बहन की दोस्त के बाद बहन की चुदाई

उसके कुछ देर बाद सब लोग आहिस्ते आहिस्ते उठने लगे और दिन मे बारात ले कर जाने की तय्यरी करने मे जुट गये. बारात बगल वेल गैओव मे ले कर जाना था. देखते देखते दिन के 12 भाज गये और सब लोग रेडी थे बारात मे जाने के लिए.

इन 3 दीनो मे बहोट कुछ बदल चुका था. कज़िन बाहें की फ्रेंड से जिस्मानी रिस्ता बन चुका था. उपेर से खुद कज़िन बाहें भी मुझसे चूड़ना छाती थी. मेरे लिए तो मानो लॉटरी लग चुकी थी.

जब बारात निकल रहा था तब मैने निशात और सदाफ़ को देखा तो देखता रह गया. सदाफ़ ब्लॅक गाउन मे थी जिसका स्लीव नेट से बनी हुई थी जिस से उसकी गोरी गोरी बाजू और हाथ दिख रहे थे जिसे देख कर मई बेचीन हो रहा था.

उपेर से साथ मे मेरी कज़िन बाहें निशात जो स्काइ ब्लू लहनगा मे थी जिस मे उस का खुला हुआ पेट और नवी देख कर ही मेरा लंड खड़ा होगया था. पर जैसे तैसे मई खुद को संभाला .

अब दिन के 2 भाज चुके थे और हम लोग बारात ले कर लड़की वाली के वहाँ आचुके थे सब शादी के काम मे बिज़ी थे.

और हम तीनो सदी के पंडाल से कुछ हट कर एक पेड़ के नीचे बैठ कर बाते कर रहे थे.

वैसे कहानी और आयेज बढ़ने से पहले निशात के बारे मे भी जान लीजये.

नाम, निशात परवीन , हिगत 5फ्ट,5इंच, बॉडी कलर, फियर , सर के बाल पूरे कमर तक के, आँखो की रंग मेरी ही तरहा ब्राउन, छाती भरा हुआ 34 साइज़ के पेट 30 के और कमर 32 के होंगे.

हम लोग पेड़ के नीचे बैठ कर बाते कर्रहे थे तब ही निशात पौच्ी के सुबा आप दोनो मे से पहले कौन उत्ता तो मई बोला के मई उत्ता था और मैने ही सदाफ़ को जगाया.

फिर निशात बोली कैसा फील हुआ जब आप उत्ते और मुझे नही देखे तो जिसपर मई जवाब दिया के मेरी तो हालत खराब थी ये सौच कर के कहीं तुम सब कुछ किसी को बता तो नही दी हो.

फिर निशात सदाफ़ को बोली के तू सलवार क्यू खोल कर सोई थी जबके तू बोल रही थी के कुछ हुआ ही नही तब सदाफ़ बोली अपने भाई से पाउच ले वो बता देंगे तुझे.

निशात अब मुझ से ज़िद करने लगी के और बताने के लिए फोर्स करने लगी तो मई बोला के यहीं बटाओ क्या तो वो बोली हाँ फिर मई उसे अपने बगल मे आकेर बैठने को बोला. और सदाफ़ को पीछे नज़र रखने के लिए बोला के कोई आए तो ह्मे अलर्ट करे.

सामने तो दूर दूर तक कोई था नही चारो तरफ खेत ही खेत थे. अब मई पेड़ की आड़ मे निशात के साथ बैठ गया और उस की जाँघो पर हाथ फेरने लगा.

शुरू शुरू उसे कुछ साँझ मे नही आया. पर जब मई उस की लहनगा के अंदर हाथ दल कर जाँघ सहलाया तो वो अचानक से सुस्त पड़ने लगी. और एक हाथ से अब मई उसकी बूब्स को भी हल्का हल्का रह रह कर दबा रहा था.

मेरा तो लंड खड़ा हो ही चुका था. जिस पर निशात की नज़र टिकी हुई थी. फिर मई आहिस्ता आहिस्ता अपने हाथ को निशात के छूट के उपेर ले गया जो उसकी पनटी से ढाकी हुई थी. मई उसे लका लका तुछ कर्राहा था जिससे मुझे उसकी छूट का की कटिंग महशूस हो रही थी.

निशात तो अब पूरे जोश मे थी और अपनी दोनो पाओ को फेला कर मज़ा लेने लगी. फिर मई पनटी के साइड से उसकी छूट को चुने लगा और सहलने लगा. निशात बहोट ही गरम हो चुकी थी क्यूकी उसकी छूट से अब रस्स निकलना स्गुरू हो गया था.

देखते देखते मैने भी अपनी एक उंगली निशात की छूट के अंदर आहिस्ते से डाल कर आयेज पीछे करने लगा. सदाफ़ भी रह रह कर हम लोगो की तरफ देख रही थी.

