मेरा नाम अवि राज है और मैं पुणे से हूँ. मैं आज अन्तर्वासना पर अपनी नई सेक्स कहानी लेकर आया हूँ.
अभी तक आपने मेरी पहली कहानी
चाह थी ननद की, भाभी चुद गयी
में पढ़ा कि हमारे फ्लैट के सामने वाले फ्लैट में रहने वाली एक लड़की अर्चना, जिसे मैं पसंद करता था और चोदना चाहता था, मैं उसे तो नहीं पर उसकी भाभी नैना की चुदाई कर पाया था.
उसके बाद हम दोनों के बीच हर शनिवार को चुदाई होती थी और इस बात की किसी को कानों कान खबर भी नहीं हो रही थी.
एक दिन बिस्तर में मैंने कहा- भाभी, अर्चना को पटाने में हेल्प कर दो.
भाभी ने साफ इंकार कर दिया, वो बोलीं- उसके भैया अब उसकी शादी के लिए लड़का देख रहे हैं. ऐसे में तुम्हें मैं उसके साथ सैट कर दूं और उन्हें पता चल गया, तो मेरी खैर नहीं होगी.
मैं समझ गया कि भाभी डर रही थीं कि अर्चना को उनके और मेरे बारे में कुछ पता ना चल जाए. पर मैं भी कहां मानने वाला था, मुझे तो एक अदद दूसरा पार्टनर चाहिए ही था.
भाभी के प्रेग्नेंट होने के बाद, तो मैं खुद ट्राय करने निकल पड़ा. वैसे तो अर्चना मुझसे बात तो करती थी, पर बस ‘हैलो … कैसे हो..’ इतनी ही बात होती थी.
एक दिन हम लिफ्ट में मिले. वो कहीं बाहर से आ रही थी. उसके हाथ में शॉपिंग बैग्स थे.
मैंने पूछा- शॉपिंग करने गयी थीं क्या?
वो बोली- हां.
तो मैंने मजाक करते कहा- ब्वॉयफ्रेंड के साथ गयी थीं … या अकेले ही घूमती हो.
ये सुनकर उसने मुझसे कुछ ग़ुस्से में कहा- फ्रेंड्स के साथ गयी थी, मेरा कोई ब्वॉयफ्रेंड नहीं है.
मैंने उसकी इस बात पर दांव आजमाते हुए कहा- तो मुझे बना लो न अपना ब्वॉयफ्रेंड.
बस फिर क्या था … वो कुछ देर मुझे घूरती रही और बिना लिफ्ट के सीढ़ियों से ही जाने लगी.
उसके बाद 8 दिन वो मुझे कहीं दिखी ही नहीं. मैंने नैना भाभी से बात की, तो पता चला कि उसने उन्हें कुछ नहीं बताया.
मैंने सोचा चलो अच्छा हुआ.
फिर एक दिन वो पार्किंग में मिल गयी. मैंने कहा- अर्चना कुछ सोचा?
तो वो बोली- क्या सोचूं … अपनी हाइट देखी है … मुझसे भी दो इंच छोटे हो और उम्र में भी दो साल छोटे हो.
उसकी इस बात से मुझे बस ऐसा लगा जैसे किसी ने दिल पर हथौड़ा मार दिया हो.
अर्चना की हाइट 5 फुट 8 इंच थी और मेरी 5 फुट 6 इंच थी.
थोड़ी देर तो मैं शांत ही रहा और लिफ्ट में आ गया. वो भी मेरे साथ लिफ्ट में थी. जैसे ही लिफ्ट का डोर बंद हुआ … मैंने उसके गाल पर किस कर दिया और बोला- देखा हाइट कुछ नहीं होती.
वो फिर से गुस्सा हो गयी और उसी समय लिफ्ट अपनी मंजिल पर आ कर रुक गई, दरवाजा खुला और वो गुस्से में भुनभुनाते हुए लिफ्ट से बाहर निकल गई. वो बड़ी तेज क़दमों से अपने फ्लैट में चली गयी.
इस घटना के बाद से तो वो जैसे डर ही गयी थी. मुझे देखते ही भागने लगती. मेरे सामने आती ही नहीं थी. मैंने बहुत कोशिश की, पर वो मुझसे बात ही नहीं करती थी.
