मेरा नाम महेश है। मैं राजस्थान की राजधानी जयपुर से हूँ। दिखने में सुन्दर हूँ। बदन भी मस्त है। मैं अपनी ज्यादा बड़ाई नहीं करूंगा। मेरा लण्ड मोटा ओर लंबा है जो किसी औरत को खुश करने के लिए काफी है।
चलो अब कहानी पर आते हैं। जब मैं 12वीं कक्षा में था तब हमारे घर के सामने मेरी रिश्ते से चाची रहती थीं जो बहुत खूबसूरत थी। उन का नाम ममता था। उन के दो बच्चे थे और उनके पति टूरिस्ट में गाड़ी चलाते थे।
क्या बताऊँ दोस्तो, मैं जब भी उन्हें देखता हूँ तो बस देखता ही रह जाता हूँ। उनको देख के मेरा लण्ड खड़ा हो जाता है। उनको देखने के बाद तो कोई कह ही नहीं सकता कि यह दो बच्चों की माँ है। एकदम मस्त माल है और दिखने में सुन्दर तो है ही।
दिखने में मैं भी सुन्दर था जिस वजह से वो थोड़ा मुझ पर ध्यान भी देती थी। मैं अक्सर उनके घर आता जाता रहता था। वह मुझ से बहुत प्यार से बातें करती थी। जब ममता चाची मुझसे बात कर रही होती थी तो मैं उनके बूब्स के दीदार करता रहता था। मैं उनको घूरता ही जाता था। इन चीजों को चाची ने भी नोटिस किया था शायद तभी वो भी धीरे धीरे मुझ में ज्यादा रुचि लेने लग गयी थी। अब तो मैं कभी भी उन के घर चला जाया करता था ताकि उनके दीदार कर सकूँ।
एक बार मैंने सोचा क्यों न चाची को सेक्स के लिए पटा कर चोदा जाए कब तक ऐसे दर्शन करते रहेंगे। फिर उस दिन मैंने प्लान बनाया। दिन में उनके बच्चे स्कूल चले जाते है और उनका पति तो गाड़ी चलाता है तो वो भी दिन में घर में नहीं रहता है। उस रोज मैं दिन में 10 बजे के करीब उस के घर गया। वह लाल कलर की साड़ी पहने हुए थीं। उस साड़ी में वह क्या कयामत ढा रही थीं। मैं तो उनको देखता ही रह गया।
जब मैं उसे ऐसे घूर कर देखे जा रहा था तब चाची ने टोका- क्या देख रहे हो? कहाँ खो गए?
मैं यह सुन कर थोड़ा सकपका गया और मैं उनके साथ अंदर चला गया। मैं तो उन्हें चोदने की फिराक में ही आया था। तो मैं अपने काम पर लग गया। बातों ही बातों में मैं उनकी तारीफ करने लग गया।
दोस्तो, हर किसी औरत को अपनी तारीफ सुनना अच्छा लगता है। ममता चाची भी तारीफ सुनकर थोड़ी थोड़ी कँटीली मुस्कान के साथ मुझसे और तारीफ सुनना चाह रही थीं।
फिर उन्होंने पूछ ही लिया- तुम्हारी कोई गर्लफ्रैंड नहीं है क्या?
तो मैंने बोल दिया- नहीं है।
तब वो पूछने लगी- हो ही नहीं सकता कि तुम्हारी कोई गर्लफ्रैंड न हो।
मैंने कहा- सच में चाची, नहीं है। कोई आप जैसी मिली ही नहीं जिसे मैं अपनी गर्लफ्रैंड बना सकूँ।
तब वो कहने लगी- हमारे जैसी का क्या करोगे, हम तो इतनी सुंदर भी नहीं हैं।
फिर मैंने कहा- चाची अगर मुझे आप जैसी बीवी मिल जाये तो मेरी तो मौज हो जाये। मैं तो कभी आपको अकेला छोड़ूँ ही नहीं। चाचा भी नहीं छोड़ते होंगे आपको।
इतना कहते ही वो थोड़ा उदास सी हो गयीं।
मैंने यह देख के कहा- चाची मैंने कोई गलत बात थोड़े ना कह दी जो आप उदास हो गयीं।
तब चाची ने कहा- कोई बात नहीं कह दिया तो!