यहाँ निशात का बुरा हाल था वो आहिस्ते आहिस्ते बोलने लगी भाई बहोट अक्चा लग रहा है करते रहो और तेज़ तेज़ हाथ हिलाओ.

ऐसे करते करते कुछ देर बाद निशात का पानी निकल गया और वो हाँफ गयी. फिर उसने अपने रोमल से अपनी छूट और मेरे हाथ को साफ की और मुझे वहीं पर एक छूटा सा किस की.

तब सदाफ़ बोली उससे क्यू क्या हुआ कैसा लगा बहोट पाउच रही थी अब जब खुद पर आया तो ढीली पद गयी. तो निसाहत मुस्कुराने लगी. उसके बाद सदाफ़ फिर बोली अभी तेरे भाई ने हाथ ही से किया है सोच कल रात तेरे भाई ने वहाँ पर अपना ज़बान डाल कर चूस रहा था.

ये सुन कर निशात मुझ से पौच्ी भयया कैसा लगा था चूसने मे? तो मई बोला तुम्हारी सहेली का रास तो नमकीन था जिसे मैने पूरा पिया अब तुम्हारी रस्स का टेस्ट क्या होगा. ये रात मे पता चलेगा.

फिर सदाफ़ बोली आज तो तेरे मज़े ही मज़े है उसके बाद हम लोग शांत हुए. फिर वहाँ से उठ कर वापस पंडाल की तरफ जाने लगे.

रास्ते मे मैं निशात को बोला के आज रात तुम इसी कपड़े मे मेरे पास आना. मैने सदाफ़ को भी बोला के निशात के बाद मुझे तुम छययए और फिर रात भर हम टेनो एक साथ सौनएँगे, जिसपर दोनो राज़ी हो गयी.

उसके बाद साम हो गया और तब तक सदी का काम भी कंप्लीट हो गये. और हम लोग वहाँ से वापस के लिए निकल गये. कुछ देर मे ही हम लोग अपने घर आ गये और वक़्त काटने लगे. कुछ महमान अपने घर चले गये थे जिस वजा से तोड़ा घर फ्री हो गया था.

हम लोग जिसमे रह रहे थे वो भी रूम खाली हो गया था उस दिन सब ही शादी के बाद तक सा गया था. इसलिए जल्द ही खाना खा कर सोने चले गये. बस घर के ही कुछ लोगो थे जो अब तक जागे थे.

देखते देखते वक़्त के साथ साथ वो लोग भी सो गये थे. हम लोग अपने रूम मे खाने के बाद बैठे हुए थे. तब मई निशात को बोला क्या हुआ तुम ने ड्रेस क्यू चेंज कर ली. जब के मई बोला था के वही लहनगा मे मई तुम्हे देखना चाहूँगा.

तब सदाफ़ बोली आप जाओ नीचे रूम मे तब तक इसे रेडी कर के मई लाती हू. तो मई बोला क्यू यहाँ नही हो सकता है क्या. सदाफ़ बोली यहाँ मई रहूंगी और वैसे भी आज निशात को सुहग्रात जैसा फीलिंग देना है आपको. और जहाँ तक मुझे लग रहा है आप हम दोनो को एक साथ करने के प्लेन मे हो पर आज सिर्फ़ आप को निशात को खुस करना है.

इन सब बातो के बाद मई नीचे चला गया और चोकी पर लेट गया 15 मिंट के बाद सदाफ़ खुद अपने साथ निशात को ले कर आई और अंदर ला कर जाने लगी तब मैने उसे पकड़ कर एक ज़ोर दार किस किया और उसे जाने दिया.

फिर मई रूम का डोर बंद कर के निशात को देखने लगा वो किसी अप्सरा से कम नही लग रही थी पहले तो मई उसके कंधे से दुपट्टा को हटा कर ज़मीन मे गिरा दिया. तब निशात मुझे हग कर ली जिस कारण उसकी बूब्स मेरे चेस्ट से दबने लगी.

फिर मैने निशात को खुद से अलग किया और उसे सामने खड़ा कर के उसकी जवान जिस्म को हवस भारी निगाओ से देखने लगा. या ये समझए के अपने नज़रो से निशात को छोड़ रहा था.

निशात की चोली जो ब्लाउस जैसा था जो निशात की बूब्स से बिल्कुल टाइट था निशात की दोनो बूब्स के बीच एक लाइन दिख रही थी जिससे निशात का चेस्ट और भी सेक्सी लग रहा था. ब्लाउस के नीचे निशात के गोरे गोरे पेट और उसपेर उसकी नवी उफफफ्फ़ पागल कर्रही थी.

