हेलो दोस्तों, मेरा नाम सोनू है। मैं उत्तर प्रदेश का रहने वाला हूं। मैं आपका ज़्यादा टाइम ना लेते हुए कहानी पर आता हूं। ये कहानी सच है और कोई बनाई हुई कहानी नहीं है। सबसे पहले मैं अपने परिवार के बारे में बता देता हूं।
मेरी चार बहनें है, और माता-पिता है। मेरा घर भी काफी बड़ा है। चार बहनों में से उस समय दो की शादी हो चुकी थी और दो बहनें रह गई थी। मेरे पिता जी मज़दूर हैं और मां ग्रहणी हैं। मैं अपने और दीदी के बारे मैं बता देता हूं। अब मेरी उम्र 23 साल है और मेरी बहन की उम्र 31 साल है। उनकी 2016 में शादी हो चुकी है और एक बच्चा भी है।
सबसे पहले मैं अपने बारे में बता दूं। उस समय मेरी उम्र 18 साल थी। मैं दिखने स्मार्ट था और मेरी हाइट 5’8″ थी। मेरे लंड का साइज़, 6.3 इंच लंबाई और 3 इंच मोटाई थी। उसके चारों ओर सुनहरी बाल थे। और मेरी बहन जिसका नाम दिव्या है, उनकी उम्र उस समय 25 या 26 रही होगी।
उनके फिगर की बात करे, तो उनके चूचे 36″ के, कमर 29″ की, चूतड़ 36″ के थे। उनका रंग सफेद था और बच्चा होने के बाद भी, अभी भी वो ऐसी ही है। । अब मैं कहानी पर आता हूं।
बात तब की है, जब मैं 1st year में था। दिव्या दीदी तब पार्लर का काम करती थी (उन्होंने ज़्यादा पढ़ाई नहीं करी थी, इसलिए दिव्या दीदी ने पार्लर का काम शुरू किया था)। उनका सफेद जिस्म देख कर कोई भी उस जिस्म की तमन्ना करेगा। क्योंकि मेरी बहन थी ही इतनी सुंदर।
मैं शुरू से ही दिव्या दीदी के साथ ही सोता था। उनसे छोटी जो बहन थी, वो भी जवानी में कदम रख रही थी और वो भी पास ही सोती थी। जब दीदी पार्लर से आती थी, तो हमेशा खाने के लिए कुछ ना कुछ लाती थी। क्योंकि मैं घर में सबसे छोटा था, तो दीदी मुझे पैसे भी देती थी। दिव्या दीदी को मैं बहुत प्यार करता था।
फिर धीरे-धीरे मैं बड़ा हुआ, उम्र 18 का। तब भी दीदी और मैं एक ही बेड पर सोते थे। दिव्या दीदी से छोटी दीदी जिसकी उम्र 19 होगी, वो अलग सोने लगी, क्योंकि वो देर रात तक टीवी देखती थी। दीदी घर पर सिलाई का कुछ काम अलग से करती थी।
मैं पढ़ता था, तो दीदी और मैं एक कमरे में सोते थे। कमरे में बाथरूम और लैट्रिन साथ में ही थे। हमारा कमरा कोने में अंदर की साइड था, जिसकी आवाज़ बाहर नहीं जाती थी। बराबर में छोटी बहन टीवी देखती थी। बाहर एक बैठक थी, उसमें पापा सोते थे और मां कभी हाल या छत पर सोती थी ।
मैं रात को हाफ निक्कर और टी-शर्ट में सोता था । मैं अंदर कुछ नही पहनता था। मुझे दिव्या दीदी ने ही बताया था, कि अंदर कुछ नही पहनते सोते वक़्त। रात को दीदी भी ऐसे ही सोती थी। वो लोअर और टी-शर्ट में सोती थी और अंदर ब्रा-पैंटी नहीं पहनती थी। जब वो नाईटी पहन के सोती थी, तब भी उसके अंदर पैंटी नहीं पहनती थी।
ये सब मैं पहले नहीं जानता था, क्योंकि मेरी तब छोटी लुल्ली थी, जो अब विशाल लंड में बदल चुकी थी। मेरी दीदी ऐसे ही सोती थी, चाहे कोई भी मौसम हो। जब मैं 11th में था, तो मैं 16 साल का था। मैं साइकिल से स्कूल से घर आ रहा था और बारिश हो रही थी। रास्ते में एक औरत छाता लेकर जा रही थी।
