पिछला भाग पढ़े:- कामवाली आंटी का चस्का-1
ही दोस्तों, मैं कमाल आपके सामने फिरसे हाज़िर हू, अपनी कहानी का अगला पार्ट लेके. आशा करता हू की आपने पिछला पार्ट पढ़ा होगा, और उसको पढ़ कर आपको मज़ा भी आया होगा.
पिछले पार्ट में आप सब ने पढ़ा था, की मेरी बीवी मुझे छोड़ने नही देती थी, और मैं सेक्स के लिए तड़प रहा था. फिर मेरी दुकान पर एक नयी कांवली आंटी आई. वो बहुत सेक्सी थी, और मैं उस पर लट्तू हो गया.
फिर मैने एक दिन उसको सेक्स के लिए पूछा, और उसको पकड़ कर किस करने लग गया. लेकिन उसने मुझे थप्पड़ मार दिया, और वाहा से चली गयी. तो चलिए अब आयेज की कहानी शुरू करते है.
तो काँटा मुझे थप्पड़ मार कर चली गयी. मैं समझ नही पाया की ऐसा कैसे हो गया. मुझे अब दर्र था, की कही ये बात किसी को पता ना चल जाए. क्यूंकी अगर ये बात मेरी बीवी तक पहुँच गयी, तो वो मेरी जान ले लेगी.
फिर अगले दिन मैं काँटा की वेट करता रहा, लेकिन वो काम पर नही आई. मुझे लगा की अब वो काम पर नही आएगी. लेकिन 3 दिन बाद वो फिरसे मेरी दुकान पर आई. उसके साथ एक बुद्धा भी था.
उन दोनो को साथ में आते देख मैं दर्र गया. मुझे लगा की कही कोई पंगा ना पद जाए. वो दोनो दुकान में आए, और काँटा बोली-
काँटा: ये मेरे पति है. ये आपसे कुछ बात करना चाहते है.
पहले तो मैं ये सुन कर हैरान था, की वो बुद्धा उसका पति था. वो तकरीबन 60-65 का लग रहा था. वो पतला सा था, उसके बाल उड़े हुए थे. फिर वो बोला-
पति: साब काँटा ने मुझे बताया की आपने उसको किस चीज़ के लिए पूछा. हम लोग ऐसे नही है साब. और हर कांवली ऐसी नही होती. उसने आपको थप्पड़ मारा, उसके लिए मैं माफी माँगा हू. लेकिन आपको भी ऐसा नही करना चाहिए था. हमे इस नौकरी की ज़रूरत है, तो क्या वो यहा काम कर सकती है?
मैं उसकी बात सुन कर शर्मिंदा हो गया. मैने माफी माँगी, और काँटा को दुकान में काम करते रहने के लिए कहा. अब मैने उसके बारे में सोचना छ्चोढ़ दिया था.
फिर 2 दिन बाद मैं बेज़ार गया कुछ काम से. वाहा मुझे दीपक दिख गया. वो मेरे पास आया और बोला-
दीपक: क्या हाल है कमाल? मज़े ले रहा है?
कमाल: हाल तो ठीक है. लेकिन मज़े किस चीज़ के?
दीपक: अर्रे काँटा के, और किसके.
मैं: काँटा के? मैं कुछ समझा नही.
दीपक: अर्रे इतनी सेक्सी रंडी को अपनी दुकान पर रख कर बैठा है, और पूछता है कैसे मज़े.
मैं: रंडी मतलब.
दीपक: अर्रे वो एक नंबर की रंडी है. उसका पति उसको छोड़ नही पाता. इसलिए वो बाहर बहुत से मर्दों से चुड चुकी है. मतलब मज़ा भी करती है, और पैसे भी लेती है.
मैं: नही मुझे इसके बारे में नही पता था.
दीपक: तो अब तो पता चल गया ना. जेया जाके मज़े कर उसके साथ.
मैं सोच में पद गया, की अगर वो इतनी बड़ी रंडी थी, तो मुझे उसने क्यूँ मारा. अब मैं अगले दिन की वेट करने लगा. अगले दिन काँटा आई. उसने मरून रंग का सलवार सूट पहन रखा था. जब वो पानी लेने अंदर गयी, तो मैं भी उसके पीछे गया. मैने उससे पूछा-
मैं: काँटा दीपक ने मुझे तुम्हारे बारे में सब बता दिया है. लेकिन मेरी समझ में ये नही आया, की तुमने मुझे माना क्यूँ किया?
काँटा हस्सी और बोली: साब पहले तो मैं आपका शुक्रिया अदा करना चाहती हू. क्यूंकी आपने मुझे आज़ाद किया है.
मैं: मतलब?
काँटा: मतलब ये, की दीपक ने आपको जो भी बताया है, वो सच है. मैं एक रंडी हू, जो जगह-जगह जाके चूड़ी हू. लेकिन मेरे पति को मुझ पर शक हो गया था. क्यूंकी लोगों का मूह तो बंद रहता नही है.
काँटा: इसलिए मैने वो बेज़ार छ्चोढ़ कर यहा नौकरी की थी. आपने शायद ध्यान नही दिया, मेरा पति यही दुकान से आस-पास ही घूमता रहता था. ताकि मुझ पर नज़र रख सके. आप जैसे मुझे देखते थे, मैं जानती थी आप मुझसे चुदाई के लिए पूचोगे.
काँटा: फिर जिस दिन आपने पूछा, मैने जान-बूझ कर नाटक किया, और आपको थप्पड़ मार दिया. थप्पड़ मैने इसलिए मारा ताकि मेरे पति को पूरा यकीन हो जाए. और वही हुआ. उसको यकीन हो गया की मैं वैसी नही हू जैसा उसने सुना था, और उसने मुझ पर नज़र रखनी बंद कर दी.
काँटा: और इसके लिए मैं आपका जितना शुक्रिया अदा करू कम है. और आपका इनाम ये है( ये बोलते हुए वो घुटनो पर बैठ गयी, और मेरी पंत की ज़िप खोलने लगी), की मैं आपको खुश कर डू.
काँटा: मैं आपको वो मज़ा दूँगी, जिससे आप तृप्त हो जाएँगे. और वो भी फ्री.
ये बोलते हुए उसने मेरा लंड बाहर निकाल लिया. मेरा लंड उसका हाथ लगते ही सख़्त हो गया था. उसने लंड बाहर निकाल कर उस पर किस किया, और उसको मूह में डाल लिया.
आहह! क्या गर्मी थी उसके मूह में. वो मेरी तरफ देखते हुए मेरा लंड चूस रही थी, और मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. मैने उसके सर पर हाथ रखा, और अपनी कमर हिला कर लंड को अंदर बाहर करने लग गया.
वो भी मज़े से मेरा लंड चूस रही थी. मैने अपनी शर्ट उतार दी. उसने मेरी बेल्ट खोल कर मेरी पंत और अंडरवेर उतार दिया लंड चूस्टे हुए. थोड़ी देर बाद मैने उसको खड़ा किया, और हम दोनो किस करने लगे.
मैने उसको बातरूम की शेल्फ के साथ लगा लिया, और अपने लंड को उसकी जांघों पर दबाते हुए किस कर रहा था. किस करते हुए मैने उसकी सलवार खोल कर नीचे गिरा दी. और अब मेरा लंड उसकी नंगी जांघों को फील कर रहा था.
फिर मैं उसकी गर्दन चूमने लगा, और उसकी क्लीवेज चाटने लगा. मैने उसका शर्ट भी उतार दिया, और अब वो मेरे सामने ब्रा और पनटी में थी. उसकी बॉडी एक-दूं सेक्सी थी. ऐसा लग रहा था, जैसे कोई मिलफ पॉर्न वीडियो की आक्ट्रेस मेरे सामने नंगी खड़ी थी.
फिर मैने उसकी ब्रा शोल्डर्स से खींच कर उसके पेट पर कर दी, और उसके मोटे बूब्स को चूसने लग गया. वो कामुक आहें भरने लगी, और मेरे सर को अपने बूब्स में दबाने लग गयी. बड़े टेस्टी निपल्स थे उसके.
उसके निपल्स चूस्टे हुए मैने नीचे उसकी नाभि पर आया, और नाभि चूसने के बाद उसकी पनटी नीचे की. अब उसका सुख का द्वार मेरे सामने था. उसकी छूट पर थोड़े से ही बाल थे.
पहले तो मैने उसकी छूट पर हाथ लगा कर उसको आचे से फील किया, क्यूंकी छूट पर हाथ लगाए काफ़ी टाइम हो गया था. फिर मैने उसकी जांघों में अपना मूह डाल लिया, और उसकी छूट चाटने और चूसने लग गया.
मीठा-मीठा रस्स था उसकी छूट का. ये फिर मेरी हवस की वजह से मीठा लग रहा था. कुछ देर छूट चूसने का मज़ा लेने के बाद मैने उसको घुमा लिया. फिर पीछे से लंड उसकी छूट पर सेट किया, और लंड अंदर डालने लगा.
उसकी छूट गरम थी, और खुली भी, तो लंड आराम से अंदर चला गया. उसकी हल्की सी आ निकली, और मैने उसको छोड़ना शुरू कर दिया. इतना मज़ा आ रहा था दोस्तों, की मैं बता नही सकता. जिस सुख से मैं इतने दीनो से वंचित था, वो मुझे आज मिल रहा था.
मैने अपनी स्पीड बढ़ा दी, और साथ में उसके बूब्स दबाने लगा. उसने अपनी एक टाँग उठा कर शेल्फ पर रख ली. फिर मुझे उसका मारा हुआ थप्पड़ याद आ गया.
मैने छोड़ते-छोड़ते उसके मूह पर थप्पड़ मारने शुरू कर दिए. इससे वो और हॉर्नी हो गयी. थोड़ी देर बाद मैने उसको नीचे ज़मीन पर लिटाया, और मिशनरी पोस्टीओं में उसको छोड़ने लग गया.
छाप-छाप की आवाज़े निकालने लगी थी, और वो एक बार झाड़ चुकी थी. हम दोनो को पसीना आ गया था, और उसके बूब्स गर्दन और मूह लाल हो गये थे. फिर 30 मिनिट बाद मैने अपना माल उसकी छूट में ही निकाल दिया.
अब मैं जब चाहे उसको छोड़ता हू. मेरी लाइफ फिरसे रंगीन हो गयी है.
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तो दोस्तों ये थी मेरी कहानी. मज़ा आया हो, तो लीके और शेर करना ना भूले.