हम ऐसे ही बाहर निकल के एक पत्थर के पीछे जाने लगे। वहा पोहचते ही जैसे वो जंगली हो गई, एक झटके में उसने मेरा लंड अंडरवियर से बहार निकाल के, मुह में ले के चुसने लगी। सोचो दोस्तो, एक इतनी सेक्सी लड़की जिस के इतने प्यारे पिंक होठो ने तुम्हारे लंड को जकड रखा हो और तुम्हारा लंड के आगे पिछे हो रही हो, मैं तो अपने आप को रोक ही नहीं पा रहा था फिर मैंने जमीन पे तौलिया बिछा के उसे लीटाया और उसकी पेंटी खीच कर नीकाल दी।
क्या मस्त चुत थी चंदा की, हल्के से बाल और अंदर से एक दम गुलाबी, मैंने भी झट से उसे चूम लिया, और उसने मेरे सर को अपनी दोनो जांघों के बीच में दबा लिया। और अपने हिप्स को धीरे-धीरे ऊपर उठाने लगी, और थोड़ी देर में डिस्चार्ज हो गई। और मुस्कुराते हुई बड़ी संतुष्टि लग रही थी । मगर मैं अभी ठंडा नहीं हुआ था, मैंने हलका सा उसके ऊपर आके अपना लंड उसके दोनो स्तन के बिच…
में दबा लिया और आगे पिछे करने लगा, जब लंड आगे जाता तो वो मुह खोल के अपने मुह मे ले लेटती, खुले आसमान में ये मेरा पहला अनुभव मेरे होश उड़ा रहा था, हमे किसी का डर नहीं था, न किसी के देखने का और न किसी को दिखाने का हम तो बस अपने में मस्त थे, फिर चंदा ने बोला मैं और नहीं रह शक्ति, कृपया इसे जलदी डालो, मैंने भी अपने लंड को हाथ में लिया और चंदा की चुत पे रागडने लगा, वो फिर से बिना पानी के
मछली की तरह छटपटाने लगी, और मुझसे लंड डालने की भी मांग करने लगी, मैंने फिर हलका स जोर देके, अपने लंड का सुपाड़ा उसके चुत मे डाला तो उसकी एक बार को आखे फट गई, मैं थोड़ा सा और अंदर गया, और लंड को जोर का धक्का दिया, उसके मुह से चीख निकल पड़ी और आंखों से आंसू, मैं फिर शांत होके उसके होंठों को चुमने लगा, और उसके स्तन को दबाने लगा और मौका पाके एक बार फिर धखा मार दी अब लंड काफ़ी अंदर जा चुक्का था, और वो बार बार मुझसे
रीकवेस्ट कर रही थी बहार निकालने की मगर मैं वहा से वापस नहीं लौट सकता था, थोड़ा रुकने के बाद मैंने फिर एक आखिरी झटके में अपना लंड जड तक चंदा की चुत में डाल दिया। और वो छटपटाने लगी और मैं फिर से थोडा झुक के उसे स्मूच करने लगा और स्तन दबने लगा। फिर थोड़ी देर बाद उसमे भी जोश आ गया, और हल्की सी हिप्स की मूवमेंट करने लगी। मैं समझ गया अब इसे मज़ा आने लगा है, और फिर मैं भी झटके लगाने लगा।
वो खुशी में कभी मुस्कुराती तो कभी एक रंड की तरह लंड का मजा लेते हुए देखती रहती। अब मेरे भी धको की स्पीड तेज हो चुकी थी। और लंड पिस्टन की तरह अंदर बाहर हो रहा था, अब मुझे लगा के वो झड़ने वाली है, मैंने धकके और तेज कर दिया, तकी उसे और खुशी मिले और फिर चंदा की बॉडी अकड़ने लगी, और मेरी बहन मेरे लंड से डिस्चार्ज हो गई। अब मैंने और स्पीड बढ़ा दी और गिलापन फील होने की वज़हा से फच फच की अवाज़ आने लगी, और फिर मुझे भी लगा के मैं आने वाला हूं, मैंने
