भाई के भाई की गांद को चोदने की कहानी

ही गाइस, ई आम दानियाल. ई आम बॅक वित मी न्यू स्टोरी. होप्फुली आपने मेरी पिछली दो स्टोरीस पढ़ी होंगी.

1: एक हसीन सफ़र अब्बा के साथ

2: भारी दुपहरी भाई मेरे गुफा में

अब आयेज बढ़ते है. मैं तोड़ा अपने बारे में बता डू. जैसे की सब को पता है मैं जिम जाता हू, स्क्वाट्स के लिए, और साथ ही डेली अपने अब्बा और भाई के लंड पे उछालता हू. इससे मेरी गांद एक-दूं मस्त गोल-मटोल हो गयी है.

आज मैं अपने मामू के घर जेया रहा हू पूरी फॅमिली के साथ. क्यूंकी आज उनके बेटे यानी मेरे कज़िन भाई का ब’दे है. वो आज 18 यियर्ज़ का हो गया है, और मुझसे सिर्फ़ 1 साल छ्होटा है. और उसने जिम जाना स्टार्ट किया है. बुत वो पहले से स्लिम-ट्रिम है. उसके ब’दे के मौके पर मेरे मामू ने उसको एक बिके गिफ्ट की है, रॉयल एनफील्ड.

हम एक-दूसरे से बड़े फ्रॅंक है. बुत कभी सेक्स की बातें नही करी. लेकिन एक चीज़ जो मैने नोटीस की थी, जब से छुड़वाना स्टार्ट किया था, वो ये है की वो अक्सर मेरी गांद को ताड़ते रहता था, और काई बार तो उसने टच भी किया मेरी गांद को. मैने इग्नोर किया हर बार उसको.

हम मामू के घर पहुँचे, कज़िन को विश किया, गिफ्ट दिए, और बस बैठे थे इधर-उधर की बातें करते हुए.

मामू: दानी को बिके दिखा.

मे: नही मामू, मैं क्या करूँगा देख के? मुझे तो आती भी नही है. भाई को बोलो, भाई देखेंगे जाके. उनको इंटेरेस्ट भी है बिके और कार्स में.

भाई: मैं तो साथ गया था मामू के लेने के लिए. चला के भी देखी थी. जेया तू देख तो ले चलना मत. अट लीस्ट घूम के आजा पीछे बैठ के

मामू: हा, जेया रौंद मार लो जाके, और रास्ता खाली हो तो तोड़ा सीख भी ले, अछा होगा. कब तक ऑटो वग़ैरा में घूमेगा? घर में दो-दो कार्स और बिके दोनो पड़ी है. कभी तो चला लिया कर.

मे: ड्राइवर है ना मामू कार चलाने और बिके के लिए, मुझे क्या काम?

अम्मी: जेया दानी, तोड़ा घूम के आजा.

मे: ओके.

मैं और कज़िन घर से बाहर निकले, और लिफ्ट का इंतेज़ां करने लगे. लिफ्ट आई और हम लिफ्ट में घुस गये. घुसते वक़्त फिर से मेरे कज़िन ने मेरी गांद को टच किया.

कज़िन: अंडरवेर नही पहना क्या?

मे: नही, गर्मी हो रही थी बहुत, तो सोचा आज ऐसे ही घूमते है.

कज़िन: मैने भी नही पहना. बस झटके नही लगे, वरना टंग्डोरी बन जाएँगी गोट्तो की.

मे: वो तो है.

और हम दोनो हासणे लगे. फिर हम बेसमेंट पहुँचे, कज़िन ने बिके निकली, और मैं उसके पीछे बैठ गया, और हम बिल्डिंग के बाहर निकलें

कज़िन: कहा चलना है?

मे: कही भी चलो. वरना वापस चलते है. बोलते है घूम लिए. धूप बहुत है यार.

कज़िन: चल बॅक रोड पे रौंद मारते है.

