ही रीडर्स, मैं हू मनोज कुमार. मैं अपनी कहानी का अगला पार्ट लेके आया हू. पिछले पार्ट्स में आप सब ने पढ़ा था, की कैसे मैने अपनी सेक्रेटरी को रंगे हाथ पकड़ा, और फिर मैने पहले उसकी छूट फादी, और बाद में गांद भी छोड़ डाली. अब आयेज चलते है.
गांद चूड़ने के बाद टीना की सारी अकड़ निकल चुकी थी. वो ये समझ गयी थी, की अब वो मेरी रंडी थी. और मैं उसको जब चाहे, जहा चाहे छोड़ सकता था.
अब जब भी मैं उसको ऑफीस में बुलाता था, तो कभी उसके बूब्स दबाता था, कभी गांद. कभी मैं उसको किस कर देता था. वो भी इन सब का मज़ा लेती थी.
अगले 6 महीने में मैने उसको घर में, ऑफीस में, टाय्लेट मैं, होटेल मैं हर जगह छोड़ा. उसके बूब्स चूस-चूस कर मैने पहले से बड़े कर दिए थे, और उसकी गांद भी बड़ी हो गयी थी. वो मेरे लंड को पूरी संतुष्टि दे रही थी अपनी छूट और गांद से.
लेकिन अब मैं उसको चोद-चोद कर बोर होने लगा था. अब मुझे कोई नयी छूट चाहिए थे. मुझे कोई रंडी नही चाहिए थी, क्यूंकी उनकी छूट तो पहले से ही भोंसड़ा बनी होती है. मुझे चाहिए थी, एक कक़ची काली, जिसको मैं फूल बनौ, और बाद में अपनी रंडी बना लू.
कुछ दिन ऐसे ही बीट गये. अब मेरी बेटी सोनम घर आने वाली थी. वो 2 साल से यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रही थी, और वही कॅंपस में रहती थी. काम में बिज़ी होने की वजह से मेरी उससे ज़्यादा बात भी नही होती थी.
फिर वो दिन आ गया जब वो घर आ रही थी. मैं और मेरा बेटा अपनी कार में उसको रेलवे स्टेशन से लेने के लिए गये. जब वो ट्रेन से बाहर निकली, तो मैं उसको देखता ही रह गया.
उसने त-शर्ट और डेनिम स्किंटाइट कपरी पहनी हुई थी. उसकी त-शर्ट में से उसके बड़े-बड़े बूब्स की शेप दिख रही थी, और टाइट कपरी में उसकी जांघें बड़ी सेक्सी लग रही थी. जब वो कॅंपस गयी थी, तब वो इतनी हरी-भारी नही थी. या शायद मेरी ही नज़र अब गंदी हो चुकी थी.
फिर मैने अपने गंदे ख़यालो पर कंट्रोल किया, और उसको हग करके मिला. तभी जैसे ही उसके बूब्स मेरी चेस्ट से लगे, मुझे बड़ी तगड़ी फीलिंग आई. मेरी नज़र उसको अपनी बेटी की तरह नही बल्कि एक कमसिन लड़की की तरह देख रही थी.
मुझे शरम भी आ रही थी, की मैं अपनी बेटी के बारे में ऐसा सोच रहा था. लेकिन लंड मेरा कुछ और ही चाह रहा था. स्टेशन से घर के रास्ते तक मैं उसको ही ताड़ता रहा. वो पीछे की सीट पर बैठी थी, और मैं रियर व्यू मिरर से उसको उपर से नीचे देख रहा था.
फिर मैने अपने आप को समझाया, और घर पहुँचने तक कंट्रोल किया. मैने सोनम के बारे में ऐसा ना सोचने का प्रॉमिस किया अपना आप से. उस दिन मेरा लंड बहुत उदारी मार रहा था. मैने उसी वक़्त टीना को फोन किया, और होटेल में बुलाया.
अगले एक घंटे में मैं टीना के पास होटेल पहुँच गया. फिर हम रूम में गये. टीना ने ब्लू रंग की फ्रॉक पहनी थी, जिसके नीचे सिर्फ़ ब्रा और पनटी थे.
रूम में जाते ही टीना नीचे घुटनो के बाल बैठ गयी, और ज़िप खोल कर मेरा लंड बाहर निकाल लिया. मेरा लंड सोया हुआ था. फिर वो मेरे लंड को किस करने लगी, और उसको मूह में लेके चूसने लग गयी.
