दोस्तो, जिन लोगो ने मेरी पिच्छली कहानी नही पड़ी, उनके लिए मैं अपना परिचाए देना चाहता हूँ. मेरा नाम सुनील है. अभी मेरी उमर 28 साल है. मैं उप का रहने वाला हूँ. मैं दिखने मे एकदम गोरा, 5’8″ कद और औसत कद काठी, बिल्कुल गतिला बदन का एक नवजवान लड़का हू, मेरा लॅंड 7 इंच लंबा है.
ये कहानी मेरी चाची की कांवासना की कहानी है, आप इसमे पढ़ेंगे की चाची की जवानी की आग की लपटों से कैसे मैं भी नही बच सका. कैसे मेरे बहकते कदम मुझे चाची की काम की अग्नि मे जला दिए और मैं अपनी मा जैसे चाची के छूट का गुलाम बन गया. कैसे मेरी चाची ने मेरे लंड का शिकार किया और चाची ने मुझसे अपने प्यार का इज़हार किया.
दोस्तों, ये बहुत ही गरम सेक्स की कहानी है. मैं आशा करता हूँ की आप लोग बहुत धैर्या से, इस बहुत ही कामुक कहानी को पढ़ेंगे और अपनी प्रतिक्रिया ज़रूर साझा कारनगे.
मैं आप लोगो को अपने चाची के बारे मे बता दूं.
मेरी चाची का नाम प्रमिला है, उनकी उमर 36 साल है, उनकी शादी को कई साल हो चुके है, लेकिन अभी तक कोई बाकचा नही हुआ है, उनको लोग चौधराईं कहके बुलाते है. वो घर का काम-काज संभालती है. उनका फिगर 36-32-38 का है. उनकी लंबाई 6’5” होगी. उनकी लंबाई की वजह से उनके बूब्स बिल्कुल ताने हुए दिखाई देते है और बहुत ही कामुक दिखतीं है.
एकदम गोरी, बड़ी-बड़ी आँखे, पतली कमर और निकाला हुआ चूतड़ और बोल-चाल मे बहुत ही तेज और बोल्ड हैं. चाची दिन मे कुर्ता और लेगिंग और रात मे निघट्य या मॅक्सी पहनती है, रात को ब्रा और पनटी दोनो ही नही पहनती है, जिससे चाचा को जल्दी-जल्दी उनकी छूट छोड़ने मे आसानी हो.
मैं, अपने चाचा के बारे मे बता दूं, उनकी उमर 38 साल है, बिल्कुल पहलवानों जैसे उनकी बॉडी है, कद 7’5 होगी और दिखने मे लंबे चौड़े, उनके मजबूत बाहें और छुड़ा सीना और सीने पे ढेर सारे बाल है. उनका नाम शिवा है लेकिन लोग उन्हे चाचा चौधरी कहके बुलाते है. किसी भी औरत को छोड़ते टाइम मेरा चाचा जी चीखे निकलवा दें.
दोस्तों, मैं अपने बचपन से 19 साल की उमर तक यानी देल्ही आने से पहले, अपने चाची के बहुत ही करीब रहा. उन्होने मुझे मा जैसा प्यार दिया. मैं, उनके चारो तरफ हमेशा घूमता रहता. मैं, जवान होने तक अपनी चाची के साथ ही सोता था. अपने घर पे बहुत कम रहता,अपनी चाची के घर ही रहता. लेकिन, मुझे कभी ऐसा नही लगा की चाची मुझे बेटे से भी ज़्यादा कुछ मान रही हों. मैं, जब उनके साथ सोता तो उनके बूब्स, उनकी कमर पे भी मेरा हाथ चला जाता, लेकिन चाची कुछ भी नहीं बोलती. मैं, जब 14 का साल का हो गया था, तब भी मुझसे बोल्तीं- अपना नुणु दिखाओ, बेटे.
मुझे समझती- इसको अकचे से सॉफ करके रखा करो नही तो इन्फेक्षन हो जाएगा.
मैं उनकी बात मान कर अपने लंड की सफाई अकचे से करता.
