बेहन भाई का रिश्ता बड़ा प्यारा होता है. और अगर वही रिश्ता बिस्तर का रिश्ता बन जाए तो क्या बात है. फिर भाई-बेहन को सालों तक अपने लंड और छूट की आग बुझाने के लिए तड़पना नही पड़ेगा.
ही दोस्तों, मैं अरविंद आज आप सब के सामने अपनी कहानी का अगला पार्ट लेके आया हू. उमीद है आपने पिछले पार्ट को मिस नही किया होगा. अगर आपने पिछला पार्ट मिस किया है, तो जल्दी से जाके उसको पढ़िए. क्यूंकी उसको मिस करना आप अफोर्ड नही कर सकते.
पिछले पार्ट में आपने पढ़ा की मेरी बेहन किरण शादी ना होने से डिप्रेशन में जेया रही थी. और कैसे पड़ोसियों के लड़के हेमंत ने इस चीज़ का फ़ायदा उठाते हुए किरण को किस करने के लिए उत्तेजित किया. अब आयेज बढ़ते है.
किरण ने हेमंत को आधे घंटे में च्चत पर मिलने के लिए बुलाया था. और वाहा वो उसको किस करने वाली थी. मैं पहले ही च्चत पर जाके च्छूप गया था.
फिर हेमंत वाहा पहुँच गया, और मेरी दीदी की वेट करने लगा. जब तक दीदी नही आई, तब उसने जेब से एक सिगरेट निकली, और उसको पीने लग गया. फिर पुर आधे घंटे के बाद दीदी आई. हेमंत ने दीदी को देखते ही अपनी सिगरेट बुझा दी, और साइड में फेंक दी.
दीदी हेमंत के पास आई, और बोली: चलो करो किस.
हेमंत ये सुन कर खुश हो गया. फिर वो दीदी के करीब आया, और उसकी कमर में हाथ डाल कर अपने से चिपका लिया. अब दीदी की जांघें और पेट हेमंत की जांघों और पेट के साथ चिपके हुए थे.
पहली बार किसी लड़के से टच होने की वजह से दीदी की साँसे तेज़ हो गयी. वो हेमंत की आँखों में आँखें डाल कर उसको देखने लग गयी. फिर हेमंत आयेज बढ़ने लगा. दीदी पीछे होने की कोशिश करने लगी, लेकिन हेमंत ने उसको कस्स के पकड़ा हुआ था.
अब दोनो के फेस बिल्कुल पास आ चुके थे, और उनमे ज़्यादा से ज़्यादा एक इंच की दूरी थी. दोनो की साँसे आपस में टकरा रही थी. इधर मेरी भी धड़कने तेज़ हो रही थी. वो सीन देख कर मेरा दिल कर रहा था की काश दीदी हेमंत की नही मेरी बाहों में होती. मेरे मूह में भी दीदी के रस्स भरे लिप्स को देख कर पानी आ रहा था.
फिर हेमंत ने अपने होंठ दीदी के होंठो से चिपका दिए. होंठो के चिपकते ही दीदी की आँखें बंद हो गयी, और हेमंत ने दीदी के होंठो को चूसना शुरू कर दिया. पहले-पहले दीदी कोई रेस्पॉन्स नही दे रही थी. ये इसलिए भी था, क्यूंकी ये उसकी पहली किस थी.
फिर 30-40 सेकेंड्स में दीदी भी हेमंत के होंठ चूसने लगी. वो इतनी उत्तेजित हो गयी थी, की उन्होने हेमंत को अपनी बाहों में भर लिया, और उसके सर पर हाथ रख कर उसके बाल सहलाने लगी.
5 मिनिट हो गये थे उन दोनो को किस करते हुए, लेकिन वो अलग नही हो रहे थे. दीदी बड़ी मस्त होके हेमंत के होंठ चूसने में मगन थी. हेमंत भी मेरी कुवारि दीदी के पहली बार के रस्स को मज़े से पी रहा था.
