मैं कोलकाता के पास एक छोटे से गांव का रहने वाला एक गरीब परिवार का व्यक्ति हूं हमारे परिवार में ज्यादा कोई पढ़ा लिखा नहीं है इसलिए मुझे ही काम करने के लिए कोलकता जाना पड़ा, मैं घर में सबसे छोटा हूं। मैं जब कोलकाता गया तो मैं ज्यादा किसी को नहीं जानता था परंतु मुझे तो सिर्फ पैसे कमाने थे इसलिए मैं कोलकाता में एक कंपनी में जॉब करने लगा शुरुआत में तो मुझे बहुत कम तनखा मिला करती थी लेकिन मैं काम करता रहा और धीरे धीरे सब कुछ ठीक होने लगा मेरा प्रमोशन भी होने लगा था। मुझे अब उसी कंपनी में काम करते हुए करीब 5 वर्ष हो चुके थे और इन 5 वर्षों के दौरान मेरी शादी भी हो गई मेरी पत्नी का नाम मीना है।
मेरी पत्नी बहुत ही सीधी-सादी है वह भी ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं है जिस वजह से मुझे कई बार लगता है कि मुझे उससे शादी नहीं करनी चाहिए थी लेकिन अब मेरी उससे शादी हो चुकी है तो इन बातों को अब कोई मतलब ही नहीं बनता। मैं कोलकाता में ही ज्यादा रहता था मैं अपने गांव कम ही जाया करता था मैं अपने भाई और भाभी पर बहुत भरोसा करता था और उन्हीं को मैं सब कुछ मानता था लेकिन मुझे क्या मालूम था वह लोग तो सिर्फ मेरा फायदा उठा रहे हैं। मैं इतनी मेहनत करता हूं उसके बाद मैं अपने भैया के बैंक खाते में पैसे भेज दिया करता था और उन्हें कहता कि हो इसमें से कुछ पैसे आप मीना को भी दे दीजियेगा वह कहते कि हां हम लोग मीना को पैसे दे देंगे। मेरी मीना से फोन पर कम ही बात होती थी और मुझे लगता था कि मेरे भैया और भाभी उसे पैसा दे दिया करते होंगे लेकिन वह लोग उसे बहुत कम पैसे दिया करते थे। मैं अपनी तनख्वा से आधे पैसे अपने घर भेजता था लेकिन उसके बावजूद भी वह मेरी पत्नी मीना को कभी पैसे नहीं देते थे या फिर कभी पैसे दे भी देते तो बहुत कम पैसे दिया करते थे। उसे भी पैसों की आवश्यकता होती लेकिन वह मुझसे कभी भी इस बारे में बात ही नहीं करती और ना ही मैंने कभी उससे इस बारे में पूछा हम दोनों की बात भी कम होती थी।
मेरे पास तो मोबाइल था लेकिन हमारे गांव में मोबाइल के अच्छे से नेटवर्क नहीं आते थे इस वजह से मेरी मीना से फोन पर कम ही बात हुआ करती थी। मैंने मीना से कहा कि तुम खुश तो हो वह कहने लगी हां मैं खुश हूं वह मुझे कुछ भी नहीं बताती थी। मैंने एक बार अपनी छुट्टी ली और अपने गांव चला गया मुझे गांव में कुछ काम था तो सोचा कुछ समय के लिए छुट्टी ले लेता हूं मैंने करीब 15 दिन के लिए अपने ऑफिस से छुट्टी ली थी और फिर मैं अपने गांव चला गया। जब मैं अपने गांव पहुंचा तो सब कुछ बहुत ही सामान्य था मैं अपने भैया भाभी से मिला तो वह भी खुश थे मैं उन लोगों के लिए गिफ्ट भी लाया हुआ था और उनके बच्चों को भी मैंने चॉकलेट दी सब लोग बहुत खुश थे। मैं जब मीना से मिला तो मीना के चेहरे पर भी खुशी थी क्योंकि इतने समय बाद मैं मीना से जो मिलने वाला था, मीना मुझे कहने लगी आप तो काफी समय बाद घर आ रहे हैं। मैंने मीना से कहा तुम्हें तो मालूम ही है कि मुझे अपने ऑफिस से कम ही छुट्टियां मिला करती है लेकिन उसके बावजूद भी मैंने