पिछला भाग पढ़े:- मेरे घर आई थी एक सुंदर पारी-3
ही रीडर्स, मेरा नाम अजय है. और मैं उप का रहने वाला हू. ये मेरी कहानी का फोर्त पार्ट है. आशा करता हू, की आप सब ने कहानी का पहला, दूसरा और तीसरा पार्ट पढ़ा होगा. और ये भी आशा करता हू, की आपको अभी तक की मेरी स्टोरी अची लगी होगी.
पिछले पार्ट में आपने पढ़ा था, की कैसे मेरी बेटी ने अपने बर्तडे वाले दिन मुझे मूठ मारते पकड़ लिया, और मुझे उसको छोड़ने को बोला.
पहले तो मैं होश खो बैठा, लेकिन फिर मैने उसको माना कर दिया. लेकिन वो अब काबू से बाहर हो रही थी, और बार-बार मुझे सिड्यूस करने में लगी थी. इसलिए मैने उसको पढ़ने के लिए हॉस्टिल भेज दिया. अब आयेज चलते है.
मैं किंजल को हॉस्टिल भेज चुका था. अब घर पर सिर्फ़ मैं और मेरा बेटा विनोद ही थे. किंजल के जाने से रूपा को घर बुलाना आसान हो गया था. तो अब मैं उसको छोड़ने का मज़ा ले सकता था.
एक साल तो रूपा घर आके चुड़वति रही. लेकिन उसके बाद उसके पेरेंट्स (यानी मेरे सास-ससुर) ने उसकी शादी करवा दी. अब मेरी सेक्स लाइफ फिरसे सूनी हो गयी थी.
मैने अपना ध्यान फिरसे काम पर लगा दिया, और इसी तरह 3 साल और बीट गये. अब किंजल को हॉस्टिल गये 4 साल हो गये थे. फिर एक दिन उसका फोन आया की उसकी पढ़ाई पूरी हो गयी थी, और वो घर आ रही थी.
फिर मैं और विनोद उसको स्टेशन पर लेने गये. वो ट्रेन से उतरी. उसको देख कर लग रहा था जैसे कोई पारी हो. उसका फिगर 34-28-36 हो चुका था. उसने ब्लॅक जीन्स के साथ ब्लॅक जॅकेट और नीचे वाइट त-शर्ट डाली हुई थी.
उसकी त-शर्ट का गला डीप था, और उसमे से उसकी क्लीवेज दिखाई दे रही थी. सामने से जब वो चल के आ रही थी, तो उसके बूब्स हिल रहे थे. मेरे तो मूह में पानी ही आ गया था उसको देख कर. वैसे भी मैने 3 साल से सेक्स नही किया था.
फिर वो हमारे पास आई, और मुझसे गले मिली. जब उसके बूब्स मेरी चेस्ट पर टच हुए, तो मेरे जिस्म में एक करेंट सा दौड़ गया. फिर हम घर आ गये. रात हो चुकी थी, और डिन्नर का टाइम हो गया था.
किंजल ने लेगैंग्स के साथ त-शर्ट पहनी हुई थी. उसकी जांघों और गांद की शेप उसकी लेगैंग्स में सॉफ दिख रही थी. उसने लूस त-शर्ट पहनी थी, जिसके नीचे ब्रा नही थी.
ब्रा ना होने की बावजूद भी उसके बूब्स एक-दूं खड़े नज़र आ रहे थे, और निपल्स की झलक भी दिख रही थी. डिन्नर होने के बाद सब अपने-अपने रूम में चले गये.
उस रात मैने अपनी बेटी के बारे में सोच कर मूठ मारी. मूठ मारने के बाद मुझे शर्मिंदगी महसूस हुई, की मैं अपनी बेटी के बारे में ऐसा कैसे सोच सकता था. और मैने उसके बारे में फिरसे ऐसा ना सोचने की कसम खा ली.
अगले कुछ दिन सब नॉर्मल चलता रहा. किंजल की बातों और बिहेवियर से लग रहा था, की उसको पिछली कोई बात याद नही थी. सब खुश थे. लेकिन फिर एक दिन सब बदल गया.
रात के 12 बाज रहे थे, और मैं अपने रूम में गहरी नींद सो रहा था. तभी अचानक से मेरी नींद खुली. मैने पानी का जुग पकड़ा, तो वो खाली था. फिर मैं बेड से उठा, और किचन में पानी लेने के लिए गया.