अगर कोई मुंबई में रहता होगा, तो पता होगा लोखंडवाला के बॅक रोड के बारे में. मेरे मामू का घर वही है पास में हार्ड्ली 2 मिनिट्स की दूरी पे.

कज़िन: आचे से पकड़ के बैठ ना.

मे: हा बस ज़्यादा फास्ट मत चलना भाई.

दोपहर का वक़्त था, और मिड मार्च का महीना था. बहुत तेज़ धूप थी. रोड की साइड में सिर्फ़ खाली डेलूक्ष बस वग़ैरा ही खड़े थे, और पूरा रोड सुनसान सा था.

कज़िन: ट्राइ करोगे चलाने की.

मे: नही बाबा पागल है क्या? नोट अट ऑल.

कज़िन: अर्रे कुछ नही होता. मैं हू ना.

मे: तुम्हारी नयी बिके है, कुछ हो गया तो मामू मेरे नाम से बिल फाड़ेंगे, और सब लोग चिल्लाएँगे वो अलग.

कज़िन: अर्रे बाबा, मैं पीछे बैठता हू पकड़ के बिके को. तुम आयेज बैतोगे, मैं तुम्हारा हाथ पकड़ के चलौँगा ताकि तुम्हे पता चले कैसे चलानी है. मैं पागल थोड़ी हू की तुम्हे बोलू अकेले चलाओ, और मैं देखु खड़े रहके. और वैसे भी रोड भी खाली है. तो आचे से ट्राइ कर सकोगे. और समझ सकोगे कैसे क्या करना है.

इतना इन्सिस्ट करने के बाद मैने हा बोल दिया. अब कज़िन पीछे हुआ, और मैं आयेज आके बैठ गया. बुत उसका हाथ पहुँच नही पा रहा था, तो उसने मुझे बोला तोड़ा सा उठने को. फिर वो आयेज हुआ.

अब पोज़िशन कुछ ऐसी थी, की मेरी गांद का खड्‍डा डाइरेक्ट उसके लंड पे जेया पहुँचा, और साथ-साथ मेरा ट्रॅक तोड़ा से नीचे सरका, जब मैं अड्जस्ट होने लगा तो.

मे: एक काम करते है, नही ट्राइ करते है. इट’स ओक.

कज़िन: अर्रे कुछ नही, बैठ ब्रो. ऐसे बैठ ही सकते है सब. अब मेरा हाथ पहुँच नही रहा है. इसलिए मैं आयेज होके बैठा हू. बैठ जेया वरना पता नही कब मौका मिले तुझे मेरी गोद में बैठने का.

मैं ना चाहते हुए भी बैठ गया. मुझे मेरे खड्डे पे उसका लंड पूरी तरह महसूस हो रहा था. उसने अपना लेफ्ट हॅंड मेरी कमर पे रखा, और रिघ्त हॅंड से बताने लगा कैसे क्या चलते है.

मैं महसूस कर पा रहा था, की उसका लंड खड़ा हो रहा था. बुत मुझे बड़ा अजीब सा लग रहा था. मैने अपने कज़िन को कभी भी इस नज़र से नही देखा था. वो भी बात करते-करते कभी मेरी गांद पे हाथ फेर देता, तो कभी मेरे ट्रॅक के पीछे से हल्का सा टच करके अपनी उंगलियों से मेरे च्छेद के आस-पास टच करने की कोशिश करने लगा.

मे: अभी यही बैठे रहेंगे या चलाएँगे भी?

कज़िन: हा ज़रूर, तोड़ा सा उठेगा क्या?

मे: क्यूँ?

कज़िन: मैं तोड़ा और आयेज सरकता हू, ताकि दोनो साइड के हॅंडल कंफर्टब्ली पकड़ साकु. जिससे आक्सिडेंट ना हो जाए.

मैने हल्का सा अपनी गांद को उठाया. वो तोड़ा सा आयेज बढ़ा, और फिर मेरी कमर में हाथ रख के नीचे किए, जिससे मेरी ट्रॅक थोड़ी और नीचे की तरफ हो गयी. फिर उसने मुझे पकड़ के बिता दिया.

