ही फ्रेंड्स, मैं हू समीर, और मैं यहा अपनी कहानी के अगले पार्ट के साथ आया हू. मेरी पिछली स्टोरी को बहुत सारा प्यार देने के लिए मैं आपका तहे दिल से शूकर-गुज़ार हू. उमीद है की कहानी के इस पार्ट को भी आप उतना ही प्यार देंगे, जितना की पिछले पार्ट को दिया था.
पिछले पार्ट में आपने पढ़ा था, की हमारे घर के पड़ोस वाली आंटी कंप्लेंट करती रहती थी, और उसकी कंप्लेंट्स से सब परेशन थे. फिर मैने उसको किस किया, जिससे वो गुस्सा होके चली गयी. लेकिन फिर अगले सनडे के दिन वो मेरे पास चूड़ने आ गयी. अब आयेज बढ़ते है.
पहली चुदाई के बाद आंटी हर सनडे मेरे पास चूड़ने के लिए आने लगी. उनको तो जैसे मेरे लंड से प्यार हो गया था. वो किसी रंडी की तरह मेरा लंड चूस्टी थी, और मुझसे अपनी छूट चुस्वती थी. फिर एक दिन कुछ ऐसा हुआ, जो मैने सोचा नही था.
सनडे का दिन था, और हर बार की तरह आंटी 10 बजे के करीब मेरे घर पर आ गयी. मैने दरवाज़ा खोला, और आंटी को देखा. आज आंटी ने ब्लू जीन्स और वाइट कुर्ता पहना हुआ था. टाइट जीन्स में आंटी की जांघें और गांद कमाल की लग रही थी.
आंटी अंदर आई, और हम दोनो ने एक-दूसरे को हग कर लिया. फिर बिना कोई बात किए हम दोनो किस करने लग गये थे. मुझे अपनी बीवी को छोड़े टीन दिन हो गये थे, तो मैं काफ़ी हॉर्नी हुआ पड़ा था. मैने किस करते हुए आंटी की गांद दबानी शुरू कर दी.
हमारी किस और वाइल्ड हो गयी, और मैने आंटी को अपनी बाहों में उठा लिया. फिर वैसे ही उन्हे उठा कर मैं उन्हे बेडरूम में ले गया. जोश-जोश में मैं बिना दरवाज़ा बंद किए ही अंदर चला गया. फिर अंदर जाके मैने आंटी को बेड पर पटका.
आंटी पूरी गरम हुई पड़ी थी, और उन्होने अपना कुर्ता उतार दिया. फिर उन्होने मुझे अपने उपर खींचा, और हमारी किस फिरसे शुरू हो गयी. मैं किस करते हुए आंटी के बूब्स दबाने लगा. मैने फिर उनकी ब्रा खोल दी, और उनके रसीले बूब्स को चूसने लग गया. अभी मैं उनके बूब्स को चूस ही रहा था, की पीछे से आवाज़ आई.
आवाज़: वाह मम्मी वाह. तो ये है आपकी मार्केट, जहा आप गयी थी.
अचानक से आवाज़ सुन कर हम दोनो दर्र गये. मैने जब पीछे मूड कर देखा, तो आंटी का बेटा कुणाल पीछे खड़ा था. उसको देख कर आंटी बुरी तरह से दर्र गयी, और अपने कपड़ों से अपने नंगे बदन को ढकने की कोशिश करने लगी. फिर वो बोला-
कुणाल: इतनी आग लगी है आपको, जो अपने से आधी उमर के लड़के के साथ ही आप. कुछ तो शरम कर लेती आप.
तभी आंटी बोली: बेटा जो तू सोच रहा है, वैसा नही है. मैं तो बस.
कुणाल: एक लड़के के सामने आप आधी नंगी लेती हो, और उसको कुछ नही बोल रही हो.
मैं नोटीस कर रहा था, की कुणाल बात करते हुए अपनी मा को उपर से नीचे तक देख रहा था. उसका लंड मुझे पंत में सख़्त हुआ दिख रहा था. मैने सोचा की उसको उसकी मा को छोड़ने के लिए माना कर अपनी साइड किया जेया सकता था. फिर मैं खड़ा हुआ, और कुणाल के पास गया. मैने कुणाल को बोला-
मैं: देख कुणाल अब जो हुआ सो हुआ. तुम्हारी मम्मी सालों से अकेली थी, तो उनको सहारा चाहिए था. वही मैने उनको दिया है. बॉडी नीड्स हर किसी की होती है. तुम्हारी भी तो गर्लफ्रेंड होगी, और तुम भी उसके साथ मज़ा करते होगे. वो लड़की भी तो किसी की बेहन होगी.
मैं: लेकिन अगर तुम्हे इस बात का बुरा लग रहा है की मैं उसको छोड़ रहा हू, तुम नही, तो हम दोनो मिल कर तुम्हारी मम्मी को छोड़ सकते है.