दोस्तों, जिस रूम मे चाची सोती थी, उसके सामने भी एक रूम था. दोनो रूम के बीच एक ही दरवाजा था. एक रूम मे मैं चाची के साथ सोता और दूसरे मे चाचा अकेले सोते थे. रात को चाचा को जब भी चाची की छूट छोड़ने का मान करता, तो उन्हे बुलाने आते. मैं, चाची से चिपक के सोता था. वो चाचा के कहने पे मेरे हाथ अपने उपर से हटाकर रात को चाचा के साथ अपनी छूट छुड़वाने चली जातीं.
चाचा- चाची सोते टाइम दोनो कमरे के बीच का दरवाज़ा खोल के ही रखते. जिससे चाचा जब चाची को रात मे बुलाने आएँ तो कोई आवाज़ ना हो और मुझे इस बात का पता ना चले. लेकिन जब चाचा, चाची की छूट को अकचे से छोड़ते तो मुझे उनकी आवाज़ें सुनाई देती और मैं उनकी चुदाई को होता देखता भी था. लेकिन, मई चुप छाप सोने का नाटक करता रहता.
चाची, चाचा के साथ जातीं और चाचा चाची के मॅक्सी को निकल कर नग्न कर देते और चाची की चूंचियो को खूब मसल-मसल कर चूस्ते और चूंचियाँ चूस्ते टाइम उनकी छूट मे अंगुली करते रहते, चाची सिसकारियाँ मारने लगती.
चाची- चौधरी अपने इस रानी को इतना क्यों तापड़ा रहे हो, अपना मूसल अपने रानी के छूट मे पेलो. अपने लंड से मेरी छूट को छोड़ लो, मेरा राजा. आआहहा..अयाया..एम्म…बहुत अकचे से मेरी छूट मे अंगुली कर आहे हो ,मज़ा आ रहा है.
चाचा- तू कितनी बड़ी रंडी है, तेरे इस छूट को मैं इतने सालों से छोड़ रहा हौं. लेकिन तेरी छूट की आग सांत नही हो रही. कितना आग है तेरी इस छूट मे.
चाची- तुम्हारे लंड के लिए मेरा राजा, मेरी छूट पूरी जिंदगी भर ऐसे ही जलती रहेगी. तुम मेरी छूट खूब अकचे से छोड़ते रहना. राजा, अपना लंड दो अपनी इस कुटिया को चूस-चूस के उसको अपने छूट मे डालने के काबिल बना दूं.
चाचा- ले चूस ले, साली कुटिया. तू साली पूरी गरम हो चुकी है.
दोस्तो, मेरे कानो मे उनकी आवाज़ आती रहती और मैं अपने चाचा-चाची की बातों से हैरान हो जाता, जो दिन मे इतने अकचे से बात करते है, वो रात को चुदाई करते टाइम ऐसी-ऐसी बातें करते है.
चाचा का लंड जब चाची मुहन मे लेकर चुस्तीन तो चाचा का लंड गरम हो जाता, इधर चाची की छूट भी गरम हो जातीं.
चाची बोलने लगती- लो सैयाँ, मैने तुम्हारा घोड़ा तैयार कर दिया है. मेरी छूट मे इसको अकचे से दौधहाओ. छोड़ो, चौधरी अपनी इस कुटिया को. ये तुम्हारी रंडी चूड़ने के लिए तैयार है. मेरी छूट गरम हो गयी है.
मेरे चाचा चाची की छूट मे लंड डालकर उनकी गीली छूट मे गपा-गॅप अपना लंड डाल के छोड़ने लग जाते.
मेरी चाची चाचा से बोलती- छोड़ो चौधरी, अपनी रंडी को. इतने दीनो से छोड़ रहे हो, लेकिन मेरी छूट मे अपना जूस डाल कर एक बाकच्छा नही पैदा कर पाए. पेलो अपना लंड मेरी छूट मे और ज़ोर से छोड़ो. इसमे सारा माल डाल दो. तुम्हारी कुटिया भूकी है लंड की.
मेरी चाची खूब मस्ती मे चाचा का लंड अपने छूट मे लेटिन तीन.
चाचा बोलते- चौधराईं, तुम्हारे छूट का जवाब नही है, इतना रस छोड़ती है. मैं, तुम्हे पाकर बहुत खुश हूँ. 16 सालो मे एक बार भी तुम्हे कुछ नही बोला, तुमसे बहुत प्यार करता हूँ. तुम भी मुझे इतना प्यार करती हो. मैं जब भी कहता हूँ, अपनी छूट को छुड़वाने आ जाती हो.
