हेलो फ्रेंड्स, मेरा नाम रमण है, उमर 21 साल है, और मैं होशियारपुर, पुंजब का रहने वाला हू. मेरी फॅमिली में मम्मी वंदना 47+ (38-34-42), मेरे पापा जतिंदर 55, और मेरी बड़ी दीदी रिंपी 27 (38-30-38) रहते है.
दीदी ने अपनी इंजिनियरिंग की स्टडी कंप्लीट कर ली है, और अब मोहाली में एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करती है. मेरी मम्मी भी होशियारपुर में ही एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करती है, और दाद पोलीस में है. मैं भी अब कॉलेज कंप्लीट कर चुका हू. तो अब आपका ज़्यादा टाइम ना लेते हुए सीधा स्टोरी पे आता हू.
ये कहानी तब की है जब मेरी दीदी को मोहाली में जॉब करते 1 साल से ज़्यादा हो गया था, और मेरा कॉलेज का फाइनल एअर स्टार्ट हुआ था. मैं और मेरी दीदी शुरू से ही फ्रेंड्स की तरह रहते है, एक-दूसरे से कुछ नही च्छूपाते.
ये उन दीनो की बात है जब दीदी जॉब से छुट्टी लेकर घर आई थी. हम सब भूत खुश थे उनको मिल कर. बुत दीदी कुछ उदास सी रहने लग गयी थी. तो एक दिन हम दोनो ड्रॉयिंग रूम में बैठ कर मोविए देख रहे थे, तो मैने दीदी से बात करते पूछा-
मे: दीदी क्या हुआ, आप कुछ उदास लग रही हो?
दीदी (मेरी तरफ देखते हुए फेक स्माइल करते हुए बोली): कुछ नही हुआ मुझे तो.
मे: दीदी मैं भाई के साथ आपका अछा दोस्त भी हू. बताओ क्या हुआ?
दीदी हेड डाउन करके रोने लग गयी.
मे (दीदी के पास गया और उनको हल्के से हग करके पूछा): अर्रे दीदी रो क्यूँ रही हो बताओ? क्या हुआ, किसी ने कुछ कहा आपको?
दीदी (रोते हुए बोली): रमण मैं बहुत बुरी हू.
मे (दीदी को हग करते बोला): नही दीदी, आप बहुत अची हो. दुनिया की सबसे बेस्ट दीदी हो आप मेरी. ऐसा क्यूँ सोचती हो आप? कुछ नही है ऐसा. चुप करो, रोना बंद करो अब.
दीदी: मैं बुरी हू. मैने तुमको बहुत बातें है जो नही बताई ( और वो रोटी रही).
मे: दीदी पहले रोना बंद करो, और सॉफ-सॉफ ब्ताओ बात क्या हुई है?
दीदी (खुद को चुप करते हुए बोली): अभी नही बता सकती, कल मेरी चुट्टिया ख़तम हो जाएँगी. तुम मेरे साथ कुछ दीनो के लिए मोहाली चल सकते हो प्लीज़?
मे: ओक दीदी, चलूँगा. आप पहले अपने आप को साम्भलो. मम्मी-पापा ने रोते हुए देख लिया अआप्को तो वो भी टेन्षन में आ जाएँगे.
दीदी (मुझे हग करते बोली): थॅंक्स रमण, तुम सच में बहुत आचे हो. जब भी मुझे ज़रूरत होती है, तुम हमेशा मेरा साथ देते हो.
मे (हेस्ट हुए): दीदी ये तो मेरा फ़र्ज़ है.
दीदी: चलो ठीक है, अब तुम भी कुछ कपड़े पॅक कर लो. कल चलना मेरे साथ.
मैं ओक बोल के अपने कपड़े पॅक करने चला गया, और फिर रात को सब ने मिल कर खाना खाया और दीदी ने डाइनिंग टेबल पर बैठे बोला-
दीदी: रमण कल मेरे साथ ही चलेगा. कुछ दिन बाद वापस आ जाएगा. वैसे भी इसकी चुट्टिया चल रही है. मोहाली घूम लेगा कुछ दिन.
तो मम्मी पापा मान गयी, और हम सब सोने चले गये. मैं मॉर्निंग उठा, और डेली रुटीन की तरह आज भी जिम चला गया. फिर जब वापस आया तो दीदी नहा रही थी, और मम्मी मुझे बोली-
मम्मी: तू भी नहा के तैयार होज़ा. फिर रिंपी के साथ जाना है.