मुझे टीना को देख कर कोई ख़ास फीलिंग नही आ रही थी. मेरा लंड खड़ा तो था, लेकिन उतना सख़्त नही था, जितना आयेज होता था. फिर टीना ने मुझसे पूछा-
टीना: क्या हुआ सिर, आज मूड नही है?
मैं: पता नही.
टीना: जल्दी-जल्दी तो ऐसे बुला लिया जैसे पता नही कितनी हवस चढ़ि हो.
मैं: ह्म. पता नही, रोज़ सेम-सेम करके तोड़ा बोर हो गया हू.
टीना: अछा, इतनी जल्दी बोर हो गये. चलो मैं माहौल इंट्रेस्टिंग बनती हू. मुझे 2 मिनिट दो.
फिर उसने मुझे नंगा होके बेड पर लेटने को कहा. मैने वैसा ही किया. उसने मेरी आँखें बंद करवा दी, और मेरे उपर आके मेरा लंड चूसने लगी. तभी वो बोली-
टीना: आपका लंड तो बहुत बड़ा है पापा. और बहुत स्वाद भी पापा.
उसके पापा बोलते ही मेरी आँखें खुल गयी, और मैं उसकी तरफ देखने लगा. उसने मेरी तरफ देखा, और बोली-
टीना: क्या हुआ पापा? अपनी बेटी को अपना लंड चुस्वा कर कैसा लग रहा है पापा?
वो रॉल्प्ले कर रही थी, और उसमे वो मेरी बेटी बनी हुई थी. मुझे समझ नही आया की उसको बेटी बनने का ख़याल ही क्यूँ आया. क्या ये किस्मत का कोई इशारा था? फिर मैने दोबारा अपनी आँखें बंद कर ली. वो पापा-पापा बोल कर मेरा लंड चूज़ जेया रही थी.
तभी मेरी आँखों के सामने सोनम की तस्वीर आने लगी. मुझे लगने लगा की वो मेरा लंड चूस रही थी. ये सोचते ही मेरा लंड सख़्त हो गया. मेरे सख़्त हुए लंड को देख कर टीना बोली-
टीना: देखा सिर, हो गया ना तैयार.
मैने उसका सर पकड़ कर अपने लंड पर दबाया, और उसके मूह में धक्के मारते हुए बोला-
मैं: सिर नही, पापा बोलो बेटी. और पापा का लंड आचे से चूसो.
अब मैं ज़ोर-ज़ोर से उसके मूह में लंड घुसने लगा, और सोच मैं सोनम के बारे में रहा था. कुछ देर लंड चुसवाने के बाद मैने उसको बेड पर उल्टा लिटा दिया. फिर मैं उसकी पीठ पर किस करते हुए गांद पर आया, और चूतड़ काटने लगा. वो आहें भरने लगी.
फिर मैने उसके छूतदो में मूह डाला, और उसकी छूट को चाटने लगा. उसकी छूट पहले से ही गीली थी, और उसमे से रस्स निकल रहा था. फिर मैने उसी पोज़िशन में उसकी एक टाँग खोली, और उसकी छूट पर लंड सेट किया. फिर मैं बोला-
मैं: सोनम, अब डॅडी तुम्हे छोड़ेंगे.
और ये बोल कर मैने एक ही झटके में पूरा लंड उसकी छूट में घुसा दिया. उसकी आह निकली, और लंड उसकी छूट में रगड़ता हुआ अंदर-बाहर होने लगा. फिर वो बोली-
टीना: पापा छोड़िए अपनी बेटी को. फाड़ दीजिए आज अपनी बेटी की छूट. छोड़िए पापा, ज़ोर से छोड़िए आहह आ.
मैं: हा सोनम हा, बड़ा मज़ा आ रहा है मुझे भी. पापा तुझे बहुत प्यार करेंगे बेटा. तुझे कभी भी अपने से डोर जाने नही देंगे.
और ऐसे ही मैं सोनम का नाम लेते हुए आधे घंटे उसको छोड़ता रहा. फिर मैने अपना पानी उसकी छूट में ही निकाल दिया. पानी निकालने के बाद मैं सीधा लेट गया. मैने अब फैंसला कर लिया था की मैं अपनी बेटी सोनम को छोड़ कर बेटीचोड़ बाप बनूंगा.
इसके आयेज क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा. तो तब तक के लिए अलविदा.