हेलो फ्रेंड्स, मई हू आप सब की चहेती पुष्पा. मई वही पुष्पा हू, जिसकी ज़ालिम चूचिया उछाल-उछाल कर आपके सामने अपनी गर्मी की नुमाइश करती है. वही पूछपा, जिसकी मटकती गांद आपको पानी-पानी कर देती है.
अब आपकी पूछपा 36 की हो गयी है. तो क्या आप उसको भुला देंगे? नही ना? तो फिर मेरी इस कहानी का मज़ा अंत तक लीजिएगा. ये कहानी आप सब के अंदर वही गर्मी भर देगी, जिस गर्मी का इंतेज़ार आपको क्षाहनी.कॉम से रहता है.
अब ज़्यादा देर ना करते हुए, मई अपने मनोरंजन का पिटारा धीरे-धीरे खोल रही हू. बीते एक महीने से मई एक ज़ालिम छ्होकरे से लगातार छुड़वा रही हू. उस छ्होकरे का नाम सुमित है. कहने को तो सुमित 18 साल का है, लेकिन उसकी नाज़ूकटा और कोमलता देख कर, वो कदापि 18 साल का नही लगता.
लेकिन अगर उसकी चुदाई की बात करे, तो आचे से आचे मर्द भी उसके सामने अपने घुटने टेक देंगे. वो ज़ालिम ऐसी चुदाई करता है, जिसका बखान शब्दो मे नही किया जेया सकता. उसकी चुदाई को तो सिर्फ़ परखा ही जेया सकता है.
“छ्होटे पॅकेट मे बड़ा धमाका” वाली कहावत उस पर बिल्कुल ठीक बैठती है. आज भी सुमित आया था मेरे पास चुदाई के लिए. लेकिन आज उसका मूड कुछ अछा नही था. मई सुमित को चुटकुला सुना कर बहला रही थी. वो चुटकुला कुछ इस तरह था-
मई (चुटकुला सुनाते हुए): एक शाम मई आँगन मे खाट पर लेती हुई थी. मई क्या देखती हू, की 2 मेन्डक(फ्रॉग्स) को एक साँप खदेड़ रहा था. बेचारे मेन्डक की जान पर आफ़त आई हुई थी. फिर जान बचाने के लिए वो दोनो मेन्डक मेरी तरफ आए. उनमे से एक मेन्डक मेरी गांद मे घुस गया और दूसरा मेन्डक मेरी बर मे घुस गया.
फिर कुछ देर बार जब मुसीबत ताल गयी, तो वो दोनो मेन्डक बाहर आ गये. बाहर आके दोनो मेन्दको ने एक-दूसरे का हाल-चाल पूछा. गांद वाला मेन्डक बोला-
गांद वाला मेन्डक: क्या बतौ यार, अंदर बैठने के लिए जगह तो बहुत थी, लेकिन साली का मकान बहुत गंदा था. मुझे बार-बार उल्टी आ रही थी वाहा.
ये सुन कर बर वाला मेन्डक बोला-
बर वाला मेन्डक: मेरी वाली जगह तो सॉफ सूत्री थी. लेकिन थोड़ी देर बाद ही एक बिना पगड़ी वाला सिपाही अंदर घुस आया. फिर उनसे खूब तेज़ी से दीवारो को मारा और एंड मे जब तक गया, तो थूक कर बाहर चला गया.
ये चुकुला सुन कर सुमित खिलखिला कर हासणे लग गया. उसके बाद सुमित मेरे उपर चढ़ा और मेरी बर को छोड़ना शुरू कर दिया. फिर मेरी बर को छोड़ते हुए सुमित बोला-
सुमित: जानती हो पुष्पा डार्लिंग. मुझसे अपने पापा राम बाबू का दुख देखा नही जाता. मेरी पापा 55 साल के है और पिछले साल मा हमे छोढ़ कर जेया चुकी है. अब मा के जाने के बाद, मेरे पापा रोज़-रोज़ छूट के लिए तड़प्ते है. तो मई चाहता हू, की तुम मेरे पापा को कंपनी दो.
फिर मई बोली: तुम्हारे पापा अपने लिए खुद से लड़की क्यू नही ढूँढते?
सुमित बोला: पापा बहुत संकोच करते है. वो ऐसा नही कर सकते.
मई: चलो ठीक है फिर. मई कोशिश करूँगी.
इस्पे सुमित बोला: अगर तुम ये काम सफलता-पूर्वक कर लेती हो, तो मई तुम्हे मूह माँगी कीमत दूँगा.
मई: ठीक है मेरे राजा.
उसके बाद सुमित ने चुदाई ख़तम की और मुझे अपने पापा का नंबर दे कर चला गया. फिर मैने राम बाबू को फोन लगाया और बोली-
मई: सिर मई एस्कॉर्ट सर्विस से पुष्पा बोल रही हू. अगर आपको मेरी सेवा की ज़रूरत हो, तो आप मुझे बुला सकते है.