मैं जल्दी से नहा के तैयार हो गया. तब तक दीदी भी तैयार हो गयी थी. हम सब ने ब्रेकफास्ट किया, और मम्मी अपनी जॉब के लिए चली गयी. फिर मैं और दीदी मोहाली के लिए निकल गये.
करीब 3 अवर्स बाद हम मोहाली पहुँच गये, और ऑटो करके दीदी के प्ग तक आ गये. दीदी ने मुझे बाहर ही रुकने को कहा, और अपना बाग लेकर प्ग में रख के 5 मिनिट बाद वापस आ गयी. फिर ऑटो वाले को किसी और अड्रेस पे लेकर जाने को बोली. कुछ दूरी पे ऑटो एक बिल्डिंग के पास रुका और दीदी ने मुझे उतरने को बोला. फिर ऑटो वाले को पैसे दिए, और मैने दीदी को बोला-
मे: ये किसका घर है?
तो दीदी बोली: अभी चुप कर, बताती हू सब.
दीदी ने किसी को कॉल लगाई, और उस बिल्डिंग से एक लड़का आया. फिर उससे दीदी ने साइड में जेया कर कुछ बात की, और आ कर मुझे बोली-
दीदी: तू यहा इनके साथ रहेगा कुछ दिन के लिए, क्यूंकी मेरे प्ग में बाय्स अलोड नही है.
तो मैं अपना बाग अंदर रख के बाहर आ गया.
दीदी: ओक रमण, तुम यहा इनसे जान-पहचान करो, मैं तोड़ा काम करके अब रात को मिलती हू तुम्हे.
और ये बोल के चली गयी. अब मैं उस अंजान लड़के के साथ उनके फ्लॅट पे था, तो उसने मुझसे बात शुरू की. फिर थोड़ी देर में पता चला की वो दीदी के साथ ही जॉब करता था, और उसका नामे आराव था. कुछ ही टाइम में हमारी अची दोस्ती हो गयी, और हम बाहर घूमने चले गये, और खा-पी कर रात होने वाली थी तो फ्लॅट पे आ गये.
मैं बैठ के मोबाइल चला रहा था, तो दीदी की कॉल आई. उसने मुझे बाहर आने को बोला. मैं वाहा से उठा, और बाहर गया तो दीदी अकेली खड़ी थी. मैने उनसे बात की, और हम टहलने निकल गये. फिर हम एक पार्क में जेया कर बैठ गये.
मे: दीदी अब बताओ मुझे क्या बात है? आप रो क्यूँ रहे थे?
दीदी मेरे शोल्डर पे सर रख कर फिरसे रोने लग गयी. तो मैने चुप करवाया, और थोड़ी देर में चुप हो गयी.
फिर वो बोली: रमण प्लीज़ मुझे माफ़ कर दे.
मे: माफ़ कर डू, बुत किस लिए? बात क्या है दीदी, अब बताओ मुझे? डराव मत, कुछ समझ नही आ रहा मुझे.
दीदी: रमण जो मेरा ब्फ था ना, जिसके बारे में घर पे भी पता था सब को, उसने मुझे धोखा दिया (और वो फिरसे रोने लग गयी).
मे (दीदी को चुप करवाते हुए): दीदी प्लीज़ पहले चुप हो जाओ, और सही से बताओ क्या हुआ.
दीदी: तू गुस्सा मत करियो, तुझे ये सब पहले नही बताया था.
मे: नही बाबा, गुस्सा नही करूँगा. आप ब्ताओ क्या हुआ?
दीदी: जिसके फ्लॅट पे तुमको रहने को दिया, आज वो मेरा अछा दोस्त है, और मेरी कंपनी में ही जॉब करता है, और आराव ने मुझे इसके साथ इसके फ्लॅट से निकलते हुए देख लिया था. तब से मुझे गंदी बातें बोल रहा था, और कुछ दिन बाद ब्रेकप कर लिया उसने मेरे साथ.
मे (ये सुन के तोड़ा शॉक लगा): लेकिन आप उसके फ्लॅट पे गयी क्यूँ?
