मस्त मोटा लंड मेरी छूट को छोड़ रहा था , तब मैने तुम्हे बाहर खड़ी हुई देखा था. तुम्हे सब कुछ सुन रहा था. तो इसलिए अब बहाने बाज़ी मत करो मेरे सामने और जाम के चुड़वव. तुमको तो मुझसे भी ज़्यादा ज़रूरत है.
ये कहते हुए आरती ने मेरी चूचियो से दुपट्टा हटाया और मेरी चूचियो को दबाते हुए बोली-
आरती: क्या मस्त चूचिया है यार तेरी. ऐसी मस्त चूचियो को अगर सेवदार नही मिलेगा, तो ये मुरझा जाएँगी. चलो अपनी चुदाई कारवओ और इन्हे ज़िंदा रखो.
फिर आरती ने पंचू को इशारा किया और पंचू मुस्कुराता हुआ मुझसे सतत कर बैठ गया. सबसे पहले उसने मेरी चूचियो पर हाथ फेरा और बोला-
पंचू: बहुत मस्त माल है. भगवान जब भी देता है, तो चप्पड़ फाड़ कर देता है. कभी सपने मे भी एक भी बर नही मिलती, और आज सच मे दो-दो बर का मज़ा मिल रहा है. आजा रानी, तुझे छोड़ कर मई तुझे जन्नत की सैर करवाता हू.
ये कहते हुए पंचू ने अपने होंठो मेरे अंगारे से होंठो पर लगा दिए. इतनी देर मे मई भी चुदसी हो गयी थी और मेरी छूट गीली होने लगी थी. छुड़वाने के लिए, तो मई हमेशा तैयार रहती हू.
फिर पंचू ने अपनी कमर पर जो गमछा लपेटा हुआ था, आरती ने वो निकाल दिया और उसका तुत सा मोटा लंड मेरी आँखों के सामने आ गया. तुत का मतल्ब मई यहा बता डू. इसका मतलब ऐसा लंड, जिसकी लंबाई और मोटाई तकरीबन सेम-सेम ही हो.
पंचू का लंड लगभग 5 इंच लंबा था और 4 इंच मोटा था. लंड देख कर मई तो पहले दर्र गयी, की बाप रे बाप! इतना मोटा लंड मेरी छूट मे कैसे जाएगा. जब मई बातरूम मे अपनी छूट शांत करने के लिए उसमे उंगलिया घुसाती हू, तो मुश्किल से चार उंगलिया अंदर जाती है. तो ये लंड कैसे जेया सकता था.
फिर मैने सोचा, की अगर आरती इस लंड से चुड सकती थी, तो मई भी तो चुदाई हो सकती थी. तो इसमे घबराने वाली कोई बात नही थी. फिर मैने पंचू का लंड अपनी मुट्ठी मे ले लिया. उसका मोटा लंड मेरे हाथ मे पूरा ही नही आ रहा था.
इतनी देर मे आरती ने मेरी सलवार का नाडा खोल दिया. फ्रॉक तो मेरी पंचू पहले ही खोल चुका था. मई अब ब्रा और पनटी मे थी. इस रूप मे मुझे देख कर पंचू का लोड्ा एक-दूं सख़्त हो गया और फुकारे मारने लगा.
उसका मोटा लंड तंन कर ग़ज़ब का लग रहा था. फिर आरती ने मेरी ब्रा उतार दी और पनटी पंचू उतार रहा था. अभी तक मई खड़ी ही थी. पनटी उतरते ही मेरी छूट ताप-ताप करके बहने लग गयी. फिर पंचू झट से मेरी दोनो टाँगो के बीच बैठ गया और मेरी चींकी और सपाट छूट पर अपना मूह लगा दिया.
आरती मेरी चूचियो से खेल रही थी और मैने आरती का गाउन उसके बदन से अलग कर दिया. फिर मई भी आरती की चूचियो को सहलाने लगी. अभी-अभी आरती की बर मे कोई दूं नही था और उसकी चूचिया उसके पेट तक लटक रही थी.
वो मॅन से चुदाई का आनंद ले रही थी, तंन से बिल्कुल नही. छूट को चाट-ते हुए पंचू मेरी चूचियो पर आ गया और उनको चूसने लग गया. आरती नीचे बैठ गयी और पंचू का लंड मूह मे लेके चूसने लग गयी. थ्रीसम करने मे बड़ा मज़ा आ रहा था.
