बस ड्राइवर और कंडक्टर ने मुझे चोदा

हेलो दोस्तो, मेरा नाम जया है. मई 27 साल की हू, और मेरा फिगर 36″29″37″ है. मई एक चुड़क्कड़ लड़की हू. मेरी कुंडली मे मंगल दोष है, इसलिए मेरी अभी तक शादी नही हुई. शादी ना होने की वजह से ही मई किसी से भी अपनी छूट की प्यास बुझवा लेती हू.

मेरी फॅमिली मे मा, पापा, और एक बड़ा भाई है. मई एक जॉब करती हू, और मुझे उसके लिए बस से जाना पड़ता है. उसी बस मे मई काई बार चूड़ी थी. आज मई आपके साथ बस मे हुई अपनी पहली चुदाई की कहानी शेर करना चाहती हू.

ये बात 2 साल पहले की है. उस वक़्त मेरा फिगर 34″ 27″ 36″ था. मई जिस बस मे ऑफीस जाती थी, उस बस का ड्राइवर और कंडक्टर दोनो जवान लड़के थे. ड्राइवर का नाम सूरज था, और कंडक्टर का नाम अजय था. क्यूकी मई रोज़ उसी बस से ट्रॅवेल करती थी, तो वो दोनो मुझे पहचानते थे.

फिर धीरे-धीरे हमारी नमस्ते-नमस्ते होनी शुरू हो गयी. सूरज कोई 28 साल का था, और अजय 26 साल का था. धीरे-धीरे उन्होने मेरे लिए ड्राइवर के साथ वाली फ्रंट सीट खाली रखनी शुरू कर दी.

अब मुझे बस मे खड़े नही रहना पड़ता था, और मई आराम से बस मे बैठ जाती थी. एक दिन बस काफ़ी भारी हुई थी, तो मेरी वाली सीट पर एक आंटी भी आके बैठ गयी. मई उस सीट पर काफ़ी टाइट बैठी थी, और सूरज का हाथ गियर बदलते हुए मेरी पीठ पर टच हो रहा था.

जब पहली बार उसका हाथ मुझे टच हुआ, तो मैने उसकी तरफ देखा. उसको ध्यान भी नही था, की उसका हाथ मेरी पीठ पर टच हो रहा था, और वो मगन हो कर बस चला रहा था. फिर उसका हाथ बार-बार टच होने लगा. उसके टच से मेरी बॉडी मे कुछ हुलचल होने लगी, और मैने सोचा, क्यू ना इसको पत्ता लिया जाए.

ये सोच कर मई और आयेज हो गयी, और उसका हाथ अपनी गांद पर टच करवाने लग गयी. जब उसका हाथ मेरी गांद पर टच हुआ, तो उसने मेरी तरफ देखा. मैने उसको एक स्माइल दे दी. फिर अगले दिन से मई रोज़ ऐसा करने लगी.

एक दिन उसने मेरी सीट पर अपना नंबर रख दिया, और मुझे कॉल करने का इशारा किया. मैने उसका नंबर उठा लिया, और शाम को उसको कॉल की.

मई: ही.

सूरज: कैसे हो जी?

मई: मई ठीक हू, आप बताओ.

सूरज: मई भी बढ़िया.

मई: ओक. आपने नंबर क्यू दिया?

सूरज: हम तो आपको दिल देना चाहते है. आप हा तो बोलो.

उसकी बाते बिल्कुल सड़क-छाप रोमीयो के जैसी थी. लेकिन मई इसलिए उसको बर्दाश्त कर रही थी, क्यूकी ऐसे लड़के चुदाई बड़ी मस्त करते है.

मई: लो बोल दिया हा.

सूरज: चलो फिर घूमने चलते है.

मई: कहा?

सूरज: जहा आप चाहो. अपने पास पूरी बस है. आप जहा चाहो घुमा लेंगे.

मई: बस मे?

सूरज: हा बस मे. इससे सेफ कोई और जगह नही है जी.

मई: ओक ठीक है. फिर सनडे को चलते है.

सूरज: ठीक है जी.

फिर सनडे को वो मैं रोड पर बस ले आया. जैसे ही बस मे चढ़ि, तो उसने बस चलानी शुरू कर दी. बस मे अजय भी था. फिर हमारी थोड़ी बाते हुई, और काफ़ी हस्सी मज़ाक किया हमने. थोड़ी देर बाते करने के बाद सूरज ने बस एक ढाबे के सामने रोक ली. फिर वो बोला-

सूरज: आओ जी कुछ खा-पी लेते है.