अब उसका लंड एक-दूं ककड़ी की तरह सख़्त हो चुका था. मुझे ये फील हो रहा था. फिर वो अपने लंड के झटके देने लगा. मुझे वो झटके मेरे खड्डे पे महसूस होने लगे. मेरा पूरा ध्यान ड्राइविंग छ्चोढ़ इन सब चीज़ों पे जेया रहा था.

हम एक-दूं एक-दूसरे को ऐसे चिपके हुए थे, जैसे किसी ने फेविकोल से चिपका दिया हो. उसकी गरम-गरम साँसे मुझे अपनी गर्दन पे महसूस होने लगी. वही मेरी गांद के नीचे गर्माहट बढ़ने लगी. मुझे वो पल कुछ समझ नही आ रहा था. दिल कर रहा था की बस अब उसके लंड को अपनी गांद में घुसा लू.

मुझसे भी अब कंट्रोल नही हो रहा था. मैं भी अपनी गांद उसके लंड पे दबाने लगा. शायद अब उसको सिग्नल मिल चुका था. उसने मेरी गर्दन पे किस किया, पर मैने कुछ रिक्ट नही किया. उसका हॉंसला और बढ़ा, और उसने अब मेरी गर्दन को छाता अपनी ज़ुबान से.

अब मुझे पुर बदन में करेंट सा महसूस हुआ. उसने मेरा लेफ्ट कान अपने मूह में लेके चूसा. अब मैं क्या बोलू, मैं उस चरम सीमा पे पहुँच गया था, की बस अब जो होना है वो अब यही हो जाए इसी वक़्त.

मेरे लिए वक़्त थम सा गया था. उसने बिके से ब्रेक मारना स्टार्ट किया बार-बार जिससे मेरी गांद उछालती, और वापस उसके लंड पे जाके डब जाती. अब उसने एक हाथ से मेरे ट्रॅक को पीछे से तोड़ा नीचे किया दोनो साइड से. इससे मेरी गांद का चियर उसको सॉफ नज़र आने लगा. वो तोड़ा उठा, जिससे मैं भी अब उठ पड़ा.

कज़िन: एक मिनिट ऐसे ही रहना.

ये बोल के वो बैठ गया, और कुछ सेकेंड्स में मुझे बैठने को बोला. मैं बिना कुछ कहे उसका आदेश एक कुटिया जैसे मानने लगा. जैसे ही मैं बैठा, मुझे मेरी कमर पे कुछ गरम सी चीज़ महसूस हुई.

मैं समझ गया था, की ये लंड था. मैने हल्का सा हाथ पीछे किया, और लंड को पकड़ के दबा दिया.

कज़िन: ह ह्म्‍म्म्म ह्म.

उसने मेरी गर्दन को चाटना और चूमना शुरू किया. मैने अपने होंठो को आयेज किया, और उसपे तोड़ा थूका दो-टीन बार. और फिर मैने हाथ को पीछे ले जेया के लंड को पकड़ लिया.

कज़िन: काश ये वक़्त यही रुक जाता, और मैं तुम्हे यही छोड़ पता. क्यूंकी तुम अब गरम हो चुके हो, और मैं भी. और तुम अब चुड भी जाओगे, वरना वापस चले गये तो सब यही फुल स्टॉप हो जाएगा. और तुम फिर हाथ नही आओगे.

मैने फेस उसकी तरफ किया और एक-दूं नशीली आँखों से उसकी तरफ देखा, जैसे कोई कुटिया चूड़ने के लिए तैयार बैठी हो.

कज़िन: खूबसूरत. एक नंबर लग रहे हो जान, लोवे योउ.

मैं उसकी आँखों में देखते हुए उठा, और हाथ में लंड को पकड़े रखा, और सीधा जाके उसके लंड को अपने खड्डे पे अड्जस्ट करके एक ही झटके में लंड पे बैठ गया.

मे: अहह ह अहह

कज़िन: फक, आअहह.