रास्ते में विनोद का रूम पड़ता था. जब मैं उसके रूम के पास से गुज़र रहा था, तो मुझे कुछ आवाज़े सुनाई दी. ये आवाज़े किसी लड़की के मोन करने की थी. मुझे लगा मेरा बेटा किसी लड़की को चुपके से लेके आया होगा, और रूम में उसके साथ मज़ा कर रहा होगा.
फिर मैने सोचा की क्यूँ ना उनको देख कर मज़ा लिया जाए. और यही सोच कर मैं उनके रूम में झाँकने लगा. हमारे घर में रूम लॉक करने का रिवाज़ नही है, तो कोई भी कभी भी किसी के रूम में भी जेया सकता है. हा लेकिन नॉक करने के लिए सब को बोला गया है.
अंदर मैने देखना की विनोद पूरा नंगा था, और उसकी पीठ दरवाज़े की तरफ यानी मेरी तरफ थी. उसके सामने कोई लड़की घोड़ी बनी हुई थी, और वो उसको पीछे से छोड़ रहा था. मुझे उस लड़की की जांघें और उसकी गांद दिखाई दे रही थी.
काफ़ी मस्त आइटम लग रही थी. मुझे विनोद का लंड उस लड़की की छूट में अंदर बाहर होता दिख रहा था. उसका लंड तकरीबन 7 इंच का था. मतलब सॉलिड था उसका लंड, लेकिन बाप के सामने फीका था.
फिर विनोद ने लड़की के बाल पकड़े, और उसको ज़ोर-ज़ोर से छोड़ने लगा. उस लड़की की आहह आ सुन कर मेरा भी लंड तंन गया. फिर मैने भी अपना लंड बाहर निकाला, और उसको हिलने लग गया.
कुछ देर विनोद ने उसको ऐसे ही छोड़ा. फिर उसने उसकी छूट में से अपना लंड बाहर निकाला, और उसको सीधा किया. जैसे ही वो सीधी हुई, इधर मेरी तो आँखें ही फटत गयी. क्यूंकी वो लड़की और कोई नही किंजल (मेरी बेटी) थी.
ओह मी गोद! ये मैं क्या देख रहा था. ये सब कब, क्यूँ, कैसे शुरू हुआ. मेरे मॅन में काई सवाल थे. अब विनोद नीचे लेट गया, और किंजल उसके उपर आ गयी. अब किंजल का फेस दरवाज़े की तरफ था, और वो विनोद के लंड पर बैठ गयी.
वो बड़े मज़े से उसके लंड पर उछाल रही थी. उसके बूब्स उछलते हुए हवा में उछाल रहे थे. मैं हैरान-परेशान था, लेकिन सीन इतना ज़बरदस्त था, की मेरा हाथ लंड हिलाए जेया रहा था. मैं समझ ही नही पा रहा था, की क्या करू. मेरा दिल कही-कही ये भी कह रहा था, की अगर उस दिन किंजल को माना ना किया होता, तो आज वो मेरे साथ चुदाई कर रही होती.
फिर किंजल ने अपने हाथो पर थूक लगाई, और उसको अपने बूब्स पर मलने लगी. विनोद नीचे से हाथ उसके बूब्स पर ले गया, और उनको मसालने लग गया. बीच-बीच में वो उसके बूब्स पर थप्पड़ भी मारता. फिर किंजल विनोद को किस करने लगी, और अपनी गांद नीचे से हिला-हिला कर उसका लंड लेती रही.
वो किसी पॉर्न वीडियो की लड़की की तरह बड़े स्टाइल से गांद हिला कर उसका लंड ले रही थी. अब विनोद झड़ने वाला था. जब उसने किंजल को ये बताया, तो किंजल जल्दी से उसके लंड से उतार गयी, और उसकी टाँगो के बीच आके उसका लंड चूसने लगी.
2-3 मिनिट लंड चुस्वा कर विनोद ने अपना सारा माल किंजल के मूह में ही निकाल दिया. किंजल किसी कोठे की रंडी की तरह उसका सारा माल पी गयी. इधर मेरा भी माल निकल चुका था.
आयेज क्या हुआ, ये आपको अगले पार्ट में पता चलेगा. कहानी का मज़ा आया हो तो इसको शेर ज़रूर करे.