और यह कह कर रोने लग गयीं।
मैंने सोचा कि यह मैंने क्या कर दिया। तब मैं उन्हें चुप कराने लग गया जिससे मैं उनसे कुछ ज्यादा ही चिपक गया। चुप कराने के बहाने मैं उनकी पीठ पर धीरे-धीरे सहलाने लग गया। चाची थोड़ा गर्म होने लगी और मुझसे और चिपक गयीं। शायद वे मुझसे चुदना चाहती थीं। मैंने भी इस बात का फायदा उठाया और उन्हें चुप कराने के बहाने अपना एक हाथ उनके बूब्स से टच कराने लग गया। चाची को हाथ से स्पर्श का आभास हो रहा था मगर वह कोई विरोध नहीं कर रही थी।
उनकी तरफ से सहमति देख कर मैं भी अपना काम आगे बढ़ाने में लगा रहा। मैंने उनसे कहा कि शायद चाचाजी आप को अच्छे से वो सुख नहीं दे पा रहे हैं।
तब उन्होंने कहा- वो तो मुझे हाथ भी बहुत ही कम लगाते हैं। जब कभी उनका मूड होता है तो वो अपना जल्दी से दो मिनट में करके सो जाते हैं और मैं अपने शरीर की आग अपनी अंगुली से शांत करती हूँ।
ये सब बातें सुन कर मैं धीरे-धीरे उनसे और चिपक गया जिस कारण उनके बूब्स मेरे सीने से टच होने लगे।
फिर मैंने उनको चुप कराते हुए कहा- चाची मैं हूँ न, मैं आपकी मदद करूँगा।
यह सुन कर वो चुप हो गयी और मेरी तरफ देखने लग गयी।
मैंने उसी वक़्त उन्हें किस किया। पहले तो वो थोड़ा ना नुकर कर रही थी पर पर थोड़ी देर बाद वो भी मेरा साथ देने लगी। मैं उन्हें लगातार किस किये जा रहा था। हम दोनों की जीभें एक दूसरे के मुँह में खेल रही थीं जैसे हम दोनों एक दूसरे में समा जाना चाहते हों।
कुछ दस मिनट बाद हम दोनों अलग हुए तो हमें होश आया कि कोई यहाँ हमें बाहर से देख भी सकता है। तब वो बाहर का मेन गेट बंद कर के आयीं और जल्दी से मुझे बेडरूम में ले गयीं।
चाची के बेडरूम में जाते ही मैं पूरा ही उन पर टूट पड़ा, उन्हें बेहताशा किस करने लग गया। धीरे धीरे मैंने उनकी साड़ी उनके बदन पर से हटा दी। वो केवल ब्लाउज ओर पेटीकोट में ही रह गयी। धीरे धीरे मैंने उनके बूब्स को ब्लाउज में से आजाद कर दिया और उन पर टूट पड़ा, कभी उन्हें चूसता, कभी हल्के से बूब्स को काट भी लेता जिस से वो मछली की तरह मचल जाती।
तब तक उन्होंने भी मेरी पैंट में से मेरे लण्ड को आजाद कर दिया जो अब तक विकराल रूप धारण कर चुका था। मेरे लण्ड को देख कर चाची ने कहा- ये तो तुम्हारे चाचा के लण्ड से कहीं ज्यादा मोटा और लम्बा है।
चाची लण्ड को हिलाने लग गयी और थोड़ी ही देर में उन्होंने उसे मुँह में भर के चूसना शुरू कर दिया।
चाची के इस प्रकार करने से मैं तो सातवें आसमान पर पहुँच गया। मुझे लग रहा था जैसे मैं कहीं जन्नत में हूँ। मैं 5 मिनट में ही चाची के मुँह में झड़ गया, वह मेरा सारा माल पी गयी और मेरे लण्ड को तब तक चूसती रही जब तक वो सिकुड़ कर छोटा ना हो गया।
लण्ड के छोटा होने के बाद मैंने उनको फिर से पकड़ लिया और किस करने लग गया। उनके मुँह से मेरे वीर्य की हल्की हल्की महक आ रही थी। फिर मैं किस छोड़ कर उन के नीचे पहुँचा और उनके घाघरे को उनसे अलग किया। अब वह केवल पैंटी में ही रह गयी थी। मैं उनकी चूत को पैंटी के ऊपर से ही किस करने लग गया। अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था।
मैंने जल्दी से चाची के बदन से पैंटी को भी अलग कर दिया और उनकी चूत पर अपना मुँह लगाया। मुँह के लगते ही चाची सेक्स से सिहर उठी और बुदबुदाने लगी कि.. ये क्या किया.. रेरेरे.. तूने कभी तेरे चाचा ने तो आज तक नहीं किया.. हाये.. मररर.. गयी रे.. मैं तो.. तूने ये क्या कर दिया और वो मेरे सिर को पकड़ कर अपनी चूत पर दबाने लग गयी।
दोस्तो, मुझे लड़कियों और आंटियों की चूत चाटना बहुत ज्यादा पसंद है। चूत की महक से ही मैं पागल हो जाता हूँ। मैं चाची की गुलाबी चूत को चाटता ही जा रहा था। कभी अपनी जीभ को चूत के पूरी अंदर घुसाने की कोशिश करता तो कभी उन के चूत के दाने को मुँह में भर लेता। इससे वह तड़प उठती थी और मुँह से सीसीसी.. आआ.. ईईईई.. की सीत्कारियॉं भर रही थी। मेरे इस तरह करने से वह एकदम पागल सी होती जा रही थी। कुछ ही देर में उसने मेरे सिर को अपनी चूत पर बहुत जोर से दबा दिया और तेज सिसकारियों के साथ अपना पानी मेरे मुँह में छोड़ दिया।