फिर वो अपने हाथ दीदी की पीठ पर ले गया, और उसकी पीठ सहलाने लगा. उसके बाद जैसे ही उसने अपने हाथ दीदी की गांद पर रख कर गांद दबाई, दीदी उछाल गयी. तब वो होश में आई, और हेमंत से अलग हो गयी.
अब वो हेमंत को देख रही थी, और उसकी साँसे फूली हुई थी. उधर हेमंत की साँसे भी फूली हुई थी. दीदी फिर कुछ नही बोली, और चुप-छाप नीचे चली गयी. हेमंत ने अपने होंठो पर हाथ फिराया, और स्माइल करते हुए वो भी नीचे चला गया.
उन दोनो के जाने के बाद मैं भी नीचे चला गया. मैं दीदी के रूम के बाहर से गुज़रा, तो दीदी वाहा नही थी. ये देख कर मैं सोच मैं पद गया. फिर जब मैं बातरूम की तरफ गया, तो मुझे दीदी की आ आ की आवाज़े आ रही थी. मैं समझ गया की दीदी फिंगरिंग कर रही थी.
फिर रात हो गयी और मैं सो गया. मैं समझ गया था की हेमंत ने मेरी दीदी की वासना को जगह दिया था. फिर अगले दिन हमारी गली में कोई फंक्षन था, तो सब लोग इकट्ठे हुए थे. हेमंत भी वाहा पर था. दीदी और हेमंत एक-दूसरे को सामने से इशारे कर रहे थे. साथ-साथ वो मोबाइल चला रहे थे.
मैं समझ गया था की दोनो की व्हातसपप चाटिंग चल रही थी. अब मुझे उनकी छत पढ़नी थी. उसी रात फंक्षन के बाद दीदी जब सो रही थी, तो मैने धीरे से दीदी के रूम में जाके उनका मोबाइल ओपन किया. मुझे दीदी के मोबाइल का पासवर्ड पता था, इसलिए काम आसान था. मैने उनके व्हातसपप को क्लोन किया, और जल्दी से बाहर आ गया.
फिर मैने अपने रूम में आके उन दोनो की छत पढ़ी. दीदी अब हेमंत की गर्लफ्रेंड बन चुकी थी. वो कह रही थी-
दीदी: सच में हेमंत मुझे उस दिन किस करने में बड़ा मज़ा आया.
हेमंत: फिर दोबारा कर लो.
दीदी: हहहे.
हेमंत: बोलो करनी है?
दीदी: ह्म.
हेमंत: कल मिलते है फिर उसी जगह.
दीदी: ठीक है.
हेमंत: लेकिन इस बार सिर्फ़ किस से काम नही चलने वाला. इस बार मैं कुछ और भी करूँगा.
दीदी: क्या करोगे?
हेमंत: वो तुम्हे तभी पता चलेगा. लेकिन तुम्हे किस से भी ज़्यादा मज़ा आएगा, इस बात की गॅरेंटी है.
दीदी: चलो ठीक है, जब अवँगी तब देखेंगे.
अब वो कल फिरसे मिलने वाले थे, और मुझे इस बात का बुरा लग रहा था. मुझे इसलिए बुरा लग रहा था, की बेहन मेरी थी, तो उसके होंठ और जिस्म मेरा होना चाहिए था. ये तो कोई जायज़ बात नही हुई, की भाई तड़प्ता रहे, और मज़ा पड़ोसी ले.
तो मैने इस बार उसकी वीडियो रेकॉर्डिंग करके उसको फसाने का फैंसला किया. मेरे पास कल तक का टाइम था पूरी सेट्टिंग करने का. तो मैने तैयारी शुरू कर दी.
इसके आयेज क्या हुआ, और अगले दिन मैने क्या-क्या रेकॉर्ड किया. वो सब जानने के लिए आपको कहानी के अगले पार्ट की वेट करनी पड़ेगी. उमीद है की आप सब रीडर्स को यहा तक की कहानी पसंद आ रही होगी.
अगर आपको कहानी पसंद आ रही हो, तो इसको अपने फ्रेंड्स के साथ भी शेर करे, और कहानी के व्यूस बढ़ाए. कहानी पढ़ने के लिए धन्यवाद.