दीदी: वो अछा लड़का है. हमारी अची बनती है, तो हम हणगौट करते रहते है. पहले कभी ब्फ को पता नही चला. बुत इस बार उसने देख लिया तो ये सब हो गया.
मे: दीदी आप ऐसे रो मत अब. मुझे तो पहले ही वो ब्फ आपका पसंद नही था. अछा हुआ ब्रेकप हो गया.
दीदी मेरी तरफ देखी और अब नॉर्मल हो गयी.
फिर बोली: अछा अगर पसंद नही था तो पहले नही बता सकता था कुत्ते?
मे: मैं बोलता तो क्या मेरी बात मान लेती आप?
दीदी: हा क्यूँ नही मानती, आज तक कभी माना किया किसी बात को?
मे: ये लड़का सिर्फ़ फ्रेंड ही है या कुछ और बात है? ये भी बता दो (और आँख मार दी).
दीदी (हेस्ट हुए): सच बतौ तो इससे भी 6 मंत्स से अफेर चल रहा है.
मे: अछा तो डबल मज़े ले रही थी. तो रो क्यूँ रही हो फिर उसके लिए?
दीदी: वो घर वालो को भी तो कुछ रीज़न देना था की ब्रेकप क्यूँ हुआ. अब तू संभाल लेना (और आँख मारी).
मे: तो न्यू ब्फ से इंट्रो तो कारवओ.
दीदी ने उसको कॉल की, और 2 मिनिट में वो आ गया. फिर दीदी उठ के उसको हग करके मिली मेरे सामने. वो मेरी तरफ देख के घहबरा गया, तो दीदी बोली-
दीदी: डॉन’त वरी, भाई को सब बता दिया. इसको कोई प्राब्लम नही अपने रीलेशन से
मैं खड़ा हुआ और कमाल (न्यू ब्फ) से हॅंड शेक किया, और बैठ कर फिर बहुत सारी बातें की.
दीदी: कमाल आज मैं तुम्हारे फ्लॅट पे ही राहु? मैने भी बहुत मिस किया तुम्हे इतने दिन.
तो कमाल ने मेरी तरफ देखा.
मे: हा दीदी, आप आज वही आ जाओ. प्ग में अकेले क्या करोगे?
ये सुन कर कमाल खुश हो गया, और उसने दीदी को हग करी, और किस भी. फिर हम हेस्ट हुए बातें करते फ्लॅट पे आ गये. खाने की भूख किसी को नही थी. बाहर खा लिया था पहले ही. तो बैठ कर बात कर रहे थे. मैं सोफे पे था, और दीदी आंड कमाल बेड पे बैठे थे.
मे: दीदी चेंज नही करना क्या? अब जीन्स टॉप में ही रहोगे, आप तो कपड़े भी प्ग में रख आई.
दीदी हेस्ट हुए उठी, और आल्मिराह ओपन करके उनका नाइट सूट निकाल के वॉशरूम चेंज करने गयी. मैने कमाल की तरफ देखा तो वो मेरी तरफ देख के मुस्कुरा दिया. मैं समझ गया दीदी इसके साथ ही रहती थी. थोड़ी देर में दीदी चेंज करके आई, और मेरे पास सोफे पे बैठ गयी.
फिर मैं उनको छेड़ते हुए बोला: अब कमाल को अकेला छ्चोढ़ दिया?
और मैं हासणे लगा.
तो दीदी हल्के से मुझे मार के बेड पे कमाल के साथ चिपक कर बैठ गयी और बोली: ठीक है अब?
मैने आँख मारी और बोला: हा.
कमाल तोड़ा अनकंफर्टबल फील कर रहा था अभी भी, तो दीदी बोली-
दीदी: घबराव मत कमाल, मैं और रमण ओपन्ली बात कर लेते है. इसको सब पता है मेरे बारे में. बस तुम्हारा नही पता था, अब वो भी पता लग गया. तो घबराव मत.
कमाल मुझे बोला: तुम्हे कोई प्राब्लम तो नही?
मैं बोला: नही जीजा जी, आप एंजाय करो.
मेरी बात सुनते ही दीदी बोली: कुत्ता, जेया अब दूसरे रूम में सोजा.
मे: नही आज यही बैठुगा आपके साथ.
दीदी: जेया ना प्लीज़.
मे: ठीक है, जाता हू.
