गाइस इस स्टोरी को रोशन और बापू जी के लिए लिख रहा हू. ताकि बीच में कुछ और मज़ा आए. और अगर ठीक लगे तो कंटिन्यू करूँगा, वरना अब्दुल और बबिता या सोनू से कहानी कंटिन्यू करूँगा. आप लोग बता देना प्लीज़ कॉमेंट में, की स्टोरी आपको कैसी लगी. आपके कॉमेंट्स के बेसिस पे ही मैं ये स्टोरी कंटिन्यू करूँगा.
जैसे की आपने पहले पार्ट्स में पढ़ा है, की कैसे अब्दुल माधवी और रोशन को छोड़ता है. अब आयेज की कहानी की तरफ रुख़ करते है.
जेथलाल के घर :-
जैसे की रोशन बापू जी का ख़याल रख रही थी, तो वो सुबा जल्दी चली जाती है. जैसे ही वो डोरबेल बजाती है, तो टापू उसके लिए दरवाज़ा खोलता है. फिर जैसे ही टापू की नज़र रोशन पर पड़ती है, वो रोशन को देख के पागल हो जाता है.
क्यूंकी रोशन ने येल्लो सारी पहनी थी, जिससे उसके बड़े-बड़े बूब्स दिखाई दे रहे थे. और उसके कमर और उसकी गांद तो कमाल की लाह रही थी. ये सब देख कर टापू अपने होश खो बैठता है, और उसके मूह में पानी आना शुरू हो जाता है.
फिर टापू होश में आता है, और वो रोशन को अंदर आने को बोलता है. उसके अंदर आने के बाद वो खुद खेलने चले जाता है. अंदर बापू जी सो रहे थे, और रोशन उन्हे उठती है, और उनसे पूछती है-
रोशन: बापू जी, दवाई कहा रखी है आपने?
बापू जी: वो नीचे वाले ड्रॉयर में देखो तो, वाहा पर पड़ी होगी.
फिर रोशन जैसे ही दवाई के लिए झुकती है, तो बापू जी को उसके बूब्स के दर्शन हो जाते है. रोशन के गातीले और काससे हुए रस्स-भरे बूब्स देख कर बापू जी की आँखें निकल जाती है. लेकिन ये सीन ज़्यादा लंबा नही चलता, क्यूंकी जल्दी ही रोशन को दवाई मिल जाती है.
रोशन बापू जी को दवाई दे देती है, और उसके बाद बापू जी को नहाने के लिए जाने के लिए कहती है. जैसे ही फिर बापू जी नहाने के लिए जाने लगते है, वो लड़खड़ा जाते है. रोशन जल्दी से उनको पकड़ती है, और पूछती है-
रोशन: बापू जी, आप ठीक तो है ना?
बापू जी: नही बेटा, वो ज़रा चक्कर आ गया था.
रोशन: आप काट नहाइए आज, आपकी तबीयत ठीक नही लग रही है.
बापू जी: नही बेटा, आज तो नहाना पड़ेगा.
रोशन: क्यूँ?
बापू जी: वो मेरी बीवी का बर्तडे है.
रोशन: ओक ठीक है. आपको मैं बातरूम तक पहुँचा देती हू.
जब रोशन बापू जी को बातरूम तक पहुँचा रही थी, तो बापू जी उसका फ़ायदा उठा के उसकी कमर में मस्त हाथ लगा रहे थे. बापू जी के ऐसा करने से रोशन बहक जेया रही थी. क्यूंकी रोशन को घर आए करीब 6 दिन हो गये थे, और उसकी छूट बहुत गरम थी. वो भी लंड लेने के लिए तड़प रही थी. फिर जब रोशन बापू जी को बात टब में बिता देती है, तो कहती है-
रोशन: ठीक है बापू जी, आप नहा लीजिए.