इतनी देर के खेल मे, मेरी छूट की आग धड़क कर ज्वाला बन गयी थी. मई पंचू को झकझोड़ते हुए बोली-
मई: सेयेल मादरचोड़! छूट की आग की लपते बाहर आने लगी है. अब इनको अपने लंड से शांत करेगा, या ऐसे चाट-ता ही रहेगा? जल्दी से अपने लंड को मेरी छूट मे थोक दे.
पंचू मेरी बात समझ गया. उसने मुझे अपनी बाहो मे कॅसा और बेड के किनारे पर लिटा दिया. फिर उसने मेरी दोनो टाँगो को अपने कंधो पर रख लिया. अब मेरी छूट उसके लंड के सामने थी और उसका मोटा लंड मेरी बर मे रग़ाद खा रहा था.
फिर रग़ाद खाते-खाते लोड्ा मेरी बर की दरार मे फ़ासस गया. पंचू ने ज़रा भी देर नही की और छूट मे ज़ोर का एक धक्का मारा. मई चिल्ला उठी-
मई: आहह.. मॅर गयी आहह.. मेरी जान निकल गयी.
लेकिन पंचू पर इसका कोई असर नही हो रहा था. लोड्ा अभी सिर्फ़ एक इंच ही मेरी बर मे जेया पा रहा था. आरती सामने बैठी ये सब देख रही थी. फिर वो एक तेल की शीशी लेके आई और उसने तेल की कुछ बूंदे मेरी बर के मूह पर गिरा दी.
उसके बाद पंचू ने दूसरा धक्का मारा और मुझे फिरसे उतना ही दर्द हुआ. तब मई बोली-
मई: बाप रे! मेरी बर मे लंड डाल रहा है, या लोहे की गरम रोड डाल रहा है. मादरचोड़ क्या लंड पाया है सेयेल ने.
तभी आरती बोली: तोड़ा धीरज रखो रानी, फिर देखो कैसा मज़ा आता है.
मई बोली: हा वो तो मई देख रही हू, की मज़ा आएगा. लेकिन अभी तो मेरी बर फाटती जेया रही है. मई इतने लुंडो से छुड़वा चुकी हू, लेकिन ऐसा लंड पहली बार देख रही हू.
ये सब बात हो ही रही थी, की पंचू ने अगला धक्का मारा और धक्के मारता गया. उसका मोटा लोड्ा सरकता हुआ मेरी बर मे समा गया. अब मुझे दर्द की जगह मज़ा आना शुरू हो गया था. उसका पूरा का पूरा लोड्ा अब मेरी छूट को चीरट-फाड़ता हुआ अंदर समा गया था.
पंचू एक नंबर का छोड़ू लड़का था. पहले वो धीरे-धीरे अपने लंड को मेरी छूट मे अंदर बाहर करने लगा. मई तो अब जन्नत की सैर कर रही थी. मोटे लंड की वजह से लंड बर मे टाइट्ली पंप कर रहा था.
मई सोच रही थी, की पता नही कैसे इतने छ्होटे छ्होरे को चुदाई का इतना एक्सपीरियेन्स था, जबकि बड़े-बड़े मर्द मेरी छूट के आयेज घुटने टेक देते है. मई इतने लुंडो से छुड़वा चुकी हू और उनमे से 80% लंड तो बर मे घुस कर चार-पाँच झटके मारते थे और फिर उल्टी करके भाग जाते थे.
लेकिन उन सब के विपरीत पंचू पिछले आधे घंटे से मुझे ताबड़तोड़ छोड़ता जेया रहा था. इतने टाइम मे मई चार बार झाड़ चुकी थी. लेकिन पंचू था, की झड़ने का नाम ही नही ले रहा था. वो मुझे दे दाना दान छोड़ रहा था और फिर मई उसको बोली-
मई: क्या हो गया यार? अब कितना छोड़ेगा.
पंचू: बहुत छोड़ूँगा रानी आज मई तुझे. इतनी सुंदर काया है तेरी, की तुझे छोढ़ने का मॅन ही नही कर रहा.
फिर आरती को शायद मुझ पर दया आ गयी और वो पंचू की गांद को सहलाने लग गयी. अब पंचू की स्पीड 10 गुना बढ़ गयी और पंचू मुझे ढाका-धक छोड़ने लग गया. वो हर धक्के पर बोल रहा था-
पंचू: ले मेरी रानी ले. और ले मेरा लंड.
