मेरे प्यारे दोस्तो, मेरा नाम अमित है. दिखने में मेरा शरीर पतला सा है.. लेकिन चेहरा ठीक ठाक है. यहाँ सबकी कहानियां पढ़ने के बाद सोचा कि अपनी कहानी भी शेयर करूँ.
मैं हरियाणा के एक गांव का जाट हूँ और दिल्ली रहकर पढ़ाई कर रहा हूँ. दिल्ली में बहुत चूत भोग चुका हूँ लेकिन वो सब बाद में लिखूंगा. उन सब चुदाई से पहले अपना पहला अनुभव शेयर करना चाहता हूँ कि कैसे मैंने अपने गांव में चूत मारी थी.
मेरे पड़ोस में एक लड़की थी, जिसका नाम स्नेहा था और उसके साथ मेरी सामान्य बातें होती रहती थीं. उसके घर के दो मुख्य द्वार थे. एक आगे की तरफ जो नियमित प्रयोग में आता था, वो अलग गली में खुलता था और दूसरा जो सिर्फ भैंसों के लिए था और घर के पिछले हिस्से में था.. वो हमारे घर वाली गली में खुलता था.
एक दिन जब मैं अपने घर गया हुआ था, तो ऐसे ही मैं वहाँ से गुजर रहा था. उसी वक्त वो अपने घर के पिछले हिस्से में झाड़ू लगा रही थी. उसने मुझे आवाज़ लगा कर रोक लिया और एक फ़ोन करने के लिए मेरा मोबाइल माँगते हुए बोली- थोड़ी देर में दे जाऊँगी.
मैंने अपना मोबाइल दे दिया और अपने घर के सामने बैठ गया. थोड़ी देर बाद उसने इशारे से मुझे बुलाया और फ़ोन दे दिया.
मैंने पूछा- किसको कॉल करी?
तो वो हँस कर टालने लगी.. लेकिन फिर बोली कि एक दोस्त को किया था.
मैंने उसके बारे में थोड़ा बहुत सुन रखा था कि वो चालू टाइप की लड़की है.. तो सोचा क्यों ना यहाँ हाथ मारा जाए.
मैंने कहा- तेरे पास खुद का फ़ोन नहीं है क्या?
तो बोली- सिम तो है लेकिन फ़ोन खराब हो गया.. और घरवालों को पता नहीं है कि मैं फ़ोन रखती हूँ और किसी लड़के से बात करती हूँ.
मैंने कहा कि एक फ़ोन मेरे पास पड़ा है.. वो दे दूँगा लेकिन मेरे से बात कर लिया कर क्योंकि दिल्ली से आने के बाद मेरा टाइम पास नहीं होता.
तो वो मान गयी. शाम को मैंने उसे एक फोन दे दिया, जो मेरे किसी काम का नहीं था और वो बस बात करने लायक था.
उस रात घरवालों के सोने के बाद उसका फोन 12 बजे के बाद आया.
मैंने पूरी रात उससे बात की और उससे सब कुछ पूछ लिया. मतलब रात भर में उसके फिगर से लेकर सेक्स तक सब चर्चा की. उस लड़के से उसकी बस बातें ही होती थीं, चुदाई जैसा कुछ नहीं हुआ था. लेकिन ऐसा भी नहीं था कि वो सील पैक थी. इससे पहले वो दो के लंडों से अपनी चूत की ठुकाई करवा चुकी थी.
मैंने रात खत्म होने तक फ़ोन पर उससे किस ले लिए और मुझसे मिलने के लिए तैयार कर लिया. इसके लिए मुझे उसको वादा भी करना पड़ा कि उसे नया फ़ोन लाकर दूँगा.. वो मेरे साथ आने के लिए मान गयी.
अगले दिन रविवार था और सोमवार को मुझे वापस दिल्ली आना था तो मेरे पास उसको पेलने के लिए सिर्फ एक दिन था. मैं इस मौके को खराब नहीं करना चाहता था. मैं सुबह थोड़ा लेट उठा तो देखा कि उसकी कई मिस कॉल्स आयी हुई थीं. मैंने उसे उठते ही मिलने का प्लान बनाने को कहा तो बोली कि ठीक है शाम को देखती हूं.. क्या सीन रहता है.
उसके बाद मैंने नहाया, लंच किया तो दोपहर हो चुकी थी. लेकिन मेरे से दिन नहीं कट रहा था क्योंकि उसकी चूत नजर आ रही थी. दिमाग में बस वही घूम रही थी. एक तो उसका फिगर बड़ा लाजवाब था और ऊपर से वो खूबसूरत भी थी.