मैंने एक दिन उसको मैसेज किया और सॉरी लिखते हुए कहा- मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था.
उसका जबाव आया. वो बोली कि देखो कुछ दिनों में मेरी शादी हो जाएगी, तो ये सब अपने दिमाग से निकाल दो.
मैंने कहा- ठीक है गर्लफ्रेंड नहीं, तो न सही … मेरे साथ घूम-फिर तो सकती हो … कभी कभी कॉफी लंच के लिए तो चल सकती हो … वैसे तुम्हारे पास भी कहां ब्वॉयफ्रेंड है.
दस मिनट के बाद उसका रिप्लाई आया. वो बोली- ठीक है … पर उस दिन जैसी हरकत फिर नहीं करना.
मैं भी मान गया.
शनिवार को उसकी भाभी की चुदाई करने के बाद मैंने उसको रात को मैसेज करके पूछा कि कल पार्क में मिलोगी.
तो वो बोली- ओके आती हूँ.
बस ऐसे ही हम हर रविवार को मिलते रहे … ताकि वो मुझसे कुछ ज्यादा फ्रेंडली हो जाए.
ऐसे ही कुछ दिन निकल गए.
एक संडे मेरा फ्लैटमेट फ्लैट पर नहीं था तो मैंने उसे कॉल किया. मैंने बोला- यहां मेरे फ्लैट में आ जाओ … आज तुम्हें मैं अपने हाथ की बनी कॉफी पिलाता हूँ … फिर यहीं से बाहर चलेंगे.
उसने हामी भर दी और आधे घंटे बाद वो मेरे फ्लैट में आ गयी. उसके अन्दर आते ही क्या गज़ब की खुशबू महकने लगी थी. वो एक चुस्त सा सलवार कमीज पहने हुए ऐसी लग रही थी कि जी कर रहा था कि अभी ही इसे यहीं पटक कर चोद लूं.
मैंने कॉफी के लिए दूध रखा और वो मेरे बाजू में आकर खड़ी हो गयी.
वो बोली- तुम तो अभी तैयार ही नहीं हुए?
मैंने- बस कॉफी खत्म करके अभी हो जाता हूँ.
मैंने ये बोल कर उसका हाथ अपने हाथों में लिया और बोला- आज बहुत खूबसूरत लग रही हो.
तो उसने कहा- आज इरादा क्या है?
मैंने- कुछ नहीं … बस लग रहा है कि तुम्हें ऐसे ही देखता रहूँ.
इतना कहकर मैं उसको किचन की पट्टी से सटा कर उसके सामने आ गया और उसका दूसरा हाथ हाथों में लेकर उसकी आंखों में देखने लगा.
उसके चेहरे पर गर्वित सी मुस्कान थी. ऐसा लग रहा था कि उसी अपनी खूबसूरती पर प्रसन्नता भी हो रही थी और वो मुझे इतने पास देखकर शर्मा भी रही थी. इस पल का मैंने फायदा उठाना तय कर लिया और झट से अपने होंठों को उसके होंठों पर चिपका दिया.
कुछ पल किस करने के बाद वो गर्दन पीछे ले जाने लगी और बोली- बस इतना ही ठीक है.
मैंने कहा- नहीं …
मैं उसकी कमर में हाथ डालकर उसे अपनी तरफ घुमाकर दीवार पर सटाकर फिर से उसे चूमने लगा. अब उसके 34 साइज़ के चूचे मेरे छाती को चूम रहे थे.
कुछ देर किस करने के बाद मैंने उसे और थोड़ा गर्म करने के लिए उसके कानों पर और गर्दन पर किस करते करते उसके कमीज़ के ऊपर से उसके मम्मों को मसलना चालू कर दिया. मुझे लगा था कि वो मना करेगी, पर हुआ उल्टा. उसकी पकड़ मेरी पीठ पर और कस गयी.
फिर क्या था … मैंने उसे और जोर से मसलना चालू कर दिया.
करीब बीस मिनट तक तो मैं उसके स्तनों को ही मसलता रहा. अब तक तो मेरा लंड पैंट फाड़कर बाहर निकलने को बेताब हो रहा था. इस वक्त मैं पूरा अर्चना पर सवार सा हो गया था. मैं अपना एक हाथ उसकी कमीज़ के अन्दर से उसकी ब्रा पर ले गया और दूसरे हाथ से उसके सलवार का नाड़ा खोल दिया.