वो ये बोलता जेया रहा था और धक्के मारे जेया रहा था. लगभग 100 धक्के मारने के बाद, पंचू का शरीर काँपने लगा और उसका लोड्ा बर मे टाइट होने लगा. फिर आहह आ आ आ की सिसीकिया भरते हुए, पंचू ने अपने वीर्या की पिचकारी मेरी छूट मे ही छोढ़ दी और मेरी छूट को सराबोर कर दिया.
मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. पंचू वीर्या निकालने के बाद भी मुझे छोड़े जेया रहा था. अब जब भी वो धक्का मार रहा था, तो छूट और लंड का पानी मिल कर फॅक फॅक की आवाज़े निकाल रहा था.
मेरी छूट के उपर का पूरा बदन धक्के से उडद रहे छ्चींटो से सराबोर हो गया था. अब पंचू एक तरफ लूड़क चुका था और मई भी छुड़वा कर पस्त हो गयी थी. वीर्या के छ्चींटो से मेरा पूरा बदन महक रहा था, लेकिन उठने की हिम्मत अभी तक नही थी.
अब मई, आरती और पंचू तीनो पास-पास लेते हुए थे. थोड़ी देर बाद मई उठी और बातरूम मे गयी. फिर मई अपने पुर बदन को सॉफ करके बाहर आ गयी. आरती मुझे बोली-
आरती: बोल मेरी रानी, मज़ा आया के नही?
मई बोली: अर्रे पूच मॅट बस. जितना मज़ा मुझे आज आया है, उतना पहले कभी ज़िंदगी मे नही आया. ग़ज़ब का छोड़ता है तेरा कुत्ता. सेयेल मे दूं कितना है.
तभी आरती बोली: तुम दूं की बात करती हो. ये एक-दूं से पहाड़ पर चढ़ जाता है, तो तेरी बर क्या चीज़ है. अभी देखो ना कितनी मुस्टेडी से इतनी मेरी बर छोड़ी और फिर तेरी बर भी छोड़ी.
मई बोली: मॅट पूच रानी. मेरी बर उसने सिर्फ़ छोड़ी ही नही, बल्कि इसका तो भोंसड़ा बना दिया है. बहुत मज़ा आया मुझे यार.
आरती मेरी तरफ देख रही थी और फिर वो बोली-
आरती: तू ऐसा कर, रोज़ शाम को 7 बजे यहा आ जाया कर. हम दोनो मिल कर इससे चुदाई करवाया करेंगे. इससे नींद भी अची आएगी और मज़ा भी मिलेगा. बोल मेरी रानी, मंज़ूर है तुझे?
मई भी चुड़क्कड़ नंबर वन हू, तो मई माना कैसे करती. फिर आरती ने छ्होरे की तरफ मुखातिब होते हुए बोला-
आरती: क्यू रे, तुझे दो-दो बर छोड़ कर मज़ा आया के नही?
पंचू बोला: बहुत मज़ा आया मेडम जी. मेरी तो किस्मत ही खुल गयी. गोगी-गोरी मोटी-मोटी और बड़ी-बड़ी चूचियो और बर को छोड़ कर मुझे ऐसा लगता है, की जैसे मई जन्नत की सैर कर रहा हू. लोग तो इतनी सुंदर काया को देखने के लिए तरसते है. और मई हसीनाओ को छोड़ता हू.
उसकी बात सुनते ही, आरती और मई खिलखिला कर हस्स पड़ी. फिर आरती ने पंचू की तरफ देखते हुए बोला-
आरती: पंचू एक बात तो बता. आज तूने एक साथ दो-दो बर छोड़ी है. तो तुझे ज़्यादा मज़ा किसकी बर को छोड़ने मे आया.
फिर पंचू तोड़ा हिचकिचाते हुए बोला-
पंचू: पुष्पा मेडम की बर कमाल की है. जब मई उनकी बर छोड़ रहा था, तब मस्त हो गया था..
ये सुन कर हम तीनो हस्स पड़े. बस अभी के लिए इतना ही. आयेज मई बतौँगी, की चुदाई का ये क्रम कितने दीनो तक चला और उसके बाद क्या हुआ. आप लोगो की प्यारी सी पुष्पा.
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