फिर राम बाबू बोले: ठीक है, तुम मेरे होटेल पे आ जाओ. ड्राइवर तुम्हे मेरे पास ड्रॉप कर देगा.
फिर राम बाबू ने ज़्यादा ना बोलते हुए फोन काट दिया. उसके बाद मई पूरी तरह से बन-तन कर गुलाबी लीबाज़ मे निकल पड़ी. जैसे ही मई होटेल पहुँची, तो रिसेप्षन पर लोगो ने मेरा आयेज बढ़ कर स्वागत किया. उन्होने कहा-
रिसेप्षन वाले: माँ आपकी गाड़ी रेडी है. आप बंगलो पर चली जाओ.
फिर मई कार मे बैठ गयी और ड्राइवर मुझे बंगलो पर लेके आ गया. राम बाबू एक दिव्या पर्सनॅलिटी के आदमी थे. उनका रंग एक-दूं गोरा था और हाइट 6 फुट से ज़्यादा थी. वो सामने सोफे पे बैठे हुए थे. जैसे ही उन्होने मुझे देखा, तो देखते ही रह गये.
मेरा गोरा रंग, तीखे नैन-नक्श और बड़ी-बड़ी चूचिया, उनका ध्यान मुझसे हटने ही नही दे रहे थे. फिर मई बोली-
मई: मई आ गयी हू सिर. मी नामे इस पुष्पा.
मेरी बात सुन कर राम बाबू एक-दूं से हड़बड़ा गये और हड़बड़ा कर बोले-
राम बाबू: श पुष्पा! मई तो तुम्हारे रूप का दीदार करने लग गया था. आओ, यहा मेरे पास बैठो.
फिर मई राम बाबू के पास सतत कर बैठ गयी और अपने जिस्म की खुश्बू से उसको बहकाने लग गयी. फिर राम बाबू आयेज बोले-
राम बाबू: तुम्हारी आँखें ग़ज़ब की मादक और गुलाब की पंखुड़ियो जैसी है. मई तो उन्ही का रस्स-पॅयन करने लग गया डार्लिंग.
फिर मई बोली: पूरा रस्स-पॅयन कर लो राम बाबू. मई आपके पास अपने टन-मॅन का रस्स-पॅयन ही तो करवाने आई हू.
फिर राम बाबू ने खींच कर मुझे अपनी आगोश मे भर लिया और ब्लाउस के उपर से मेरी चूचियो को सहलाने लगे. मेरा हाथ अनायास ही राम बाबू के लंड पर चला गया. जैसे ही मेरा हाथ उनके लंड पर पड़ा, तो मई हैरान रह गयी.
उनका लंड काफ़ी लंबा और मोटा था और फुकारे मार रहा था. राम बाबू का लंड इतना विशाल था, की उसके सामने काले नीग्रो का लंड भी कुछ नही लग रहा था. फिर मैने अपना ब्लाउस उतार दिया और सारी भी उतार दी और मई सिर्फ़ ब्रा और पेटिकोट मे थी.
मेरी ब्रा मेरी 38″ साइज़ की चूचियो को ढकने का असफल प्रयास कर रही थी. फिर राम बाबू ने मेरा पेटिकोट भी उतार दिया. अब मई ब्रा और पनटी मे सेक्स की देवी लग रही थी, जिसकी राम बाबू पूजा करने को तैयार थे.
फिर मैने राम बाबू के पाजामे को उतार दिया और उनका 10 इंच का लंबा लंड उछाल कर बाहर आ गया. उसका लंड फाटक-फाटक करके उनकी नाभि से टकराने लग गया. फिर मैने अपनी भी पनटी उतार दी और मेरी गोरी, चिकनी और सपाट छूट को देख कर राम बाबू भी उछालने लग गये.
राम बाबू मेरे पैरो के नीचे बैठ गये और मेरी बर को चाटने लग गये. मैने पास पड़ी शराब की बॉटल पकड़ी और उसकी शराब को अपनी नाभि पर बहाने लग गयी. वो शराब नाभि से होते हुए सीधे राम बाबू के मूह मे जेया रही थी.
अब राम बाबू मेरी छूट के रस्स और शराब से बने कॉकटेल का पूरा मज़ा ले रहे थे. राम बाबू पर शराब का सुरूर चढ़ता जेया रहा था. फिर मैने राम बाबू का मोटा लंड अपने हाथ मे ले लिया और अपनी बर पर रगड़ने लगी.
