ही रीडर्स, मैं आरूष अपनी कहानी का दूसरा पार्ट लेके वापस आ गया हू. उमीद है आपको मेरी पिछली कहानी पसंद आई होगी. जिन लोगों ने पिछला पार्ट मिस किया है, वो पहले उसको ज़रूर पढ़े.
पिछले पार्ट में आप सब ने पढ़ा की मेरी भाभी ज़्यादा खुश नही लग रही थी. और मैं समझ गया था की मेरा भाई उसको संतुष्ट नही कर पाता था. फिर किचन में मैने भाभी से ये बात बुलवानी चाही, और वो गुस्सा हो गयी.
उसके बाद मैने उनको मुझसे चूड़ने का ऑफर दिया, और अपने रूम में चला गया. कुछ देर में भाभी मेरे रूम में आई, तो मैं उनको च्चिधने लगा. इसके आयेज क्या हुआ, चलिए जानते है.
भाभी मुझे गुस्से से देख रही थी, और मैं उनसे पूच रहा था की वो मुझे क्या बोलने आई थी. लेकिन वो बस मुझे घूरे जेया रही थी. फिर मैं बिस्तर से उठा, और उनके पास जाके बोला-
मैं: क्या हुआ भाभी, थप्पड़ मारने का दिल कर रहा है.
भाभी: दिल तो कर रहा है तेरा मूह तोड़ डू.
फिर मैने बेशरम बन कर अपना मूह आयेज किया, और बोला-
मैं: लो मार लो भाभी, अगर इससे आपके कलेजे को ठंडक मिलती है.
भाभी ने उसी वक़्त मुझे थप्पड़ मारने के लिए हाथ उठाया, और खींच के थप्पड़ मारने लगी. मैने तभी उनका हाथ पकड़ लिया, और उनको घुमा कर फिरसे अपनी बाहों में भर लिया.
भाभी मुझसे छूटने की कोशिश करते हुए बोली-
भाभी: छ्चोढ़ मुझे हरामी.
मैं: ओह हरामी! इतना गुस्सा भाभी जी. आइए आज मैं आपका गुस्सा निकालता हू.
ये बोल कर मैने भाभी को अपनी तरफ घुमाया, और पीछे दीवार पर लगा लिया. उनकी साँसे तेज़ थी, और पल्लू ब्लाउस से नीचे खिसक कर उनकी क्लीवेज के दर्शन करवा रहा था. मुझे अब इस सेक्सी शेरनी का शिकार करना था.
तभी मैने अपने होंठ उनके होंठो के साथ चिपका दिए, और उनके होंठ चूसने लगा. भाभी मुझे डोर करने की कोशिश कर रही थी, लेकिन असफल रही. मैं खींच-खींच कर उनके होंठ चूस रहा था. लगभग 10 मिनिट उनके होंठ चूसने के बाद मैने उनको छ्चोढा.
भाभी की साँसे तेज़ थी, और उनके बूब्स साँस लेते हुए उपर-नीचे हो रहे थे. अब मुझे उनके चेहरे पर गुस्सा नही बल्कि रज़ामंदी के भाव दिख रहे थे. फिर मैने दोबारा उनका हाथ पकड़ा, और उनको बेड की तरफ लेके जाने लगा.
इस बार वो आराम से मेरे साथ चल दी. फिर मैं बेड पर जाके बैठ गया, और भाभी को अपनी गोद में बिता लिया. मैने उनका पल्लू पूरी तरह से उनके बूब्स से हटाया, और एक हाथ से बूब्स को दबाते हुए उनकी गर्दन और क्लीवेज पर किस करने लगा.
क्या मस्त खुसबु आ रही थी भाभी के जिस्म में से, एक-दूं कामुकता से भारी. मैं उनकी क्लीवेज में मूह डाल कर उसको चाट रहा था. अब भाभी ने अपना हाथ मेरे सर के पीछे रख लिया था, और मेरे सर को अपनी ब्रेस्ट में दबा रही थी. वो मदहोश हो चुकी थी.
फिर मैने भाभी को खड़ा किया, और उनकी सारी खोल कर उतार दी. अब वो ब्लाउस और पेटिकोट में थी. मैं बेड पर बैठा, और उनके खड़े रहते ही उनकी कमर पर किस करके उनकी नाभि को चूसने लगा. वो हल्की सिसकियाँ ले रही थी. फिर मैने उनके पेटिकोट का नाडा खोला, और उसको नीचे गिरा दिया.
