हेलो दोस्तों, मेरा नाम राज है, आंड मैं एक और न्यू स्टोरी के साथ आपके सामने हू. ये स्टोरी तब की है जब मैं अपनी बेहन के साथ सिटी में रहता था. क्यूंकी उनकी जॉब वाहा थी, और मम्मी-पापा ने मुझे दीदी के साथ रहने को भेज दिया था.
मेरी बेहन का नाम रीया है, जो 25 साल की है, और एक कंपनी में जॉब करती है. उसका फिगर बहुत कमाल की है, जो लगभग 34-30-36 होगा.
दीदी ने सेविंग्स की वजह से सिटी से डोर एक सस्ता घर रेंट पर लिया था, आंड उसमे कोई और रहता भी नही था. क्यूंकी वो ज़्यादा बड़ा नही था. उसमे दो रूम्स थे आंड बाकी बातरूम किचन वग़ैरा.
मैं और दीदी एक ही रूम में सो जाते थे, बुत जब उन्हे ऑफीस का काम करना होता था, तो वो दूसरे रूम में सोती थी, आंड दिन में जॉब पर. मेरा क्या था, कभी तोड़ा पढ़ लिया, या सुत्ता मार लिया जेया कर, और बेहन की चुदाई की स्टोरी पढ़ता रहता था. मैं सोचता था की मुझे भी मेरी बेहन छोड़ने को मिल जाए.
दीदी और हम बात करते थे रात में. तो उसने ब्टाया की उसको एक बॉय ने प्रपोज़ किया था ऑफीस में. बुत उसने म्ना कर दिया और फिर भी वो अब पीछे था की मान जाओ.
तो मैने कहा: आप कंप्लेंट कर दो.
पर दीदी ने कहा: नही, मैं कल उसको सुना दूँगी.
फिर अगले दिन रात को मैने पूछा: वो लड़का मान गया?
तो दीदी ने बताया: हा, मैने उसकी खूब इन्सल्ट की और बहुत सुनाया आंड उसने कहा की अब वो परेशन नही करेगा, और बस आस आ फ्रेंड बिहेव करेगा.
दीदी वाहा ऑफीस में अकेली गर्ल थी आस आ सेक्रेटरी, क्यूंकी वाहा स्पेर पार्ट्स बनते थे तो सब बाय्स या आदमी ही थे. आंड हर डिपार्टमेंट की अलग सेक्रेटरी होती थी. दीदी प्रोडक्षन डिपार्टमेंट में थी, तो वो बस वाहा के एंप्लायीस को ही जानती थी आंड कुछ ही मंत्स में वाहा के एंप्लायीस से अची बॉनडिंग हो गयी. क्यूंकी दीदी को काम भी वही करना था.
फिर एक दिन दीदी ने बताया: जिसने प्रपोज़ किया था वो डिपार्टमेंट का मॅनेजर है, और मैने उसकी इन्सल्ट कर दी सब के सामने. फिर भी वो बहुत आचे से बिहेव करता है.
तो मैने कहा: हा ठीक तो है. ऐसे परेशन भी तो नही करना चाहिए.
और फिर ऐसे ही मंत्स में एक या दो बार दीदी के डिपार्टमेंट के एंप्लायीस घर आया करते थे, कभी कुछ डिसकस करने तो कभी किसी काम के लिए. वो मैं एंप्लायीस ही थे जो आते थे, जिसमे उनका मॅनेजर अमित था जो की यंग ही था, और टीन आदमी और थे जो सूपरवाइज़र्स थे. वो ज़्यादा आगे के थे, सुशील, रवि, और पंकज. ये उन तीनो के नाम थे.
मुझे उस अमित पर शक ही रहता था की शायद अभी भी वो दीदी को पटना चाहता हो. तो एक दिन जब वो सब आए, तो दीदी किचन में छाई बनाने गयी. वो बातें कर रहे थे.
पंकज: सिर वैसे रीया ने ग़लत किया आपकी इन्सल्ट करके.
अमित: छ्चोढो पंकज, मैं तो इससे शादी करना चाहता था. पर इसने खुद ही अपनी बर्बादी कर ली.
रवि: वैसे सिर ये है क़यामत. क्या चीज़ है, एक-दूं चिकनी और ज़बरदस्त.
पंकज: ऐसी इन्सल्ट पर तो आपको इसे निकाल देना चाहिए था सिर.
