फिर दीदी ने बताया कि जब लड़कियों का एक साथ नहाने का नंबर आता तो वह सब मिल कर ताऊजी से मिन्नतें करती कि लड़कों को अंदर ना झांकने दें, लेकिन ताऊजी भी मुस्कुरा भर देते और लड़कों को कुछ भी ना कहते।
उन्होंने बताया कि वह तो चारों लड़कियों में सबसे बदमाश थी, और बाथरूम में जाते ही सबसे पहले वह लड़कों की तरफ मुड़ कर एक पांव बाल्टी पर रख कर और टांगें चौड़ी कर के अच्छी तरह मूत लेती और फिर नहाना शुरू करती थी और लड़के लोग ताली बजाते थे। दीदी ने बताया कि उन्हें तो सबसे अच्छा वही लड़का लगता था जिसकी नुन्नी उसे ठन्डे पानी पड़ने के बाद छू कर बहार निकालनी पड़ती थी।
यह सब सुनाते-सुनाते में देख रहा था कि दीदी और चित्रा दोनों की चूचियां उनके ब्लाउज में से उभरी हुई दिखने लगी थी, और मेरी पैंट में तम्बू बनने से रोकने के लिए मैं लौड़े को जोर से पकडे हुए था।
दीदी अचानक कहानी सुनाते-सुनाते रुकी, मुस्कुराई और अपनी दोनों टांगें उठा जांघें चौड़ी की और पेटीकोट ऊपर कर दिया। चित्रा और में एकटक दीदी की खुली और झांटों से भरी चूत को देख रहे थे।
फिर दीदी बोली “हां, अब आधी खुल गयी हूं, बाकी आधी खुलने के बाद आगे की बातें बताउंगी” और यह कह कर उन्होंने अपने ब्लाउज के बटन खोल मम्मों को आज़ाद कर के एक बार मसल लिया।
चित्रा से दीदी बोली “चित्रा तू भी टांगें चौड़ी करके मेरी तरह बैठ जा तो तेरी चूत को भी हवा लगेगी, और ब्लाउज भी उतार दे। मैं जानती हूं कि तुम दोनों बदमाश बच्चों ने दिन भर एक-दूसरे को नंगा ही रखा है। और राज तू क्या सोच रहा है, ज़रा मुझे भी तो दिखा वह माल जिसने चित्रा को दिन भर खुश रखा है”
फिर चित्रा और में एक साथ उठे, और एक दूसरे को नंगा कर दिया। मुझसे तो रहा नहीं गया, और में दीदी की खुली चूत के सामने घुटने टेक कर बैठा और दोनों अंगूठों से उनकी चूत की फांकें अलग कर के उनकी चूत के दाने को किस कर लिया।
दीदी ने मेरा सर पकड़ कर चूत थोड़ी किस करवाई, और फिर मुझे अपने सामने खड़ा करके दोनों हाथ से मेरा लौड़ा और बॉल्स पकड़ कर बोली “राज तेरा लौड़ा तो सचमुच बड़ा प्यारा है, चित्रा इसे भला कैसे छोड़ती।”
चित्रा ने तब दीदी से कहा “दीदी लेकिन हम सब नंगे तो हो गए, पर आपकी बचपन और जवानी की बदमाशियों वाली बातें तो अधूरी ही रह गयी, वह कब पूरा करेंगी आप? मेरा तो मन कर रहा है कि हम लोग अपनी-अपनी चूत ऐसे ही खुली रहने देते हैं, और कुछ देर अपनी झांटे और चूत को अपने आप ही सहलाते रहते हैं।
राज का लौड़ा तो दो-दो खुली चूत जिनमे कि उंगली की जा रही है और गीली भी हैं, अपने सामने देख कर मस्त रहेगा बिना छेड़े भी, और आप हमें आगे बताइये अपने भाई-बहनों के साथ मस्ती की बातें। क्यों, ठीक है ना राज?”