अब नीचे बस पनटी बची थी. फिर मैने उनको बेड पर लिटा लिया. भाभी अब चूड़ने को पूरी तरह से तैयार थी. मैं अपने कपड़े उतार रहा था, और तब तक भाभी ने खुद ही लेते-लेते अपना ब्लाउस और ब्रा उतार दिए. अब उनके रसीले बूब्स मेरे सामने थे, और वो बस पनटी में थी.
मैं पूरा नंगा हो गया, और मेरा लंड देख कर वो खुश हो गयी. वो जल्दी से घुटनो के बाल आई, और मेरे लंड को हाथ में लेके बोली-
भाभी: ये तो बहुत बड़ा है. काश तुम्हारे भाई का भी ऐसा होता.
मैं: भाभी ये भी आपका ही है.
भाभी ने मेरी तरफ मुस्कुरा कर देखा, और लंड मूह में डाल कर चूसने लगी. इस दौरान मैं उनके चूतड़ मसालने लग गया. कुछ देर लंड चूस कर भाभी ने उसको आचे से गीला कर दिया. फिर मैने उनको सीधा किया, और उनकी चूचियों को चूसने लग गया. क्या मस्त स्वाद था उनकी चूचियों का.
उसके बाद मैने उनको फिरसे बिस्तर पर लिटा दिया. उनकी पनटी छूट वाली जगह से बिल्कुल गीली हुई पड़ी थी. मैने उनकी पनटी उतरी, और मुझे दर्शन हुए उनकी क्लीन-शेव्ड चिकनी छूट के. मैने देखते ही उनकी छूट पर अपना मूह लगा लिया, और जीभ फेर कर उसको चाटने लगा.
इससे भाभी के जिस्म में करेंट सा लगने लगा. फिर मैने उनकी छूट की फांको को खोला, और उसमे अपनी जीभ डाल कर भाभी की छूट के दाने को सहलाने लगा. भाभी इतनी उत्तेजित हो गयी थी, की उनकी छूट ने पानी छ्चोढ़ दिया. मैने उनका सारा अमृत रस्स पी लिया. मैने चाट-चाट कर उनकी छूट सॉफ कर दी.
फिर मैं भाभी के उपर आया, और उनकी छूट पर लंड रगड़ते हुए धक्का मारा. जैसे ही लंड आधा अंदर गया, वो चीख पड़ी. मैने उनका मूह अपने मूह से बंद किया, और धक्के मार कर पूरा लंड अंदर घुसा दिया. वो दर्द से तड़प रही थी, लेकिन मैं उनकी टाइट छूट को खोलने में लगा था.
जब पूरा लंड अंदर चला गया, तो मैने 2-3 बार आयेज-पीछे होके और धक्के लगाए. फिर मैं रुक गया, और दर्द कम होने की वेट करने लगा. जैसे ही उनका दर्द कम हुआ, मैं धीरे-धीरे उनको छोड़ने लगा. अब मुझे उनके चेहरे पर चरम सुख नज़र आ रहा था. मैने उनका मूह छ्चोढ़ दिया, और तेज़ धक्के लगाने लगा. भाभी बोली-
भाभी: आहह आरूष बहुत मज़ा आ रहा है. इतने दीनो में आ तुम्हारे भाई ने इतना मज़ा नही दिया. आ करते रहो आरूष आ. आज से तुम ही मेरे पति हो आह. ज़ोर से करो आ.
मैं ज़ोर-ज़ोर से धक्के मार कर भाभी को छोड़ता रहा. 20 मिनिट बाद मैने भाभी से कहा-
मैं: भाभी मेरा होने वाला है.
भाभी: कोई ज़रूरत नही है बाहर निकालने की. मेरे अंदर ही निकाल दो.
फिर मैने कुछ और धक्के लगा कर भाभी की छूट को अपने माल से भर दिया. उसके बाद से हमारा नाजायज़ रिश्ता आज तक चल रहा है.
दोस्तों कहानी यहा ख़तम होती है. अगर आपने एंजाय किया हो, तो इसको फ्रेंड्स के साथ भी शेर ज़रूर करे.
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