आज में आपको स्टोरी बता रहा हूँ मेरे और एक बॉडी बिल्डर की है. में कॅनडा गया था वहाँ मुझे यूनिवर्सिटी में अड्मिशन मिला था. काफ़ी लाते अड्मिशन की वजा से मुझे हॉस्टिल में जगह नही मिली.
आख़िर मुझे एक प्राइवेट फ्लॅट में जगह मिल गयी बस वहाँ मसला ये था के वहाँ मुझे एक और बंदे के साथ रूम शेर करना था. वो पहले से वहीं रह रहा था.
में जब उससे मिला तो 6तफ्त 3 की हाइट का जिम फिट आदमी मेरे सामने खरा था. उसकी आगे 40 प्लस थी. वो पुंजब से था और यहाँ मॉडेलिंग वगेरा का काम करता था. उनकी बॉडी कमाल की थी और नज़र अरहा था काफ़ी सालों की मेहनत है. उसका नाम अकरम था. उसके सामने मेरा मोटा चब्बी जिस्म देख के शरम आती थी.
अब वो अक्सर घर में अंडरवेर में घूम रहा होता था. सारा दिन एक्सर्साइज़ वगेरा में बिज़ी होता था. आहिस्ता आहिस्ता उसने मुझे भी वर्काउट करने की आदत दल्दी. हम दोनो फिर साथ में वर्काउट करते थे. में उनको बरा भाई बोलता था लेकिन था वो मुझसे 19 साल बरा.
में और वो अक्सर अंडरवेर में घर पे घूम रहे होते थे और एक दोसरे के साथ काफ़ी कंफर्टबल थे. मेरी कोई अट्रॅक्षन नही थी उसकी तरफ और में बिल्कुल स्ट्रेट था. उसके साथ कुछ ही महीनो में काफ़ी वेट लूज़ करलिया था और मेरी गांद भी काफ़ी उभर आगाई थी. और जिस्म बिल्कुल गोरा औरसमूथ था तो कोई सिर्फ़ मेरी गांद देखता तो समजता लड़की की गांद है.
अब उन दीनो हुआ यूँ के इमरान भाई को वापस जाना परा गाओं. उसने बोला कोई मसला हो गया है तो इस लिए वापस जाना परेगा. अब असल में हुआ कुछ ऐसा था के इमरान ने वहाँ एक बंदे की रंडी था. वो वहाँ का कोई लोकल था और इमरान को छोड़ता था और खर्चा पानी भी देता था. इमरान ने उससे तोरा उधर लिया था और वापस मुल्क भाग गया था.
में इस बंदे से काफ़ी बार घर पे मिल चुका था. उसका नाम मार्क था. अँग्रेज़ था लंबी हाइट थी और काफ़ी डरावना दिखता था. इमरान भाई के जाने के 1 महीने बाद वो घर पे आया. मैने उससे बताया के इमरान नही है. वो वापस गया और फिरसे एक महीने बाद आया. इमरान ने कॉल वगेरा उठना भी बंद करदी थी. मुझे इसकी फिकर नही थी क्यूँ ये मेरा मसला नही था.
काफ़ी महीने गुज़रने के बाद एक दिन मार्क बिल्कुल गुस्से में आया. में उस टाइम वर्काउट कर रहा था और मैने अंडरवेर में ही दरवाज़ा खोला. मार्क बहोट गुस्से में था. मैने उससे अंदर बुलाया और छाई पानी दिया. में आपको ये बता डून अभी भी अंडरवेर में ही घूम रहा था क्यूंके वहाँ तो शरम ही ख़तम हो गयी थी ना.
मार्क मेरी गांद पे नज़र घुमा रहा था. मैने फिर शवर लेना गया और मार्क बेता था लाउंज में. में पता नही क्यूँ लगा के दरवाज़ा खोलने की कोशिश की हो किसी ने. शवर में मैने दिहान नही दिया. शवर करके में बाहर आया तो मार्क बेता टीवी देख रहा था. हमने बात की और इमरान से भी बात करनी की कोशिश की. मार्क को मैने समझाया के अब वो शायद नही आएगा वो तुम्हारे पैसे लेके भाग गया है.
मार्क ने मुझे फिर सच सच बताया के वो इमरान भाई को पैसे क्यूँ देता था. में तो हेरान हो गया के इमरान भाई गांद मरवाता था और पैसे लेता था. मार्क ने बताया के उससे देसी लरके बहोट पसंद हैं.