उसकी सलवार सरकती हुई उसके घुटनों में जाकर फंस गई.
पहली बार उसके मुँह से आवाज निकली- आह … अब बस भी करो.
मैंने कहा- हां बस थोड़ा और …
मैंने दोनों हाथ कमीज़ के अन्दर ले जाकर उसके दोनों मम्मों को मसलने लगा.
फिर एकदम से दोनों हाथ नीचे लाते हुए उसकी पैंटी और सलवार दोनों उसके पैरों पर लाकर रख दिए.
इससे अर्चना को थोड़ा झटका लगा और वो मुझे अब धकेलने लगी थी … क्योंकि अब वो नीचे से पूरी नंगी हो गई थी.
एक तो मेरा लंड इतनी देर से उसकी चूत पर कमीज़ के ऊपर से ही ठोकर मार रहा था. अब उसकी चूत के लिए लंड का रास्ता साफ हो गया था.
उसके विरोध के बाद भी मैं फिर से उससे चिपक गया. मैंने अपने एक हाथ से अपनी ट्रैक पैंट नीचे कर दी. उसकी गर्म जांघें और चूत से निकलती गर्मी मुझे महसूस होने लगी थी. मेरा लंड उसकी चूत को चूमता हुआ तनतना रहा था. उसकी हाइट ज्यादा होने के कारण मैं लंड को पूरा अन्दर डाल नहीं पा रहा था.
खड़े खड़े चोदने में तो वो सपोर्ट करेगी नहीं, तो मैंने सोचा और उसे वहीं फर्श पर लिटा दिया. फिर मैंने अपने हाथों से उसकी सलवार और पैंटी निकाल कर दूर फेंक दी.
अर्चना ने अपने दोनों पैरों को आपस में चिपका रखे थे ताकि मुझे उसकी चूत दिखाई ना दे. मैंने दोनों पैरों को खोला, तो क्या रंगीन नज़ारा था. संगमरमरी जांघों के बीच उसकी गुलाबी चूत की मस्त छटा दिख रही थी. चूत के ऊपर हल्के हल्के काले रेशमी किसी आइसक्रीम पर टॉपिंग की तरह लग रहे थे.
मैंने उसके पैर और चौड़ा दिए और उसकी मखमली चूत पर अपना मुँह लगा दिया.
अपनी चूत पर एक मर्द की जुबान का अहसास पाते ही वो मादकता से सिसकने लगी. वो कभी मेरे बाल पकड़ रही थी, कभी फर्श पर हाथ पटक रही थी, तो कभी खुद अपनी चूत उठाकर मेरे मुँह में देने लगती थी.
मुझे लगा कि आज इसको चोदने का ये सही मौका है.
मैंने उसके पैरों से ऊपर होकर उसके मुँह पर किस किया और बोला- देखा कैसा टेस्ट है तेरी चूत का … तूने अपनी चूत को कभी टेस्ट किया है?
उसने हंस कर मुँह फेर लिया.
अब मैंने उसके पैरों पर पैर रखकर थोड़ा और फैलाया और उसकी चूत में अपना पूरा लंड उतार दिया. वो एक पल के लिए कसमसाई और उसकी हल्की कराह भी निकली, मगर दो तीन पल में ही पूरा लंड अन्दर जाते ही वो मेरी पीठ के ऊपर हाथ रखकर जोर से दबाव डालने लगी.
मैंने कमीज़ को ऊपर उसके करके उसके मम्मों को नंगा कर दिया.
सच में उसके मम्मे थे तो 35 इंच साइज़ के … पर उन्हें वो ब्रा में फंसाकर छोटा दिखाती थी. आज उसके फंसे हुए कबूतर मुझे आज़ादी की मांग कर रहे थे. मैंने थोड़ा रुक कर उनकी मांग पूरी करने का सोचा और नीचे उसकी चूत में अपनी दम लगाने लगा.
आज पता नहीं मेरे लंड को क्या हुआ था … अभी पिछले आधे घंटे से तो लंड एकदम से खड़ा था और अभी दस मिनट में ही उसके पेट पर लंड ने उलटी करते हुए सारा माल निकाल दिया.
मैं झड़ कर उसके बाजू में लेट गया.