धक्के और तेज कर दिया, 15-20 धकको के बाद मैं और चंदा एक साथ झड़ गए। और थोडी देर एक साथ लेटे रहे, और एक दसरे को देख के मस्कुराते रहे, मैंने ध्यान से देखा के चंदा का स्तन एक दम रेड हो चुके थे, और उसपे मेरे दातो के निशान भी साफ नजर आ रहे थे। फिर हम ऐसे ही फिर से एक बार पानी में आ गए, और एक दूसरे से लिपट गए, मेरा लंड एक बार फिर उसके टागो के बिच दस्तक देने लगा, और मेरी बहन मुस्कुरा रही थी।
और मेरा लंड पकड के एक बार फिर बाहर ले आई, और मेरा लंड को मुह में लेके चुसने लगी, जब मैंने ज़ब चुत मे डालने के लिए कहा तो उसने कहा आज़ के लिए इतना ही कफी है, बाकी चुत फीर कभी चोद लेना और फिर उसने मेरे लंड को जक्कड़ लिया, और चुसने लगी, और मैं उसके बालो को पकाड़ के पिछे कर के उसे देखने लगा, वो बड़े मज़े से चुस रही थी, और कभी कभी एक हाथ से अपने स्तन भी दबा रही और मेरे बॉल्स भी सहला रही थी ।
मैं मधोश सा होने लगा ये दृश्य देख के और फिर मुझे लगा के मैं झंडने वाला हूं, वो अपने स्तन पे डिस्चार्ज करवाना चाहती थी, मगर मैं उसके मुह में करना चाहता था, मेरे अनुरोध के बाद वो मान गई, और मेने अपना बहुत सारा लोड अपनी बड़ी बहन के मुह में छोड़ दिया।
फिर हमने चलने का प्लान किया और हम होटल आगए। मम्मी पापा भी अपने दोस्त से मिल्कर रूम पे आ गए थे, मम्मी ने पुछा हमलोग कहा घुमने गए थे हमने केह दिया बस पास में ही, उसके बाद हमलोगो ने डिनर किया और सोने आ गए चंदा और मैं सेक्स के कारन बोहोत थक गए थे और हमे निंद अगायी, अगले दिन हमलोग का मनाली घुमने का प्लान था तोह
सब उठ कर रेडी होगए और मम्मी ने मुझे उठाया में सबसे देर से उठा था मैं फ्रेश हुआ, ब्रेकफास्ट किया और फिर हम कैब बुक कर के मनाली के लिए निकल गए पुरा दिन का सफर कर के हमलोग वहा पहुच गए एक डबल बेड क बडा कमरा बुक कर लिया हमने एक होटल में। पुरा दिन का सफर था इसलिये हमलोग बहोत थक गए थे, हमें आज रेस्ट करने का सोचा क्योंकी वहा थांड भी बहोत थी और थाके होने के कारण से निंद भी बहोत आ रही थी ।
हमने रात का डिनर साथ में किया और सोने चले गए एक बेड पे मम्मी और पापा और एक बेड पे मौ और मेरी दीदी। ठंड होने के कारन हमलोग ने मोटे कंबल ओढ़ रखे थे। कंबल की वजह से शरीर गर्म होने के करण मम्मी पापा सो गए। मैंने दीदी से सेक्स करने को पुछा लेकिन दीदी ने मना कर दिया जब बहोत अनुरोध करने के बाद भी जब वो नहीं माणि तो हम लोग बातें करने लगे फिर थोड़ी देर बातें करने के बाद दीदी भी सो गई।
मैं अपनी दीदी को चोदने का कोई तारिका सोच रहा था, मुझे उनके हाव भाव से पता चल गया था की दीदी सोने का नाटक कर रही है। मै सोने का नाटक करते हुए जान भुझ कर अपना एक हाथ दीदी के एक बूब्स पर रख दिया और दूसरा हाथ उनकी चुत पर लगा दिया।