वो असल में कोशिश कर रहा था मुझे फसाने की. और सच ब्ताओं जब में सोच रहा था के गांद मरवाने के इमरान भाई को कितने पैसे मिलते थे तो मेरे मूह में भी पानी अरहा था. लेकिन में गान्डू नही था.
मार्क ने आख़िर मुझे बोला ” इफ़ योउ एवर वाना हॅव सेक्स कम तो इल गिव उ अलॉट ऑफ मनी ई लीके देसी बाय्स”. ये बोलके वो उठके चला गया.
में गे तो नही था लेकिन आहिस्ता आहिस्ता मेरा माइंड उस तरफ जेया रहा था. हर वक़्त दिमघ में चल रहा होता था. मैने आहिस्ता आहिस्ता गे पॉर्न देखना शुरू कार्डिया. कुछ दीनो बाद गांद में उंगली करने लगा.
फिर आहिस्ता आहिस्ता सेक्षटोयस और डिल्डो भी लेके आ गया. मैने 6 इंच का डिल्डो गांद में लेलेटा था आराम से और मुझे मज़ा भी अरहा था. में अब असल चीज़ ट्राइ करना चाहता था. एक दिन मैने मार्क को म्स्ग किया और उसने वीकेंड को मिलने का प्लान बनाया. उसने मुझे अड्रेस दिया.
में वहाँ जगह पे रात के 10 बजे गया. वो एक क्लब था जो मार्क का अपना था. क्लब के पीछे साइड पे रंडी खाना था. अब मुझे लगा के मुझे सिर्फ़ मार्क से छुड़वाना होगा ये मेरी ग़लती थी. में मार्क के ऑफीस में बेता और मार्क ने पहले मुझसे पैसे पूछे कितने लूँगा. अब मुझे इसका कुछ नही पता था तो मैने बोला के जितना इमरान भाई को देते थे उतने डेडॉ.
मार्क ने पहले पेमेंट डेडी और फिर ऑफीस का दरवाज़ा लॉक कार्डिया. मुझे काप्राय उतरने को बोला. वो माल चेक करना चाहता था. मेरी गांद पकारी और दबाने लगा और फिर मुझे टेबल के साथ लगाया. मेरी गांद फेलाइ और थूक लगाई. मुझे उसके लंड गांद पे फील हुआ.
अब मुझे नही पता था उसका लंड कितना बरा होगा. 6 इंच का तो आराम से लेलेटा मुझे सेक्स टाय्स से आदत हो गयी थी. लेकिन मार्क का 8 इंच का लंड था. उसने जेसे झटका दिया और मेरी चीख निकल गयी.
मार्क ने मेरे मूह पे हाथ रखा और ज़ोरदार झटका दिया. उसका मोटा लंड मेरी गांद फर्था हुआ गुस्सा. मेरी आँखों से आनसौन निकल आए. दोसरे झटके में पूरा लंड अंदर घुसा दिया. उससे कोई फिकर ना किया और बस चुदाई करने लगा. उससे मेरे दर्द से फराक ही नही हो रहा था.
वो मेरी गांद स्पीड से मार रहा था और में टेबल पे दर्द में मार रहा था. मेरी आँखों से अनसौन निकल रहे थे और मूह पे हाथ की वजा से चिल्ला भी नही पा रहा था.
40-50 मिन्स तक दर्दनाक चुदाई हुई मेरी. फिर उसने लंड निकाला और मुझे ज़मीन पे धकेल दिया और मेरे मूह पे माल निकल दिया. में वहीं कार्पेट पे 15 मिन्स परा रहा. जब उठा तो गांद दर्द से धुक रही थी. मुझे लगा बस यही था और में टायर होके निकालने लगा. मार्क ने मुझे रोका और बोला अभी तो रात शुरू हुई है तुमने पूरी रात के पैसे लिए हैं.
मेरी तो फॅट गयी. खैर मैने सोचा के पहली चुदाई में दर्द हुआ था आयेज नही होगा. मार्क मुझे फिर नीचे ले गया और वाह्न एक रूम था. पूरा रेड कलर का रूम था और वहाँ ब्दसम वाला समान परा था. मेरी ये देख के फॅट गयी. मार्क से पूछा तो उसने बताया के इमरान को ऐसे छोड़ते थे.