जब मुझ से बर्दस्त नही हुआ तो मई निशात पर खड़े खड़े ही टूट पड़ा, पहले तो मई निशात की पिंक और रसीली लिप्स को चूसने लगा उसके बाद मई उसके गार्डेन पर किस करने लगा.

निशात तो यही सब छाती थी और वो मस्त हो कर ये सब का मज़ा लेने लगी. फिर मई निशात के दोनो बूब्स पर अपने हाथ को फेरने लगा और फिर आहिस्ते आहिस्ते उसे दबाने लगा. निशात भी अब ग्राम होने लगी.

फिर मैने निशात को चोकी पर लेता दिया और मई ब्लाउस खोल कर निशात के सिने पर टूट पड़ा और निशात की रसीली बूब्स को चूसने लगा.

मॅन तो कर रहा था के बूब्स चूस चूस कर उससे दूध निकल डू और अपनी बाहें का दूध पी जाो. पर दूध कंवारी लड़की का नही निकलता क्यू के दूध बाकचा होने के बाद ही निकलता है.

निशात भी बहोट मज़ा ले कर मुझे अपना दूध चूसा रही थी. और बोल रही थी भयया इसे चूस लो पूरा बहोट मॅन करता था जब भी मई अकेली होती तो ये सौचती थी के कोई मेरा दूध पिए.

उसकी ये सब बातो से मुझे और ज़्यादा जोश चढ़ रहा था. मई ज़ोर ज़ोर से निशात की बूब्स के निपल को मूह से चूस रहा था. और निशात के भरे भरे सिने पर दाँत काट रहा था इसी सब की वजा से निशात के पूरे चेस्ट पर मेरे दाँत के निशान बैठ गये थे.

फिर मई निशात की नाभि पर अपनी हाथ फेरने लगा तब ही निशात मेरे त-शर्ट को खोली. और मुझे अपना ट्राउज़र खोलने बोली तो मई फॉरन अपना ट्राउज़र खोल दिया. अब मई सिर्फ़ अंडरवेर मे था और मेरा हाथ निशात के पेट पर था और मेरा मूह निशात के लेफ्ट बूब्स को चूस रहा था.

मई आहिस्ता से अपने हटो को निशात की लहनगा के अंदर डाला और मेरे हटो मे निशात की कमसिन छूट आ गयी. निशात अंदर कुछ पहनी नही थी तो मई निशात से बोला तुम्हारा तो रस्स निकल रहा है.

फिर निशात बोली वो जब से आप उसके अंदर अपनी उंगली साले है तब से रह रह कर वहाँ से पानी आ रहा है. ये सुन कर मई निशात की बूब्स पर लका से दाँत काट लिया और छूट पर उंगली रगड़ने लगा.

निशात मुझसे बोली भयया कितना चूसो गे मेरे बूब्स को तो मई बोला जब तक तुम्हारी दूध ना निकल जाए. निशात बोली वो नही निकलेगा भयया. तो मई बोला पहले तो तुम मुझे भयया मत बोलो अब. वो बोली ठीक है तब जान बोलती हू अब से.

फिर मई निशात को बोला देखो मई कैसे तुम्हारी दूध पिता हू. ये बोल के मई उठ गया और निशात के पाओ के तरफ जा कर उस की दोनो पाओ पर किस करने लगा और आहिस्ता आहिस्ता उपेर उठने लगा.

ऐसे करते करते मई निशात के लहंगे के अंदर घुस गया और उसकी जाँघो पर किस करने लगा. निशात बोली ये आप क्या कर्रहे हो मई चुप रहा और किस करता रहा फिर मई किस करता हुआ छूट की तरफ बढ़ने लगा.

तब निशात खुद से ही अपनी दोनो टाँगे को फैला ली. जैसा के उसे पता हो मई उस की छूट पर मूह लगाने जा रहा हू. फिर मई निशात की छूट की मूह को अपने हटो से तोड़ा फैला दिया और उस पर एक ज़ोर दार किस कर लिया.

निशात तो बिल्कुल उछाल पड़ी और आअहह की आवाज़ निकल दी फिर तो मानो उसकी एईद ही हो गयी. मई उस की छूट को चूसने लगा और वो अपनी कमर को उठा उठा कर मुझे अपनी छूट चूसने लगी.

मई ज़बान अंदर डाल कर निशात की छूट को छत रहा था. निशात भी अब अपना लहनगा मेरे उपेर से उठा कर मेरे सर पर अपना हाथ डाल कर उसे अपनी छूट पर दबा रही थी.

कुछ देर ऐसे ही चलने के बाद वो अपनी पानी छोड़ने लगी और मई उस की छूट मे मूह लगा कर पूरा घोत गया. निशात की छूट की रस्स किसी अमृत से कम नही था.