चाची बोलती- पति सेवा से बड़ा कोई धर्म नही है, आपको खुश करना मेरा कर्तव्या है. चौधरी अपने मूसल से छोड़ो मेरी छूट को, अकचे से साली को निचोड़ दो.
चाचा, चाची की कमर पकड़ कर खूब ज़ोर-ज़ोर से अपने लंड से उनकी छूट मे धक्के मारते और चाची की तो जैसे जान ही निकल जातीं, खूब चीखतीं रहतीं. लेकिन, चाची पूरी लंड की किलडन थी, वो चाचा से बोल्तीं- चौधरी और ज़ोर से छोड़ो, मेरी छूट फाद दो, तुम मत रूकना. छोड़ो और छोड़ो.
थोड़ी देर मे, चाची, चाचा के उपर आ जाती और अपने बाल खोल कर उनके उपर उछालने लगटिन. उनके कमरे मे फाकच्छाफआकक्च फ़आआक्चाआफाककक़चफ़ाआच्छ की आवाज़ मेरे कानो मे सुनयी देती.
चाची- आअम्म….आअम्म.आअहह..म्म्म्माआ..आअहह क्या लंड मिला है मुझे. मुझे अपने पति पे नाज़ है. मेरी छूट पूरी गीली है. ह्म.हम्म तुम्हारी रानी तुम्हारे लंड की दीवानी है, चुधारी साहब. जो मज़ा तुम्हारे लंड से मिलता है, ये कुटिया संत्ुस्त हो जाती है.
चाचा, चाची की बात सुन कर अपनी पूरी ताक़त से चाची की चूत पे नीचे से हमला कर देते.
फिर, दोनो खूब धँकेदार चुदाई करते हुए एक दूसरे का पानी एक दूसरे मे मिला देते और दोनो सांत हो जाते.
चाचा- कितनी रसीली छूट है तेरी, साली कुटिया. जब मैं तुझे छोड़ता हूँ, तो मेरा लंड तेरी छूट से निकलना ही नही चाहता है.
चाची- मैं वो माल हूँ, चौधरी साहब. जितना अपने लंड से इसे छोड़ोगे. उतना ही मज़ा मिलेगा. तुम्हारा लंड कोई कम नही है, जो तुम अपना सारा पवर मेरी छूट को छोड़ने मे लगते हो, मैं तुम पे फिदा हो जाती हूँ, इसलिए कोई रात ऐसा नही, जब मई तुमसे चूड़ना नही चाहती.
थोड़ी देर बाद, बातें करते-करते दोनो अपने कपड़े पहनते और चाचा के पास से उठकर, चाची मेरे पास आकर सो जातीं. ऐसा लगता, जैसे थोड़ी देर पहले कुछ हुआ ही ना हो.
लेकिन, मैं उतना ध्यान नही देता. जब वो आती तो फिर से अपनी चाची को चिपक के सो जाता और हमेशा अपनी चाची को अपनी मा की तरह मानता रहा.
जब, मैं 16 साल का हो गया, तो मैं अलग कमरे मे चाची के घर पे ही सोने लगा. फिर,चाची और चाचा की चुदाई की बातें सुनने का उतना मौका नही मिलता.
मैं 2011 मे देल्ही आ गया. तब मेरी उमर 19 साल थी. फिर, मैं अपनी चाची का हाल-चाल फोन पे ही लेता. वो मुझसे पूछटीं रहतीं- अब तुम जवान हो गये हो. कोई गर्लफ्रेंड देल्ही मे बनाया या नही.देल्ही मे एक आक्ची सी गर्लफ्रेंड बना लो.
एजुकेशन, जॉब , हेल्त सब कुछ डीटेल मे पूछटीं. मैं,जब साल मे कभी घर जाता, तो देर रात तक चाची से बाते करता. लेकिन जब देर रात हो जाती, चाचा इशरा करते फिर चाची मुझे बोलती- जाओ, सुनील,अब अपने कमरे मे जाकर सो जाओ.बहुत देर रात हो गयी है.
मैं साँझ मे आ जाता,अब चाचा खूब अकचे से चाची की चूत की चुदाई करने वेल है. मैं, अपने कमरे मे आ जाता और सो जाता.
तो बे कंटिन्यूड..