ही फ्रेंड्स, कैसे है आप लोग? आप लोगों ने मुझे बहुत मिस किया होगा, है ना? मेरे कुछ आशिकों की मेल्स आई थी, लेकिन सब की नही. आप मुझे मैल करके अपनी इक्चा बताओगे, तो मुझे अछा लगेगा, बताओगे ना?
आपने जैसे मेरी लास्ट स्टोरी में पढ़ा था, की कैसे मैने अपनी मॅरेज आनिवर्सयरी अपनी जान रशीद के साथ मनाई, और मैं उसके बच्चे की मा बनी, और कैसे मैने विजय से छुड़वा कर उसको बताया की मैं उसके बच्चे की मा बनने वाली थी.
विजय बहुत खुश था, और मैं भी. क्यूंकी मेरी हमेशा से इक्चा थी, की मैं रशीद के बच्चे की मा बनू, और रशीद ने मुझे छोड़ कर मेरी इक्चा पूरी की थी. मैं सच में रशीद को बहुत प्यार करती थी, और उसके लिए कुछ भी कर सकती थी. मेरी ये जवानी और मेरा जिस्म रशीद के लिया है.
मैं बहुत खुश थी, लेकिन शायद भगवान को मेरी खुशी अची नही लग रही थी. विजय की नौकरी चली गयी थी, और हमे घर चलाने में काफ़ी परेशानी हो रही थी. और दूसरी तरफ मेरी बुधियाई सास और ससुर. हमेशा मेरी सास की कीच-कीच होती रहती थी, और कोई सपोर्ट भी नही मिलता था.
उसको हमेशा अपनी बेटी यानी मेरे ननद ही सही लगती थी. मेरा हमेशा इस बात से उससे लाफद होता रहता था, और वो कहती की अपनी जायदाद में से हमे कुछ भी नही देगी. एक तो विजय का काम में कुछ नही होता था, और उपर से अगर हमे प्रॉपर्टी नही मिलेगी, तो मेरा जीना तो दुश्वार हो जाएगा.
मैं बहुत परेशन हो गयी, और अपनी किस्मत को कोसने लगी, और रोटी रहती. इस बीच कुछ दीनो के बाद मेरी जान का मुझे फोन आया.
रशीद: कैसी है मेरी छूट?
मैं: कैसी हो सकती हू तुम्हारे बिना? जब से तुम यहा से गये हो, मेरा मॅन नही लगता है, और उपर से इस बुधिया (सास) के नाटक चलते रहते है. बहुत परेशन हो गयी हू मैं. दिल करता है सब कुछ छ्चोढ़ कर तुम्हारे पास आ जौ.
रशीद: मेरे पास आ कर क्या करोगी बहनचोढ़?
मैं: क्यूँ, तुम मुझे पाल नही सकते हो?
रशीद: अर्रे मेरी चूत, तुझे पाल भी सकता हू, और तुझे मज़े भी करा सकता हू. लेकिन तुम जानती हो ना मेरी शादी हो गयी है.
मैं: तो क्या हुआ?
रशीद: मैं तुझे अपनी रखैल बना कर रखूँगा, समझी लोदी?
मैं: तो बना लो मुझे रखैल. मैने कब माना किया है. वैसे भी तुमसे चुड़वति नही हू, तो मेरा मॅन नही लगता है. तुम्हारे लंड की खुसबु, और तुम्हारी मर्दानगी मुझे बहुत पसंद है. मॅन करता है, हमेश तुम्हारे लंड के नीचे बैठी राहु.
रशीद: क्यूँ मदारचोड़, अब तेरा बुद्धा बाप नही मॅर जाएगा.
मैं: उनकी बात सुन कर भी मुझे क्या मिला, विजय? जो मुझे ढंग से खुश भी नही कर पता, और उपर से काम भी नही कर पता है ढंग से. और अब बुधिया के नाटक. मैं बहुत परेशन हो गयी हू, तुम बताओ मैं क्या करू?
रशीद: पहले रोना बंद कर तू, और मेरी बात आचे से सुन. तू मेरी छूट है ना?
मैं: हा.
रशीद: मैने तुझे तैयार किया है. अब तू पूरी तरह से तैयार है. मैने तुझे जवान किया है तेरे बाप ने नही, समझी. तेरे पास छूट है, जिसका अब तुझे इस्तेमाल करना होगा, समझी?
