पिछला भाग पढ़े:- मेरे घर आई थी एक सुंदर पारी-2
ही रीडर्स, मेरा नाम अजय है. और मैं उप का रहने वाला हू. ये मेरी कहानी का तीसरा पार्ट है. आशा करता हू, की आप सब ने कहानी का पहला और दूसरा पार्ट पढ़ा होगा. और ये भी आशा करता हू, की आपको अभी तक की मेरी स्टोरी अची लगी होगी.
पिछले पार्ट में आपने पढ़ा था, की मैने अपनी साली रूपा को अपनी बेटी किंजल को ज़रूरी बातें समझने के लिए बुलाया था. फिर हम दोनो के अकेलेपन्न ने हमे मिला दिया, और हमारी चुदाई हो गयी. चलिए अब आयेज बढ़ते है.
रूपा और मैं आपस में चुदाई करके बहुत खुश हो गये थे. फिर अगले दिन भी हमने चुदाई की, और एक हफ़्ता लगातार हम चुदाई करते रहे. बहुत मज़ा आ रहा था. लेकिन तभी कुछ अजीब हुआ.
एक दिन किंजल को रूपा किसी बात पर कुछ समझा रही थी, की तभी अचानक किंजल उसके आयेज से बोल पड़ी. उन दोनो में काफ़ी ज़बरदस्त बहस हो गयी. मैने किंजल को समझने की कोशिश की, लेकिन वो चुप नही हुई.
मैने आज से पहले किंजल को ऐसा बिहेव करते नही देखा था. फिर गुस्से में किंजल ने रूपा को अपने घर वापस जाने का बोल दिया. रूपा को उसकी बात बहुत बुरी लगी, और मेरे लाख समझने के बाद भी वो वापस चली गयी.
मुझे किंजल पर गुस्सा तो बहुत आया, लेकिन ये उसका पहली बार था, तो मैने उसको माफ़ कर दिया. कुछ दिन बाद ही मेरी बेटी का 19त बर्तडे था. मैने काफ़ी तैयारी की थी उसका बर्तडे सेलेब्रेट करने के लिए.
फिर बर्तडे वाला दिन आया, और पार्टी हुई. मेरी बेटी उस दिन बहुत खूबसूरत लग रही थी. उसने रेड कलर की स्लीव्ले वन-पीस ड्रेस पहनी थी. उसको देख कर पता चल रहा था, की अब वो जवान हो चुकी थी. रूपा भी पार्टी पर आई थी, लेकिन किंजल ने आज भी उससे ढंग से बात नही की.
फिर सब चले गये. जब किंजल और विनोद सो गये, तो मैं अपने रूम में बैठा था. मुझे नींद नही आ रही थी, और मैं रूपा को मिस कर रहा था. मेरा सेक्स करने का बहुत दिल था, तो मैने अपना लंड निकाल कर हिलना शुरू कर दिया.
मैं मूठ मारने में मस्त हो गया, और मदहोश हो कर लंड हिला रहा था. तभी मुझे अपने लंड पर किसी का हाथ महसूस हुआ. जब मैने आँखें खोली, और देखा तो सामने किंजल घुटनो के बाल बैठी थी. उसका हाथ मेरे लंड पर था.
मैं हड़बड़ा गया, और जल्दी से खड़ा होके अपना लंड च्छुपाने लगा. लंड अंदर करके मैने उसको गुस्से से बोला-
मैं: किंजल! ये क्या बदतमीज़ी है? तुम्हे नॉक करना चाहिए था. और ये तुम क्या कर रही थी. मैं तुम्हारा पापा हू, तुम मेरे प्राइवेट पार्ट को नही चू सकती.
किंजल: क्यूँ पापा?
मैं: क्या मतलब क्यूँ?
किंजल: जब रूपा मौसी चू सकती है, तो मैं क्यूँ नही?
उसकी ये बात सुन कर मैं हैरान हो गया. मुझे समझ नही आया, की उसको मेरे और रूपा के बारे में कैसे पता चला. फिर मैं तोड़ा घबरा कर बोला-
मैं: तुम क्या बोल रही हो?