उसने बिके बीच सड़क रोक दी. मैं उसकी आँखों में ही देख रहा था, और तोड़ा सा उछालने लगा.

कज़िन: आहह बेबी, आहह ह बेबी ह.

मे: ह्म ह्म ह ह ह.

उसने मेरी त-शर्ट में हाथ डाल कर निपल दबाए, और फिरसे बिके स्टार्ट की.

कज़िन: जान आज कटाल करने का इरादा है क्या? सबर करो, अपने आशिक को यू ना तड़पाव बीच रास्ते.

मैं बस उसको देख ही रहा था, क्या काहु कुछ समझ नही आ रहा था. फिर उसने बिके एक बस की साइड में कोने पे लगा दी, और रोक दी. जिससे हम किसी को नज़र नही आ रहे थे.

मैने फिरसे उछालना स्टार्ट किया. उसने अपने एक हाथ से मेरी कमर को दबोचा, और दूसरे हाथ से निपल और कस्स के दबाने लगा. उसने अपना चेहरा मेरी पीठ पे प्रेस कर रखा था, जिससे वो गरम साँसे ले रहा था, जो मुझे महसूस हो रही थी. वो साथ ही साथ कभी-कभार मेरी पीठ कभी गर्दन चाट और चूम रहा था.

मैं एक रंडी बन चुका था, और मस्ती में अपनी गांद उछाल-उछाल के छुड़वा रहा था अपने कज़िन भाई से.

कज़िन: तुम तो जानेमन बड़े ही शातिर खिलाड़ी मालूम हो रहे हो. क्या उछाल-उछाल के लंड ले रहे हो. सच बोलो कितनो के लंड पे प्रॅक्टीस की है? या तुम भी मेरे आशिक हो, और मेरी यादों में अपनी उंगलियों के मज़े ले रहे हो मेरा लंड समझ के?

मैं बिना कुछ बोले सिर्फ़ उसको देख रहा था, और अपनी गांद उछाल रहा था. हर झटके में उसको और मुझे भी मज़ा आ रहा था. मैं लंड के टोपे तक जाता, और सीधा उसके लंड की झांतो तक पहुँचता. उसका लंड हर झटके में गांद को चीरते हुए गहराई मापता था.

मैं और वो दोनो मदहोश हो चुके थे इस चुदाई में. वो बिके पे सपोर्ट लगाए लेट गया. ये देख मैं रुक गया.

कज़िन: क्या हुआ जान? रुक क्यूँ गये? अभी तो बहुत टाइम है. काश तुम पहले बोले होते चुड़वावगे आज. तो यार तुमको रूम में ले जाके सुहग्रात मानता. सॉरी तुम्हे इस तरह मेरा लंड लेना पद रहा है. खड्‍डा तो एक-दूं मस्त है यार. एक ही झटके में पूरा का पूरा लंड खा लिए. मुझे लगा था अगर कभी मौका मिला, तो तुम मेरा लंड झेल नही पाओगे. पर यहा तो सीन ही अलग है भाई.

मैं बिना कुछ कहे बस घूम गया. मेरे उसके लंड पे घूमने से उसको मज़ा आया.

कज़िन: ह ह आह फक फक फक आहह. वाउ फक, ई लोवे योउ बेबी.

उसने अपनी त-शर्ट निकाल दी, और मेरी भी त-शर्ट उतार दी. उसने अपने होंठो से मेरे होंठो को चूमा, और उनको चूसने लगा. मैं भी उसका साथ देके अपनी गांद को भी और रफ़्तार से उछालने लगा.

पा-पा की आवाज़े आने लगी. हम दोनो आवाज़े निकालने लगे. उसने मेरी कमर को अपने दोनो हाथो से पकड़ा, और बिके से उतार गया मुझे गोद में लेके. मैं बस किसी बेबस हवस से भारी रॅंड की तरह उसको देख रहा था.