मैं: मैं कुछ समझी नही.
रशीद: सुन तुझे अपने ससुर को अपनी छूट के बीच लाना होगा. उसको अपनी छूट का जादू दिखा, और उसको अपने वश में कर. ताकि वो तेरा बन जाए, और तेरे लिए अपनी बुधिया पत्नी से लड़ जाए. उसको अपनी जवानी दिखा. और फिर जब एक बार वो बुद्धा तेरे वश में आ जाए, उसके बाद उसकी प्रॉपर्टी तू अपने नाम करवा लेना, समझी रंडी?
मैं रशीद की बात समझ गयी, और खुश हो गयी. मैने रशीद को ई लोवे योउ कहा, और बोली-
मैं: जान, अगर तुम नही होते, तो मेरा क्या होता?
रशीद: बेहन की लोदी, फिर तुम्हे और कोई असली मर्द मिल जाता, अगर मैं ना होता तो. जो तेरी खूबसूरत जवानी को अपनी बना लेता.
मैं: जैसे तुमने बना लिया है. मैं चंदा को दिल से थॅंक योउ बोलती हू, क्यूंकी उसी की वजह से ही तुम मुझे मिले हो.
रशीद: अछा मदारचोड़ रंडी फोन रख, मुझे और भी काम है.
मैं: ओक जानू, ई लोवे योउ,
फिर रशीद ने फोन रख दिया, और अब मैं सोचने लगी की कैसे, विजय को यहा से बाहर भगौ, और कैसे अपने ससुर को जन्नत की सैर कार्ओौ.
मैने रात को विजय को बिस्तर में कहा: विजय क्या हुआ, कुछ काम आया हुआ?
विजय: नही, फोन में देख रहा हू, की कोई जॉब मिल जाए तो.
मैं: देखो ना जान, अब तो हमारा बच्चा भी आने वाला है, और हमने उसको अची लाइफ देनी है. उसके लिया अची ज़िंदगी बनानी है, जो हमारे साथ होगा.
विजय: हा जान, मैं समझ रहा हू. मैं देखता हू कुछ.
मैं: मैं कल किशोरे अंकल से बात करूँगी, की कोई जॉब का देखे तुम्हारे लिया.
विजय: ठीक है, बात करना.
फिर मैने किशोरे अंकल को नेक्स्ट दे मॉर्निंग फोन किया.
मैं: कैसे हो जान?
किशोरे अंकल: मेरी रानी मैं ठीक हू. तुम कैसी हो? फाइनली तुझे विजय से बच्चा मिल गया. तुम खुश हो ना?
मैं: हा अंकल, खुश हू. आप कैसे हो? मेरी याद नही आती है?
अंकल: मत पूच मेरी रानी. बहुत याद आती है तेरी. लेकिन क्या करू, कुछ दीनो से मेरी तबीयत ठीक नही है.
मैं: श मेरे स्वीट अंकल, क्या हो गया तुम्हे?
अंकल: क्या करू ये बुढ़ापा.
मैं: आप मेरे पास आ जाओ, मैं आपको जवान कर दूँगी.
अंकल: अवँगा जल्दी मेरी रानी.
मैं: अंकल विजय के काम को देखो ना.
अंकल: हा, यहा पर मेरे दोस्त को उसी का काम पसंद नही आया है.
मैं: अंकल प्लीज़, बहुत परेशन हू मैं. और फिर वो कोई काम भी नही रहा है. घर कैसे चलेगा?
अंकल: तुम चिंता मत करो. मैं तेरे अकाउंट में पैसे डलवा दूँगा.
मैं: अंकल आप कब तक पैसे भेजोगे? मेरी आप हेल्प करो, और प्लीज़ विजय को अपने पास बुला लो, और उसको कही जॉब दिलवओ. प्लीज़ जान, मेरे लिए.
अंकल: श मेरी रानी, मैं देखता हू. मुझे प्लीज़ किस कर दे.
फिर मैने किशोरे अंकल को फोन पर किस किया, और फिर हमने फोन रख दिया.
दिन के समय किशोरे अंकल ने विजय को फोन किया, और उसको अपने पास आने के लिए कहा.