सोचा कि चलो कुछ दिनों के लिए घर पर हो आता हूं। मैंने अपने कपड़े चेंज किये और उसके बाद मैं भैया भाभी से बात करने लगा मेरे भैया का नाम अविनाश है और मेरी भाभी का नाम रचना है। वह मुझसे कहने लगे सब कुछ ठीक तो चल रहा है मैंने उन्हें कहा हां भैया सब कुछ ठीक चल रहा है आप सुनाइए आपका काम कैसा चल रहा है। भैया ने छोटी सी दुकान खोली है और वह गांव में ही काम करते हैं जिससे कि उनका गुजर-बसर चल जाता है। कुछ पैसे मैं भेज दिया करता हूं लेकिन मुझे नहीं मालूम था कि मेरे भैया और भाभी मेरे भेजे हुए पैसों को अपने पास ही रख लेते हैं और अपनी जरूरतों को पूरा किया करते हैं। मुझे इस बात को उन्होंने कभी पता ही नहीं चलने दिया मैंने ना जाने अब तक उन्हें कितने पैसे दे दिए थे और मुझे मेरी पत्नी मीना ने भी कभी इस बारे में नहीं बताया। वह लोग उसे कई बार परेशान भी किया करते थे लेकिन उसके बावजूद भी वह मुझसे कुछ भी नहीं कहती थी मैं काफी समय बाद घर पर आया था तो मैंने देखा मीना के चेहरे पर बहुत मायूस है।
मैंने मीना से पूछा तुम इतनी उदास क्यों हो तो वह कहने लगी तुम ही बताओ क्या मैं उदास नहीं होंगी मैं घर का सारा काम करती हूं लेकिन उसके बावजूद भी रचना दीदी हमेशा मुझे ताने मारती रहती है और कहती है कि तुम कुछ भी काम नहीं करती हो। मैंने मीना से कहा कभी कबार ऐसे मनमुटाव हो जाया करते हैं लेकिन इसमें दिल पर लेने वाली ऐसी कोई बात नहीं है। मीना मुझे कहने लगी यदि मैं दिल में यह बात ले रही हूं तो इसमें कोई ना कोई बड़ी बात जरूर होगी आप समझ ही नहीं रहे हैं। मैंने मीना से कहा मैं क्या नहीं समझ रहा हूं मुझे सब कुछ मालूम है कि तुम्हारे और भाभी के बीच में किसी बात को लेकर अनबन है तुम उस बात को भूल जाओ लेकिन जब मुझे मीना ने सारी बात बताई तो मैं बिल्कुल भी यकीन ना कर सका। मुझे बहुत ज्यादा बुरा लगा और मुझे इस बात का बुरा तो लगा ही कि मेरी भाभी ने मीना को इतना परेशान किया हुआ है लेकिन मुझे अपने भैया के ऊपर भी बहुत गुस्सा आ रहा था क्योंकि उन्होंने भी मीना के साथ कुछ ठीक नहीं किया। मैंने अपने भैया की जिम्मेदारी पर ही मीना को गांव में रखा था लेकिन वह लोग तो मीना से ही घर का सारा काम करवाते थे और जो पैसे मैं मीना को भेजा करता था वह उसे देते ही नहीं थे।
मैंने जब इस बारे में भैया से कहा तो भैया मुझे कहने लगे अरे मीना झूठ बोल रही है मैंने भैया से कहा भैया मीना भला क्यों झूठ बोलेगी उसे इन सब चीजों से क्या लेना देना है लेकिन मेरे भैया तो बातों को मानने को तैयार ही नहीं थे वह अपनी गलती को बिल्कुल भी स्वीकार करने को तैयार नहीं थे। मैंने भैया से कहा मैं आपको और भाभी को अपने माता पिता के समान मानता हूं लेकिन आप लोगों ने मेरे साथ इस प्रकार से किया। मैंने मीना को आपकी ही जिम्मेदारी पर यहां रखा है लेकिन आप लोग तो उससे घर का सारा काम करवाते हैं और जो पैसे मैं भेजा करता था वह पैसे आप लोग मीना को देते ही नही हैं। मुझे इस बात का बहुत ज्यादा दुख था कि मेरे भैया भाभी ने मेरे साथ ऐसा किया मेरा पूरा भरोसा उठ चुका था और मेरा मूड भी