आज मे आपको अपने जीवन की और एक छोडई के बारे मे बताने जा रहा हू, आशा करता हू की आपको मज़ा दे.
ये कहानी मेरे कॉलेज दीनो की है. मे कलाज जाने के लिए रोज बस से त्रवल करता था. जिस बस स्टॉप से मे जाता था वाहा पर एक मेरे ही कॉलेज की एक लड़की भी होती थी. जिसका नाम था सोनाली. रोज एक ही बस से त्रवल करते हमारी जान पहचान हो गई आंड हमारी दोस्ती आगे बढ़ने लगी. रोज मिलते बाते करते.
हम दोनो बेस्ट फ्रेंड हो गये थे. वो दिखने पे आवरेज थी लेकिन फिर भी मूज़े आक्ची लगने लगी थी. बेस्ट फ्रेंड्स होने के कारण हम एक दूसरे के घर मे आते जाते रहते थे.
अब आते है कहानी की असली किरदार पर. जिनका नाम है मनीषा ( आगे 43). मनीषा एक स्कूल टीचर है, वो 8त तो 10त के बाकचो को पढ़ती है.
जब मे सोनाली के घर पहली बार गया था तब मनीषा आंटी ने आंड उसके पापा ने मूज़े अक्चा वेलकम किया था. तब मे मनीषा को आंटी ही बुलाता था.
सोनाली आंड मे कभी कभी उसके घर पढ़ी करते थे.
हमारे घर पास महि थे तो मे नॉर्मली भी उनके यहा जाता रहता था. जब अंकल या सोनाली घर पर नही रहते तब आंटी मूज़े हेल्प के किया घर बुलाया करती थी. बाजार से कुछ समान लाना उनको बाजार लेके जाना ऐसे सभी कम मे करता था.
धीरे धीरे आंटी और मेरी भी बोहोट बाउनडिंग होने लगी. आंटी बोहोट कुछ शेर करने लगी मेरे साथ. उसे मेरा आंटी की तरफ देखने का नज़रिया बदलने लगा था. अब मूज़े सोनाली से ज्यदा मनीषा आंटी आक्ची लगने लगी थी.
सॉरी बुत मे मनीषा के बारे मे तोड़ा बता डू. मनीषा दिखने मे थोड़ी लंबी आंड मोटी है, बूब्स आवरेज है लेकिन गंद बड़ी है.
एक दिन की बात है जब मे सोनाली के घर गया. डोरबेल बंद थी लिकिन डोर ओपन थी सो मे दीरेकत्ी घर मे चला गया. घर मे कोई दिख नही रहा था सो मेने आंटी को आवाज़ लगाई. आंटी अपने कमरे मे स्कूल का कुछ कम कर रही थी.
मैं उनके कमरे मे गया. वो बेड पे बेती यूनिट टेस्ट के पेपर चेक कर रही थी. मैं भी उनके साने जाके बेत गया. आंटी ने नॉर्मल कुर्ता पहना हुवा था और वो तोड़ा जुआके कम कर रही थी सो मेरी नज़र बार बार उनके ड्रेस के अंदर जा रही थी. उन्होने ब्लॅक कलर ब्रा पहनी थी.
उन्होने पहचान लिया था की मेरी नज़र उनके चेस्ट पे है. फिर उन्होने मूज़े पूछा भी ‘क्या देख रहे हो?’ मेने घबराते हुवे कुछ नही कहा आंड उनको बाइ बोले अपने घर जाने लगा. लेकिन उन्होने मूज़े रोक के छाई नाश्ते के लिए पूछा. तो हमने साथ महि छाई पीली आंड मे घर चला आया.
उनके वो ब्लॅक ब्रा देख कर ऑलरेडी मेरा लंड खड़ा हो गया था तो घर आकर मेने मूठ मार ली.
अब जब भी मे सोनाली के घर जाता तो ज्यदा ट्र मनीषा आंटी के पास महि रहता.
आंटी कोभी ये बात समाज आगाई थी के मे उनको चाहने लगा हू लेकिन वो दिखना नही चाहती थी. वो मेरे मज्जे ले रही थी.
जब भी उनको बिके से बाजार ले जाता तो मूज़े चिपक के भेत्टि थी. मेरे कमर मे हाथ डालती. मुजेबही बोहोट मज़ा आता था. आंड मेरे लंड खड़ा होता था. हर बार मूज़े मूठ मारनी पड़ती.