कोई पांच मिनट तक ऐसे ही पड़े रहने के बाद अर्चना उठी और बाथरूम में चली गयी. उसके जाने के बाद बाथरूम से फव्वारा चलने की आवाज आने लगी.
मुझे लगा क्यों न मैं भी उसके साथ फव्वारे का मजा ले लूं.
मैंने उठकर दरवाजा खटखटाया और बोला- खोल यार … मुझे भी नहाना है.
तो अर्चना बोली- बस 5 मिनट रुको … मेरा हो गया है.
मैंने खटखटाना तेज़ कर दिया, तो अन्दर से दरवाजा खुल गया. मैंने देखा तो उसका बदन भीगा हुआ था, पर ब्रा पैंटी सूखी थी. वो एक कोने में खड़ी रहकर अपने हाथ ब्रा के सामने पकड़े हुए खड़ी थी.
मैंने अन्दर जाते हुए दरवाजा बंद किया और बोला- क्या हुआ … ऐसे घूर क्यों रही हो?
इतना कहकर मैंने फव्वारा चालू किया और उसे अपनी ओर खींच लिया. उसकी पीठ पर और उसकी पैंटी के अन्दर हाथ डालकर घुमाने लगा. मेरी टी-शर्ट पूरी भीग गई थी, तो मैंने उसे उतार दिया. मैं पूरा नंगा होकर फिर से उसे कसके पकड़ने लगा. वो बिना कुछ बात किए मेरा साथ दिए जा रही थी.
मैंने उसके पीछे हाथ डालकर उसके कबूतरों को आजाद किया और कहा- ये क्या यार … मैंने तो सारे कपड़े उतार दिए … तुम अभी भी पैंटी पहने खड़ी हो.
उसने पैंटी निकाल दी.
अब मेरा लंड पूरे जोश में आकर उसके चूत की ओर मुँह करके खड़ा था. मैंने कहा- अपना पैर जरा उस नल पर रखके खड़ी हो जाओ ना …
थोड़ी ना नुकुर के बाद उसने अपना पैर एक नल पर रख दिया. मैं घुटनों के बल बैठकर उसकी खुली हुई चूत रस पीने लगा. फव्वारे का पानी उसके बदन से नीचे आकर चूत से नीचे गिरने लगा था. पहले तो उसने अपना हाथ दीवार पर लगा दिया था. पर जैसे ही मैंने चूत के दाने को रगड़ना चालू किया, उसने अपना हाथ मेरे सर पर रखा और कभी मेरे मुँह को बाहर धकेलती, तो कभी अन्दर घुसाने की कोशिश करने लगी.
कुछ देर चूत चूसने के बाद मैंने कहा- अब तुम्हारी बारी … मेरा भी लंड खड़े रहकर अब दर्द करने लगा है.
उसने लंड चूसने से मना कर दिया.
मैंने कहा- बस थोड़ा सा मुँह में ले लो न.
मेरे बहुत जोर देने के बाद आखिर वो घुटनों पर आ गयी और एक हाथ से लंड पकड़कर मेरी ओर देखने लगी.
मैंने कहा- चलो जानू थोड़ी देर.
पता नहीं इससे पहले वो कभी चुद गयी थी या नहीं … मैंने भी नहीं पूछा, क्योंकि वो लंड को चूस नहीं रही थी … बस अन्दर बाहर करने की कोशिश करने लगी थी. इस कारण उसके दांत मेरे लंड को काट रहे थे. मैंने भी थोड़ा जोर उसके सिर पर लगाया और लंड को उसके गले में उतार दिया. वो खाँसने लगी और मेरी तरफ गुस्से से देखने लगी. मैंने भी सोचा बेकार में फ़ोर्स करना ठीक नहीं, मजा खराब हो जाएगा. मैंने उसको धक्का देकर नीचे लिटाया और उसके ऊपर चढ़ गया.
मैं फव्वारे की फुहारों के नीचे उसे दबाने मसलने लगा. कुछ देर के बाद उसके पैरों को फैला कर लंड को चूत में सैट करने लगा, लेकिन वो भी अब अन्दर आसानी से उतर नहीं रहा था.
