हेलो दोस्तो, मेरा नाम मोहन है. मैं 50 साल का हू. मेरी हाइट 5’11” है, और मेरे लंड का साइज़ 7 इंच है. मेरी बीवी को मॅर हुए कई साल हो गये है, और मेरी फॅमिली में सिर्फ़ मैं और मेरी एक बेटी है.
बेटी मेरी शादी-शुदा है, और उसकी उमर 26 साल है. उसकी शादी 2 साल पहले हुई थी. उसका नाम बबिता है. बेटी मेरी काफ़ी सेक्सी है, और मैं हफ्ते में कम से कम एक बार उसको ज़रूर छोड़ता हू. अब आप सोच रहे होंगे, की मैं अपनी बेटी को कैसे छोड़ सकता हू.
ये जो कहानी है, ये इसी बारे में है. इसमे मैं आपको बतौँगा, की कैसे मेरे और मेरी बेटी के बीच में जिस्मानी संबंध बने, और कैसे मैने उसके टूट-ते हुए घर को बचाया. तो चलिए कहानी शुरू करते है.
जब मेरी बीवी को डेत हुई, तब मेरी बेटी सिर्फ़ 12 साल की. उसकी परवरिश मैने अकेले ही की. मुझे बहुत मुश्किल होती थी, उसके सवालो के जवाब देने में. लेकिन फिर भी मैं किसी ना किसी तरह से मॅनेज करता था.
फिर जैसे-जैसे वो बड़ी हुई, उसके शरीर के अंगो में उभार आने लगा. वो मेरी बेटी थी, तो मैं उसको बुरी नज़र से नही देख सकता था. लेकिन एक मर्द की नज़र तो औरत पर रहती ही है.
फिर वो 18 साल की हुई, और उसने अपनी जवानी में कदम रखा. उसके बूब्स अभी इतने बड़े नही थे, लेकिन टाइट थे. उसकी गांद भी अची थी. जब वो स्कर्ट पहन कर स्कूल जाती थी, तो मेरी नज़र बार-बार उसकी जाँघो पर रहती थी.
लेकिन मैने कभी भी उसको उस तरीके से नही छुआ. जब वो 24 साल की थी, तब उसका साइज़ 34″27″36″ था. वो कमाल की लगने लग गयी थी. कभी-कभी जब वो प्यार से मुझे हग करती थी, तो मुझे ग़लत ख़याल आने लगते थे.
मैं सालो से प्यासा था, और अपनी बीवी के बाद किसी दूसरी औरत के पास नही गया था. आइयशी के लिए मेरे पास पैसे नही थे, तो मुझे अपने हाथ से ही गुज़ारा करना पड़ता था. अब जब मैं बबिता को क़ास्सी हुई ड्रेसस में देखता था, तो मेरे लंड में हरकत होने लगती थी. पर फिर भी मैं अपने आप को कंट्रोल कर लेता था.
फिर एक दिन बबिता ने मुझे एक लड़के के बारे में बताया. लड़का बहुत अछा था, और उसकी फॅमिली भी अची थी. बबिता भी उसको पसंद करती थी, तो मैने उसकी शादी कर दी. जिस दिन उसकी शादी हुई, तो वो दुल्हन बन कर मस्त लग रही थी.
उसको विदा करने के बाद जब मैं सोने लगा, तो मेरे दिमाग़ में उसकी सुहाग-रात के ख़याल आने लगे. उस रात मैने पहली बार अपनी बेटी के बारे में सोच कर मूठ मारी. मैं सालो से प्यासा था, तो मुझे बहुत मज़ा आया.
उस रात के बाद मैं रोज़ बबिता को इमॅजिन करके मूठ मारने लगा. फिर एक दिन कुछ ऐसा हुआ, की मुझे अपनी बेटी को छोड़ने का मौका मिल गया. शादी के एक महीने के बाद बबिता कुछ दीनो के लिए घर रहने आई. मैं बहुत खुश था.