अब शायद दीदी गहरी नींद मे सो गई थी। मैं आज दीदी की चुत मारने का इरादा पक्का कर चुका था, तो मैं खुद सोने का नाटक करके दीदी को जोर से पक्कड लिया. उन्होंने तभी मुझे दूर हटाया, उनहे लगा की मैं सो रहा हूं। मैं थोड़ी देर शांत रहा और फिर से उनकी चुत पर हाथ फेरने लगा।
यहां मेरी हालत खराब हुए जा रही थी की कब मैं दीदी को चोदूगा। अब की बार जब उनकी तरफ से मुझे कोई दीकत महसूस नहीं हुई।
तो मैं उन्हे धीरे धीरे सहलाने लगा। इतने में वो जाग गई, और वो झट से समझ गई की मैं सोने का नाटक कर रहा हूं। अब उनहो ने मुझे गुस्से से जगया।
मैं डर गया और उनसे माफ़ी मांगने लगा, तो वो बोली
चंदा- मैं तुम्हें एक शरत पर माफ करुंगी, वर्ण मैं ये मम्मी पापा को बता दूंगा।
मैं डरा हुआ था, इसलिय मैं झट से उनहे हां कह दिया। उन्होने भी मुझे मुस्कुराते हुए खा
चंदा- अच्छा चोद लो मुझे।
ये सुन कर मैं बहुत खुश हुआ। अब वो मेरे साथ सेक्स करने के लिए तैयार थी। अब दीदी भी गरम हो गई थी, दीदी ने गुलाबी रंग का गाउन पहना हुआ था। जिस्का गाला थोड़ा खुला था, उनके बूब्स को देख कर अब मेरा लंड खड़ा हो गया था।
अब मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा था। मैने जल्दी से दीदी को पिछे से पक्कड लिया। अब मैं उनके स्तन पर हाथ फिराने लगा, और उन्होंने कुछ भी नहीं कहा। मैं उनके बूब्स को दबाने लगा, और अब वो गरम हो गई थी। इसलिये वो कुछ नहीं बोल रही थी, थोड़ी देर तक मैंने गाउन के ऊपर से ही उनके स्तन को दबया। फिर थोड़ी देर बाद मैंने उनका गाउन उठाया, तो उन्होने भी अपने हाथ ऊपर करके गाउन निकलने में मेरी मदद की। दीदी ने अंदर व्हाइट कलर की ब्रा और गुलाबी रंग की पैंटी पहनी हुई थी।
दीदी को ब्रा और पैंटी में देख कर मेरा लंड और ज्यादा सखत हो गया। अब दीदी के बूब्स को दबाते हुए मैं उन्हे चुम्ने लगा। अब मैं एक हाथ से उनके स्तन को दबाने लगा, और दसरे हाथ से उनकी चुत को रागडने लगा। उनके मुह से अब सिस्किया निकलने लगी। अब मैं और जोर से उनके स्तन दबाने लगा।
अब उनसे रहा नहीं गया और वो मेरी तरफ घुम गई, मैं अब अपने होठ उनके होंठो पर रख कर उनहे किस करना शुरू कर दिया। इजस किसिंग मे वो मेरा पुरा साथ दे रही थी। अब मैंने धीरे से उनकी ब्रा के हुक निकाल दिए और मैं उनकी कमर पर हाथ फिराने लगा।
मैंने देखा तो उनके स्तन सच में बहुत बड़े थे, ज़ैसे दो बच्चो की मां के होते हैं। अब जेसे ही मैंने उनकी ब्रा को खोला, तो उनके स्तन एक दम से ऊंछल कर बाहर आ गए। मैने मेरा मुह उनके बाएं निपल्स पर रख दिया, और मैं जोर जोर से चुसने लगा। दीदी भी मेरा सर पक्कड कर जोरो से अपने स्तन को दबा रही थी, और वो जोर से आह आह कर रही थी। मैंने उनके बूब्स चुस्ते हुए, अपना एक हाथ उनकी पैंटी के अंदर डाल दिया।