किंजल: दाद मैने देखा है आपको और रूपा मौसी को सेक्स करते हुए. जब पहली बार वो आपके रूम में आई थी, मैने तभी देख लिया था. मुझसे ये बर्दाश्त नही हुआ, की मेरे होते हुए मेरे दाद को कोई और प्यार करे. दाद ई लोवे योउ. आप मुझसे प्यार कर सकते है.
और ये बोल कर किंजल ने अपनी वन-पीस ड्रेस उतार दी. मेरी आँखें फटत गयी. मेरी बेटी मेरे सामने ब्रा और पनटी में खड़ी थी. क्या फिगर था उसका 32-28-34 का. उसको देख कर ही मेरा लंड खड़ा हो गया.
फिर किंजल मेरे पास आई, और उसने अपने होंठ मेरे होंठो से लगा दिए. मेरे दिमाग़ में इतना कुछ चल रहा था, की मैं सही-ग़लत का फैंसला नही कर पा रहा था.
वो लगातार मुझे किस किए जेया रही थी. उसके होंठो का स्वाद इतना बढ़िया था, की मैं भी उसका साथ देने लगा. अब हम दोनो की आँखें बंद थी, और हम किस में खो गये.
मेरे हाथ किस करते हुए अपने आप की उसकी गांद तक पहुँच गये. मैं उसकी गांद को प्रेस करने लगा. क्या सॉफ्ट गांद थी उसकी, और स्किन भी कमाल की थी. हम दोनो की किस लगातार वाइल्ड होती जेया रही थी.
फिर हम ऐसे ही बेड पर चले गये. हमारी किस ब्रेक हुई, और मैने उसकी शकल देखी. वो मेरी तरफ देख कर स्माइल कर रही थी. जब मैने उसकी शकल देखी, तो मेरे अंदर का बाप जाग गया.
मैने सोचा की ये मेरी बेटी थी, और मैं इसके साथ ऐसा कैसे कर सकता था. मुझे उसका बचपन का खेलना याद आ गया. मैं उसी वक़्त पीछे होके खड़ा हो गया, और बोला-
मैं: नही किंजल. तुम मेरी बेटी हो, और मैं तुम्हारे साथ ऐसा नही करूँगा.
किंजल: दाद ई लोवे योउ. मैं जो आप से बोल रही हू, की करो मेरे साथ. तो आपको क्या दिक्कत है?
मैं: नही, प्लीज़ लीव.
लेकिन वो नही जेया रही थी. मैने उसको बहुत बार बोला, लेकिन वो नही गयी. मजबूरन मुझे उसको धक्के मार कर बाहर निकालना पड़ा.
फिर मैं सो गया. सोने में मुझे बड़ी मुश्किल आई. पूरी रात किंजल की बातें ही दिमाग़ में चलती रही. फिर सुबा नाश्ता किया, और काम पर लग गया. शाम तक सब नॉर्मल था. जब बच्चे घर आए तो मैं उनके साथ बैठ कर टीवी देखने लगा.
तू देखते हुए किंजल मेरी रिघ्त साइड बैठी थी, और विनोद लेफ्ट में था. अचानक से किंजल ने मेरे लंड पर हाथ लगाया. इससे मैं दर्र गया, और वाहा से उठ गया.
किंजल अब बार-बार मुझसे पंगे ले रही थी. वो छ्होटे-छ्होटे कपड़े पहन कर मुझे अपने बॉडी पार्ट्स दिखाने लगी. कभी वो शॉर्ट स्कर्ट पहन कर मेरे सामने झुक जाती, और उसकी पनटी में गांद दिखाई देती. कभी वो झुक कर अपने बूब्स दिखती.
मुझे समझ नही आ रहा था, की मैं क्या करू. फिर एक दिन मैने उसको हॉस्टिल भेजने का फैंसला लिया. किंजल ने मेरी बड़ी रिक्वेस्ट की, लेकिन मैने फिर भी उसको पढ़ने के लिए हॉस्टिल भेज दिया.
इसके आयेज क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा. कहानी का मज़ा आया हो, तो उसको शेर ज़रूर करे.
अगला भाग पढ़े:- मेरे घर आई थी एक सुंदर पारी-4