अब उसने गांद में लंड को पेलना स्टार्ट किया, जैसे कोई स्क्वाट्स मार रहा हो. फक, मुझे मज़ा आ रहा था

कज़िन: पहली बार किसी को छोड़ रहा हू. पर लगा नही था तुम्हे छोड़ पौँगा कभी. लगा था सपना ही रह जाएँगा तुम्हारी गांद मारने का. तुम्हारी गांद को देख के तो आचे-अछो का खड़ा हो जाता होगा. अफ, क्या गांद पाई है तुमने जान. दिल चाहता है बस इसमे लंड घुसाए जौ, और छोड़े जौ.

मे: एम्म ह्म आह ह्म आह आ फास्ट प्लीज़, और फास्ट प्लीज़ आअहह.

वो मुझे गोद में लिए नीचे बैठ गया और मुझे नीचे लिटा दिया. लंड मैने गांद में ही रखा हुआ था, और वो मुझपे लेट गया और फटाफट लंड अंदर-बाहर करने लगा. ऐसा लग रहा था जैसे कोई मर्द अपनी औरत को छोड़ रहा हो.

मुझे भी मज़ा आ रहा था, और उसको भी. उतने में कॉल आई उसको मामू की, और वो रुक गया, और मेरे उपर से उठ गया. मैं भी लंड बिना निकाले उसकी गोदी में जेया बैठा, और अपनी गांद को पेलवने लगा.

कज़िन: हा अब्बा, बोलो.

मामू: कहा हो तुम लोग? कितनी देर हो गयी है. खाना खाना है, जल्दी आओ.

कज़िन: हा अब्बा, आ रहे है. थोड़ी देर में पहुँच जाएँगे.

और ये बोल कर उसने कॉल कट की.

उसने मुझे नीचे लिटाया, और फटाफट लंड को अंदर-बाहर करने लगा.

कज़िन: आज तो बिना पानी निकाले हम नही जाएँगे, चाहे कितना भी लाते हो जाए.

मैं बस उसको देख के मुस्कुरा दिया.

कज़िन: कुछ तो बोलो यार. कब से देख रहा हू बस देखे ही जेया रहे हो, और चुडवाए जेया रहे हो लंड की भूखी रॅंड को तरह. और अब जाके स्माइल दिया तुमने. कुछ बोलॉगे नही क्या कभी?

मैं फिर भी बिना कुछ कहे बस उसको देखे जेया रहा था. जो शांति सा स्वाभाव, और खुशी उसके चेहरे पे थी, वो मैने आज-तक अब्बा और भाई के चेहरे पे भी नही देखी थी. कुछ अलग सा लग रहा था इस बार.

छुड़वा कर खुशी महसूस हो रही थी दिल से. मज़ा तो अब्बा और भाई के साथ भी आता है, पर जो खुशी मुझे अपने कज़िन का लंड लेके मिल रही थी, वो आज तक नही मिली

कज़िन: ई लोवे योउ. और ये सब जो मैं बोल रहा हू, सिर्फ़ छोड़ने के लिए नही. ई रियली लोवे योउ.

मैं बस स्माइल किए जेया रहा था. कैने उसको रोका, उसको उठाया, और उसकी गोद में बैठ गया, और गांद उछालने लगा. पता नही कब क्या हुआ, और कैसे मैने उसको कहा-

मे: ई लोवे योउ टू.

उसने ये सुन के मुझे स्मूच किया. वो रुकने का नाम नही ले रहा था. मैं सोच में चला गया की मैने ये क्या बोल दिया था, और क्यूँ बोल दिया था. अब्बा और भाई को पता चला तो क्या होगा.

हम बिना किसी की परवाह किए बस अपनी चुदाई में मगन थे. कॉल पे कॉल आ रहे थे, बुत हम कोई कॉल रिसीव नही कर रहे थे. बड़े मज़े में मैं अपनी गांद में तीसरा लंड ले रहा था. पता नही क्यूँ, बुत मुझे अछा लग रहा था.

अगर आप सभी को मेरी स्टोरी अची लगे, तो मुझे अपनी फीडबॅक ज़रूर दे मैल करके अट