रगड़ते-रगड़ते उनका लोड्ा मेरी बर की फांको के बीच फ़ासस गया. फिर मैने राम बाबू की गांद पर एक थप्पड़ लगाया और राम बाबू ने सटाक से एक ही धक्के मे अपना लोड्ा मेरी बर मे उतार दिया. मई तो इससे चीख उठी, लेकिन जब मैने नीचे देखा, तो अभी लंड का सिर्फ़ सुपरा ही अंदर गया था.
फिर राम बाबू ने अपना तोड़ा भार लंड पर डाला, तो लंड सरकता हुआ आधा मेरी बर मे चला गया. मोटे लोड के मज़े से मई जन्नत मे पहुँच गयी और ज़ोर से बोली-
मई: एक झटका और लगाओ मेरे राजा. इस बार तो किला फ़तेह हो ही जाएगा.
फिर राम बाबू बोले: मेरी रानी, ले और संभाल अपने इस लोड को.
इस बार जो राम बाबू ने झटका मारा, तो पूरा का पूरा लंड बर के अंदर चला गया. अब राम बाबू बड़बड़ा रहे थे-
राम बाबू: कितनी मस्त बर पाई है तूने मेरी रानी. आज तो तेरी इस बर को छोड़-छोड़ कर मई भड़ता बना दूँगा.
मई: बने दे मेरे राजा, ऐसे मोटे और बलवान लंड को तो मई कब से तलाश रही थी. आज जब मिल गया है, तो आज मई लंड के अंदर से रस्स की एक-एक बूँद निचोड़ लूँगी.
अब राम बाबू मेरी छूट को छोड़ते जेया रहे थे और बड़बड़ाते जेया रहे थे. वो खड़े-खड़े ही मेरी चुदाई करते जेया रहे थे और इस पोज़िशन मे 20 तकरीबन मिनिट हो चुके थे. अब बारी थी पटरी बदलने की.
फिर राम बाबू ने मेरे नंगे जिस्म को बेड पे लिटा दिया और मेरी टाँगो को कंधे पर रख लिया. अब मेरी बर बिल्कुल उनके सामने थी, फिर भी मैने उनके लंड को पकड़ा और अपनी बर के सुराख पर रख दिया.
फिर राम बाबू ने एक ज़ोर का धक्का लगाया और एक ही बार मे पूरा का पूरा लंड मेरी छूट मे घुसा दिया. उनका लंड मेरी बर को चीरता हुआ मेरी बर के अंदर तक चला गया. अब राम बाबू फाटक-फाटक करके मेरी छूट को छोड़ने मे लग गये. इस बार चूड़ी की आवाज़ पहले वाली पोज़िशन से बिल्कुल अलग थी.
राम बाबू के हर धक्के के साथ फॅक फॅक की आवाज़ आ रही थी. तभी मई बोली-
मई: क्या करते हो राम बाबू. साल भर से तुम्हे छूट के दर्शन नही हुए, फिर भी पिछले 45 मिनिट से मेरी छूट को लगातार छोड़े जेया रहे हो. अब निकाल भी दो अपना रस्स, मेरी छूट लहराने लगी है. करते क्या हो वैसे, मूठ मारते हो क्या?
राम बाबू: हा रानी, कल रात को ही मूठ मारी थी. इसीलिए तो पानी नही निकल रहा.
फिर मई बोली: चलो फिर एक और बार पटरी बदल लेते है.
तो इस बार राम बाबू ने मुझे चिट लिटाया और मेरी टाँगो को खोल दिया. फिर वो मेरी दोनो टाँगो के बीच अपने 10 इंच का लोड्ा लेकर बैठ गये. उन्होने अपने लंड को मेरी छूट पे सेट किया और फाटाक से लोड्ा अंदर घुसा दिया.
अब राम बाबू दे दाना दान मेरी चूत को छोड़ रहे थे. उन्होने मेरी टाँगो को जोड़ कर मेरी छूट को और कस्स लिया. फिर राम बाबू बड़बड़ाने लगे-
राम बाबू: हाए रे तेरी बर! क्या मस्त बर है यार. आहह.. मई गया, मई गया आहह..
और ये बोलते-बोलते राम बाबू के लंड ने अपना वीर्या-पतन कर दिया. मई तो गरम-गरम वीर्या अपनी छूट मे लेकर जन्नत मे पहुँच गयी. फिर थोड़ी देर लेती रहने के बाद मई वापसी के लिए तैयार हो गयी. राम बाबू ने मुझे नोटो का एक बंड्ल दिया और अपने ड्राइवर को आवाज़ दी.
राम बाबू: ओये बल्ली, जाओ मेडम को छोढ़ कर आओ.
ड्राइवर बोला: जी सिर.
फिर मैने राम बाबू का अभिवादन किया और अपने घर वापस चली गयी.
तो यहा ख़तम होती है मेरी कहानी. आपको मेरी ये कहानी कैसी लगी, मुझे ज़रूर बताना. कहानी पढ़ने के लिए आप सब का धन्यवाद.