ही मेरा नाम निक है मे आप सब के लिए ट्ंकॉक की स्टोरी की सीरीस लेके आया हू. जिसमे बापू जी सब के विचार बदल देते है और सोसाइटी वालो को ओपन माइंडेड बना देते है. जिसमे कोई किसी को भी छोड़ सकता है क्योकि अब ये सोसाइटी ओपन माइंडेड हो चुकी है तो चलिए शुरू करते है.
तो आज सनडे का दिन है शुरुवत होती है जेथलाल के घर से.
आज सनडे है तो जेथलाल आराम से सो रहा होता है.
दया उसको उठाने की कोशिश करती है लेकिन जेथलाल नही उठता. तब दया बापू जी को बुलाती है.
बापू जी: क्या हुआ बहू?
दया: देखिए ना बापू जी ये उठ ही नही रहे है.
बापू जी जेथलाल के पास जाते है और उसको उठाने की कोशिश करते है.
बापू जी: उठ जेता कितना सोएगा.
लेकिन जेता लाल नही उठता दया बापू जी के साइड मे झुक के जेथलाल को जगाने की कोशिश करती है.
तभी बापू जी की नज़र दया की मोटी गांद पे पढ़ती है.
बापू जी दया की गांद पे अपना हाथ भिड़ा देते है. दया एक दूं दार जाती है लेकिन कुछ बोलती नही.
बापू जी और ज़्यादा एग्ज़ाइटेड हो जाते है वो अपना लंड दया की गांद पे टच करने लगते है. और बापू जी का लंड धीरे धीरे खड़ा होने लगता है और दया की गांद मे दबने लगता है.
तभी दया पीछे मूह करके बापू जी को देखती है लेकिन कुछ बोलती नही.
बापू जी ने दया की सारी उठा के उसकी कमर तक कर दी और दया की पनटी भी उतार दी, दया बेचारी कुछ नही बोल पा रही थी.
जो उसके साथ हो रहा था बस चुप छाप से रही थी.
बापू जी अपनी भी धूटी खोल देते है और अपना लंड दया की छूट मे घुसने की कोशिश करते है.
दया की साँसे तेज़ हो जाती है हल्की हल्की सिसकारियाँ लेने लगती है.
दया: आहह एम्म्म ऊओ.
बापू जी अपना 6 इंच का लंड दया की छूट मे फसा कर चुदाई करना शुरू कर देते है.
दया बेचारी बेड पे अपने हाथ टीका कर झुकी होती है बिल्कुल जेता लाल के उपर.
बेचारा जेथेलाल उसे कुछ होश ही नही था की उसके बापू जी उसकी पति को चुड रहे है.
बापू जी धीरे धीरे धक्के मारते रहे और बेचारी दया चुड्ती रही.
दया: आअहह एम्म्म ऊओ एयाया सस्सस्स ऊओ आ अया आआहह.
जेथलाल इतना होने के बाद भी सोता रहा.
फिर 10 मीं बाद बापू जी ने दया की गांद पे अपना माल निकल दिया.
बापूजी अपनी धूटी उठा कर रूम से बाहर चले गये.
दया भी अपनी सारी पकड़ कर और बातरूम मे चली गयी और अपनी गांद पे से बापूजी का माल सॉफ करने लगी.
दया बहोट घभरेई हुई थी की टापू के पापा को पता चेलेगा तो क्या होगा.
फिर दया बातरूम से बाहर आती है और जेथलाल को आवाज़ देके उठती है अब जेथलाल उठ जाता है और बेड से उठ कर खड़ा हो जाता है.
तभी जेथलाल को दया की पनटी ज़मीन पे पड़ी हुई दिखती है.
जेथलाल: दया से तू ने अपनी चड्डी एसए क्यू फीक रखी है बापू जी देख लेंगे तो क्या सोचेंगे..
(दया मान मे कहती है ये बापू जी ने ही तो किया है.)
दया: आरे टापू के पापा वो मेने अभी बस अलमारी मे ही रखी थी पता नही कैसे नीचे गिर गयी.