मैं भी मौक़ा कैसे छोड़ता? मैं बोला “हां ठीक ही तो है दीदी, आप अपनी बात पूरी कीजिये, और मैं आपकी जांघ पर सर रख कर लेट जाता हूं, अपना चेहरा आपकी खुली और सहलाई जा रही चूत की तरफ करके।
आपकी बातें भी सुनता रहूंगा और आपकी चूत देखता हुआ जन्नत के दर्शन भी करता रहूंगा।” मेरी बात सुन कर दीदी हंस पडी और चित्रा से पूछा “ये लड़का हमेशा से इतना बदमाश था या तूने इसे बिगाड़ दिया है?”
चित्रा ने मुस्कुरा कर अपनी दोनों चूचियां मेरे हाथ में दी और मेरे चूतड़ पर एक हल्का सा चपत लगा कर मेरा लौड़ा पूरा मुंह में लेकर चूसने के बाद दीदी को बताया “राज की क्या-क्या बातें आपको बताऊं दीदी। ये तो इतना बदमाश है कि इसी ने तो बाथरूम के दरवाज़े में से मुझे नंगा नहाते देख कर हमारे बीच की मस्ती चालू करी थी।”
एक बार यह सुन कर दीदी ने भी मेरा लौड़ा चूसा, और मुझे अपनी जांघ पर जैसे मैं चाहता था, लेट जाने दिया। मेरे ख्याल से मुझसे ज़्यादा मज़ा तो दीदी खुद ले रही थी मुझे अपनी खुली चूत को सहलाते हुए मुझे जांघ पर लिटा कर दिखाते हुए। अपने दूसरे हाथ में कभी दीदी और कभी चित्रा मेरा लंड ले लेते थे, और दीदी लगातार अपने भाई-बहनों के साथ की हुई मस्ती की बातें बताती जा रही थी।
बातें करते-करते एक बार दीदी ने दो उंगली जिन्हें वह अपनी चूत के अंदर-बाहर करके मजे ले रही थी, चूत से हटा कर मुझसे चटवा ली। मैंने भी चाट तो ली, पर उसके बाद मेरे लौड़े में जो तनाव आया तो चित्रा भी बोली “ये राज का लौड़ा तो आज कुछ ज़्यादा ही उछालें मार रहा है, शायद इसलिए कि एक साथ दो नंगी चूत दिख रही हैं, और वह भी बिना ताक-झांक किये।”
दीदी ने और एक बार मुझे अपनी चूत का रस चटाया, और फिर बोली “अब हम एक लव ट्रायंगल बनाते हैं। मुझे और चित्रा दोनों को अपनी-अपनी चूत चुसवानी है। तो राज मेरी चूत चूसेगा, और चित्रा राज का लंड चूसेगी, और साथ ही मुझसे अपनी चूत चुसवायेगी।”
मैंने तो फ़ौरन दीदी की फुद्दी मुंह में ले ली और लगा चूसने। चित्रा ने अपनी चूत दीदी के मुंह पर रख दी, और दोनों हाथ से मेरा लौड़ा पकड़ कर चूसना शुरू कर दिया। क्या धाकड़ अरेंजमेंट था। तीनों नंगे चूस भी रहे थे, और चुसवा भी रहे थे।
सबसे पहले दीदी की चूत क्लाइमेक्स पर पहुंची, शायद क्यूंकि कुछ दिनों से चुदी नहीं थी। उनके गले में से उउनंनह उउनंनह की आवाज़ें निकली, चूतड़ कई बार थिरके और ऊपर-नीचे हुए, और जांघें मेरे चेहरे को कभी जकड़ लेती, तो कभी इतनी खुल जाती कि जैसे सारी की सारी चूत झांटों समेत मेरे मुंह में घुसना चाहती हो। चूत का चना आधा सेंटीमीटर लंबा और लाल उनकी चूत में से झांक रहा था जैसे कह रहा हो “राज, प्लीज मुझे चूसते ही रहो, छोड़ना मत।”
मैं भी हैरान सा दीदी की चूत की यह सब हरकतें देख रहा था, और साथ ही यह भी देख रहा था कि चित्रा भी मेरे लौड़े से मुंह हटा कर सिर्फ उसे मुट्ठी में पकड़े हुए एकटक दीदी कि चूत के कारनामे देख रही थी।