फिर हम ढाबे मे गये, और हमने खाना खाया. मैने उस दिन ऑरेंज कलर का पाज़ामी-सूट पहना था. ढाबे पे बैठे सारे ड्राइवर्स का ध्यान मेरी तरफ ही था. खाना खाने के बाद हम बस मे वापस आ गये. इस बार अजय ने बस चलानी शुरू कर दी.

अब सूरज और मई लास्ट सीट पर बैठे थे. सूरज ने मेरा हाथ पकड़ा और उस पर चूमते हुए बोला-

सूरज: आप बहुत खूबसूरत हो जी. कभी सोचा नही था, की आप जैसी लड़की के साथ दोस्ती होगी मेरी.

ये बोलते हुए सूरज मेरे मूह के करीब आया. मई भी चूड़ने ही गयी थी, तो मैने अपनी आँखें बंद कर ली. फिर उसने मेरे होंठ चूसने शुरू कर दिए, और मई भी उसका साथ देने लगी. उसने होंठ चूस्टे-चूस्टे मेरा एक बूब पकड़ लिया, और उसको दबाने लग गया.

मेरी साँसे तेज़ हो रही थी, और मई गरम होने लग गयी थी. हमारी किस तकरीबन 15 मिनिट तक चली. फिर उसने मेरे होंठ छोढ़े, और मेरी गर्दन को चूमने लग गया. मई भी उसको अपनी गर्दन मे दबा रही थी, और उसकी किस्सस का मज़ा ले रही थी.

फिर वो मेरी क्लीवेज मे मूह मारने लगा, और मेरे बूब्स को ब्रा के उपर से काटने लगा. उसने मेरा शर्ट उतारा, और अपनी भी शर्ट और बनियान उतार दी. उधर अजय सीट के उपर के मिरर मे से सब कुछ देख रहा था. अब मई सूरज के सामने सिर्फ़ ब्रा और पाज़ामी मे थी.

उसने मेरे कंधे, क्लीवेज, और गर्दन को चूमना-चाटना शुरू कर दिया. फिर उनसे मुझे सीट पर लिटा दिया, और मेरी कमर को चूमने लग गया. मई तो पुर मज़े मे थी, और मेरी छूट गीली होने लग गयी थी. फिर वो मेरी पाज़ामी मे मूह डाल कर मेरी छूट को महसूस करने लग गया.

उसने मेरी पाज़ामी उतारी, और अपनी भी पंत उतार दी. मई उसके अंडरवेर मे उसका बड़ा लंड सॉफ देख पा रही थी. फिर उसने मेरी जाँघो को चूमना शुरू किया, और मई आहह आहह करने लग गयी. उसने मेरी पनटी उतारी, और मेरी छूट देख कर बोला-

सूरज: क्या हसीन छूट है तेरी.

ये बोल कर उसने मेरी छूट पर मूह लगा लिया, और छूट चाटनी शुरू कर दी. उसके छूट चाटने से मुझे बड़ा सुकून मिल रहा था. वो मेरी पूरी छूट पर जीभ फेर रहा था, और छूट के पानी को चूस रहा था. फिर उसने मेरी छूट को अपनी 2 उंगलियो दे खोला, और अपनी जीभ को छूट के अंदर डालने लगा

मई तो सिसकारिया लिए जेया रही थी, और लंड अंदर लेने के लिए तड़प रही थी. फिर उसने अपना लंड बाहर निकाल लिया. मई उसके 8 इंच लंबे, और 3 इंच मोटे लंड को देख कर बहुत खुश हुई. अभी वो लंड मसल ही रहा था, की मैने उसका लंड पकड़ लिया, और हिलाने लग गयी.

फिर मैने उसके लंड को मूह मे ले लिया, और चूसना शुरू कर दिया. उसको विश्वास नही हो रहा था, की मेरे जैसी खूबसूरत लड़की उसका लंड चूस रही थी. वो ये नही जानता था, की जब छूट लंड के लिए तरस रही हो, तो औरत कुछ भी कर सकती है.

फिर उसने मेरे बाल पकड़ लिए, और अपने लंड को ज़ोर-ज़ोर से मेरे मूह के अंदर बाहर करने लगा. वो पूरा लंड मेरे मूह मे डाल कर रुक जाता था, और तब तक नही निकालता था, जब तक मेरी साँस ना रुकने लगे. लेकिन इसमे मज़ा बहुत आ रहा था.