मे इसको रख देती हू आप नहा लीजिए.
जेथलाल नहा के तैयार हो के बाहर हॉल मे आता है.
जेथलाल: गूडमॉर्निंग बापूजी. क्या बात है आज तो आप बहोट खुश लग रहे है?
बापू जी: हा आज का दिन बहोट बाड़िया है. (होगा क्यू नही सुबा सुबा दया की छूट जो मारी थी)
जेथलाल: वाआह. चलिए बापूजी मे जलेबी फाफद लेके आता हू.
बापूजी: हा जा जा.
फिर जेता लाल कॉंपाउंड मे पोोच जाता है और वाहा बबिता जी को जाते देख उसको आवाज़ देता है.
जेथलाल: गूडमॉर्निंग बबिता जी.
बबिता जी भी पेचए मूड के देखती है और गूडमॉर्निंग कह के स्माइल करती है.
जेथलाल जल्दी से बबिता जी के पास जाता है.
करीब से बबिता जी को देख कर जेथलाल की आँखे फाट जाती है.
बबिता जी ने पिंक कलर का फुल टाइट ट्रॅक सूट पहना होता है जिसमे बबिता जी के 38 के बूब्स और 38 की गांद मस्त चमक रही होती है.
और बबिता जी के निपल्स भी खड़े होते है जो सॉफ दिखाई दे रहे होते है.
जेथलाल का तो मूह खुला रह जाता है और वो अपने ख़यालो मे खो जाता है.
तभी बबिता जी जेता लाल को हिलती है तो उसको होश आता है.
जेथलाल: वाह वाह बबिता जी ये सूट मे तो आप एक दूं पारी लग रही है.
बबिता जी (शरमाते हुए): आप भी ना जेता जी.
इतने मे इएर आ जाता है और बबिता के साथ गार्डेन मे चला जाता है.
जेथलाल भी अपने जलेबी फाफद लेने निकल पड़ता है.
बबिता जी गार्डेन मे जॉगिंग कर रही होती है जेथलाल बाहर से ही झड़ी के पीछे से बबिता जी को देखता है.
भागते हुए बबिता जी के मूटे मूटे बूब्स और मोटी गांद बहोट हिल रही होती है.
ये देख के जेथलाल का लंड खड़ा हो जाता है. लेकिन वो कुध कर काबो रख के चला जाता है.
और वाहा घर पे बापूजी तो खुशी से झूम रहे होते है.
दया बापूजी के लिए छाई लेके आई है और टेबल पे रख देती है और इतने मे ही बापू जी दया जा हाथ पकड़ लेते है और खीच कर अपनी गोध मे बिता लेते है.
दया छूटने की कोशिश करती है लेकिन छूट नही पाती.
बापूजी दया की सारी का पल्लू साइड कर के उसके 34 बूब्स दबाने लग जाते है.
दया ज़ोर ज़ोर से साँसे लेने लगती है.
इतने मे टापू की आवाज़ आती है तो बापूजी दया को कॉर्ड देते है और अपना लंड अपनी धूटी मे सेट करते है.
और दया भी साइड खड़ी हो के अपनी सारे सही करती है
टापू: मम्मी मे खेलने जेया रहा हू.
दया: ठीक है बेटा जाओ.
और टापू चला जाता है और दया भी किचन मे चली जाती है.
बापूजी मान मे सोच रहे होते है की काश वो सभी सोसाइटी की औरतो को छोड़ पाते.
इसलिए बापू जी एक प्लान बनाते है.
और भिड़े को फोन करके बोलते है की सोसाइटी मे आज रात को मीटिंग बुलाए.
भिड़े मान जाता है और सबको रात की मीटिंग का बोल देता है…
उमीद है आपको स्टोरी पसन आई होगी इसके आयेज के पार्ट्स जल्दी आएँगे. और आप सब अपना फीडबॅक देके ज़रूर बताए की स्टोरी कैसी लगी.