चित्रा की लेक्चर वाली बात मैंने सुनी-अनसुनी सी करके पास ही रखे एक स्टूल को उसकी कुर्सी के पास खिसकाया, और उस पर खड़े होकर अपने चूत चूमने की वजह से टन्न हुए लौड़े को चित्रा के गाल से छू दिया। चूत पर चुम्मी पा कर गरम हुई चित्रा की आँखों में चमक और चेहरे पर मुस्कान आ गयी, और उसने एक हाथ से लौड़े को पकड़ कर मुँह में चूसना शुरू कर दिया, और अपने दूसरे हाथ से चूत सहलाने लगी।
लौड़ा चुसवाने में मस्त मैंने अपना हाथ उसके चूत सहला रहे हाथ के ऊपर रख दिया। काफी फिट मामला था हम दोनों के बीच। उस समय कोई फिल्म बनाने वाला होता तो ज़रूर एक धाकड़ फिल्म बन सकती थी। चित्रा ने भी मेरा हाथ अपने हाथ के ऊपर फील किया तो बोली “तुम रगड़ो मेरी चूत को अपने हाथ से, मैं बताती हूँ कहाँ और कैसे।”
उसने मेरी एक उंगली से अपनी क्लिट (चूत का चना) रगड़वाना चालू कर दिया, और लौड़े को तो गज़ब का चूस रही थी। मैं धीरे-धीरे अपने आप हिप्स को आगे-पीछे कर के लौड़ा चुसवा रहा था। हम दोनों एक-दूसरे की आँख में आँख मिला कर अपने कार्यक्रम में पूरी तरह खो गए थे। मुझे तो अपने लौड़े में आ रहे चरम सुख के सिवा किसी बात का कोई होश नहीं था।
तभी चित्रा ने गले में अटक-अटक के आने वाली लम्बी सांस के साथ दोनो जाँघों में कंपकंपी सी आई और क्लिट को रगड़ती मेरी उंगली और भी गीली और चिकनी हो गयी। चित्रा ने पल भर आँखें खोल कर लौड़े को थोड़ा और मूँह के अंदर खींचा और चूसते-चूसते मेरी बॉल्स से भी खेलने लगी।
वो चूतड़ उठा-उठा कर क्लिट रगड़वा रही थी, जैसे चाहती हो कि किसी तरह चूत और भी खुल जाए। मुझे लग रहा था कि बस अब तो कुछ मिनिट की ही बात थी, कि लौड़ा उछल-उछल कर इतना खुश हो जाएगा, कि सुबह से अब तक तीसरी या चौथी बार पूरा का पूरा अपने अंदर भरा हुआ रस चित्रा के मूँह में निकाल कर ही मानेगा।
उधर चित्रा की चूत का भी वैसा ही हाल था। इतनी मस्त हो रही थी चूत की चित्रा की जाँघों को कंपा रही थी, रस छोड़ रही थी, चूतड़ों को मजबूर कर रही थी, कि वे रह-रह कर उछलें। अचानक चित्रा ने चूतड़ों की एक और ज़ोर से उछाल मार कर अपनी जाँघों से मेरे हाथ को भींच कर लगातार कई उछालें मारी।
चित्रा ने एक सिसकियों भरी और लम्बी सांस ली, और मूँह में लौड़ा लिए हुए ही मममम जैसी सॉफ्ट सी आवाज़ निकाली, और मुझे प्यारी सी मुस्कान देकर वापस जांघें खोल कर क्लिट रगड़वाने लगी और लौड़ा और भी मूँह के अंदर लेकर फिर चूसने लगी।
ज़ाहिर था कि चित्रा हमारे इस मस्ती के राउंड से इतनी खुश थी कि वो इसको अभी जल्दी ख़त्म नहीं होने देना चाहती थी। चाहता तो मैं भी यही था पर डर था कि अगर लौड़ा स्पिल मारने की स्टेज पर पहुँच गया तो रुक ना सकेगा, और हमारी मस्ती कम से कम आधे घंटे के लिए बंद करनी पड़ेगी।
तो मैंने धीरे से मुन्ने को दिमाग से समझाते हुए चित्रा के मूँह में से निकाल लिया। चित्रा ने सवालिया नज़रों से मुझे देखा और फिर जब उसने भी भांप लिया की मामला क्या था, तो टाँगे नीचे कर के सीधी बैठ गयी और मेरे चेहरे को दोनों हाथों से नीचे कर के मूँह पर एक लंबा सा किस दे दिया।
बोली “लो मेरा ये निप्पल चूसो थोड़ी देर तक। बेहद प्यारे हो तुम तो यार, तुम्हारे साथ तो मुझे चैन से बैठा ही नहीं जाता। तुम चूची चूसो और मैं अपने आप चूत में थोड़े और मजे ले लेती हूँ, और तुम लौड़े को ज़रा आराम करने दो।” मैंने कहा ” मैं अगर तुम्हारे मुंह में लौड़े का स्पिल मार दूँ तो तुम क्या करोगी?” तो वो बोली “तुम्हारा स्पिल?”
