नमस्कार।
मैं रोहित 24 का, और माँ वेणु 49 की है। बस माँ-पापा ही हैं मेरे परिवार में। दीदी की शादी हो चुकी है। मेरी मम्मी बहुत सुंदर दिखती है। 36″ के दूध और 34″ की गांड मेरा लंड खड़ा करने में कोई कसर नहीं छोड़ते थे। मैं अबतक तो उसकी पैंटी सूंघ कर और चाट कर हिलाता था, और उसकी क्लीवेज देख खुश रहता था। चोदने को तरसता था उसे, पर वो एक सपना ही लगता था। भगवान ने फिर मौका दिया, और माँ को चोदने का मौका मिला।
हुआ यूं, कि पापा और मम्मी के बीच झगड़े हो रहे थे। गाली-गलौच मार-पीट हो रही थी। गुस्से में माँ मेरे कमरे में रहने आ गयी।
मैं शुरू से माँ को चोदना चाहता था। आज खुद के रुम में रात को मां को पाकर मन मचल गया। पर धैर्य जरूरी है। मैं माँ को अच्छा महसूस कराने के लिए घुमाने ले गया, और 3-4 दिन काफी खुश किया।
उनका गुस्सा पापा के लिए कम ही नहीं हो रहा था। मैंने बात करनी चाही तो पहले कुछ नहीं बताया, पर बहुत बार बोलने पर बताया कि पापा और हमारी किरायेदार के बीच चक्कर था। हमारा खुद का घर है और 3 किराएदार भी रहते हैं। उनमें एक से पापा का चक्कर था।
आधी रात उसके कमरे से निकलते मम्मी पकड़ी थी कई बार पापा को। उसका पति किसी काम से बाहर रहता था, तो इनको मौका मिल जाता था आधी रात उनके घर में घुसने का।
वो माँ को रेंट भी नहीं देती। बाकी सबसे रेंट मम्मी ही लेती है। लेकिन वो नहीं देती थी और कहती थी आपके पति को दिया। मतलब रेंट नहीं ले रहे पापा।
इसी मुद्दे पर पापा मम्मी में झगड़े चल रहे थे।
अब 5 दिन हो गए थे। मम्मी उदास ही रहती थी। मम्मी काफी हसमुख रहती है हमेशा पर इस झगड़े और पापा के चक्कर से मम्मी काफी दुखी थी। मैं मम्मी के दुःखी चेहरे से उदास था। मैं वापस मम्मी को खुश देखना चाहता था एक बेटे के रूप में। और एक बुद्धिमान बेटे के रूप में मम्मी को चोदना भी चाहता था। एक पंथ दो काज।
मैंने सोचा मम्मी को खुशी भी के दूं, चोद भी लूं, तो मज़ा आ जाये। 1 पंथ 2 काज।
मैंने मम्मी से बात करनी शुरु की। आज लड़ाई का छठा दिन था। सुबह के 10 बजे थे, पापा ऑफिस में थे, और मैं माँ से वार्तालाप कर रहा था। गुस्सा थूकने को कह रहा था। कुछ ऐसे-
मैं: माँ तुमको ऐसे दुखी अब नहीं देख सकता। गुस्सा थूक दो। अब खुश हो जाओ।
माँ: तुम बताओ पापा 2 बजे रात किराएदार के यहां क्या करेंगे जब उसके यहां कोई मर्द नहीं है? क्या वो धोखा नहीं है?
और मम्मी रोने लगी।
मैं: माँ इसका उपाय ये तो नहीं है, दुखी रहना। इसका जो उपाय है वो करना चाहिए। जो हुआ सो हुआ, अब दुःखी मत रहो।
माँ: भूल जाऊं की धोखा दिया? भूल जाऊं बोलो? कैसे भूलूं?
मैं: देखो माँ, इसका कोई तो उपाय सोच कर झगड़ा खत्म करो।।
माँ: जब तक तेरे पापा को इसकी सजा ना दूं, मन शांत नहीं होगा मेरा।
मैं: क्या सजा दोगी? पुलिस में जाओगी?
माँ: नहीं, पोलिस में घर का पैसा ही खर्च होगा।
मैं: बात तो सही है। तो मारो उनको। बोलो तो मैं बहस करूं?