थोड़ी देर में उसका फ़ोन आया कि वो रात को 8 बजे मिलेगी और उसने कहा कि उनके घर में पिछले हिस्से में जो टॉयलेट है, उसमें आना पड़ेगा.
एक बार तो सोचा मना कर दूँ क्योंकि ऐसे मजा नहीं आएगा लेकिन फिर सोचा चलो कुछ तो मिलेगा.
उनका टॉयलेट पिछले गेट के बिल्कुल सट कर था. मुझे बस उस गेट से प्रवेश करके टॉयलेट में घुसना था, जो मेरे लिए ज़रा भी मुश्किल नहीं था. बस यहाँ से हमने प्लान फाइनल कर दिया और बीच बीच में मौका मिलते ही वो फ़ोन पर बात करती रही. रात को करीब 8:15 पर उसका फ़ोन आया- मैं टॉयलेट में आ रही हूँ… तुम तैयार रहना. मैं पिछला गेट खोल दूँगी और एकदम से आकर टॉयलेट में घुस जाना.
पूरे काम में सिर्फ 2 मिनट लगे और हम दोनों टॉयलेट में थे. उसके चालूपन का अंदाजा बस इस बात से लगा सकते हैं कि सिर्फ एक दिन लगा मुझे उसकी सलवार का नाड़ा खोलने में.
मैंने घुसते ही उसे किस करना शुरू कर दिया और उसने ज़रा सा भी निराश नहीं किया क्योंकि वो भी मुझे ऐसे चूम रही थी.. जैसे मैं उसका प्रेमी हूँ. हमारी जीभ से जीभ मिल रही थीं और दांत से दांत टकरा रहे थे. मैंने एक हाथ से उसकी चुचियों को मसलना शुरू कर दिया.. तो वो भी मेरी बांहों में कसमसाने लगी.
सब काम इस छोटी सी जगह में होना था और टाइम भी ज्यादा नहीं था, तो कपड़े उतारने में कोई फायदा नहीं था. मैंने उसके सूट के अन्दर हाथ डाल कर ब्रा के नीचे से उसकी चूची को दबोच लिया और उसे रगड़ने लगा. मेरी दो उंगलियां उसके निप्पल को ऐसे मसल रही थीं, जैसे हम धागे को सुई में डालने से पहले रगड़ते हैं. वो मेरे से नागिन की तरह चिपकती जा रही थी.
उसके बाद हाथ को पेट पर फिराते हुए धीरे से सलवार में डाल दिया और साथ में फिर से किस करने लगा. उसकी चूत पानी छोड़ चुकी थी और मेरी उंगली उसकी चूत में अन्दर बाहर हो रही थी.
जब चूत की दीवारों से रगड़ती हुई उंगली अन्दर बाहर होती.. तो उसकी आहें निकलने लगतीं. मैंने देर ना करते हुए उसकी सलवार उतार दी और उसकी चिकनी चुत को देखते ही दिल खुश हो गया, जो इस वक्त फूल कर डबल रोटी की तरह दिख रही थी.
मैं नीचे बैठ गया.. उसकी एक टांग उठाकर कंधे पर रखी और चुत पर जीभ रख दी. जैसे ही उसके नीचे के दोनों होंठ चूस कर मैंने जीभ अन्दर डाली, उसके सब्र का बाँध टूट गया और चुत से सैलाब निकल कर मेरे चेहरे को नहला गया. वो निढाल होकर मेरे आगे पसर गयी. उसकी दोनों टाँगें खुली हुई थीं और चुत का मुँह ऐसे खुल बन्द हो रहा था, जैसे सांस ले रहा हो.
मैंने ज्यादा टाइम बर्बाद ना करते हुए उसे घोड़ी बना लिया और पीछे से लंड डाल दिया, शायद वो कम चुदी थी इसीलिए मुझे अपने लंड पर चुत की कसावट महसूस हो रही थी. उसकी चुत किसी भट्टी की तरह गर्म थी.
मैंने झटके मारने शुरू कर दिए और हर झटके से उसकी सिसकारियां निकलने लगीं. कमोड पर वो पेट के बल लेट गई क्योंकि हर झटके से उसका मजा बढ़ता जा रहा था. मैंने सूट में हाथ डाल के दोनों मम्मों को पकड़ लिया और झटकों की गति भी बढ़ा दी. उसके रुई की तरह नर्म चूचे मेरे हाथों से बुरी तरह मसले जा रहे थे और वो हर झटके पर आहें भर रही थी.
