ही दोस्तों, मेरा नाम आरूष है. मैं उप का रहने वाला हू. मेरी उमर 26 साल है, और मेरी अपनी दुकान है. हाइट मेरी 5’11” है, और जिम जेया कर मैने अची-ख़ासी तगड़ी बॉडी बनाई हुई है. मेरा लंड 7.5 इंच का है, जो किसी भी लड़की की छूट फाड़ कर रख सकता है.
मेरी फॅमिली में मेरे अलावा मेरे मम्मी-डॅडी, एक बड़ा भाई, और भाभी बाई. मेरा बड़ा भाई मुझसे 2 साल बड़ा है, जिसकी अभी हाल ही में शादी हुई है. वैसे मेरी और मेरे भाई की ज़्यादा कभी बनी नही. मैं अग्रेसिव हू, और वो शांत टाइप का है. मैं स्कूल और कॉलेज में स्पोर्ट्स में ज़्यादा ध्यान देता था, लेकिन वो किताबी कीड़ा था.
इस वजह से मेरे मार्क्स कम आते थे, और उसके ज़्यादा. और जब घर में आपसे ज़्यादा मार्क्स वाला बच्चा हो, तो आपको हमेशा दाँत ही पड़ती रहती है. इसलिए वो मुझे अछा नही लगता है. मैने उसको कितनी बार कहा था की स्पोर्ट्स और हेल्त में भी ध्यान दे, लेकिन वो मेरी सुनता नही था. वो शायद ये नही जानता था, की लाइफ में सिर्फ़ पढ़ाई काम नही आती.
उसकी शादी एक बहुत ही खूबसूरत और गड्राई लड़की से हुई. भाभी का नाम किरण है. उनकी उमर 25 साल है, और फिगर 34-28-36 है. रंग उनका दूध जैसा गोरा है. वो ऐसी लड़की है, जिसको जब तक जाम के ना छोड़ा जाए, तब तक वो संतुष्ट नही हो सकती. जब मैने भाभी को पहली बार देखा, मैं तभी समझ गया था की ये लड़की मेरे भाई से संभाली नही जाएगी, और हुआ भी कुछ ऐसा ही.
शादी के कुछ दिन बाद उन दोनो में झगड़ा होने लगा. मुझे भाभी इरिटेट हुई लगती थी हमेशा. क्यूंकी मैने बहुत सी लड़कियों से रीलेशन रखा है, तो मैं समझ गया था भाई उनको संतुष्ट नही रख सकता था. फिर मैने सोचा क्यूँ ना भाभी को मैं संतुष्ट कर डू.
वैसे भी अगर ज़्यादा देर तक उन्हे लंड नही मिलता, तो वो बाहर मूह मार सकती थी. क्यूंकी वो मॉडर्न फॅमिली से है, और ऐसी लड़कियों के लिए सॅटिस्फॅक्षन फॅमिली से उपर होती है. फिर एक दिन मैने मौका देख कर भाभी से बात शुरू की. उस दिन घर पर मैं और भाभी ही थे, और दूसरा कोई नही था. भाभी किचन में कुछ काम कर रही थी, और उन्होने सारी पहनी हुई थी. फिर मैने उनसे कहा-
मैं: कैसी हो भाभी?
भाभी: मैं ठीक हू, आप बताओ देवर जी.
मैं: मैं भी ठीक हू भाभी. और कैसी चल रही है मॅरीड लाइफ?
भाभी: ठीक चल रही है.
मैं: बस ठीक चल रही है? फिर तो मुझे सोचना पड़ेगा.
भाभी: तुम्हे क्या सोचना पड़ेगा?
मैं: मुझे मेरे शादी-शुदा दोस्त कहते है की शादी करके लाइफ मुश्किल हो जाती है. वो मुझे शादी ना करने की सलाह देते है हमेशा. तो मैने सोचा घर में से एक्सपीरियेन्स लू और डिसाइड करू की शादी करू के नही.
भाभी: ओह अछा.
मैं: तो आप बताओ, की सिर्फ़ ठीक है या बढ़िया है.
भाभी ने व्यंगया से कहा: देखो देवर जी. शादी में बहुत सारी चीज़े मॅटर करती है. सबसे पहले आपका पार्ट्नर. अगर आप अपने पार्ट्नर सॅटिस्फाइड नही है, तो शादी का कोई फ़ायदा नही है.
