ही फ्रेंड्स, मई 50 साल की मस्त महिला हू. 50 की उमर मे भी मेरे सारे बदन मे ताज़गी है. या यू कहिए, की किसी भी आंगल से मई 50 की नही लगती. मसलन मेरी तन्नी हुई, बड़ी-बड़ी, बिल्कुल दूधिया गोरी चूचिया, अब भी मर्दो को चुदाई का निमंत्रण देती नज़र आती है.
मेरी उभरी हुई बिल्कुल गोल-मटोल गांद देख कर तो छ्होरे हाए-हाए करते है. मेरी कारी-कजरारी, कमाल की पंखुड़ियो सी मदिरा बिखेरती आँखें; बिना रंगो के मेरे रस्स-भरे गुलाबी होंठ; और मेरी सुरहीदार गर्दन बिल्कुल जान-लेवा है.
आतिश जैसा मेरा गोरा तराशा हुआ बदन, किसी को भी मोहित कर सकता है. या यू कहिए, की मई सेक्स की देवी जैसी हू. उमर तो मेरी 50 की है, पर दिल बिल्कुल जवान है. मई अपने कटीले नक्शे को हमेशा सज़ा-सवार कर रखने की आदि हू.
खैर जो भी हो, मई अब कहानी पर आती हू. मई पिछले 30 बरसो से विधवा हू. मेरे पति अविनाश आक्सिडेंट मे मारे गये थे. उस समय मई सिर्फ़ 20 की थी और मेरा एक बेटा भी था. घर वालो ने दूसरे विवाह के लिए बहुत ज़ोर दिया, लेकिन मैने हामी नही भारी.
मैने अपने बेटे के साथ यू ही जीवन बिताने का फैंसला कर लिया था. अब बात रही भारी जवानी मे छुड़वाने की ज़रूरत की. तो ये ज़रूरत हर किसी को होती है. इतने बरसो मे मई किसी एक के साथ छुड़वा कर नही रही. जब जैसा मौका लगा, मई टन की आग को बुझाती रही.
मेरे हज़्बेंड की जॉब की जगह मुझे जॉब मिल गयी थी. और इस वजह से मई घर से डोर भी हो गयी थी. सो मुझे छुड़वाने के लिए रीलेशन बनाने मे कोई ख़ास दिक्कत कभी नही आई थी.
दिन गुज़रते चले गये. अब मेरा बेटा 30 का हो गया है और अपने परिवार के साथ बंगलोरे मे जॉब कर रहा है. पिछले महीने मई बेटे के पास जेया रही थी. मेरी ट्रेन मे रिज़र्वेशन थी. मई अपने बर्त पर बैठी थी. मेरी साथ वाली सीट पर, एक लंबा, चौड़ा, गोरा और स्मार्ट युवक बैठा था.
वो करीब 20 साल का रहा होगा. उसका नाम नंदन था. उसके चेहरे मे ग़ज़ब का आकर्षण था और मई उसकी तरफ खिचती चली गयी. इधर करीब एक साल से मैने चुदाई भी नही करवाई थी. सो बार-बार मेरी छुड़वाने की इच्छा जागृत हो रही थी.
नंदन के साथ बाते करते हुए हमारी गाड़ी पूरी रफ़्तार से चल रही थी. नंदन के मॅन मे क्या चल रहा था, ये तो मई भी नही जानती थी. लेकिन मेरे अंदर चुदाई का ख़याल ज़रूर चल रहा था. मई कामना कर रही थी, की किसी ना किसी तरह नंदन से छुड़वाने का मौका मिल जाए.
रात के 8 बाज रहे थे. तभी अचानक तेज़ गड़गड़ाहट के साथ गाड़ी रुक गयी. पता चला पटट्री टूटी हुई थी और गाड़ी पटट्री से नीचे उतार गयी थी. अब गाड़ी को आयेज जाने मे लगभग 24 घंटे की देरी होने वाली थी.
हम लोगो ने पास के शहर मे रात को विश्राम का फैंसला किया. मेरे साथ बड़ा सा लगेज था और नंदन के पास छ्होटा सा बाग था. नंदन की मदद से हम लोग ट्रेन को छोढ़ कर पैदल चल पड़े. लगभग 1 किलोमीटर पर शहर था.
फिर हम लोग वाहा एक होटेल मे रूम शेर करके रुक गये. मेरी आशाओं को तो जैसे पंख लग गये थे. मई जो चाह रही थी, वही हो रहा था. रूम मे अकेले मे नंदन बोला-
नंदन: आप तो काफ़ी सुंदर हो.
