ही फ्रेंड्स, मेरा नाम तरुण है. मैं आपके सामने अपनी कहानी का अगला पार्ट लेके आया हू. अगर आप लोगों ने पिछला पार्ट नही पढ़ा है, तो पहले जाके उसको ज़रूर पढ़ लेना.
पिछले पार्ट में आपने पढ़ा की मेरा दोस्त सुनील, और मैं हम दोनो उसकी बेहन को छोड़ रहे थे. फिर मैने पारूल को अपनी बाहों में उठाया, और लंड उसकी छूट में डाल कर छोड़ने लगा. इससे उसको दर्द होने लगा. अब आयेज जानते है क्या हुआ.
मैने पारूल के चूतड़ पकड़ लिए, और मैं उसको अपने लंड पर उछाल रहा था. मेरा लंड उसकी बच्चे-दानी को टच हो रहा था, जिससे उसको दर्द हो रहा था. लेकिन फिर भी वो मुझे रुकने को नही बोल रही थी.
तभी पीछे से सुनील आया, और उसने मुझे रुकने का इशारा किया. मैं वैसे ही रुक गया, और पारूल के चूतड़ मैने हाथ में पकड़े हुए थे. तभी सुनील ने अपना लंड हाथ में लिया, और तोड़ा नीचे होके पारूल की गांद पर सेट किया.
जब उसने लंड सेट कर लिया, तो मुझे उसने पारूल की गांद का भार रिलीस करने को कहा. जैसे ही मैने पारूल की गांद छ्चोढी, वो पीछे से उसके लंड पर बैठती गयी, और सुनील का लंड पूरा का पूरा उसकी गांद में चला गया. पारूल ने ज़ोर की दर्द भारी चीख मारी, और उसकी बॉडी काँपने लगी.
फिर सुनील ने पारूल के छूतदों पर हाथ रखे, और लंड बाहर निकाल कर फिरसे ज़ोर का धक्का मारा, और पूरा लंड अंदर डाल दिया. इससे पारूल काँप गयी, और बेहोश हो गयी. उसको बेहोश देख कर मैने सुनील से कहा-
मैं: अर्रे ये तो बेहोश हो गयी.
सुनील बोला: चिंता मत कर, बस छोड़ इसको और मज़ा ले.
मुझे समझ नही आ रहा था, की सुनील ये सब क्यूँ कर रहा था. फिर मैने पारूल को छोड़ते हुए उससे पूछा-
मैं: अछा बता तो सही, की ये तू क्यूँ कर रहा है. और तूने मुझे क्यूँ बुलाया, और पारूल कैसे तैयार हो गयी इस सब के लिए.
सुनील पारूल की गांद मारते हुए बोला: क्या बतौ यार. मम्मी-डॅडी किसी रिश्तेदार के घर गये है. वो कुछ दीनो में आएँगे. इसका एक बाय्फ्रेंड है, जिसके बारे में इसने मुझे बता रखा था.
मैं: तुम दोनो अपने गफ़-ब्फ डिसकस कर लेते हो?
सुनील: हा हम दोनो भाई-बेहन इस मामले में फ्रॅंक है. इससे क्या होता है की अगर अपने ब्फ-गफ़ को घर पर बुलाना हो तो काम आसान हो जाता है.
मैं: अछा, ये तो बढ़िया है.
सुनील: मम्मी-डॅडी के जाने की वजह से इसने अपने बाय्फ्रेंड को घर पर बुला लिया. इसका उसके साथ सेक्स करने का इरादा था, लेकिन वो लंबा नही टिकता. इसलिए इसने उसकी कोल्ड ड्रिंक में वियाग्रा की 3-4 गोलियाँ मिला दी.
मैं: इसने तुझे बताया की ये उसके साथ सेक्स करने वाली थी?
सुनील: नही, ये थोड़ी ना बताएगी. ये मुझे बाद में पता चला.
मैं: ओक.
सुनील: जब वो आया, तो ग़लती से उसकी वाली कोल्ड ड्रिंक ये खुद पी गयी. अब वो बेचारा जो पहले से जल्दी झाड़ जाता है, वो कैसे इसको ठंडी करेगा. वो तो 2 बार छोड़ कर भाग खड़ा हुआ. फिर इसने मुझे फोन करके बुलाया. जब मैं आया तो ये नंगी पड़ी तड़प रही थी.
