ही दोस्तों, मेरा नाम रिया है. मेरी आगे 31 यियर्ज़ है. मेरी फॅमिली में मम्मी, पापा, और एक सिस्टर है जिसका नाम कल्पना है. उसकी आगे 27 यियर्ज़ है. वो काफ़ी गोरी है. मैं काफ़ी बिंडसस टाइप की लड़की हू. मेरे 2 ब्फ है, जिनके साथ मैं सब कुछ करती हू. पर ये सब मेरे घर में किसी को नही पता था.
लेकिन एक दिन कल्पना की किसी दोस्त ने मेरे बारे में उसे सब बता दिया. तब से कल्पना मेरे से ढंग से बात नही करती थी, पर मुझे उससे कोई फराक नही पड़ता था. हमारी लाइफ नॉर्मल चल ही रही थी की एक दिन मेरे 1 ब्फ के दोस्त का मेरी सिस्टर कल्पना पे दिल आ गया.
उसकी आगे 41 होगी, और नाम उसका राज था. राज को मेरे बारे में सब पता था, की मैं कितने लड़कों के साथ रिश्ते बना चुकी थी. उसी बात का फ़ायदा वो मेरे से कल्पना को पाने के लिए लेना चाहता था. राज बहुत ही शराबी टाइप का आदमी था. उसकी बीवी और 3 बच्चे भी थे, पर था वो बहुत पैसे वाला. वो कल्पना को भी मेरी जैसी कॉल गर्ल टाइप की समझता था. एक दिन-
राज: रिया तेरी बेहन काफ़ी मस्त है. क्या नाम है उसका?
मे: कल्पना.
राज: उसका भी कही कोई चक्कर है क्या?
मे: क्यूँ, तुमको उससे क्या लेना है?
राज: लेना तो कुछ ख़ास नही था. पर तू क्या दिला सकती है ये बोल.
मे: सॉफ-सॉफ बोलो कहना क्या चाहते हो?
राज: उसके साथ वन नाइट बिताना चाहता हू. बोल दिला सकती है?
मे: पागल हो, वो मेरी बेहन है. वो सीधी लड़की है. उसके बारे में कुछ भी ग़लत मत सोचना, वरना मेरे से बुरा कोई नही होगा.
राज: अर्रे तू गुस्सा क्यूँ हो रही है? मैं तो पूच रहा था बस. क्या पता उसके साथ तेरा भी कुछ भला हो जाए.
मे: मतलब? मेरा क्या भला हो सकता है?
राज: देख कुछ फ़ायदे है, सुन ले. ठीक लगे तो हा कहना, वरना ना तो है ही.
मे: बोलो.
राज: देख अगर तू उसे माना के ले आती है, तो कल की डटे में तुझे ये दर्र नही रहेगा की घर वालो को तेरे बारे में कुछ भी पता चलेगा. तेरे साथ कल्पना भी वैसी हो जाएगी. और दूसरा फ़ायदा ये है की कल्पना को लाने की खुशी में मैं तुझे एक न्यू कार गिफ्ट में दे दूँगा. अब सोच ले क्या करना है. तेरे पास कल तक का टाइम है. आचे से सोच के बताना.
ये कह के राज वाहा से चला गया, और मेरे दिमाग़ में बहुत सारे सवाल छ्चोढ़ गया. मेरी समझ में नही आ रहा था की मैं क्या करू. तभी मुझे कुछ टाइम पहले की बात याद आ गयी, की कल्पना के दोस्त ने उसको मेरे बारे में कुछ बोला तो वो कैसे गुस्सा हो गयी थी. और मैं दर्र के मारे उन दीनो कैसे दररी हुई रह रही थी घर में, की कल्पना घर वालो को कुछ बोल ना दे करके.
तभी मैने सोच लिया की मैं राज की हेल्प करूँगी, क्यूंकी उसमे मुझे बहुत फ़ायदे हो रहे थे.
मैने राज को मेसेज करके हा बोल दिया, की मैं रेडी थी उसका काम करने के लिए. उसका भी मेसेज आया थॅंक योउ करके. अब मेरे दिलो दिमाग़ में बस यही था की कैसे कल्पना को मनौ इसके लिए. बहुत दिन ऐसे ही बीट गये, और एक दिन ऐसा आ ही गया जब राज की मनोकामना पूरी होने जेया रही थी.
एक दिन कल्पना नहाने गयी थी. उसका फोन बाहर बेड पे था. मैं भी उसी टाइम बाहर अपने दोस्तों से मिलने के लिए जेया ही रही थी, की कल्पना के फोन पे मेसेज आया की आज पार्क में मिलते है. किसी पंकज नाम के लड़के से आया था मेसेज. तभी मैं समझ गयी की कल्पना भी अब बड़ी हो चुकी थी, और उसका भी लड़कों से बोलना-चलना स्टार्ट हो चुका था.