मेरा गाल अंगूठे और उंगली के बीच दबा कर हिलाते हुए बोली “इस बदमाश का स्पिल वेस्ट थोड़े ही करूंगी। पूरा गटक जाऊंगी।” और फिरसे मेरा चेहरा दोनों हाथों से भींच कर होठों पर किस कर लिया और बोली “मुझे तो इस नादान से लंड से अजीब सा लगाव हो गया है। जी भरता ही नहीं, मन करता है कि लौड़ा चूसती रहूँ और चूत रगड़वाती रहूँ। चाचा-चाची आ जाएंगे तो कैसे काम चलेगा?” और हम दोनों फिर अपने लौड़ा-चूत के काम में लग गए।
अब मामला साफ़ हो गया था। मैंने चित्रा से कहा कि हम लोग बिस्तर पर चलते हैं और इस बार 69 पोजीशन में एक-दूसरे को चूस-चूस कर खल्लास कर लेते हैं, तो अगले 2-3 घंटे बस बातें करने में बिताएंगे। मैं अपनी कहानी सुनाऊंगा और तुम अपनी। सुन कर चित्रा की तो बाछें खिल गयीं और मुझसे लिपट कर बोली “तुम तो जीनियस भी हो यार, चलो जल्दी से 69 शुरू करते हैं मगर मैं ही ऊपर रहूंगी जिससे तुम मेरी चूत का एक बार और अच्छे से मुआयना कर सको, और तुमको तो अपनी चूत खोल कर दिखाने की सोच से ही मुझे तो बदन में मज़ेदार गुदगुदी होती है।”
हम दोनों एक-दूसरे के कंधे पर हाथ डाल कर मेरे कमरे मैं चले आये। मैं बिस्तर पर अपने तकिये पे सर रख कर लेट गया और चित्रा को कहा कि पहले वो मेरे सीने के इर्द-गिर्द बिस्तर पर घुटने टेक कर बैठ और चूत को मेरे मुंह पर ले आये जिससे कि पहले सिर्फ मैं एक बार उसकी चूत की क्लिट और पंखुड़ियों को चूस-चूस कर अच्छी तरह कई बार ओर्गास्म दिला दूँ। 69 और एकसाथ चूत चूसना और लंड चुसवाना सेकंड राउंड में करेंगे।
चित्रा तो और भी खुश हुई क्यूंकि इस तरह तो उसकी चूत दो बार चुसेगी मगर लौड़ा एक ही बार झड़ेगा। फ़टाफ़ट ऊपर आकर उसने खुली चूत मेरे मुँह से एक इंच दूरी पर कर ली। मैं तकिये से ज़रा नीचे खिसका और उसको बोला कि वो अपनी दोनों कोहनी तकिये पर रख कर अपने घुटने मेरे सर के दोनों तरफ कर के अपनी चूत ठीक मेरे चेहरे के ऊपर लटका दे। तो में अपने हाथ उसके चूतड़ों पर रख कर अपने आप अपने सर को उचका-उचका के मनमानी रफ़्तार से उसकी चूत जहां से भी मेरी मर्ज़ी होगी चूस लूंगा या चाट लूंगा।
चित्रा को यह गांड ऊपर उठा कर और डॉगी जैसे अपनी चूत चटवाने की पोजीशन फ़ौरन समझ में आ गई और उसने ऐसा ही किया। मैं चूस रहा था और वो चूत को आगे-पीछे, ऊपर-नीचे, जहाँ चुसवाना होता था उस मुताबिक़ मस्ती से चुसवा रही थी और ऐसी आवाज़ें निकाल रही थी, जैसे कहीं दूर पेट के अंदर से आह्ह्ह्हम्म्म्म सी निकल रही है।