दीदी कि चूत कि हरकतों का असर चित्रा की चूत पर भी हो रहा था, और वह उसे दीदी के मुंह पर बेहद बेशर्मी से घिस, रगड़, और दबा रही थी। दीदी ने भी चित्रा के चूतड़ अपने हाथों में ले कर चित्रा की चूत की फांकों को पूरा अलग किया हुआ था, और बस पिए जा रही थी चूत का रस।
तभी चित्रा ने भी बारी-बारी अपनी मुट्ठी में मेरे लौड़े को दबाना और ढीला छोड़ना शुरू किया, और फिर जो हिलना शुरू किया तो बस पूरी की पूरी कांपती रही थोड़ी देर तक।
जब चित्रा की कंपकपी हो रही थी तो दीदी ने उसके चूतड़ों को छोड़ कर अपने हाथ नीचे किये और खुद की चूत की फांकों को मेरे चूसने के लिए और भी ज्यादा खोल दिया, थोड़ी उसकी चूतड़ों में थिरकन सी आयी, और फिर चित्रा को अपने मुंह पर से हटा कर हांफते हुए चित्रा से बोली “अब तू राज का लौड़ा पकड़ कर मेरी चूत में घुसा और मुझे राज से चुदने दे।
और हां, जब मैं चुद रही हूंगी, तब तू मेरी दोनों चूचियां बारी-बारी से चूसती रहना। हाय रे राम! आज तो तुम दोनों से मुझे जितना प्यार मिल रहा है उतना तो मैंने कभी सपनों में भी सोचा नहीं था!”
दीदी नंगी और सपाट चूत को खोले हुए चित्रा को बोल रही थी कि मुझसे चुदना चाहती थी। तो नंगी चित्रा ने क़ातिल बदमाशी भरी मुस्कान के साथ मेरी आंखों में देख कर आंख मार दी, मेरा खड़ा लौड़ा पकड़ कर उसे दीदी की चूत से लगा दिया, और मेरे पीछे आ कर मेरे चूतड़ों से अपनी चूत सटा कर पीछे से धक्के मार-मार कर मेरे लौड़े से दीदी की चूत चुदवानी चालू कर दी।
मैं ज़िंदगी में पहली बार सचमुच की चुदाई कर रहा था। हैरान-सा जब अपने लौड़े को चूत के अंदर-बाहर होते देखता, तो लगता था कि लौड़ा एक्सट्रा मोटा और लंबा हो गया अचानक।
गीली खुली चूत में घुस तो आसानी से जाता, पर बाहर आते वक्त ‘पक’ सी हल्की आवाज़ आती, जैसे दीदी की चूत मेरे लौड़े को जकड कर अंदर ही रखना चाहती हो।
दीदी तो चुद रही थी, चित्रा ने भी अपनी चूत को मेरे चूतड़ पर रगड़ कर लाल और गीला किया हुआ था। मेरे कान में फुसफुसा कर बोली “क्यों बच्चू , कहा था ना कि चोदने को भी मिल सकता है, देख रही हूं कि तुम्हारा लौड़ा खुशी से फूल गया है।”
मैंने चोदते-चोदते एक हाथ उसके चूतड़ पर रखा और गर्दन घुमा कर चित्रा को लिप्स पर चूम लिया। चुदाई का सिलसिला चालू करवा कर चित्रा ने भी दीदी के कहने के मुताबिक़ एक-एक करके बड़े चाव से उनका एक लम्बा भूरा निप्पल चूसती, और दूसरे निप्पल और मम्मे से खेलती।
साथ ही मेरे लौड़े को चूत के अंदर-बाहर होते हुए देखने से जैसे उसका जी ही नहीं भर रहा था। लौड़े को एकटक देख रही चित्रा, चेहरे पर दुनिया भर की बदमाशियां भरी मुस्कान, जांघें चौड़ी और चारों तरफ मुलायम झांटों वाली खुली लाल चमकती हुई गीली चूत, मुँह में दीदी का निप्पल। मैं तो अनायास चोदे भी जा रहा था और चित्रा की चूत को सहला भी रहा था। ना जाने कितनी देर यह सिलसिला चलता रहा।
