ही दोस्तों, मैं अंकुश वापस आ गया हू, अपनी कहानी का अगला पार्ट लेके. उम्मीद करता हू, की आपको पिछले पार्ट की तरह ये पार्ट भी पसंद आएगा.
पिछले पार्ट में आप सब ने पढ़ा था, की मैं अपनी दीदी को लेने कॉलेज गया, और वाहा मैने देखा की दीदी मुकेश सिर से प्रिन्सिपल के ऑफीस में चुड रही थी.
जब दीदी घोड़ी बनी चुड रही थी, तबनूनकी नज़र मुझे पर पड़ी. लेकिन मुझे उनके चेहरे पर ना तो कोई टेन्षन नज़र आई, और ना ही कोई शरम. फिर जब चुदाई ख़तम हुई, तो मैं वापस घर आ गया. अब आयेज चलते है-
घर आके मैने फिरसे लाते आने के लिए गालिया खाई, और अपने रूम में चला गया. फिर रात हो गयी, और सब डिन्नर करने बैठे.
दीदी ने एक ब्लू त-शर्ट और ब्लॅक लेगैंग्स पहनी थी. टाइट त-शर्ट में दीदी के काससे हुए बूब्स, और लेगैंग्स में उनकी सेक्सी जांघें कमाल की लग रही थी.
मैं पहले दीदी को कभी भी ऐसी नज़र से नही देखता था. लेकिन आज जब भी मेरी नज़र दीदी पर पड़ती, तो मुझे वो चुदाई वाला सीन याद आ रहा था. मुझे कपड़े पहनी हुई दीदी भी नंगी ही लग रही थी, और मेरा लंड खड़ा हो रहा था.
तभी मेरी नज़र दीदी के गले में पहनी चैन पर पड़ा. उनकी चैन का लॉकेट दीदी की क्लीवेज में जेया रहा था. ये देख कर मेरे मूह में पानी आ गया. मुझे फील हो रहा था की काश मैं वो लॉकेट होता, तो दीदी के मस्त बूब्स का मज़ा ले रहा होता.
फिर मैं अचानक से होश में आया, और सोचा की ये मैं क्या सोच रहा था अपनी दीदी के बारे में. मुझे शरम आने लगी. लेकिन मेरा लंड अभी भी खड़ा था.
फिर डिन्नर करने के बाद सब अपने-अपने रूम में चले गये और सो गये. मुझे नींद नही आ रही थी, और मेरे दिमाग़ में वही सीन बार-बार चल रहा था.
फिर रात को 12 बजे मेरे रूम का दरवाज़ा नॉक हुआ. मैने सोचा की इतनी रात को किसने मेरा दरवाज़ा नॉक किया होगा. मैं बेड से उठा, और जाके दरवाज़ा खोला.
जब दरवाज़ा खुला, तो दीदी सामने खड़ी थी. मैं ये तो जानता था की दीदी मुझसे बात करने ज़रूर आएँगी. लेकिन इस वक़्त आएँगी, सोचा नही था.
मैं बिना कुछ बोले अंदर आ गया. दीदी भी अंदर आ गयी, और बेड पर आके बैठ गयी. फिर दीदी कुछ बोलने लगी, और इससे पहले वो कुछ बोलती, मैं बोला-
मैं: इतनी सारी गालिया, बेइज़्ज़ती मैने झेली, क्यूंकी सब आपकी तारीफे करते थकते नही थे. और आप ये सब कर रही हो?
दीदी: मेरी बात तो सुन.
मैं: हा बोलो.
दीदी: मैं जानती हू की तूने बहुत कुछ सुना है. लेकिन मैं भी क्या करू. मेरी भी अपनी बॉडी नीड है. जब तक घर वाले लड़का ढूंढ़ेंगे, तब तक तो मैं मॅर जाती. इसलिए मुझे ये सब करना पड़ा.