फिर जब मैने उसको देखा, तो उसके चेहरे पर मुझे खुशी नज़र नही आ रही थी. जब मैने उसको जमाई के ना आने का रीज़न पूछा, तब भी उसने कुछ सही से नही बताया. पहली रात मैने उससे पूछा-
मैं: बबिता तू खुश तो है ना?
बबिता: हा पापा.
उसकी हा में दूं नही था, तो मैने उससे पूछा-
मैं: बेटा मुझे नही लग रहा की तू खुश है.
वो गुस्से में बोली: पापा बोला तो है, की खुश हू.
और ये बोल कर वो रूम में चली गयी. उसी रात मैने उसको उसके पति से फोन पर लड़ते हुए सुना. फिर मैं उसके रूम में गया, और बोला-
मैं: बबिता अगर कोई प्राब्लम है, तो तुम मुझे बता सकती हो. अगर बताॉगी नही, तो सॉल्व कैसे होगी?
बबिता: पापा राहुल( उसका पति) में मुझे खुश करने का दूं नही है. अब बताओ, की आप कुछ कर सकते हो? मुझे लगता है की मुझे उससे डाइवोर्स लेना होगा.
मैं उसकी बात समझ गया था, की वो सेक्षुयली सॅटिस्फाइड नही थी. उसकी डाइवोर्स वाली बात सुन कर मैं दर्र गया. फिर मैं बिना कुछ बोले अपने रूम में आ गया. मेरी फाइनान्षियल कंडीशन इतनी अची नही थी, और ना ही मैं अपनी डिवोर्स्ड बेटी को घर पर बिता सकता था.
फिर मैने सोचा, की बात तो सेक्षुयल सॅटिस्फॅक्षन की ही है, तो क्यू ना मैं बबिता को छोड़ डू. ये सोचते ही मेरा लंड खड़ा हो गया. अब मेरी हवस मेरी बेटी के लिए जाग गयी थी. मुझे उसका घर टूटने से बचना था, और मेरे मॅन में जो उसके लिए प्यास थी, उसको भी बुझाना था.
ये सोच कर मैं उसके रूम में गया. वो सोई हुई थी. उसने लाल रंग का शर्ट और काले रंग की लेगिंग पहनी थी. वो उल्टी लेती हुई थी, और उसका शर्ट उसकी गांद से उपर उठा हुआ था. लेगैंग्स में उसकी गांद का सीन ज़बरदस्त लग रहा था.
फिर मैं उसके पास गया. उसके हाथो का चूड़ा उसको और सेक्सी बना रहा था. मैं अपना फेस उसकी गांद के पास ले गया, और उसको स्मेल करने लगा. उसके जिस्म की खुसबु तो कमाल की थी.
फिर मैने अपने सारे कपड़े उतार दिए. मेरा लंड फंफना रहा था, और मेरी बेटी की तरफ इशारा कर रहा था. फिर मैं उसके उपर गया, और उसकी गांद पर किस करने लगा.
मैने उसकी लेगैंग्स को कमर से पकड़ा, और नीचे कर दिया. अब उसकी लेगैंग्स उसकी जाँघो पर थी. फिर मैं उसकी जाँघो को चूमने लगा. तभी वो तोड़ा हिली, और सीडी हो गयी. वो गहरी नींद में थी.
अब उसके बड़े-बड़े बूब्स पहाड़ की तरह मेरे सामने थे. मैं उसके उपर लेट गया, और मैने उसके होंठो को चूमना शुरू कर दिया. वो जाग गयी, और हैरान होके हिलने लगी.
मेरा वेट ज़्यादा था, तो वो अपने आप को चुधवा नही सकती थी. मैं उसको लगातार किस करता रहा. उसने थोड़ी देर मुझे हटाने की कोशिश की, लेकिन फिर वो किस में मेरा साथ देने लगी. 5 मिनिट की किस के बाद मैने उसके होंठ छोढ़े. तभी वो बोली-
बबिता: पापा मैं आपकी बेटी हू.