एक दिन आसाही हुवा. मनीषा आंटी को बाज़ार से घर लेके आया आंड मूज़े जोरो के पिशब लगी थी. (सब लड़के तो जांतेही होंगे अगर जोरोके पिशब लगी हो आंड कोई हॉट आंटी ओर लड़की साथ मे हो तो लंड की के हालत होती है). सो मेने आंटी के घर कही वॉशरूम उसे किया आंड मेने वाहा भी मूठ मारी.
मूठ मरते मूज़े टाइम का पता नही चला इसलिए आंटी मूज़े आवाज़ लगाने लगी. जल्द बाज़ीए मेरा पानी मेरे पंत पही गिर गया. मेने नॉर्मल पानी से साफ किया लेकिन लंड के जगह पंत पूरे गीली हो गई. मे तोड़ा चुपके चूपता बाहर आया तो आंटी ने मूज़े देख लिया आंड हासणे लगी.
मनीषा – अरे बेटा ये के. लगता है तुम्हे कंट्रोल नही हुवा..हाहहाहा.
राकेश- हा आंटी वो तोड़ा… बोलके मे तोड़ा चुप रहा.
मनीषा- चलो कुछ नही.. कढ़ी कढ़ी ऐसा हो जाता है. हमे भी ऐसा प्राब्लम होता है.
आंटी के मूह से ऐसी बात सुनके मूज़े तोड़ा शॉक लगा.
राकेश- के मतलब आंटी मे संजा नही.
मनीषा- कुछ नही.. अभी तू बाकचा है.
राकेश- अरे आंटी बताओ ना.
मनीषा- अरे बेटा. तुम्हारे जेसा हमे भी कढ़ी कढ़ी प्रेशर कंट्रोल नही होता.
राकेश – ऑश तो तब आप के करती है..
आंटी मेरे पास आई और मेरा कन खिचके बोली
मनीषा- तुम्हे के करना हा ये जानके.
राकेश – कुछ नही ऐसेही जनरल नालेज के लिए पूछा आंड आख मार दी.
अब आंटी भी हासणे लगी.
मनीषा – चल अब जा. तेरे घर वेल तेरी रह देख रहे होंगे.
मे वाहा से निकल गया.
अब आंटी और मेरे ऐसे डबल मीनिंग बाते ज्यदा होने लगी.
अब आंटी मेरे साथ उनकी पर्सनल बाते भी शेर करने लगी. उनके आंड अंकल के रिश्ते के बारे मे. उनकी कॉलेज लाइफ के किसे जो शायद अंकल कोभी पता नही होंगे
आंटी ने बताया के उनका शादी के पहले एक बाय्फ्रेंड था.
आंटी को भी अब मुज़मे इंटरेस्ट आने लगा था.
वो मूज़े जान बुजकर अपने बदन दिखाने लगी थी. खास करके अपनी नगी कमर आंड ब्रा.
आंटी को पता था ये सब देख कर मे गरम हो जाता था.
अक दिन सोनाली मे मूज़े कॉल किया.
सोनाली – राकेश मूज़े आंड पापा को एक रिलेटिव्स के घर जाना है तुम ट्रेन के टिकेट बुक करवा सकते हो के?
राकेश – हा ज़रूर कर सकता हू..लेकिन सिर्फ़ तुम दोनो का या आंटी कभी.
सोनाली – नही मम्मी को स्कूल से छुट्टी नही मिल रही है सो वो यही रहेगी.
मूज़े बोहोट खुशी हो रही थी के अब आंटी 4-5 दिन के लिया घर पर अकेली होगी.
मेने जल्दिसे सोनाली आंड अंकल की ट्रेन टिकेट बुक कर दी.
आंड अब मे आंटी को छोड़ने का प्लेन बनाने लगा.
मूज़े पता था की आंटी कोभी मुजसे छुड़वाना है. लिकिन मे तोड़ा दर रहा था के कही कुछ गड़बड़ ना हो जाए.
मेने जल्दिसे सोनाली आंड अंकल की ट्रेन टिकेट बुक कर दी.
आंड अब मे आंटी को छोड़ने का प्लेन बनाने लगा.
मूज़े पता था की आंटी कोभी मुजसे छुड़वाना है. लिकिन मे तोड़ा दर रहा था के कही कुछ गड़बड़ ना हो जाए.
अगर आंटी बुरा मान गई तो सब बिगड़ जाएगा
दोस्तो ये स्टोरी थोड़ी लंबी होने वाली है. नेक्स्ट पार्ट मे बतौँगा की केसे मेने मनीषा आंटी की चूत आंड गॅंड चोदि आंड सोनाली कोभी चोदा.
स्टोरी आक्ची लग रही होगी तो मैल ज़रूर करना – [email protected]