बहुत ज्यादा खराब था। मैंने मीना से कहा मुझे नहीं लगता कि अब हम लोग यहां पर रहेंगे मैंने मीना से कहा तुम मेरे साथ चलो मीना कहने लगी हम लोग अपना घर छोड़कर कहां जाएंगे। मीना मेरे साथ आने को बिल्कुल तैयार नहीं थी लेकिन भैया और भाभी ने जो हरकत मीना के साथ की थी उससे मुझे बहुत ही दुख पहुंचा था। मैंने मीना को समझाने की कोशिश की लेकिन वह कहने लगी नहीं मैं यही खुश हूं। मैं मीना के साथ 15 दिन तक घर पर रहा लेकिन मेरा मन बिल्कुल भी घर पर नहीं लगा मुझे बहुत ही ज्यादा बुरा भी लगा क्योंकि भैया और भाभी ने बहुत गलत किया था। मैं वापस आ चुका था लेकिन अभी मेरे दिमाग में सिर्फ मीना का ही खयाल था मैं उसे हर रोज फोन किया करता लेकिन नेटवर्क की समस्या की वजह से मेरी उससे ज्यादा देर तक बात नहीं हो पाती थी। मैं जब मीना से कुछ दिनों बाद दोबारा से मिलने के लिए गया तो मीना बहुत दुखी थी वह मुझे कहने लगी भाभी मुझे बहुत ज्यादा परेशान करती है और वह मुझे बहुत सताती है।
मुझे इस बात का बहुत गुस्सा आया मैं उनके पास उनके कमरे में चला गया जब मैं उनके कमरे में गया तो मैंने देखा वह अपने कपड़े बदल रही थी। मैं गुस्से में था मैं कमरे के अंदर ही चला गया मैंने उन्हें पकड़ा तो वह ब्लाऊज पहन रही थी, उन्होंने अपने हाथों से अपने स्तनों को ढक लिया। वह मुझे कहने लगी तुम इतने गुस्से में कहां से आ रहे हो मैंने उनके स्तनों को दबाया और उन्हें पूछा आप मीना को बहुत ज्यादा तकलीफ देते हो मुझे इस बात का बहुत दुख है। वह कहने लगी ऐसा कुछ भी नहीं है उसने तुम्हें झूठ कहा होगा मैंने उनके स्तनो को दबाते हुआ उन्हें बिस्तर पर लेटा दिया। वह बिस्तर पर लेटी थी मैं उनके स्तनों को अपने मुंह में लेने लगा और उनके स्तनों को मैं चूसने लगा मुझे बड़ा मजा आ रहा था वह मेरा पूरा साथ दे रहे थे लेकिन मैंने जैसे ही उनकी योनि को चाटना शुरू किया तो उन्हें भी अच्छा लगने लगा। मैंने उनकी योनि के अंदर अपने लंड को डाल दिया मेरा मोटा लंड उनकी योनि में गया तो उनके मुंह से चीख निकल पड़ी मैं उन्हें तेजी से धक्के देने लगा।
मेरा लंड उनकी चूत के अंदर बाहर बड़ी तेजी से हो रहा था वह बहुत तेज चिल्ला रही थी मैंने उनके दोनों पैरों को अपने कंधों पर रखा और उन्हें तेजी से धक्के देने लगा। मेरे धक्के इतने तेज होते कि उनका पूरा शरीर हिल जाया करता लेकिन वह मुझे कहने लगी मुझे बडा आनंद आ रहा है मैं बहुत खुश था मेरा लंड पूरी तरीके से छिल चुका था। जैसे ही मेरा वीर्य पतन उनकी योनि में हुआ तो वह कहने लगी तुमने यह मेरे साथ क्या किया मैंने उन्हें कहा मैंने आपके साथ वही किया जो मुझे करना चाहिए था। आपकी वजह से मेरे और भैया के बीच में इतनी बड़ी दरार पैदा हुई है और अब आप मेरी पत्नी को भी परेशान कर रही हैं। वह मुझे कहने लगी इसमें भला मेरी क्या गलती है मैंने उन्हें कहा जो पैसे मैं भैया को भेजा करता था तो आपने ही उन्हें कहा था कि आप पैसे अपने पास रख लीजिए यह बात मुझे भैया ने बताई थी इसलिए मैंने भैया से उसके बाद इस बारे में बात नहीं की लेकिन आपसे मैं बहुत ज्यादा नाराज हूं।