अगली बात जो मुझे याद है वह है कि दीदी और चित्रा दोनों के पेट में जैसे एक मरोड़-सा आया, चूतड़ ऊपर नीचे हुए कई बार, और दीदी तो निढाल सी हो गयी तो मेरा लौड़ा जो कि उसकी चूत के पानी से लिपटा हुआ था चूत से बाहर निकल कर अभी तक मस्ती में खड़ा ही था अभी झड़ने को तैयार। लौड़े की हालत देख कर चित्रा फ़ौरन मेरे साथ 69 पोजीशन में आ गयी।
अब चित्रा की चूत तो हमेशा मेरी पहली पसंद ही रहेगी ना, आखिर मुझे खुशी-खुशी और मज़े लेते हुए जो दिखाई गयी थी। चित्रा ने चूत मेरे मुंह से लगाते हुए हुए कहा “यार राज, तुम तो जब चाहो इसे चूस लो, और अपना लौड़ा साथ में चुसवाओगे तो चूत की गुदगुदी और भी बढ़ जाती है।”
चित्रा मेरा लौड़ा चूस रही थी और मै उसकी चूत, और उस समय ये साबित हो गया कि हम दोनों ही एक्सहिबीशनिस्ट है, क्योंकि हम दोनों ने लगभग एक साथ ही दीदी को (जो कि आंखें मूंदे हुए पड़ी थी चुदने के बाद) उसके कंधे से हिला कर जगाया, जिससे कि हम अपनी 69 वाली मस्ती उसे दिखा सकें।
दीदी ने आंखें खोली, और बड़ी सी मुस्कान के साथ बोली “भाई वाह! मज़ा आ गया तुम दोनों को इस पोजीशन में मस्ती करते हुए। मुझे भी अपने हस्बैंड के साथ चुदाई करते हुए या फिर उनसे चूत चुसवाते हुए बहुत मन करता है कि कोई देख रहा हो। अब से उनके आने के बाद रात में ज़रूर अपने बैडरूम में थोड़ी रोशनी रखूंगी और खिड़की को पर्दा ज़रा सा खुला जिससे कि तुम हम दोनों के सभी कारनामे आराम से देख सको।
देखते समय खिड़की पर एक बरसाती कीड़े के टकराने भर की दस्तक दे देना, तो मुझे पता चल जायेगा कि तुम दोनों या कोई एक तो देख ही रहा है। मुझे तो इस स्कीम के बारे सोच कर ही राज से और एक बार चुदने की इच्छा होने लगी। चित्रा, प्लीज अपनी दीदी के लिए ज़रा राज को थोड़ी देर के लिए छोड़ेगी?”
दीदी जब ये कह रही थी तब तक चित्रा ने लौड़े को चूस-चूस कर झटके मारने की हालत तक ला दिया था, मगर हम दोनों दीदी की और चुदने की मर्ज़ी वाली बात सुन कर थोड़ा रुके, और चित्रा बोली “बिल्कुल दीदी, राज के लौड़े पर आप बैठ कर अपनी चूत में डाल लीजिये और चोदिये उस पर उछल-उछल कर जब तक राज का लंड आपकी चुदाई बर्दाश्त कर सके, लेकिन प्लीज मुझे राज से चूत चुसवाते रहने दीजिये। ये लड़का तो पैदायशी चूत चुसक्कड़ लगता है।”
मेरी बात सुन कर दीदी ने हंस कर राज से बोला “क्यों राज? मुझे चोदना और साथ-साथ चित्रा की चूत चूसना झेल लेगा तू?” चित्रा ने मेरा जवाब सुनने के लिए अपनी चूत मेरे मुंह से थोड़ा ऊपर करके और झुक कर मेरी तरफ देखा तो मैं दबी आवाज़ मैं बोला “दीदी आज दूसरी बार चोदने की तो मैं सोच ही रहा था।
आप आराम से मेरे लौड़े पर बैठ कर अपनी चूत मैं लीजिये जब तक आपकी इच्छा पूरी ना हो जाए, और मैं चित्रा की चूत चूसता रहता हूं। मैं आज कुछ भी झेल सकता हूं, आप दोनों ने मिल कर मुझे मस्त किया हुआ है! ना जाने फिर कब एसा मौक़ा हाथ आएगा।”
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