मैं: मैं तुम्हारा घर नही टूटने दूँगा. इसलिए जो चीज़ तुम्हे राहुल नही दे सका, वो मैं दूँगा.
ये बोल कर मैने उसकी गर्दन पर किस करना शुरू कर दिया. उसने कुछ देर नाटक किया, लेकिन फिर मेरे सिर में हाथ फिराने लगी. छूट की आग बस लंड देखती है. चाहे फिर वो लंड किसी का भी हो.
फिर मैने उसका शर्ट और ब्रा उतार दिए. जिन बूब्स को मैने इमॅजिन किया था अब तक, आज वो मेरे सामने थे. फिर मैने पागलो की तरह उसके बूब्स चूसने शुरू कर दिए. वो कामुक आहें भर रही थी.
उसके निपल्स बड़े हार्ड थे. हॉट बेटी पैदा की थी मैने. फिर मैं उसकी कमर को चूमते हुए नीचे गया. मैने उसकी पनटी पर से उसकी छूट को थोड़े किस किए, और फिर पनटी उतार दी. अब मेरी बेटी की गरम छूट मेरे सामने थी. मैने उसकी छूट पर अपना मूह लगाया, और उसको चूसने लग गया.
बबिता गांद हिला-हिला कर मुझसे अपनी छूट चुस्वा रही थी. वो बोल रही थी-
बबिट: आह पापा ज़ोर से करो आहह. आज बुझा दो इसकी आग को. कम ओं दादी! आहह.
मैं भी जीभ मार-मार कर उसकी छूट चाट रहा था. फिर मैने अपना लंड उसकी छूट पर रगड़ना शुरू किया. लंड देखते ही उसकी आँखों में चमक आ गयी. वो जल्दी से उठी, और उसने मेरा लंड अपने मूह में डाल लिया.
वो किसी रंडी की तरह मेरा लंड चूसने लग गयी. मैने भी उसके मूह में धक्के देने शुरू कर दिए. अब मुझे वो कोई छिनाल लग रही थी. फिर मैने उसको सीधा लिटाया, और उसके मूह पर थप्पड़ मारा.
मैने लंड उसकी छूट पर सेट किया, और ज़ोर के धक्के से पूरा लंड उसकी छूट में घुसा दिया. मेरा लंड उसकी छूट चीरते हुए अंदर चला गया. वो चीखने लगी, लेकिन मैने उसको लीप-लॉक कर लिया.
फिर मैं उसके बूब्स मसलता गया, और ताबाद-तोड़ धक्के देता गया. क्या मज़ा आ रहा था अपनी बेटी को छोड़ने में. उसने भी मुझे अपनी बाहों में जाकड़ लिया था, और मुझे और उत्तेजित कर रही थी.
मैं उसके पुर बदन को चूस रहा था, और अपने लंड से उसकी छूट की चुदाई कर रहा था. फिर हमने पोज़िशन बदली, और मैने उसको घोड़ी बना लिया. मैने पीछे से उसकी छूट में लंड डाला, और उसको छोड़ने लगा.
मैने अपना अंगूठा उसकी गांद में फ़ससा दिया, और उसकी डबल चुदाई करने लगा. उसकी गांद मैने ठप्पड़ो से लाल कर दी. फिर वो आह आहह करने लगी, और उसके माल की पिचकारी मुझे अपने लंड पर फील हुई. मैं धक्के मारता गया, और 5 मिनिट बाद मैने अपना माल उसकी छूट में ही निकाल दिया.
अब मेरी बेटी को लंड मिल चुका था, तो उसके पास डाइवोर्स की कोई वजह नही थी. उसको अब जब भी मज़ा चाहिए होता है, तो वो मेरे पास आती है. और मुझे भी उसके जिस्म की गर्मी का मज़ा मिलता है.
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