कुणाल मेरी सीधी बात सुन कर हैरान हो गया. फिर उसने मुझसे पूछा-
कुणाल: मों मानेंगी?
मैं: मान जाएँगी.
फिर हम आंटी के पास गये, और मैने सीधे ही आंटी से बोला-
मैं: आंटी कुणाल से चूड़ना पड़ेगा.
आंटी ये सुन कर हैरान हो गयी, और माना करने लगी. लेकिन इससे पहले आंटी बेड से उठती, कुणाल उनपे चढ़ गया, और चादर हटा दी. उसने अपनी मम्मी को लिटा लिया, और उसके होंठ और बूब्स चूसने शुरू कर दिए. कुछ देर आंटी उसको हटाने की कोशिश करती रही, लेकिन फिर वो मज़ा लेने लगी अपने बेटे की किस का.
जब आंटी ने माना करना बंद कर दिया, तो कुणाल ने उनके होंठ छ्चोढ़ दिए. फिर वो उनकी कमर पर आया, और किस करने लग गया. आंटी सिसकारियाँ भर रही थी. कुणाल ने आंटी की जीन्स का बटन खोला, और उसको खींच कर निकाल लिया. अब आंटी हम दोनो ने सामने सिर्फ़ पनटी में थी.
फिर कुणाल पनटी के उपर से उनकी छूट चाटने लगा. आंटी आ आ कर रही थी. तभी मैने अपना लंड आंटी के मूह में डाल दिया. अब कुणाल ने आंटी की पनटी उतार दी, और अपनी मा की छूट को चाटने-चूसने लग गया. कुछ देर वो छूट चूस्टा रहा, और मैं मूह छोड़ता रहा.
फिर वो खड़ा हुआ, और अपने सारे कपड़े उतार दिए. उसका लंड अछा था 6 इंच का, और तन्ना हुआ था. उसका लंड देखते ही आंटी ने मेरा लंड मूह से निकाला, और घोड़ी बन कर उसके सामने बैठ गयी. फिर उसने अपने बेटे का लंड अपने मूह में डाल लिया, और उसको चूसना शुरू कर दिया.
अब आंटी की मोटी गांद मेरे सामने थी. मैने आंटी के चूतड़ अपने हाथ में लिए, और लंड उसकी छूट पर रखा. छूट एक-दूं गीली थी. मैने झटका मार के पूरा लंड उनकी गरम छूट में पेल दिया. आंटी के मूह से निकली अया डाबब गयी, क्यूंकी उनके मूह में लंड था.
अब मैं आंटी की पीछे से छोड़ रहा था, और कुणाल आयेज से. बहुत मज़ा आ रहा था आंटी को छोड़ने में. मैं आंटी की गांद पर थप्पड़ मार रहा था, और कुणाल उनके मूह पर थप्पड़ मार रहा था.
कुछ देर हम इसी पोज़िशन में लगे रहे. फिर मैने कुणाल को नीचे लेटने को कहा. जब वो लेट गया, तो मैने आंटी को उसके उपर भेज दिया. आंटी जाके उसके लंड को अपनी छूट में लेके बैठ गयी. कुणाल तो मानो जन्नत मैं पहुँच गया हो. आंटी अब कुणाल के लंड पर उछाल रही थी.
फिर पीछे से मैने आंटी को झुकाया, और उनकी गांद के च्छेद को अपनी थूक से गीला कर दिया. आंटी ने पहले कभी गांद नही मरवाई थी. लेकिन उन्होने मुझे माना नही किया. फिर मैने अपना लंड उनकी गांद के च्छेद पर सेट किया, और ज़ोर के धक्के से अपना लंड आधे से ज़्यादा अंदर घुसा दिया. आंटी चीखे मारने लगी, लेकिन कुणाल ने उन्हे लीप-लॉक कर लिया.
मैं बिना तरस खाए धक्के मारता गया, और धीरे-धीरे मेरा पूरा लंड अंदर चला गया. पूरा लंड डाल कर मैं रुक गया. जब आंटी का दर्द कम हुआ, तो मैं लंड अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया. इस बीच कुणाल अपनी मा को छोड़ता रहा.
अब हमारी सॅंडविच चुदाई चल रही थी. 20 मिनिट हम दोनो ने आंटी को दबा के छोड़ा. फिर पहले कुणाल ने अपना माल आंटी की छूट में निकाल दिया, और उसके कुछ देर बाद मैने अपना माल आंटी की गांद में निकाल दिया.
उस दिन के बाद से हम तीनो जब चाहे चुदाई का मज़ा लेते है. अब मुझे आंटी को छोड़ने के लिए सनडे की वेट नही करनी पड़ती. मैं जब चाहे उनके घर जाके उनको छोड़ लेता हू.
दोस्तों ये थी मेरी कहानी. अगर आपका लंड या छूट गीले हो गये हो, तो कॉमेंट ज़रूर करे.