मैं: क्या आप अपने पार्ट्नर से सॅटिस्फाइड है?
भाभी: ये किस तरह का सवाल है?
मैं: किस तरह का मतलब? सिंपल सा सवाल है. क्या आप अपने पार्ट्नर से सॅटिस्फाइड है?
भाभी: मुझे काम करने दो देवर जी. इन बातों के लिए मेरे पास टाइम नही है.
ये बोल कर भाभी दूसरी तरफ जाने लगी. मैने तभी भाभी कहा हाथ पकड़ा, और उनको रोक लिया. उन्होने गुस्से से मेरी तरफ देखा और बोली-
भाभी: देवर जी, ये क्या बदतमीज़ी है?
मैं: बिना जवाब दिए जाना भी बदतमीज़ी होती है भाभी. आप जवाब दो, फिर जहा जाना है चली जाओ.
भाभी: मुझे कोई जवाब नही देना.
वो मुझसे हाथ च्चूदवाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन मेरी मज़बूत पकड़ से च्चूदवा नही पा रही थी. फिर वो बोली-
भाभी: तुम मेरा हाथ छ्चोढ़ रहे हो या नही?
मैं: नही, पहले जवाब दो. जब तक जवाब नही मिलेगा, ये हाथ नही छूतेगा.
फिर मैने उनको खींच कर अपनी बाहों में भर लिया, और अब हम दोनो के फेस एक-दूसरे के बिल्कुल पास थे. हमारी साँसे आपस में टकरा रही थी. फिर मैने उनसे कहा-
मैं: भाभी ये असली मर्द का हाथ है. जो मर्ज़ी कर लो, ये हाथ नही छूतेगा. और आप सच क्यूँ नही बोल रही हो? मैं जानता हू अपने भाई को आचे से. शुरू से ही किताबी कीड़ा रहा है वो. औरत को असली सुख देने का ज़ोर नही है उसमे. अगर आप चाहो तो मैं वो सुख आपको दे सकता हू. अगर प्राब्लम का सल्यूशन घर में ही मिल गया, तो आप खुश रहेंगी. सोच कर बता देना.
ये बोल कर मैने भाभी का हाथ छ्चोढ़ दिया. भाभी अपनी मूडी कलाई को मलने लग गयी, और मेरी तरफ गुस्से से देख रही थी. ऐसा लग रहा था जैसे वो कोई भूखी शेरनी हो, और मुझे खा जाएगी. फिर मैं भाभी को आँख मार कर अपने कमरे में चला गया.
अब मुझे भाभी के जवाब का इंतेज़ार था. मुझे यकीन था की वो हा में ही जवाब देंगी. फिर मैं कुछ देर अपने मोबाइल पर टाइम पास करता रहा. थोड़ी देर बाद भाभी ने मेरे कमरे का दरवाज़ा खटखटाया. मैं जानता था की उन्होने ही दरवाज़ा नॉक किया था. लेकिन फिर भी मैने उनसे पूछा था. फिर बाहर से उनका जवाब आया-
भाभी: घर में सिर्फ़ हम दोनो ही है, तो मेरे अलावा कों हो सकता है.
फिर मैने हेस्ट हुए बोला: जी आ जाइए.
फिर वो अंदर आई. उनके फेस पर अभी भी गुस्सा था. लेकिन मैं उनको देख कर स्माइल कर रहा था. फिर मैने उनको स्माइल करते हुए पूछा-
मैं: भाभी आप हर वक़्त इतना गुस्से में क्यूँ रहती हो. कभी प्यार से भी रहा कीजिए. इतने खूबसूरत चेहरे पर गुस्सा अछा लगता है, लेकिन स्माइल और भी ज़्यादा अची लगेगी. चलिए बोलिए आप क्या बोलने आई हो.
भाभी ने मुझे क्या बोला? और फिर आयेज क्या हुआ? ये सब आपको कहानी के अगले पार्ट में पता चलेगा. अगर आपको कहानी पढ़ कर मज़ा आया हो, तो इसको अपने दोस्तों के साथ भी शेर करे. कहानी पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद.
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