मैंने उनकी चूत का पूरा पानी पी लिया। पूरा पानी निकालने के बाद उसने मेरे सिर पर से पकड़ को ढील दी। मेरी भी साँसें रुक गयी थीं। तब जाकर मैंने अच्छे से सांस ली।
फिर चाची ने कहा कि मैंने कभी सोचा नहीं था कि मुझे ऐसा भी सुख मिलेगा।
इस पर वह फिर मेरे गले लग गयी और हम फिर से किस करने लग गए।
फिर उसने फिर से मेरे लण्ड को मुँह में लिया; लण्ड फिर से तन कर खड़ा हो गया। चाची भी फिर से गर्म हो गयी।
मैंने जल्दी से उन्हें बेड पर लिटा दिया और उनके ऊपर आकर मैंने अपना लण्ड उनकी चूत पर सेट किया। मैंने जैसे ही थोड़ा जोर लगाया तो मेरा सुपारा अन्दर गया। उनके चेहरे पर दर्द की लकीरें उभर आयीं पर मैंने बिना परवाह के एक जोरदार धक्का मारा और मेरा आधा लण्ड चूत के अन्दर चला गया।
इसके साथ ही वो चीख पड़ी- साले कमीने मार डाला रे.. इतनी जोर से कोई डालता है क्या.. तेरे चाचा का तो छोटा है.. जिससे पता ही नहीं चलता कि चूत के अन्दर कुछ गया भी है या नहीं.. और तूने अपना ये पूरा मूसल घुसा डाला.. रे मर गयी मैं तो।
तभी मैंने कहा- पूरा कहाँ अभी तो आधा ही गया है अन्दर चाची।
यह सुन कर चाची ने देखा और उन का मुँह फटा ही रह गया और मैं कुछ देर के लिए रुक गया। कुछ देर बाद वो अपनी कमर धीरे धीरे हिलाने लगीं तो मैंने फिर एक जोरदार शॉट मारा और वो फिर से जोरदार चीख पड़ीं और बोलने लगीं कि- बाहर निकाल जल्दी…
पर मैंने उन्हें कस कर पकड़ लिया और उन्हें किस करने और बूब्स पीने लग गया। थोड़ी देर बाद वो फिर से अपनी कमर हिलाने लग गयीं। मैंने उनकी दोनों टांगों को कन्धे पर रख कर धकापेल चुदायी शुरू कर दी।
कमरे में चाची की सिसकारियाँ गूंजने लग गयीं; साथ में फच फच की आवाजें भी आ रही थीं। ऐसे ही धकापेल चुदायी चलती रही और 10-12 मिनट में चाची का पानी छूट गया और वो निढाल हो गयीं। 6-7 जोरदार शॉट और लगाने के बाद मैंने भी अपना पानी चूत में ही छोड़ दिया। कुछ देर हम दोनों एक दूसरे से चिपक कर ही लेटे रहे। फिर थोड़ी देर बाद एक दूसरे से अलग हुए।
चाची ने कपड़े से अपनी चूत को साफ किया और मेरे लौड़े को भी साफ किया। लौड़े को मुँह में फिर से ले लिया और फिर से उसे खड़ा कर दिया। मुझे बेड पर लिटा कर मेरे ऊपर आ गयी और लौड़े को चूत पर सेट कर एक ही झटके में सीत्कार के साथ पूरा चूत में निगल लिया। वह ऊपर नीचे कर रही थी जिस से की मुझे मजा आ रहा था। मजा दुगना करने के लिए मैं भी नीचे से शॉट लगाने लग गया जिस से चाची का मजा और बढ़ गया और आवाजें भी तेज हो गयीं।
कुछ देर में चाची थक गयीं तो मैंने उनको नीचे ले लिया और मैं उनके ऊपर आ गया और फिर से चाची की धकापेल चुदाई शुरू कर दी। पहली बार में थोड़ा जल्दी छूट गए थे तो इस बार 25 से 30 मिनट तक चुदाई चली और दोनों एक साथ ही छूट गए और निढाल हो कर गिर गए। एक दूसरे के ऊपर लेट रहे फिर कुछ देर बाद दोनों उठे और चाची ने फिर से अपनी चुत साफ की और मेरे लौंड़े को भी साफ किया; एक किस किया लौड़े पर। उसके बाद चाची ने अपने कपड़े पहन लिये।
क्योंकि हम पिछले तीन घण्टे से लगे हुए थे और उनके बच्चों के आने का समय भी हो गया था, इसलिए मैंने भी अपने कपड़े पहन लिए और जाने की इजाजत मांगी। तब चाची ने मुझे एक किस किया जोरदार और अपने गले से लगा लिया और कहा कि इतनी अच्छी चुदाई आज तक पहले मेरी कभी नहीं हुई। आज से मैं तेरे इस लौड़े की गुलाम हो गयी। अब जब जी चाहे तब मुझे चोदना और मैं वहाँ से आ गया। इस के बाद तो जैसे वो मेरे लौड़े की दीवानी ही हो गयी। मौका मिलते ही मुझे बुला लेती थी और फिर हमारी जोरदार चुदाई का दौर शुरू हो जाता था। आज भी मैं उसे चोद रहा हूँ।
दोस्तो, मेरी चाची के साथ सेक्स की कहानी आपको पसंद आयी या नहीं, मुझे मेल कीजिये.