मैं भी कल्पना के फोन से उसे प्यार भरे मेसेज करने लग गयी. फिर बातों ही बातों में मुझे कल्पना के बारे में बहुत कुछ पता चल गया. अब मुझे भी कल्पना की वीकनेस पता चल गयी, और मैं समझ गयी की इसी के चलते अब ये मेरा हर कहा मानेगी.
मैने उसके सारे मेसेजस डेलीट कर दिए, और उसका फोन बेड में रख के बाहर वाले रूम में एक चेर में बैठ गयी. मैं कल्पना के बाहर आने की वेट करने लगी. फिर जैसे ही कल्पना बाहर आई, तो मैने पंकज के 2 वर्ड बोले “कल्लू बेबी”.
ये सुन के कल्पना ने एक-दूं मेरे को देखा और चुप-छाप खड़ी रह गयी. उसकी समझ में नही आ रहा होगा की ये वर्ड मुझे कैसे पता चले.
वो डरते हुए बोली: आपने कुछ कहा?
मे: हा वही जो तूने सुना है कल्लू बेबी.
कल्पना: ऐसा क्यूँ बोला?
मे: क्यूँ, ऐसे कोई और बोलता है क्या तुझे?
कल्पना: नही तो.
मे: अछा पंकज भी नही बोलता?
इतना सुनते ही वो सब समझ गयी की दी को सब पता चल गया है.
कल्पना मेरे पैर पकड़ी और बोली: प्लीज़ दी, पंकज के बारे में किसी को कुछ मत बोलना. सब मुझे ग़लत समझेंगे.
मे: ओह अछा, आज तुझे पता चल रहा है ये दर्र क्या चीज़ है. भूल गयी जब पहले तुझे मेरे बारे में पता चला तो तूने क्या किया था?
कल्पना: प्लीज़ दी, माफ़ कर दो.
मे: नही, ऐसे तो तुझे माफी नही मिलेगी. मैं मम्मी-पापा को झूठ बोल दूँगी की ये बहुत से लड़कों से बात करती है, और मेरे पास तो सबूत के तौर पे पंकज और तेरे मेसेजस भी है मम्मी-पापा को यकीन दिलाने के लिए.
कल्पना (रोते हुए): प्लीज़ दी, मुझे माफ़ कर दो. मैं किसी से आपके बारे में नही कहूँगी.
मे: क्या नही कहेगी. ये बोल तुझे क्या पता है ये बता?
कल्पना: यही की आप एक कॉल गर्ल हो. बहुत से लड़कों के साथ आपके संबंध है.
मे: अछा तो तुझे ये सब पता है. और अब अगर मैं तेरे से ये बोलू की आज से तुम भी कॉल गर्ल हो चुकी है, तो?
कल्पना: मतलब, मैं समझी नही?
मे: मतलब ये की अगर तू चाहती है, की मीं तेरे बारे में किसी को कुछ ना बोलू, तो आज से तुझे भी मेरी जैसी लाइफ ज़ीनी होगी. तुझे भी मेरे जैसी बनना होगा.
कल्पना: नही दी प्लीज़.
मे: ओक मत बन, ठीक है मैं भी सब को बुला के तेरे मेसेजस दिखती हू.
कल्पना: नही दी, प्लीज़ ऐसा मत करो.
मे: तुझे आज रात तक का टाइम देती हू. अभी मैं भी लाते हो रही हू. रात को मुझे अपना फैंसला बता देना. और याद रहे, अगर किसी को तोलने हमारे बारे में बताया, तो ये तेरे लिए अछा नही होगा.
ये कह के मैं घर से निकल गयी. कल्पना वही पे रोटी रही. रात को मैं जब घर आई तो कल्पना अपने रूम में बेड पे सोई थी. इसलिए मैने भी उसे नही जगाया. शायद उसके लिए मेरे दिल में कही ना कही तोड़ा सा प्यार था. पर खुद के लिए, और आयेज के लिए मुझे वो सब करना था जो राज ने मुझे काम दिया था. इसके लिए मुझे सुबह तक का वेट करना पड़ा
सॉरी दोस्तों, मैं ये कहानी यही पे ख़तम कर रही हू, क्यूंकी मैं जानना चाहती हू की मेरी ये कहानी कितनो को पसंद आई. जिसे भी ये पसंद आई, और वो आयेज की कहानी जानना चाहता, या चाहती है, तो प्लीज़ कॉमेंट करे. मैं इसका दूसरा पार्ट बहुत जल्द ही लौंगी. थॅंक योउ दोस्तों.