मैने बोला ये नही करूँगा में बस नॉर्मल चुदाई. उसने फिर क्लियर किया के ये चीज़ाइन इस्तीमाल नही करेंगे बस मेरे हाथ पावं भंदेंगे. मैने बोला चलो ये आक्सेप्टबल है. मैने काप्राय उतार और बेड पे चार गया. वहाँ चेन्स से मेरे हाथ और पावं बेड के कॉर्नर्स के बांड दिए. में उल्टा लेता हुआ था.
मार्क ने मेरे पायट के नीचे एक पिल्लो टाइप चीज़ रख दी और मेरी गांद उठा दी. मार्क ने फिर मेरे मूह में एक बॉल गॅग गुस्सा दिया. उसका कहना था के में चिल्लाओं ना इस लिए. मुझे तो मज़ा अरहा था. मार्क फिर बेड पे छरहा और मेरी गांद पे अपना लंड सेट किया और एक झटके में पूरा गुस्सा दिया. अफ इतना दर्द हुआ था के मेरे अनसौन फ्रीसे निकल आए. मूह में बॉल गॅग था तो में छिला ना पाया.
मार्क ने मेरी दोसरि चुदाई शुरू की. वो मेरी गांद पे थापर मार रहा था और मेरे निपल्स भी दबा दबा के लाल कारडीए थे. बहोट रफ चदई की उसने मेरी. इस बार चुदाई में मुझे आहिस्ता आहिस्ता मज़ा अरहा था. जल्द ही इतना मज़ा आया और मेरे लंड से कम बहने लग गया. अफ क्या मज़ा आया. मार्क ने 30 मिन्स और छोड़ा और मेरी गांद भर दी. मेरी गांद खुल गयी थी उसका पानी बह रहा था होल से. मुझे लगा फिरसे रेस्ट करेगा और छोड़ेगा लेकिन ऐसा ना हुआ.
मार्क अपनी पंत पहंके रूम से बाहर गया और में अभी भी उस पोज़िशन में वहीं परा था. मेरी गांद से कम लीक हो रहा था. 15 मिन्स बाद एक गंजा आदमी घुसा रूम में. मेरी फॅट गयी. उसने जल्दी से काप्राय उतरे और लंड मेरी गांद पे रखड़िया. वो बोल रहा था के
मार्क प्यारा माल लाया है और ऐसी बातें कर रहा था. में दर गया के ये कों है भाई लेकिन में ना हिल पा रहा था और ना कुछ बोल पा रहा था. गंजे का लंड छोटा था मार्क से तो आराम से गांद में घुसा. उसने 15-20 मिन्स स्पीड से छोड़ा और गांद के उपर माल निकल दिया. फिर वो अपने काप्राय पहंके निकल गया.
फिर कुछ देर बाद एक और बंदा आया फिर एक और फिर एक साथ 3 लोग. सुबह के 5 बजे तक मुझे 9-10 लोगों ने छोड़ दिया था. मुझे फिर समाज आया के इतने पैसे एक रंडी बनने के मिल रहे थे.
मुझे सुबह 8 बजे मार्क ने आज़ाद किया. पहले तो मैने उससे पूछा के इतने लोगों से क्यूँ चुडवाया. तो उसने बोला के इमरान भी यही करता था. में गुस्सा ज़रूर था अंजान लोगों से छुड़वाने पे लेकिन मुझे इतना मज़ा आया था के में खुद 4-5 बार फारिघ् हो चुका था.
मैने तो सोचा था के ये फिरसे नही करूँगा. लेकिन आपको पता है गांद की खुजली और पैसे की भूक ने आख़िर मजबूर कार्डिया. में एक हफ्ते बाद वापस वहाँ गया और काफ़ी लोगों से चुडवाया.
फिर में वहाँ की रेग्युलर रंडी बन गया. मार्क मुझे काफ़ी लोगों से चुड़वता. कुछ अमीर लोग अपने घर भी पूरी रात के लिए ले जाते थे. मेरी बहोट चुदाई हुई. मेरी गांद में हर वक़्त किसी ना किसी का लंड होता था. पैसे भी बहोट आचे मिल जाते थे.
6 महीने हो गये हैं इस बात को और में आज भी छुड़वा रहा हूँ मार्क के अड्डे पे.