अमित: निकालने से मेरी इन्सल्ट का बदला पूरा नही होता.
सुशील: सिर बदला कैसा?
अमित: जैसे इसने मेरी बेइज़्ज़ती की है, वैसे इसे भी तो बेइज़्ज़त होना होगा.
पंकज: सिर वो कैसे?
अमित: तुम बस देखते जाओ, और तुम तीनो को ज़रूर बतौँगा.
ये सब सुन कर मैं दर्र गया की ये क्या करेगा. क्यूंकी उसकी पोस्ट भी अची थी, आंड उसके साथ वो तीनो भी थे. मैने दीदी से पूछा उनके जाने के बाद-
मैं: वो अमित तो बदला लेने की सोच रहा है.
तो दीदी ने कहा: नही ऐसा कुछ नही है. वो सब बहुत सपोरटिव है.
मैने उनकी बात दीदी को इसलिए नही बताई की दीदी टेन्षन लेगी. ऐसे ही मंत्स हो गये आंड होली का वक़्त आ गया. हम घर जाने को एग्ज़ाइटेड थे. बुत दीदी ऑफीस से आई तो उन्होने बताया की एक ही दिन की छुट्टी मिली थी उन्हे, बस होली वाले दिन.
तो वो बोली: हम बाद में चलेंगे जब ज़्यादा छुट्टियाँ ले लूँगी मैं. क्यूंकी अभी वर्कलोड ज़्यादा है. तो हम यही रहे.
फिर होली का दिन भी आ गया, और हम दोनो क्या एक-दूसरे के कलर लगते, तो हम बस बैठे थे. तभी गाते नॉक हुआ, और मैने गाते खोला. मैने देखा की दीदी की कंपनी के एंप्लायीस थे. उन्होने विश किया आंड वो सब रंगे हुए थे और ठंडाइ लेकर आए थे, जो दीदी को पीने को कहा.
दीदी ने माना कर दिया तो उन्होने कहा ये तो मर्द है और मुझे पीला दी. मैने भी पी ली, पर कुछ देर बाद मेरा सिर घूमने लगा आंड मैं ऐसे ही बैठ गया, और उनकी बातें सुनने लगा
रवि: देखिए सिर, रीया ने तो बिल्कुल कलर नही लगाया, और हमारी कंपनी में ऐसी सूखी होली कब से होने लगी?
अमित: हा सही कहा.
और फिर उसने गुलाल दीदी के गालों पर लगा दिया. फिर उन तीनो ने भी लगाया.
पंकज: सिर ये बात तो ग़लत है, जब हमारी फर्स्ट होली थी कंपनी में, तो आपने पूरा रंग से नहला दिया था, पक्के कलर से, और रीया को बस गुलाल?
रीया: नही पंकज जी, पानी और पक्का कलर नही. आंड वैसे भी मेरे पुर फेस पर लगा ही दिया है.
अमित: हा ये बात तो सही है. अब पहले पक्का कलर लगेगा, और पानी वाली होली होगी.
ये कह कर उसने पक्का कलर निकाला, और वही ग्लास से पानी लेकर उसको हाथो में लगा कर दीदी की तरफ बढ़ने लगा. दीदी भागने लगी.
रूम की तरफ वो तीनो खड़े थे आंड किचन ओपन थी. तो दीदी बातरूम की तरफ गयी, और अंदर जेया कर गाते लगाने लगी. बुत अमित यंग लड़का था, और वो तेज़ी से भाग कर गाते लगने से पहले बातरूम में घुस गया.
रीया: प्लीज़ सिर, ये पक्का कलर नही लगाओ.
बुत अमित सुनता नही है, और दीदी को पीछे से पकड़ कर उनके गालों को पक्के कलर से रंगने लगता है. इस बीच वो दीदी की गांद से बिल्कुल चिपका हुआ था, और उसकी कोहनी दीदी के बूब्स पर टच हो रही थी.
रीया: सिर अब तो लगा लिया, अब मैं मूह धो लू?
अमित: बस फेस पर नही, जहा भी जगह दिख रही सब जगह लगेगा.
उस दिन दीदी ने ट्रॅक सूट पहना हुआ था, जिसकी ज़िप थोड़ी ज़्यादा ओपन थी. तो दीदी की क्लीवेज शो हो रही थी. अमित ने फिर दीदी के गले पर रंग लगाना शुरू किया, और फिर नेक से नीचे हाथ लाने लगा.