मैंने उसके पैरों को अपने कंधे पर लिया और लंड से चूत में दबाने लगा. लंड आधा अन्दर गया और उसके मुँह से पहली बार चीख निकल पड़ी. थोड़ा सा और जोर लगाकर मैंने पूरा लंड उसकी चुत में उतार दिया और शुरूवात में हल्के धक्के देने के बाद मैंने स्पीड पकड़ ली.
अब उसके मुँह से उम अह की आवाजें निकलने लगीं. उसके पैर मेरे कंधे पर होने के कारण वो ज्यादा हिल भी नहीं पा रही थी, बस अपने दोनों हाथों से बाथरूम की फर्श रगड़ने में लगी थी.
कुछ देर धक्के देने के बाद मैं थोड़ा और झुक गया. मैंने उसके मुँह में अपना मुँह घुसा दिया और उसके होंठ चूसने लगा. साथ ही नीचे से और धक्के तेज़ करने चालू कर दिए. मेरे हर धक्के पर उसके मुँह की आवाज मैं अपने मुँह में महसूस करने लगा था. फव्वारे के पानी की वजह से मेरा लंड भी अपना पानी रोके रखा था.
करीब 15-20 मिनट धक्के देने के बाद मैं रुक गया और उसके पैर नीचे लेकर एक पैर नीचे रखकर एक पैर उठाकर अन्दर डाल दिया.
कुछ देर ऐसे ही शॉट लगाने के बाद वो बोली- अब इसका निकल क्यों नहीं रहा है?
मैंने कहा- पता नहीं … शायद इसको तेरी चुत कुछ ज्यादा ही पसंद आ गई होगी … तुम मुँह में लेकर चूसोगी तो निकल जाएगा.
पता नहीं वो थक गई थी या कुछ और था. वो बिना कुछ सोचे ‘ठीक है..’ कह गयी.
अब मैं छत की तरह मुँह करके लेट गया और उसने मेरे लंड को चूसना चालू कर दिया.
कुछ देर लंड चूसने के बाद बोली- नहीं निकल रहा है.
मैंने कहा- तुम घोड़ी बन जाओ … मैं पीछे से डालता हूँ.
वो घोड़ी बन गयी. उसकी 35 इंची गांड मेरे लंड के सामने थी. मैंने उसकी गांड पर लंड लगाया और थोड़ा जोर लगाया, तो वो आगे की तरफ गयी.
वो बोली- यहाँ नहीं.
मैंने कहा- ठीक है.
मैंने फिर से चुत पर लंड लगाकर उसके दोनों हाथ पीछे ले लिए, जिससे उसका मुँह फर्श पर रख गया और उसके चूचे फर्श पर रगड़ खाने लगे.
हमारी चुदाई फिर से चालू हो गयी.
कुछ देर होने के बाद में उसे बेड पर लेकर गया. हम दोनों चूमा-चाटी करने लगे. चूत में से लंड बाहर निकला पड़ा था. वो भी कभी कभी लंड चूस कर मुझे मजा देने लगती थी. जैसे ही मेरा लंड फुंफकार मारने लगता था. मैं उसे चोदना शुरू कर देता था. उसकी चूत को गैप मिल जाने से मजा आने लगा था.
कुछ बीस मिनट बाद मेरा लंड झड़ने को हुआ, तो मैंने उससे कहा कि मैं निकल रहा हूँ.
वो कुछ नहीं बोली तो मैंने चूत से लंड खींच कर पेट पर रस निकाल दिया.
चुदाई के बाद हम दोनों थक कर लेट गए. करीब 5 बजे वो उठी और सलवार कमीज पहनने लगी.
मैंने कहा- आई लव यू अर्चना.
तो बोली- ये सब करने से लिए ही आई लव यू है … दिन भर लेकर नहीं है.
मैं हंस दिया.
वो बोली- इसी लिए लाये थे क्या फ्लैट पर … कॉफी तो जल गयी … ये कॉफी पिलाने लाए थे.
मैं हंस दिया और ये कॉफ़ी मलाई मार कर थी मेरी जान. तुझे मजा नहीं आया क्या?
इस पर वो हंस दी और मुझे चूम कर चली गई.
बस तब से हम दोनों ने कुछ दिन और एन्जॉय कर लिया. फिर वो और भाभी पुणे से चली गईं.
तो दोस्तो, ये थी मेरी नई सेक्स कहानी, आपको कैसी लगी. मेल करके जरूर बताना.