फिर मई उठा और निशात को बोला देख ली ना मैने कैसे तुम्हारी छूट से दूध निकल कर पी लिया हू ये सुन कर वो मुस्कुराने लगी.

मई बोला चलो अब तय्यार हो जाओ ज़िंदगी का असल मज़ा लेने के लिए. तब निशात बोली हन जान जल्दी से मुझे अब छोड़ कर मेरी प्यासी जिस्म की प्यास बुझा डीजये और डाल डीजये अपना हत्यार मेरी छूट के अंदर. जो कब से किसी समण्दर की तरहा उबाल रहा है.

तब मैने अपना अंडरवेर खोला और निशात के सामने पूरा नंगा हो गया. मेरा 8 इंच का लंड देख कर वो और भी नसे मे आ गयी. तब मई बोला के नेक्स्ट टाइम मई तुम्हे इसे चुसवँगा. तो वो बोली के मई तो इसे खा जवँगा इसे. पर अभी मुझे जल्दी से छोड़ दो जान. मई तड़प रही हू और मत तड़पाव.

मई फ़ौरन निशात की लाँघा को उससे अलग कर के निशात को भी पूरा नंगा कर दिया. निशात की दोनो . के बीच आकेर मई लेट गया. और मेरा लंड निशात की छूट को . कर रहा था. मई निशात के मूह को . तरहा चूस रहा था.

इससे हम दोनो मे और भी ज़्यादा जोश भरा. मई उठ कर निशात की छूट के छेड़ मे अपना लंड सेट किया. और निशात की मूह पर एक हाथ रख दिया. इससे पहले निशात कुछ . पति मई एक झटका दिया जिससे मेरे लंड एक इंच अंदर चला गया.

निशात तो . दी थी पर मई उसके मूह मे हाथ दे कर . था. छूट मे जब मैने . दिया. तब निशात की छूट मे जाते वक़्त मेरे लंड को भी तोड़ा . सा हुआ इस की वजा निशात की टाइट छूट थी.

फिर मई निशात के संत होने का वेट किया पर निशात को . हो रही थी. तब मई निशात को बोला फर्स्ट टाइम दर्द होता है तोड़ा बर्दस्त कर लो. तो निशात हन मे सिर हिला दी तो मई मुझ से उस की अपने हाथ को हटा दिया.

फिर वो बोली घुस गया है क्या मेरे अंदर? मई बोला अभी ज़रा सा ही गया है अभी बाकी है जाना. तो वो बोली ठीक है आराम से . मेरा फर्स्ट टाइम है .

मैं निशात के लीप को अपने लीप मे ले कर किस करने लगा. फिर आहिस्ते आहिस्ते मई अपना लंड पर प्रेशर देते हुए निशात की छूट के अंदर उतरने लगा. पर निशात की छूट टाइट होने के कारण आसानी से नही जाने वाला था. फिर मई रह रह कर झकता देता जिससे निशात को दर्द होता और वो चींख देती.

ऐसे करते करते कुछ ही देर मे मेरा लंड पूरा निशात की छूट मे समा गया. और कुछ देर मे निशात भी नॉर्मल हो गयी अब वो भी आहिस्ता आहिस्ता कमर आयेज पीछे करने लगी.

मई समझ गया के निशात को भी अब मज़ा आ रहा है. तब मई ने भी अब अपनी रफ़्तार बढ़ते हुए निशात को छोड़ना स्टार्ट कर दिया. मेरे स्पीड मे छोड़ने से उसकी मूह से आआआहह.. उूुउउम्म्म्मममम ईइसस्स्स्सस्स सस्स्स्सिईईई की आवाज़ निकल रही थी.

निशात बोल रही थी करते रहो भाय्या आज से मई तुम्हारे लंड की गुलाम हो गयी. तुम ने जो मज़ा दिया है वो मज़ा अब तक मुझे नही मिला. मेरे जिस्म के मलिक तुम हो आज से जो बोलॉगे मई करूँगी.

इसी तरहा 30 मिंट तक सेक्स होने के बाद निशात झाड़ गयी. और मई भी उसके साथ ही उस की छूट के अंदर अपना पानी निकल दिया. दोनो एक दूसरे मे सिमट गये थे निशात की ख्वाहिश पूरी हो चुकी थी. मुझे भी अपनी बाहें का कमसिन जिस्म का मज़ा मिल गया था.

तो बे कंटिन्यूड…

आयेज की स्टोरी के लिए आप लोग मेरे गमाल पर म्स्ग कीजये. मई फिर आयेज का कहानी बतावँगा उसके बाद कैसे फिर सदाफ़ मेरे साथ रात गुज़री. और कब हम लोग कोलकाता वापस आए और यहाँ आकेर भी हम लोग सेक्स का रिस्ता कैसे आयेज बढ़ाए.