मैं: हा बहुत अची बात है. लेकिन एक बात सुन लो दीदी. अगर अब मुझे बिना वजह की गालिया सुन्नी पड़ी, तो मैं सब को सब कुछ बता दूँगा.
दीदी: तू ऐसा नही करेगा.
मैं: हा तो रोक लेना मुझे अगर रोक सकती हो.
तभी दीदी खड़ी हुई, और मेरे करीब आ गयी. फिर वो बोली-
दीदी: देख अगर तू घर पर सब कुछ बता देगा, तो इससे मेरा तो नुकसान होगा, लेकिन तेरा कोई फ़ायदा नही होगा. लेकिन अगर तू नही बताएगा, तो तेरा बहुत फ़ायदा हो सकता है.
मैं: कैसा फ़ायदा?
दीदी: जो तूने मुझे मुकेश सिर के साथ करते देखा है, वो मैं तेरे साथ भी कर सकती हू.
मैं ये सुन कर हैरान हो गया और बोला-
मैं: दीदी तुम ये क्या बोल रही हू.
दीदी: वही जो तू सुनना चाहता है. मैने वाहा तुझे विंडो में खड़े देखा था, और साथ ही तेरा ये खड़ा हुआ लंड भी देख लिया था.
ये बोल कर दीदी ने मेरे लंड पर हाथ रख दिया. उनका हाथ लगते ही लंड फिरसे खड़ा हो गया. ये देख कर दीदी बोली-
दीदी: देख अभी भी खड़ा है. अगर तू चाहे तो मैं इसको ठंडा कर सकती हू.
और ये बोल कर दीदी ने मेरे लंड को दबा दिया.
अब मैं धरम संकट में पद गया था. क्या करू? लंड क शांत करू अपनी दीदी के साथ सेक्स करके, या माना कर डू? मैं 5 मिनिट तक सोचता रहा. फिर फाइनली मेरे लंड ने दिमाग़ पर काबू कर लिया. मैने दीदी की तरफ देखा, तो मुझे दीदी में अपनी बेहन नही एक रंडी नज़र आ रही थी.
फिर मैं उनके पास गया, और उनको अपनी बाहों में भर लिया. मैने अपने होंठ दीदी के होंठो के साथ चिपका दिए, और हम दोनो स्मूच करने लगे. वाउ! कितना स्वाद था दीदी के रसीले होंठो में.
किस करते हुए मेरे हाथ अपने आप ही दीदी की गांद पर चले गये. कितनी सॉफ्ट और फ्लफी गांद थी दीदी की. आज मुझे जन्नत का मज़ा मिलने वाला था, और मैं ये बात जान चुका था.
मैने किस करते हुए ही दीदी की त-शर्ट में हाथ डाला, और उसको दीदी के बदन से अलग कर दिया. अब दीदी के ब्रा में काससे हुए बड़े और गोरे बूब्स मेरे सामने थे.
मैने दीदी को बेड पर धक्का दिया, और उनकी क्लीवेज को चूमने लगा. क्या गर्मी थी दीदी के आँचल में. मैं ब्रा के उपर से ही उनके बूब्स को काटने लगा.
फिर मैने दीदी के ब्रा-कप को खींच कर उनका एक बूब बाहर निकाल लिया. अब दीदी का पिंक निपल मेरे सामने था, और मैने उसको देखते ही चूसना शुरू कर दिया. दीदी कामुक आहें भरने लग गयी.
वो भी पूरी तरह से चार्ज हो गयी थी, और पूरा मज़ा ले रही थी. मैं दीदी का निपल चूस रहा था, और उन्होने पीछे हाथ ले जाके अपनी ब्रा का हुक खोल दिया. मैने उनकी ब्रा को उनके बदन से अलग किया, और उनके दोनो बूब्स को दबा-दबा कर चूसने लगा.
फिर मैं कमर चूमते हुए नीचे गया, और उनकी लेगैंग्स उतार दी. अब मेरी खूबसूरत दीदी मेरे सामने सिर्फ़ पनटी में थी. तभी मुझे मुकेश सिर का पैर चूमने वाला सीन याद आ आया.