इसके बाद मैंने उसको खड़ा किया और दीवार के सहारे लगा दिया. लंड को चुत पर सैट किया और नीचे से ज़ोर का झटका मारा. उसकी चीख निकल गयी क्योंकि मेरा हथियार उसकी चुत को चीरता हुआ घुस गया. हर झटके से उसकी टाँगें ऊपर को उठ जातीं. वो मुझसे चिपक गयी और आँख बन्द करके मजा लेने लगी.
मैंने स्पीड बढ़ा दी और उसके होंठों को चूसने लगा. वो भी मेरे होंठों को खाने लगी.
उसे चोदते हुए मैं किस करने के साथ साथ उसकी कमर को भी सहला रहा था, जिससे उसकी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी. साथ में उसकी आहें भी निकल रही थीं.
उसने कहा कि थोड़ा जल्दी करो.. मेरा पानी निकलने वाला है.
मेरे पास भी अब उसका भरपूर मजा लेने का आखरी मौका था. मैंने उसके कुरते को उतारते हुए उसे बिल्कुल नंगी कर दिया. उसके चूचे बिल्कुल तने हुए थे और निप्पल दूध की तरह सफ़ेद और गौरे थे.
अब मैं कमोड पर बैठ गया और अपनी दोनों टाँगें बंद करके और स्नेहा को लंड पर बैठने को कहा.
वो तो जैसे लंड के लिए मरी जा रही थी.. साली एकदम तैयार थी. एक पल की देरी किये बिना उसने लंड के टोपे को चुत के मुँह पर लगाया और ऊपर नीचे हल्का सा रगड़ कर उसके ऊपर बैठ गयी.
गरमागरम चुत की नर्म दीवारों को चीरता हुआ लंड अन्दर जाकर फिट हो गया और स्नेहा की आँखें बंद हो गईं. चुत ने लंड को जड़ तक निगल लिया और चुत की गर्मी और कसावट दोनों लंड को पिघलाने को तैयार थी. वो ऊपर नीचे होकर झटके मारने लगी और मैंने उसके एक निप्पल को मुँह में ले लिया और दूसरे चूचे को हाथ से दबाने लगा. निप्पल को कभी दांतों से हल्का हल्का काटता तो कभी टॉफी की तरह जीभ से छूकर चूसने लगता.
स्नेहा ने गति बढ़ा दी क्योंकि वो आनन्द की चरम सीमा पर पहुंचने वाली थी और अब सब उसके कण्ट्रोल में था. लंड पिस्टन की तरह अन्दर बाहर हो रहा था और उसके चूचे भी ऊपर नीचे उछाल ले रहे थे.
स्नेहा ने कहा कि उसका पानी आने वाला है.. तो मैंने उसके होंठों पर किस करना शुरू कर दिया और हाथों से कमर को पकड़कर सहलाना शुरू कर दिया.
तभी उसने अपने हाथों से मेरे कंधों पर ज़ोर डाला और एक ज़ोर की सिसकारी मारके मेरे लंड पर पानी की बौछार कर दी. इस दौरान उसकी चुत बिल्कुल दहक रही थी, जिसने लंड को बुरी तरह जकड़ा हुआ था. इस दबाव को मेरा लौड़ा सहन नहीं कर पाया और झटके मारता हुआ उसकी चुत में खाली हो गया.
स्नेहा की आँखें बंद थीं, होंठ खुले हुए थे और चेहरे पर संतुष्टि के भाव थे. झड़ जाने के बाद उसने मेरे कँधे पर सर रख दिया और हल्के से प्यार से उसको काटा और खड़ी हो गयी. चुत में से पानी और मेरे माल का मिक्स धार छोड़ता हुआ नीचे गिरने लगा, जिसे स्नेहा ने उंगलियां डाल के ऊपर अपने पेट पर रगड़ लिया.
मैं कमोड पर बैठा हुआ उसे देख रहा था और वो आकर मेरे पैरों पर बैठ गयी और प्यार से मुझे किस करने लगी. तभी अन्दर से उसकी माँ की आवाज़ आयी कि अब तक टॉयलेट में क्या कर रही है.
अब हमें याद आया कि हम कहाँ हैं. हमने फटाफट कपड़े पहने और फिर मिलने का वादा करके उसने मुझे पिछले वाले गेट से बाहर निकाल दिया.
घर पहुंचते ही उसने नए फ़ोन के लिए पूछा तो मैंने अगली बार दिल्ली से लाने की बोला और सुबह वाली ट्रेन से वापस दिल्ली आ गया.
आपको मेरी अगली कहानी में बताऊँगा कैसे मैंने स्नेहा की भाभी को ठोका.
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