बापू जी उसी वक़्त रोशन का हाथ पकड़ कर कहते है-
बापू जी: बेटा तुम थोड़ी मदद कर दो ना मेरे कपड़े उतारने में. मुझे नही लगता, की मैं अकेले ये कर पौँगा.
रोशन: पर मैं कैसे बापू जी?
लेकिन फिर रोशन झिझकते हुए मान जाती है. फिर रोशन बापू जी के कुर्ता उतार देती है. पर बापू जी उसका फ़ायदा उठा कर अपना गाल उसके बूब्स में लगा रहे थे. फिर ना चाहते हुए भी रोशन बापू जी को उठने के लिए कहती है, और बापू जी की लंगोट खोल देती है.
बापू जी ने लंगोट के नीचे अंडरवेर नही पहना हुआ था, तो उसका मॉन्स्टर लंड रोशन के सामने आ जाता है. उनका बड़ा सा लंड देख कर वो शॉक हो जाती है.
रोशन ( माइंड में सोचती है): बापू जी का इतना बड़ा और मोटा. लंड कैसे है?
फिर रोशन अपने आप को रोकते हुए उन्हे नहाने के लिए कहती है. पर बापू जी उसे फिरसे रोकते है, और कहते है-
बापू जी: बेटा तुम ही नहला दो. मेरे में इतनी हिम्मत नही है नहाने की.
रोशन बापू जी की बात सुन कर झिझक्ति है, और बहुत बार ना बोलने के बाद भी वो मान जाती है. फिर वो बापू जी को नहलाने लगती है. जब वो उनकी पीठ माल रही थी साबुन से, तो बापू जी उसके बूब्स के दर्शन कर रहे थे. फिर थोड़ी देर में उसने बापू जी को उपर से नहला दिया था.
उसके बाद बापू जी उसे पैरों के लिए कहते है. फिर जब रोशन उनके पैरों को नहला दे रही थी, तो बापू जी उसे और उपर और उपर करके उसको पेट तक पहुँचा देते है. अब रोशन बापू जी का लंड सॉफ कर रही थी. लंड सॉफ करते हुए वो मदहोश हुई जेया रही थी.
तभी बापू जी ने रोशन के होंठो में हाथ लगाया, जिससे वो मदहोशी से बाहर आ जाती है, और जाग जाती है. फिर वो बापू जी को ठीक है कह कर बाहर आ जाती है. उसके बाद दोपहर में जब रोशन खाना लाती है बापू जी के लिए, तो रोशन उनसे कहती है-
रोशन: ये लीजिए बापू जी खाना तैयार है.
बापू जी: बेटा अब मैं इतनी उमर में चबा नही सकता, तुम ही खिलो दो.
रोशन: नही, मैं कैसे बापू जी?
रोशन फिर कैसे भी करके मान जाती है. फिर वो खाने को पहले अपने मूह में चबती है, और फिर बापू जी के मूह में पहला नीवाला खिला देती है. उसके बाद रोशन दूसरा नीवाला चबती है, और फिर उन्हे जैसे ही खिलती है, बापू जी उसके लिप्स को किस करना शुरू कर देते है.
बापू जी उसके कान पर और उसके बदन पर चूमना शुरू कर देते है. रोशन माना करने की कोशिश करती है, पर बापू जी उसे चूमते ही रहते है. फिर रोशन भी मदहोश हो जाती है, और वो बापू जी का साथ देती है.
पर उसे बापू जी, जो की बहुत सालों से भूखे थे, उनके राक्षस बिहेवियर के बारे में नही पता था. बेचारी बापू जी के पास फ़ासस जाती है, और इससे आयेज की कहानी अगली स्टोरी में जल्दी ही आएगी.
और दोस्तों कुछ ग़लती हो गयी हो तो माफ़ कर देना. और कॉमेंट में कैसे रोशन को छोड़ना है, और क्या इन्स्ट्रुमेंट्स इस्तेमाल होने चाहिए बताना. मैं उन्ही का इस्तामाल करूँगा अपनी कहानी में.