मैं भी नीचे दीदी के पैरों पर गया, और उनको चूमने लगा. चूमते हुए मैं उपर आया, और उनकी पनटी के उपर से उनकी छूट पर जीभ फेरने लगा. इससे पहले मैं कुछ करता, दीदी ने खुद ही अपनी पनटी नीचे कर दी, और मेरे मूह को अपनी छूट में दबा लिया.
फिर मैने दीदी की छूट को चाटना शुरू कर दिया. दीदी आ आ कर रही थी, और उनकी टांगे मचल रही थी. मैं पहली बार किसी की छूट को चाट रहा था. इतनी मधुर खुश्बू थी, और स्वाद भी कमाल का था.
मैं जीभ डाल-डाल कर दीदी की छूट चाट रहा था, और दीदी इसका पूरा मज़ा ले रही थी. फिर कुछ देर बाद मैं नंगा हो गया. अब मेरे खड़ा लंड देख कर दीदी खुश हो गयी, और बोली-
दीदी: लंड तो तगड़ा है तेरा भाई.
मैं ये सुन कर मुस्कुरा दिया. फिर जब मैं लंड घुसने के लिए दीदी की टाँगो के बीच आया, तो वो बोली-
दीदी: रूको भाई, पहले मुझे इसका स्वाद तो लेने दो.
ये बोल कर दीदी मेरे सामने घोड़ी बन गयी, और मेरे लंड को मूह में लेके चूसने लगी. वो बड़े मज़े से मेरा लंड चूस रही थी, और मेरी तरफ मदहोश नज़रो से देखते हुए मुस्कुरा रही थी.
फिर मैने दीदी के बाल पकड़े, और उनके मूह में धक्के देने शुरू कर दिए. मुझे उनका मूह छोड़ कर बड़ा मज़ा आ रहा था. कुछ देर मैने दीदी का मूह छोड़ा, और फिर मैने दीदी को लेटने को कहा.
फिर मैं दीदी की टाँगो के बीच आया, और उनकी छूट पर लंड रगड़ते हुए अंदर डाल दिया. आअहह… क्या गर्मी थी दीदी की छूट में. एक अलग सा ही सुख मिलता है छूट में लंड घुसा कर. फिर मैं हिलने लगा ताकि लंड अंदर-बाहर होने लगे. लेकिन वो सही से नही हो रहा था.
फिर दीदी ने मेरी गांद पर हाथ रखा, और बताया की धक्के कैसे मारने थे. बस फिर क्या था, मैं पागलों की तरह उनकी छूट छोड़ने लगा. दीदी भी पागलों की तरह सिसकारियाँ ले रही थी.
उन्होने मेरी कमर पर अपनी टांगे लपेट ली, और मेरे सर को अपने बूब्स में दबाने लग गयी. मैं उनके बूब्स चूस्टे हुए उनको छोड़ रहा था. इतना मज़ा आ रहा था, की मैं बता नही सकता.
15 मिनिट मैं ऐसे ही दीदी को छोड़ता रहा, और फिर मैं उनकी छूट में ही झाड़ गया. दीदी भी झाड़ चुकी थी. उसके बाद मैं दीदी की साइड में लेट गया. हम दोनो की साँसे चढ़ि हुई थी. फिर दीदी हानफते हुए बोली-
दीदी: मैं तो यू ही बाहर मूह . रही थी, जब की इतना बढ़िया लंड मेरे अपने ही घर पर था. अब से मैं . ही चुड लिया .. . भी जब दिल करे तू मुझे छोड़ लिया करना.
तो उस दिन से . आज तक मैं दीदी को छोड़ रहा हू. अब जब तक दीदी की शादी नही होती, . ये . ऐसे ही चलता ..
तो दोस्तों ये थी मेरी कहानी. अगर आपको कहानी पसंद आई हो, तो लीके और कॉमेंट करके ज़रूर बताए.