मई बोली: थॅंक योउ.
और मई मुस्कुरा दी. शायद नंदन को ग्रीन सिग्नल मिल गया था. वो बिल्कुल मेरे करीब आ गया और मेरे गाल को चूम गया. मैने मुस्कुरा कर नंदन को देखा, तो नंदन का हॉंसला और बढ़ रहा था.
फिर उसने झट अपने होंठो को मेरे होंठो से लगा दिया, और रसीले होंठो का रस्स-पॅयन करने लगा. मई तो पहले से ही छुड़वाने को व्याकुल थी. तो मई नंदन को भरपूर सहयोग करने लगी. मेरे हाथ नंदन के काले घुंघराले बालो पर अठखेलिया कर रहे थे.
नंदन लगातार मेरे होंठो को चूम चाट चूस रहा था. और मई गरम होती जेया रही थी. नंदन एक कुशल चुड़क्कड़ की तरह कभी मेरे होंठो को चूस्टा, कभी मेरे मुलायम गालो को चूमता. चूमते हुए नंदन ने अपना हाथ मेरी चूची पर रखा.
इससे मेरे पुर बदन मे एक झटका सा लग गया. मेरा पूरा बदन घांगना गया और छूट के अंदर सुरसुरी होने लगी. मैने हाथ बढ़ा कर नंदन की पंत और अंडरवेर को उतार दिया. पंत उतरते ही नंदन का लंबा मोटा लंड फुकारता हुआ बाहर की तरफ उछाल पड़ा.
नंदन का लंड 8 इंच के करीब लंबा और 3.5 इंच के करीब मोटा था. उसका लंड लगातार फुकार रहा था. विशाल लंड को देख कर, मई मस्ती से भारती जेया रही थी. फिर नंदन ने मेरा ब्लाउस उतार दिया और कुछ पल ब्रा के उपर से चूचियो को सहलाता मसलता रहा.
फिर उसने मेरी ब्रा को भी मेरे बदन से अलग कर दिया. 38″ साइज़ की मेरी चूचिया मसालते सहलाते हुए तंन कर खड़ी हो चुकी थी. नंदन मेरी नंगी चूचियो को मूह लगा कर चूसने लगा था और मई आनंद के सागर मे गोते लगा रही थी. मई उसके लंड को लगातार हाथो से सहला रही थी.
धीरे-धीरे मैने अपनी सारी उतार दी. फिर नंदन ने मेरे पेटिकोट के नाडे को खींचा और पेटिकोट भी उतार दिया. अब मई अपने बेटे से भी कम उमर के लड़के के सामने, बिल्कुल नंगी बैठी थी. मुझे थोड़ी शरम भी आ रही थी.
मई अब जल्द से जल्द अपनी बर मे लोड्ा चाह रही थी, ताकि शरम का परदा बिल्कुल हॅट जाए. अब हम दोनो आमने-सामने खड़े थे. नंदन का मोटा लंबा फंफनता हुआ लोड्ा, मेरी रस्स टपकाती बर के बिल्कुल सामने था.
मई लंड को अपनी छूट पे लगाया और नंदन की गांद पर थपकी लगा दी. थपकी के साथ ही नंदन ने गांद को हिला कर बर मे लोड्ा धकेल दिया. लंड का सूपड़ा अब मेरी बर मे समा गया और मेरी सारी शर्मो-हया भी ख़तम हो गयी.
नंदन गांद हिला-हिला कर मेरी बर छोड़ने लगा. मेरी बर से लगातार रस्स की बूंदे तपाक रही थी. नंदन मेरे रस्स के लिए तड़प उठा. उसको मदन रस्स की बूंदे अपनी जीभ पर चाहिए थी. फिर उसने अपने लंड को बाहर खींचा और मेरी दोनो टाँगो के बीच बैठ गया.
उसने अपने मूह को कुत्ते की भाँति मेरी छूट मे लगा दिया. अब वो जीभ से मेरी बर को चत्तर-चत्तर चाटने लगा. जैसे-जैसे मदन-रस्स नंदन के अंदर जेया रहा था, वो उत्तेजना से भरता जेया रहा था. रह-रह कर पुर ज़ोर से नंदन जीभ को बर मे धकेल देता.
उसकी जीभ मेरे ग-स्पॉट से टकराती और मई भी चहक उठती. ये क्रम 10 मिनिट तक चलता रहा. अब मुझसे ज़रा भी बर्दाश्त नही हो रहा था. मेरी बर को अब हर कीमत पर लोड्ा चाहिए था. मैने नंदन को झिड़की दी-
मई: अर्रे भद्वे, लोड्ा बर मे डाल ना रे बुरछट्टे.