रीया: सिर बस बहुत हो गया.
अमित: मैने पहले ही कहा है, फर्स्ट होली तो आचे से होती है, आंड ये सब एंप्लायीस के साथ होता है, और सब मिल कर लगते है रंग. यहा तो बस मैं लगा रहा हू.
रीया: बुत सिर अब बहुत लगा लिया.
अमित: जहा जगह दिख रही है, बस वही तक लगा रहा हू.
और ये कह कर वो नेक से नीचे हाथ लाता है रंग लगाने को. दीदी उसकी पकड़ से निकालने को घूमती है, तो अमित के हाथ में दीदी के ट्रॅक सूट की ज़िप आ जाती है, और वो खिच जाती है. दीदी का जॅकेट निकल जाता है, आंड दीदी ने अंदर बस वाइट ब्रा पहनी थी. तो अब वो अमित के सामने बस ब्रा में थी, जिसमे से आधे बूब्स भी दिख रहे थे
रीया: ये क्या किया? लाओ जॅकेट दो.
अमित: मैने नही तुमने किया है, और ये जॅकेट भी तुम्हारी वजह से निकली है. अब तो कलर लगने के बाद ही मिलेगी, आंड अब तो जगह भी ज़्यादा है.
रीया: सिर इट’स एनफ.
अमित: देखो अभी भी आराम से लगवा लॉगी तो ठीक है, वरना हम चारो सही से एक-एक जगह लगाएँगे
दीदी उसकी इस बार को सुन कर बोली: सिर अब लग तो गया.
अमित: जॅकेट के हटने के बाद अब तुम्हारी कमर और पेट दिख रहा है. वाहा लगवा लो आराम से.
और फिर वो दीदी को पकड़ कर उनके पेट पर रंग लगाने लगता है. उसके बाद दीदी के सामने से चिपक कर पीछे कमर पर रंग लगता है. फिर वो दीदी की ब्रा के हुक स्ट्रॅप में हाथ डाल कर रंग लगा रहा होता है, जिसमे वो जान-बूझ कर हुक तोड़ देता है.
रीया: सिर ये क्या किया?
अमित: मैने नही किया है. अब तुम्हारी ब्रा ही इतनी लो क्वालिटी की है, की एक-दूं से हुक टूट गये.
अब रीया दीदी अपने दोनो हाथो से ब्रा को बूब्स पर रोके हुए थी, तो अमित ने कहा-
अमित: लाओ हाथ दो इन पर भी तो रंग लगाना है.
रीया: सिर आपको शरम नही है बिल्कुल क्या?
अमित: होली पर शरम का कुछ काम नही.
और वो दीदी की तरफ बढ़ता है. दीदी दीवार की तरफ चली जाती है, और दीवार की तरफ फेस करके चिपक जाती है.
अब अमित भी दीदी के पीछे से चिपकते हुए उनका हाथ उठता है, और रंग लगता है. फिर हाथ को पीछे ही दबा लेता है, और फिर ऐसे ही दूसरा हाथ भी दीदी के ना चाहते हुए उठा कर उस पर रंग लगता है.
रीया: सिर अब आप जाए. लग गया रंग.
बुत अमित एक-दूं झटके से दीदी को अपनी तरफ तुर्न करता है, जिससे उनकी ब्रा नीचे गिर जाती है. दीदी के उठाने से पहले अमित ब्रा को उठा लेता है और दीदी की जॅकेट और ब्रा दोनो वेंटिलेटर पर फेंक देता है. अब उसके सामने दीदी के नंगे बूब्स थे
रीया: या क्या किया? अब मैं बाहर कैसे जौंगी?
अमित: बाहर जाने की क्या ज़रूरत है. अभी तो न्यू जगह है रंग लगाने को, तुम्हारे ये बूब्स.
रीया: जस्ट शूट उप.
दीदी अमित से बचने की कोशिश करती है, तो अमित उन तीनो को आवाज़ लगता है की आ जाओ तुम भी होली खेलने. अब वो तीनो भी बातरूम में चले जाते है.
इसके आयेज क्या होता है, वो आपको कहानी के अगले पार्ट में पता चलेगा. अगर आपको कहानी पढ़ कर मज़ा आया हो, तो इसको फ्रेंड्स के साथ भी शेर करे.