और मैं उठ के दूसरे रूम में चला गया. अभी मैं गाते तक ही गया था, मूड के देखा तो दीदी और कमाल एक-दूसरे को पागलों की तरह किस करने लग गये. मैं वही खड़ा होके देखने लग गया. किस करते-करते कमाल ने दीदी की नाइट ड्रेस उतार दी और दीदी ने नीचे ब्लॅक ब्रा आंड पनटी पहनी थी. कमाल दीदी को मसल रहा था, और दीदी भी पूरा साथ दे रही थी.
फिर कमाल उठा, और कपड़े उतारने लग गया. उसकी नज़र मुझ पर पड़ी और वो हल्की स्माइल दे कर फिरसे दीदी के उपर गिर गया, और उनको मसालने लग गया. अब दीदी को भी नंगा कर दिया. मैं पहली बार दीदी को नंगी देख रहा था उनके बूब्स और गांद बहुत मस्त लग रहे थे. दीदी को अब तक पता नही था की मैं वही था.
कमाल ने अब अपना मोटा काला लंड पकड़ के दीदी के मूह के पास कर दिया, जो दीदी अब अपने मूह में लेकर चूस रही थी. उसका लंड दीदी के मूह में पूरा नही आ रहा था. बहुत मोटा था, और लंबा भी. दीदी फिर भी मज़े से चूस रही थी. 2-3 मिनिट बाद कमाल ने दीदी को डॉगी स्टाइल में किया, और उनकी पीठ मेरी तरफ की, ताकि उनको पता ना चले मैं देख रहा था.
फिर वो लंड पकड़ के दीदी की छूट पे, जो की सॉफ थी बिल्कुल और एक भी बाल नही था, उसपे रगड़ने लगा. दीदी नीचे से हाथ निकाल के लंड को पकड़ के छूट में घुस्वाने को तड़प रही थी. पर वो दीदी को तडपा रहा था. कुछ टाइम बाद उसने एक झटका मारा, और दीदी की आहह निकल गयी. अब उसका लंड हाफ दीदी की छूट में घुस गया. वो दीदी के छूतदों पे थप्पड़ मार रहा था.
दीदी भी आहह एस्स ऑश एसस्स की आवाज़े निकाल रही थी. 10 मिनिट उसने डॉगी स्टाइल में ज़ोर-ज़ोर से दीदी की छूट मारी, और बीच-बीच में पीछे मूड के मुझे देख कर स्माइल किया. मैं भी स्माइल कर रहा था. थोड़ी देर बाद उसने दीदी को सीधा लिटा दिया, और उनकी टाँगो के बीच जेया कर छूट चूसने लग गया.
फिर खड़ा होके लंड छूट में घुसा दिया. इसी तरह उन्होने उस रात 3-4 बार चुदाई करी. और मैं वही खड़ा होके सब देखता रहा. उसके बाद मैं सोने चला गया. हम सब अगले दिन की दोपहर तक सोते रहे. फिर जब मैं उठा, तो दीदी और कमाल अभी भी नंगे बेड पे सो रहे थे. मैं उनके पास गया, और उनको उठा दिया. दीदी ब्लंकेट से खुद को ढकने लग गयी.
मैं हेस्ट हुए बोला: रहने दो दीदी, सब तो देख ही लिया है. अब क्या च्छुपाना?
तो दीदी हेस्ट हुए फिरसे वैसे ही लेट गयी और कमाल को हग करके दूसरी तरफ लेट गयी. मैं वाहा से दूसरे रूम आया और मूह धो के बाहर मार्केट चला गया कुछ खाने को लेने के लिए. फिर वापस आ कर हम सब ने मिल कर खाना खाया, और खूब बातें करी.
ये सब में 3 दिन वाहा रहा, तो डेली यही चलता था. फिर मैं वापस घर आ गया, बुत दीदी अभी भी वही मज़े ले रही थी. ऐसे ही हम खुल के एक-दूसरे से बात करते, और अब बताने लगे जो भी करती थी दीदी सब. अब अगली स्टोरी में बतौँगा कुछ और किससे, जो दीदी ने शिमला ट्रिप पे किए. तब तक के लिए एंजाय करो आप सब आंड बे सेफ.
दोस्तों कहानी का मज़ा आया हो, तो इसको आयेज शेर ज़रूर करे.