नादान समझ गया, और वो मुझे बेड के किनारे पर ले गया. उसने मेरी गांद को किनारे पर रखा और मेरी टाँगो को उठा कर अपने कंधो पर ले लिया. मेरी छूट नंदन के लंड के सामने खुल कर, लंड लेने को आतुर हो उठी.
नंदन ने लोड्ा बर के मुहाने पर रखा और ज़ोर का झटका मारते हुए बोला-
नंदन: ले मेरी रंडी ले, लोड्ा ले अपनी छूट मे.
उसका पूरा का पूरा लोड्ा घाप से मेरी बर मे समा गया. मई तो मस्ती से भर उठी, और मेरे मूह से निकालने लगा-
मई: आ आ मेरे राजा, छोड़ मेरे राजा, ज़ोर से छोड़. छोड़-छोड़ कर तृप्त कर दे आज.
ये सुन कर नंदन जोश से भर गया और घपा-घाप मुझे छोड़ने लगा. खड़े-खड़े ही नंदन का लोड्ा मेरी बर मे खचा-खच जेया आ रहा था. मई लगातार आ आ कर रही थी. जितनी तेज़ गति से नंदन छोड़ रहा था. मुझे उतना ही मज़ा आ रहा था.
खड़े-खड़े नंदन को छोड़ते हुए 10 मिनिट के लगभग हो चुके थे. मेरी टांगे भी दर्द होने लगी थी, पर बर और लंड की लड़ाई समाप्त होने का नाम नही ले रही थी. फिर नंदन ने मुझे कुटिया बनाया, और खुद कुत्ता बन कर मेरे उपर चढ़ गया.
उसने लोड को बर मे डाला और घपा-घाप मुझे छोड़ने लगा. उधर नंदन बर मे लोड्ा थोक रहा था, और इधर झूलते चूचो को मसल रहा था. मई मज़े मे सी-सी करती, और साथ ही उसको जोश भी देती.
मई: छोड़ सेयेल छोड़, ज़ोर से छोड़.
छोड़ते-छोड़ते नंदन तेज़ साँसे लेने लगा. वो कुत्ते की तरह हाँफने लगा. इधर मई भी चुड़वाते-चुड़वाते पसीना-पसीना हो रही थी. लेकिन हम लोगो के विपरीत बर लंड की लड़ाई जारी थी.
अब फिरसे पटट्री बदलने की ज़रूरत महसूस हो रही थी. नंदन ने मुझे चिट लिटाया, मेरी टाँगो को फैलाया और मेरी दोनो टाँगो के बीच बैठ कर, बर मे लोड को पेल दिया. मैने अपनी टाँगो को सत्ता कर बर मे सख्ती दी. फिर नंदन ढाका-धक मुझे छोड़ने लगा और चिल्लाने लगा-
नंदन: आ आ डार्लिंग, क्या छूट है तेरी. मज़ा ही आ गया मेरी जान.
छूट मे उसका लंड, मुझे भी बहुत मज़ा दे रहा था.
मई: छोड़ मेरे राजा, ज़ोर से छोड़ आ आ मई गयी, आ गयी.
और मेरी बर से फुहार छ्छूट पड़ी. नंदन पूरी गति से अब भी मुझे छोड़ रहा था. फिर आ आ करते हुए नंदन के लंड ने गरम पिचकारी बर मे छ्चोड़ दी. आ आ करता हुआ नंदन एक तरफ लूड़क गया. मैने भी भरपूर मस्त चुदाई का मज़ा लिया.
फिर मेरी आँखें बंद हो गयी. जब आँखें खुली, तो मैने देखा, की नंदन मेरी बर चाट रहा है. बर चाट-ते हुए उसका लोड्ा तंन कर खड़ा हो गया था. मेरी बर भी शायद लोड्ा लेने को तैयार हो रही थी.
फिर क्या था, नंदन ने लोड्ा बर मे ठोका और घपा-घाप फिरसे छोड़ने लगा. रात भर की ताबड़तोड़ चुदाई के बाद, मेरी छूट की नास्स-नास्स ढीली पद गयी, और मई पस्त होकर बोली-
मई: अब और नही मेरे राजा, अब और नही.
आज की कहानी बस यही तक. प्रिय पाठक-गॅन, अगर स्टोरी आपको पसंद आए, तो अपने कॉमेंट देना मत भूलना.