मैंने साइकिल उसकी साइड से निकाली, तो मैं उससे टकरा गया और पास की नाली में मेरा एक पैर जांघ तक घुस गया। मेरे पैर में और थोड़ा लंड में लग गई, क्योंकि नाले में पूरा पैर घुसने पर दोनों टांगे खुल गई थी मेरी। फिर पास के एक दुकानदार ने मुझे निकाला और मेरे हाथ धुलवाए।
फिर मैं उन्हें थैंकयू बोल कर धीरे-धीरे घर पहुंचा। घर जाकर मैंने माँ को देखा, तो माँ मासी के घर गई थी और पापा ड्यूटी पर थे। फिर मैंने ड्रेस बाथरूम में उतार दी, छोटी दीदी को बैग दिया, कपड़े लिए, और नहाया। फिर मैंने खाना खाया। दीदी ने मुझे दर्द की दवाई लाकर दी, जिसे मैं खा कर सो गया।
दिव्या दीदी शाम को आई, तो उन्होनें देखा, कि मैं सो रहा था। रात को खाने का टाइम हो गया था, तो दीदी ने मुझे उठाया। छोटी दीदी ने उन्हें सब बता दिया था। खाना खाकर मैं फिर कमरे में आ गया और दीदी भी काम खत्म करके आ गई थी। फिर दीदी ने पूछा-
दीदी: ज़्यादा लगी है क्या?
मैंने सिर हिलाकर हां बोला।
फिर उन्होंने कहा: मुझे दिखा।
तो मैंने अपनी पैंट और कच्छा उतार कर रख दिया। दीदी के सामने मुझे शर्म नहीं आती थी, क्योंकि शुरू से उन्होंने ही मेरा सब काम करा था । दीदी ने देखा, तो मेरी लुल्ली सूजी पड़ी थी और पैर भी छिल गया था। फिर दीदी तेल लेकर आई और दीदी ने मेरी सभी जगह पर तेल लगाया। मुझे ये अजीब सा लगा।
जब दीदी मेरी लुल्ली पे तेल लगा रही थी, तो मेरी लुल्ली खड़ी हो गई। ये देखकर दीदी मुस्कुरा रही थी। फिर एक दो दिन उन्होंने ऐसा ही किया और सब ठीक हो गया। दो साल बाद मैं सब सीख चुका था। मैं 1st year में आ गया था। दीदी मेरे सामने अब पहले की तरह नंगी नही होती थी, लेकिन सोती पहले जैसे ही थी, बिना ब्रा पैंटी के।
मैं जवान हो चुका था, लेकिन मेरे लिए दीदी का वही प्यार था। मेरे साथ पढ़ने वाले लड़के, लड़कियों की गंदी बातें करते थे और गालियाँ देते थे। कुछ फोन लाते थे, जिसमें गंदी विडीओ होती थी। मेरे स्कूल में सिर्फ लड़के ही थे। मुझे ये भी पता नहीं था, कि लड़की और अपने घर की लड़की( बहन) में फर्क होता है।
मैंने ब्लू फिल्म देखी, तो मैं सब सीख गया। फिर मैं घर गया और मैंने दीदी की ब्रा पैंटी बाथरूम में देखी। मैंने दीदी की पैंटी ली, और चूत वाली जगह पर मुठ मारी। मुझे बहुत मज़ा आया, क्योंकि पहली बार मैंने मुठ मारी थी। अब दीदी नहाने जाती, या कुछ काम करती, या कपड़े बदलती, तो मैं उसको देखता रहता था।
एक दिन दीदी को महीना आया, तो दीदी ने मुझे पैसे देकर कहा-
दीदी: व्हिस्पर लार्ज साइज़ ले आओ।
दीदी ने ये पेपर पे लिख कर दिया था। मैं मेडिकल पे गया, तो उसने वो पेपर में लपेट कर दिया। फिर मैंने वो दीदी को दिया। दीदी बाथरूम में गई और थोड़ी देर में आई। मुझे महीने के बारे में नहीं पता था। रात को जब दिव्या दीदी सोने आई, तो मैंने देखा, कि दीदी ने हल्की कॉटन टी-शर्ट और लोअर के नीचे पेंटी ( क्योंकि उसी से पैड लगता है) पहनी थी। दीदी कुछ परेशान लग रही थी। तो मैंने कहा-
मैं: दीदी क्या हुआ?