फिर मई सीधी लेट गयी, और सूरज मेरी टाँगो के बीच आ गया. उसने अपना लंड मेरी छूट पर रखा, और गांद हिला-हिला कर उसको मेरी छूट पर रगड़ने लगा. मई तो सिसकिया लेके पागल हो रही थी, और लंड अंदर लेने के लिए तड़प रही थी.

फिर उसने लंड मेरी छूट के मूह पर सेट किया, और एक ज़ोर का झटका मारा.

मई: आहह…

क्या मज़ा आया था, लंड छूट मे लेने मे. फिर उसने धक्के देने शुरू किए, और मई उसके होंठ चूस कर उसको उत्तेजित करने लग गयी. वो धक्के तेज़ करता गया, और मुझे और मज़ा आने लगा. मैने अपनी टांगे उसकी कमर पर लपेट ली, और उसको अपनी आगोश मे लेके उसको अपने बूब्स चुसवाने लगी.

15 मिनिट वो लगातार मेरी छूट मे धक्के मारता रहा. उसने मेरे बूब्स चूस-चूस कर लाल कर दिए थे. फिर वो आ आ करते हुए मेरी छूट मे ही झाड़ गया. अब वो शांत हो चुका था, और मेरे उपर ही लेट गया. फिर अजय ने बस एक सुनसान जगह पर रोक दी, और हमारे पास आ गया. पास आके वो बोला-

अजय: मई भी कर लू एक बार?

सूरज उसको इशारे से माना करने लगा, लेकिन मैने उसको बोला-

मई: मेरी छूट का पानी निकालना पड़ेगा.

मेरी छूट का पानी अभी नही निकला था, और मैने अजय को भी अपनी छूट पर चढ़ा लिया. अब सूरज आयेज की सीट पर बैठ गया, और अजय मेरी टाँगो के बीच आ गया. अजय का लंड 7 इंच का था, और काफ़ी सख़्त था. उसने मेरी छूट मे लंड डाला, और धक्के देने लगा.

मैने उसको अपनी तरफ खींचा, और उसको अपने होंठ चुसवाने लगी. वो तेज़-तेज़ मेरी छूट मे लंड अंदर-बाहर करता रहा. मुझे काफ़ी मज़ा आ रहा था. फिर हमने पोज़िशन चेंज की. वो सीट पर सीधा होके बैठ गया, और मई उसकी जाँघो पर उसकी तरफ मूह करके बैठ गयी.

फिर उसने अपना लंड मेरी छूट मे डाल दिया, और मई उसके लंड पर उछालने लग गयी. वो साथ-साथ मेरे बूब्स चूस रहा था और उन पर थप्पड़ भी मार रहा था. मुझे अब बहुत मज़ा आ रहा था. इतनी देर मे सूरज का लंड फिरसे खड़ा हो चुका था, और वो मेरे पास आके खड़ा हो गया.

मैने उसका लंड अपने मूह मे लिया, और चूसने लग गयी. अब सूरज मेरे मूह मे धक्के मार रहा था, और अजय मेरी छूट मे धक्के मारे जेया रहा था. कुछ देर लंड चुसवाने के बाद, सूरज मेरे पीछे आ गया, और मेरी गांद के छेड़ को चाटने लगा.

मेरी गांद पहले से ही छूट के पानी से गीली हुई पड़ी थी. फिर उसने अपना लंड मेरी गांद मे छेड़ पर सेट किया, और उपर की तरफ धक्का दिया. पहले धक्के मे उसका आधा लंड मेरी गांद मे चला गया. अब मई मज़े और दर्द के सातवे आसमान पर थी.

अजय और सूरज दोनो ने अब मुझे हवा मे उछाल-उछाल कर छोड़ना शुरू कर दिया था. 4-5 धक्को मे सूरज का पूरा लंड मेरी गांद मे जेया चुका था. अब वो दोनो मेरी ताबाद-तोड़ चुदाई कर रहे थे. 20 मिनिट की चुदाई के बाद मेरा पानी निकालने वाला था.

फिर मई आहह अहहा करती हुई झाड़ गयी, और उन दोनो ने भी अपना माल मेरी छूट और गांद मे निकाल दिया. अब हम तीनो शांत हो गये थे. उस दिन के बाद मई काई बार उन दोनो से उसी बस मे चूड़ी. अगले एक साल तक ये सिलसिला चलता रहा.

फिर उन दोनो की बदली हो गयी, और मई आज भी उस बस मे किसी और ड्राइवर और कंडक्टर के साथ सफ़र करती हू, और उस चुदाई को याद करती हू.

कहानी अची लगी हो, तो इसको लीके और कॉमेंट ज़रूर करे.