सुनील: इसने मुझे सारी बात बताई और कहने लगी की मैं इसको छोड़ू. अब और कोई सल्यूशन नही था, तो मैने इसको छोड़ना शुरू कर दिया. वैसे कहना तो नही चाहिए, लेकिन साली बहुत कड़क है.
सुनील: मैने इसको 4 बार छोड़ा, और मेरी बस हो गयी. फिर सोचा ऐसे तो बात बनेगी नही. मुझे लगा की एक और बंदे की हेल्प चाहिए होगी. अब किसी को भी बुला कर तो अपनी बेहन छुड़वा नही सकता था ना. इसलिए मैने तुझे बुलाया मेरे यार.
मैं: वाउ! क्या बात है. तूने तो मुझे जन्नत ही दिखा दी यार. सच में तेरी बेहन बहुत मस्त और कड़क है. अछा तो इसलिए तू इस पर रहम नही कर रहा, क्यूंकी वियाग्रा का असर निकालना है.
सुनील: हा बिल्कुल.
मैं: चल फिर मैं भी वाइल्ड हो जाता हू.
ये बोल कर मैने उसके बूब्स को एक-एक करके चूसना शुरू कर दिया. मेरा और सुनील का लंड लगातार उसकी छूट और गांद के अंदर-बाहर हो रहा था. मैं उसके निपल्स को मूह में खींच-खींच कर चूस रहा था.
तभी पारूल को होश आ गया. वो आ आ करने लगी. अब उसका दर्द कम हो गया था. उसने मेरी गर्दन के इर्द-गिर्द अपनी बाहें लपेट ली, और खुद से भी हम दोनो के लंड पर उछालने लगी. फिर उसने मेरा फेस पकड़ा, और मेरे होंठो से अपने होंठ मिला लिए. अब हम दोनो एक-दूसरे के होंठ चूस रहे थे. पीछे से उसका भाई उसको छोड़ रहा था, और आयेज से वो मेरे लंड की सवारी कर रही थी.
उसकी छूट से लगातार निकलते पानी की वजह से छाप-छाप की आवाज़े आ रही थी. माहौल पूरा गरम हुआ था. लंड, छूट, और गांद के मिलन से जो सुगंध सी आती है, वो पुर रूम में से आ रही थी.
15 मिनिट मैने और सुनील ने इसी तरह पारूल को उछाल-उछाल कर छोड़ा. फिर हमने उसको नीचे उतार दिया. नीचे उतरते हुए वो फ्रिड्ज की तरफ गयी. क्या मस्त गांद मटका-मटका कर चल रही थी. वो तोड़ा लंगा भी रही थी. शायद गांद मरवाने की वजह से उसको दर्द हो रहा था.
फिर उसने फ्रिड्ज खोला, और वाहा से बियर की बॉटल लेके आई. आके वो बेड पर लेट गयी, और बियर को उसने अपनी छूट पर डालना शुरू किया. मैं और सुनील समझ गये की वो क्या चाहती थी. फिर हम दोनो ने अपना मूह उसकी छूट को लगाया, और छूट को चाट-ते हुए बियर पीने लगे.
कुछ देर ऐसा करने के बाद हम दोनो खड़े हो गये. फिर पारूल घुटनो के बाल आई, और हम दोनो के लंड पर बियर डाल कर चूसने लगी. उसके चूसने से वो कोई प्रोफेशनल लग रही थी. अब मैं और सुनील दोनो झड़ने वाले थे. पारूल लगातार 5 मिनिट तक हमारे लंड ज़ोर-ज़ोर से चूस्टी रही. फिर हम दोनो आ आ करते हुए झड़ने लगे, और पारूल ने हम दोनो का पानी अपने मूह में ले लिया.
हमारे झड़ने के बाद वो हुमको अपने मूह में भरा हमारा पानी दिखाने लगी. वो बिल्कुल रंडी लग रही थी. फिर उसने पानी निगल लिया, और सुनील को बोली-
पारूल: थॅंक योउ भैया, मेरी हेल्प करने के लिए.
उसके बाद वो मेरी तरफ देख कर बोली-
पारूल: तरुण थॅंक योउ तुम्हे भी.
मैं: नो प्राब्लम पारूल.
अब पारूल शांत हो चुकी थी, तो मेरा कोई काम नही था वाहा. फिर मैं सुनील को बाइ बोल कर अपने घर वापस आ गया.
तो ये थी दोस्तों मेरी कहानी. अगर आपको कहानी अची लगी हो, तो इसको अपने फ्रेंड्स के साथ भी शेर ज़रूर करे. कहानी पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद.