पिछला भाग पढ़े:- 3 सुहग्रात वाली शादी-2
ही रीडर्स, मैं हू अर्चना. मैं अपनी कहानी का लास्ट पार्ट लेके आई हू. उमीद करती हू, की आपको मेरी कहानी पसंद आ रही होगी. अगर पसंद आ रही है, तो कॉमेंट करके ज़रूर बताए.
पिछले पार्ट में आप सब ने पढ़ा था, की कैसे मेरी शादी के दूसरे दिन मुझे मेरे देवर अजय से चूड़ना पड़ा. और इसको घर का रिवाज़ बताया गया. अजय ने मुझे मज़े से छोड़ा, और छोड़ कर रूम से बाहर चला गया. अब आयेज चलते है.
मैं वही पड़ी हुई थी, और पड़ी-पड़ी सोच रही थी, की ये क्या हो गया मेरे साथ. मुझे बहुत बुरा लग रहा था. अपने आप से घिंन आ रही थी मुझे की जिस देवर को मैने भाई समान माना था, आज उसी से चूड़ी थी.
फिर मैने जैसे-तैसे अपने कपड़े पहने, और वैसे ही लहँगे में सो गयी. अगले दिन मैं शाम तक सोती रही. और जब उठी, तो वही बातें मेरे दिमाग़ में घूमने लगी. मैने रोना शुरू कर दिया, और आधा घंटा रोटी रही. फिर मैने अपने आप को समझा-बुझा कर हॉंसला दिया.
शाम के 8 बाज चुके थे, और अभी तक मैं रूम से बाहर नही निकली थी. मुझे समझ नही आ रहा था की मैं उन सब से नज़रे कैसे मिलौंगी, और बात क्या करूँगी. यही सोचते-सोचते 9 बाज गये.
9 बजे मेरे रूम के दरवाज़ा खुला. मैने सामने देखा, तो ससुर जी थे. उनको देखते ही मेरी आँखों में आँसू आ गये, और मैं उनसे जाके लिपट गयी. मैने उनसे रोते हुए कहा-
मैं: पापा, ये देखो क्या हो रहा है मेरे साथ. सासू मा ने मुझे अजय भैया के साथ…
और मैं ज़ोर-ज़ोर से रोने लगी. ससुर जी ने मेरी पीठ पर हाथ रखा, और मुझे सहलाने लगे. लेकिन तभी उनका हाथ मेरी कमर से होते हुए मेरी गांद पर गया, और उन्होने मेरे चूतड़ को ज़ोर से दबा दिया.
जैसे ही उन्होने मेरा चूतड़ दबाया, मैं उनसे डोर हो गयी, और मैने हैरानी से कहा-
मैं: पापा!
ससुर जी: बेटा तुमने ध्यान से शायद सुना नही था. तुम्हारी सासू मा ने कहा था की तुम्हे घर के सारे मर्दों से चूड़ना है. और मैं भी एक मर्द ही हू. तो आज रात तुम्हे मुझसे चूड़ना पड़ेगा.
मैं: नही पापा, प्लीज़ ऐसा मत कीजिए. मुझसे ये नही होगा.
ससुर जी: अर्रे फिकर मत करो, सिर्फ़ सुहग्रात ही तो माननी है. घर में सिर्फ़ 3 ही मर्द है, और मैं तीसरा हू. बाकी 2 से तो तुम निपात ही चुकी हू. ये तो कल मैं बाहर था, नही तो मैं ही आने वाला था.
मैं बस उनको देख रही थी, और उनकी बातें सुन रही थी. फिर वो आयेज बढ़ते हुए बोले-
ससुर जी: आजा मेरी जान, अब नखरे ना कर. जिस दिन से तुझे देखा है, सला लंड बैठ ही नही रहा. आजा मेरी रानी.
मैं पीछे होने लगी. लेकिन पीछे थोड़ी दूरी पर बेड आ गया, और मैं उस पर गिर गयी. फिर ससुर जी मेरे उपर आए, और मेरे होंठ चूसने लगे. मेरी आँखों से आँसू आ रहे थे. लेकिन मेरे पास कोई ऑप्षन नही था. वो मेरी गर्दन चूमने लगे, और मैं सिसकारियाँ लेने लगी.
फिर उन्होने मेरी चोली उतार दी, और ब्रा निकाल कर मेरे बूब्स चूसने लग गये. वो ज़ोर-ज़ोर से मेरे निपल्स चूस रहे थे, और खींच-खींच कर काट रहे थे. कही ना कही मैं भी मज़ा ले रही थी अब. मैं मॅन में सोच रही थी, की शायद यही मेरी किस्मत थी.
फिर वो मेरी कमर पर किस करने लगे, और मेरा लहंगा उतार दिया. अब मैं उनके सामने सिर्फ़ पनटी में थी. ससुर जी ने अपने कपड़े उतार दिए, और अब वो भी मेरे सामने अपने अंडरवेर में थे. उनका लंड अंडरवेर में तंबू बनाए हुआ था.
फिर उन्होने मेरी पनटी उतरी, और मेरी छूट चाटने के लिए मूह आयेज किया. लेकिन तभी वो पीछे हो गये. क्यूंकी मेरी छूट में से स्मेल रही थी. इसका कारण ये था, की ना तो मैं नहाई थी, और पिछली रात अजय ने मेरी छूट में ही पानी निकाल दिया था.
फिर ससुर जी ने मुझे वैसे ही उठाया, और बातरूम में ले-जाके शवर के नीचे खड़ा कर दिया. मेरी बॉडी पर पानी पड़ा, और मैं और ज़्यादा सेक्सी लगने लगी. ससुर जी ने भी अपना अंडरवेर उतार दिया.
उनका लंड देख कर मैं हैरान हो गयी. उनका लंड 9 इंच का था. फिर वो घुटनो के बाल बैठ गये, और मेरी छूट पर साबुन लगाने लगे. छूट सॉफ करने के बाद उन्होने छूट में मूह डाल लिया, और उसको चाटने लगे. कुछ देर वो ऐसे ही करते रहे, और मैं एक बार झाड़ भी गयी.
फिर वो खड़े हुए, और मेरे जिस्म को टवल के पोंछ कर मुझे वापस रूम में ले आए. रूम में आके उन्होने मुझे बेड पर घोड़ी बनाया, और मेरे मूह में अपना लंड डाल दिया.
फिर वो ज़ोर-ज़ोर से मेरे मूह को छोड़ने लग गये. मुझे लंड चूसना बिल्कुल अछा नही लग रहा था, लेकिन मैं कुछ कर भी नही सकती थी.
जब उनका लंड मेरी थूक से आचे से भीग गया, तो उन्होने मुझे सीधा लिटाया, और मेरे उपर आ गये. फिर वो मेरी छूट पर अपना लंड रगड़ने लगे, जिससे मुझे सेक्स चढ़े लगा.
वो लगातार मुझे लंड रग़ाद कर तडपा रहे थे. शायद वो चाहते थे, की मैं उनको छोड़ने के लिए बोलू. और हुआ भी वैसा ही. उन्होने मेरी छूट को इतना गरम कर दिया, की मैं उनसे छोड़ने के लिए भीख माँगने लगी.
फिर उन्होने ज़ोर का झटका मार कर अपना सांड़ जैसा लंड मेरी छूट में घुसा दिया. लंड पहले आधा मेरी छूट में गया, और फिर उन्होने ज़ोर के धक्के लगा कर पूरा अंदर कर दिया. उनका लंड मेरी नाभि तक जेया रहा था.
मुझे बहुत दर्द हो रहा था, लेकिन मज़ा भी आ रहा था. फिर वो मुझे ज़ोर-ज़ोर से छोड़ने लग गये. साथ-साथ वो मेरे होंठ और बूब्स भी चूस रहे थे. उन्होने चूस-चूस कर मेरी गर्दन और बूब्स लाल कर दिए थे.
कुछ देर ऐसे ही छोड़ने के बाद उन्होने मुझे घोड़ी बनने को कहा. मैं भी जल्दी से घोड़ी बन गयी. फिर उन्होने मेरी गांद का च्छेद चाटना शुरू किया. मुझे कुछ अलग सही मज़ा आने लगा.
फिर उन्होने अपना लंड हाथ में पकड़ा, और मेरी छूट पर सेट करने लगे. तभी उन्होने ज़ोर का धक्का मारा, और मेरी ज़ोर की चीख निकली. क्यूंकी उनका धक्का छूट में नही, गांद के च्छेद में था.
मैं आयेज होने की कोशिश करने लगी, लेकिन उन्होने मुझे कस्स लिया, और धक्के मारते रहे. कुछ 20-25 सेकेंड्स में उन्होने अपना लंड मेरी गांद में घुसा दिया. मेरी दर्द के मारे जान निकल रही थी.
फिर वो धक्के मारते गये, और च्छेद खुलता गया. कुछ टाइम बाद मुझे गांद मरवा कर मज़ा आने लगा. ससुर जी भी पुर ज़ोर से मुझे छोड़ रहे थे. वो साथ-साथ मेरी छूट भी रग़ाद रहे थे.
कुछ देर बाद मेरा पानी फिरसे निकल गया. और उसके कुछ देर बाद ससुर जी ने भी मेरी गांद में अपना पानी निकाल दिया.
उस दिन के बाद से उन तीनो ने मुझे घर के हर कोने में अलग-अलग और मिल कर भी छोड़ा. धीरे-धीरे मुझे भी इसकी आदत हो गयी. मुझे तो ये भी नही पता की मेरे लड़कों का बाप कों है तीनो में से. लेकिन चुदाई का बहुत मज़ा आता है मुझे अब.
तो कहानी ख़तम हुई फ्रेंड्स.