उसने बोला: कुछ नहीं, हल्का दर्द है पेट में।
फिर मैं बोला: दवाई लेलो।
दीदी बोली: ये अपने आप बंद हो जाएगा।
और ये बोल कर दीदी मुस्कुरा दी। तो मैंने दीदी से पूछा-
मैं: दीदी जो आपने मंगाया था, वो क्या था?
दीदी बोली: तू नहीं समझेगा।
फिर मेरे दोबारा पूछने पर उसने बताया-
दीदी: लड़कियों को हर महीने पीरियड्स आते है, जिसमे थोड़ा खून आता है। और पेट में और सिर में हल्का दर्द होता है।
मैंने पूछा: दीदी खून कहा से आता है?
तो दीदी बोली: तू बड़ा हो गया है। जब तेरी शादी हो जायेगी, तो तुझे पता लग जायेगा।
फिर एक हफ्ता निकल गया। मेरी परीक्षा होकर खत्म हुई और स्कूल की छुट्टियाँ हो गई। गर्मी का टाइम था। दिव्या दीदी, माँ और पापा किसी रिश्तेदार के यहां पास की ही शादी से आए थे। रात हो गई थी और दीदी साड़ी पहने हुए थी। सालीन ब्लाउज, ब्लैक बैक-लैस और पिंक साड़ी। और गोल्डन सैंडल्स के साथ हल्की रेड लिपस्टिक थी ।
जब दीदी आई, तो सीधे कमरे में जा कर अपनी साड़ी निकाली, फिर सैंडल निकाले, कुछ कपड़े लिए अलमारी से और बाथरूम में घुस गई। नहा कर दीदी, ब्लू हल्की नाइटी पहन कर निकली। उसके नीचे ब्रा नहीं थी और उसके नीचे उनकी चूचियों की नोक दिख रही थी। फिर दीदी सीधे सोने चली गई।
मैं भी कुछ टाइम के बाद सोने चला गया। दीदी मेरी तरफ पीठ करके सोई थी। मैं भी उनके पास लेट गया। दीदी काफी थकी हुई थी। मैंने देखा, कि दीदी की पैंटी दिख रही थी और वो सफेद पैंटी थी। मैं दीदी के कमर में हाथ डाल कर सो गया। फिर रात में 1 बजा होगा। दीदी सीधी हुई, तो उसके स्तन तन्ने हुए थे।
मैंने कांपते हुए दीदी के चूचों पे हाथ रखा और धीरे-धीरे सहलाने लगा। मेरा लंड खड़ा हुआ था। ऐसा लग रहा था, जैसे दीदी ने कुछ नहीं पहना हो। क्योंकि दीदी की नाइटी इतनी हल्की थी, कि महसूस ही नहीं हो रही थी। दीदी जब हिली, तो मैंने हाथ हटा लिया और सीधा लेट गया। दीदी ने करवट ली और मेरे ऊपर एक हाथ और टांग रख ली।
अब मैं दीदी की चूत वाली जगह महसूस कर रहा था। मैं एक हाथ से दिव्या दीदी की पीठ और 36″ साइज़ की गांड सहला रहा था। इसके आगे मैं कुछ कर नहीं सकता था, इसलिए मैंने दीदी को हटाया और बाथरूम में जाकर मुठ मारने लगा। जब मैं वापिस आया, तो दीदी जाग रही थी। दीदी मुस्कुराई और बोली-
दीदी: बाथरूम में क्या कर रहा था?
मैं डर गया।
फिर दीदी बोली: मैंने तुझे देखा है, मैं भी तब पेशाब करने गई थी, जब तू मेरी पैंटी को हाथ में लेकर खड़ा था।
मैंने बहाना बना कर बोला: दीदी मेरी मूतने वाली लुल्ली खड़ी हो गई थी और वो सही नहीं हो रही थी।
दीदी बोली: तो मेरी पैंटी में क्या कर रहा था?
दीदी गुस्से में बोली थी, तो मुझे सच बोलना पड़ा।
मैंने कहा: दीदी मैं आपको लाइक करता हूं। मुझे आप बहुत अच्छी लगती हो।
दीदी बोली: मैं तेरी बहन हूं। कैसी बात कर रहा है तू?
फिर मैंने दीदी से माफी मांगी और सो गया।
इसके बाद क्या हुआ, वो आपको अगले भाग में पता चलेगा। कहानी को लाइक और कमेन्ट जरूर करें।