फिर उसने अपने मम्मे दोनों हाथ में लेकर चूत चुसवाते हुआ लम्बी जीभ निकाल कर अपने दोनों चूचों पर फेर कर उनको गीला किया अंगूठे और उँगलियों से मसल-मसल कर उन्हें लंबा किया। मेरे मुहँ पर रखी हुई मुनिआ की ओर देख कर मेरे मुंह पर रगड़ते-रगड़ते एक हाथ पीछे करके मेरे लौड़े पर हाथ फेरने लगी। अपनी चूत को मेरी जीभ से खूब ज़ोर से चटवाया और “पी जाओ इसे, ओह बहुत अच्छा लग रहा है, मैं तो बस मर ही गई” बोल के हिप्स के तेज़ झटके मार के और चूत का जूस मुझे पिला कर अपनी जाँघों से मेरे सर को भींच लिया और दो-तीन बार अपनी बेहद खुश और गीली मुनिआ को मेरे मुंह और नाक पर दबा कर और रगड़ कर मेरे साइड में बिस्तर पर लुढ़क गई।
एक-दम चित्त पड़ी थी, टांगें मुड़ी हुई, जांघें खुली हुई, और चूत मैं हलके-हलके झटके अभी भी आ रहे थे।साथ-साथ गांड का छेद खुल-बंद हो रहा था, और साँसें भी धीरे-धीरे नार्मल होने लगी थीं। कुछ देर उसको ऐसे ही पड़े देख कर मैं निहारता, फिर वही सोचते हुए कि क्या ज़बरदस्त नसीब से चित्रा जैसी सेक्स में मेरी तरह बेहद दिलचस्पी लेने वाली हमारे घर में आयी है, और मुझे उसके साथ पूरे दिन नंगे रह कर मौज-मस्ती करने का मौक़ा मिला है।
जब मुझे दिखा की चित्रा के चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान आई है, और उसने अपने पैर सीधे कर लिए हैं, मैंने उसके मम्मों के बीच अपना फेस करके बाहों में पकड़ कर अपने ऊपर लिटा लिया, और उसके कान के निचले हिस्से को चूसा और गर्दन को किस करके बोला “एक बार चाय पीते हैं और मैं मूतूंगा, फिर आगे का कार्यक्रम क्या और कितनी देर में शुरू करें यह तय करेंगे।”
चित्रा तो जैसे कुछ सुना ही ना हो मेरा चेहरा अपने हाथों में और सर मेरी छाती पर रखे हुए और कुछ देर लेटी रही, और फिर सर उठा कर लौड़े को पकड़ा, सुपाड़े पर से खाल नीचे की, और उसके छोटे से पिंक लिप्स पर झुक कर जीभ फेर कर सुपाड़े को थोड़ा चूसा, और फिर मुझे भी एक चुस्की लेने जैसी किस देकर फाइनली बोली कि “चलो तुम आराम से मूत कर आओ, और मैं चाय बनाती हूँ।’
यह कह कर वो पलंग की साइड में खड़ी हुई और हाथ पकड़ कर मुझे अपने पास खड़ा किया, और बोली “यू आर द बेस्ट थिंग देट एवर हैपेंड टू मी!” और एक टाइट हग देकर चाय बनाने चली गई। मैं टॉयलेट में खड़ा मुस्कुराता हुआ मूतते-मूतते सोच रहा था कि चित्रा तो मेरे लिए बेस्ट चीज़ से भी कई गुना अच्छी चीज़ थी। मूत कर मैंने लौड़े को अच्छी तरह धो लिया क्योंकि थोड़ी देर में चित्रा उसकी जबरदस्त चुसाई करेगी अपनी चूत दोबारा चुसवाते हुए 69 पोजीशन में।
आगे की कहानी अगले पार्ट में।