माँ: नहीं-नहीं। तुम कुछ मत बोलो उनको। तुम इन सब से दूर रहो।
मैं: देखो माँ गुस्सा नहीं जा रहा तो बदला लो। तब ठीक होगा मूड तेरा।
माँ: नहीं पता कब मूड ठीक होगा, पर बदला नहीं ले सकती। मैं कहीं बाहर वाले के पास नहीं जा सकती उसके जैसे।
मैं: मूड तो ठीक करना पड़ेगा मम्मी तुमको। तबीयत खराब हो जाएगी। खाती पीती भी नहीं हो।
माँ: मुझसे भूले नहीं भूल रहा। धोखा क्यों दिया? कैसे भूल जाऊँ?
मैं: माँ ऐसे गुस्से बदला लेने के बाद ही शांत होते हैं। तभी भूल पाते हैं लोग।
माँ: बदला नहीं ले सकती। उनके जैसी नहीं हूँ। मुझे घर की इज्जत का खयाल है। बाहर नहीं जाने दूंगी। तो ये सब मत बोल तू।
मैं: मेरे पास एक आईडिया है। बदला बिना बाहर गए भी मिल सकता है। तुम्हारा मूड ठीक करने के लिए ये सोचा हूँ।
माँ: कैसे घर में रह कर बदला होगा?
मैं (मेरा खड़ा हो चुका था सोच कर ही): माँ बुरा मत मानना। पर तुम्हारा मूड ठीक करने के लिए करना है।
मैंने लोअर उतार दिया, और केवल अंडरवियर में खड़ा हो गया। मेरा खड़ा लंड चड्डी में तम्बू बना चुका था। पर मां भी गुस्से में थी पापा पर।
वो बोली: ठीक कह रहे हो बेटा, बदला तो लेना होगा। पर तेरे साथ कैसे? तुम तो बेटे हो। अच्छा नहीं लगेगा।
मैं: माँ तुमको ऐसे दुःखी नहीं देख सकता मैं। अब मेरे दिमाग में जो आया मैं बोल रहा हूँ। तुम्हारा खुश होना जरूरी है, वरना तबियत खराब होगी।
माँ: इतना चिंता है मेरी। मुझे तो पता ही नहीं था मेरा बेटा इतना ख्याल रखने वाला है।
मैं: माँ ये तो हर बेटे का कर्त्तव्य है ना। ऐसे भी तुम बहुत सुंदर हो। तुम्हारा हर चीज आकर्षक है। पता नहीं क्यों पापा झगड़ा करते हैं?
माँ: क्या-क्या आकर्षक है मेरा बेटे। माँ को बड़े गहराई से मुआयना कर चुके हो (वो मुस्कुराते हुए बोली)।
मैं: माँ तुम्हें ऊपर वाले ने बड़े ध्यान से बनाया है। शरीर की कटिंग बहुत अच्छी है। स्माइल तेरी मन मोह लेती है। तेरे होठ भी मम्मी बड़े अच्छे लगते हैं। इतना सुंदर हो, गोरा बदन। बॉलीवुड की हिरोइन लगती हो।
माँ: सच में?
मैं: हाँ माँ, खुद देखो खुद को। क्या मेरी बात गलत हैं। इस उम्र में उतनी सुंदर नहीं होती बाकी औरतें।
माँ: बस कर। मैं इतनी भी सुन्दर नहीं हूँ। माँ की इतनी तारीफ क्यो कर रहे हो?
मैं: माँ बदला ले लो। गुस्सा शांत हो जाएगा। मुझपे भरोसा करो।
माँ: तुझपे भरोसा है। पर बदला लेना चाहिए कि नहीं। क्या करूं?
मैं: देखो बिना बदला लिए खुश नहीं हो पाओगी। वो 2 बजे रात किराएदार के यहां क्या करते होंगे ये अच्छे से मुझे भी पता है, और तुम्हें भी।
माँ: हाँ, सही बोल रहे हो। तुम मदद करोगे मेरी बदला लेने में।
मैं: हां माँ। तुम्हारे लिए कुछ भी करूँगा।
माँ: कैसे मदद करोगे?
मैं माँ के नजदीक गया और उनके होठों को छू कर सहलाने लगा। इतनी प्यारी और सुंदर मां की मदद कौन नहीं करेगा। मैंने अपनी टी-शर्ट और बनियान उतार दी और सिर्फ चड्डी में उनके बूब्स दबाने लगा। माँ कुछ नहीं बोली और आंख बन्द कर ली। आगे अगले भाग में। कमेंट में बताएं मैंने ठीक तो किया ना?