अब मैं उनकी चुत पर हाथ फेरने लगा। उनकी गुलाबी चुत एक दम मखन की तरह मखमली और एक दम गरम लग रही थी। मैं एक उंगली उनकी चुत में घुसाने लगा, अब दीदी के निपल्स कुछ ज्यादा ही सखत होने लगे। मैंने उनकी चुत को भी गीला कर दीया था।
दीदी के मुह से बहुत सेक्सी आवाज़ आ रही थी, अब चुत देखे बिना मुझसे रहा नहीं ज़ा रहा था। दीदी की चुत की खुशबू अब मुझे पागल कर रही थी। इसलिये मैंने दीदी को सिद्धा लेटा दिया, और मैं झट से दीदी की पैंटी को उतार कर फेंक दी। उनकी चुत अब मेरी आंखों के सामने थी। उनकी चुत के होंठ प्यारे लग रहे थे, और उनकी चुत पर एक भी बाल नहीं था। शायद उन्होने एक दिन पहले अपनी चुत को शेव किया था।
मैंने अपना मुह दीदी की चुत पर लगा दिया, और चुत को चुसने लगा। इससे दीदी के मुह से और ज्यादा आवाज़ निकले लगी, और थोड़ी देर बाद दीदी झड़ गई। मैं चुत का सारा पानी पी गया, और उस्का सावाद सच में कफी नमकीन था। मैंने चुत को चुसना जारी रखा, और कुछ देर के बाद दीदी फिर से गरम हो गई।
दीदी ने मुझे खड़ा किया, और एक मिनट में मेरे सारे कपड़े निकाल दिए। अब वो नीचे बैठ कर मेरा लंड चुस ने लगी। कुछ देर के बाद मैं दीदी के मुह में झड़ गया, और थोड़ी देर तक मैं लेटा रहा। फिर थोड़ी देर के बाद मैंने फिर से दीदी की चुत पर हाथ फेरना शुरू कर दिया।
अब मैं दीदी के बूब्स को चुस रहा था, और मैं फिर से गरम हो गया। अब मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया, अब मैं दीदी की चुदाई के लिए तयार था। अब मुझसे बरदाश्त नहीं हो रहा था, मैंने अपना लंड दीदी की चुत पर रगडना शुरू कर दिया। दीदी से बरदस्त नहीं हो रहा था, और वो बोली।
दीदी-आह…आह… अब मुझसे रहा नहीं जा रहा, फाड़ दे अब मेरी चुत को।
मैंने अपना लंड पक्कडा और दीदी की चुत के मुह पर सेट कर दिया। मैंने धीरे से धका लगाया, और एक धके से मेरा थोड़ा सा लंड अंदर चला गया। इस्से दीदी चिख पड़ी, मैंने झट से अपना मुह दीदी की होट पे रख दिया। अब मैं धीरे-धीरे धके मारना शूरु कर दिया, और थोड़ी देर बाद दीदी का दर्द कम हो गया। अब मैंने अपने होठ दीदी के होठो से हटा दिया, अब मैं दीदी के स्तन को चुसने लगा।
साथ में नीचे से धका मार्ने लगा, लगातार कुछ मिनट तक धके लगाने के बाद दीदी मुझे कस कर जकाड ली। अब वो अपने पैडो से मेरी गाड को कस कर दबा रही थी।
मैं समझ गया, की अब दीदी झडने वाली है। मैंने भी अपना स्पीड बढ़ा दिया, अब दीदी के मुह से आह… आह… की मस्त आवाज निकल रही थी।
अचानक से दीदी का जिस्म अकड़ने लगा, दीदी ने मुझे कस कर पक्कड लिया। इसी बिच मेरे लंड से भी गरम पानी निकल कर उनकी चुत में भरने लगा। अब हम दोनो एक साथ झड़ चुके थे, और थक गए।
उस रात मैंने दीदी को 5 बार जी भर कर चोदा, और दूसरे दिन हम लोगो ने तबियत खराब होने का बहाना बना कर रूम में रह गए और मम्मी पापा के बाहर जाने के बाद मैंने फिर दिन भर दीदी की चुदाई करी…
The End.