विजय ने कहा: ठीक है अंकल, मैं वाहा पर आ जाता हू 2-3 दिन में.
और फिर 3 दिन के बाद विजय की ट्रेन थी किशोरे अंकल के पास जाने के लिया. दिन का टाइम था, और मेरे ससुर घर आए हुए थे विजय से बात करने के लिए, की काम करो आचे से, और लाइफ सेट करो, और अपनी फॅमिली और आने वाले बच्चे के लिए सोचो. कुछ देर उनकी बात हुई, और फिर विजय सब से मिल कर चला गया.
इधर मेरा ससुर बोला: कंगना मैं भी जाता हू, तोड़ा काम है.
मैं: पापा खाना खा कर जाना, मैने बना दिया है.
ससुर: नही बाद में. डॉक्टर के पास भी जाना है. टाँगो में बहुत दर्द है.
मैं: पापा बैठिए ना, मैने खाना बना दिया है आपके लिए.
फिर ससुर जी सोफे पर बैठे हुए थे, और पहले मैं उनके लिए पानी लेकर गयी. मैने अपनी टॉप का उपर का बटन खोल दिया था. फिर जैसे ही मैं झुकी, तो ससुर जी को मेरे डूडू नज़र आए, और वही हुआ जो सोचा था.
ससुर जी की नज़र मेरे डूडू पर गयी, और वो देखता रह गया. और फिर जल्दी से वो अपना चेहरा दूसरी तरफ करके बोला-
ससुर: अछा मैं चलता हू.
मैने ससुर जी को बोला: पापा प्लीज़ बैठिए, मैं आपके पावं दबा देती हू.
ससुर: नही बेटा, इसकी ज़रूरत नही है.
लेकिन मैं उनके पास बैठ गयी नीचे, और उनके पावं को उठा कर टेबल पर रख दिया, और उनको अपने कोमल हाथो से दबाने लगी.
मेरा ससुरे की नज़र फिरसे मेरे डूडू की तरफ पद गयी, और मैं उसके पावं को दबाने लगी. फिर धीरे-धीरे उनको मज़ा आने लगा, और मैं धीरे -धीरे अपना हाथ उपर ले-जाने लगी.
अब मैं उनकी जांघों को दबाने लगी, और फिर मैने ससुर के लंड को टच किया. इससे वो परेशन हो गये, और बोले-
ससुर: अछा बेटा मैं चलता हू.
मैं ससुर जी के पास उपर बैठ गयी, और अपनी एक टाँग उनकी टाँगो पर रख दी, और उन्हे किस कर दिया.
ससुर: ये… ये… क्या कर रही हो?
मैने उनके कान में धीरे से बोला: कुछ नही पापा. आपको रेलेक्ष फील करवा रही हू.
और फिर मैने उनके गले पर किस किया, और अपना हाथ मैं ससुर की पंत पर ले गयी.
मैं: पापा मुझे लगता है, की आपको ऐसे मज़ा नही आ रहा है. रुकिये मैं आपकी पंत खोल देती हू, इससे आपको मज़ा आएगा.
ससुर: कंगना, बस बेटा बहुत हो गया.
और फिर मैने उनकी पंत का बटन खोल दिया, और मैं नीचे बैठ गयी फिरसे, और मैने उन्हे किस किया, की वो अपनी गांद को उपर को उठाए. ताकि मैं उसकी पंत उतार साकु. अब ससुर जी को भी मज़ा आ रहा था, और उसने अपनी गांद को तोड़ा उपर किया. फिर मैने उनकी पंत उतार कर साइड में रख दी.
मेरा ससुर अब नीचे सिर्फ़ चड्डी में था, और मैने उसके पावं को दबाने लगी फिरसे. मैं उनकी जांघों को भी दबा रही थी. फिर धीरे- धीरे मैं अपना हाथ उपर ले गयी, और उनके लंड को सहलाने लगी.
ससुर जी: आहह, बस करो.
लेकिन उनके लंड में ज़्यादा रिक्षन नही था. फिर मैने उनकी चड्डी को नीचे किया, और ससुर जी के लंड को आज़ाद किया. वो अभी ढीला- ढाला ही था बेचारा.
मैने ससुर जी के लंड को हाथ में ले लिया, और तोड़ा उपर हो गयी, और ससुर जी को किस किया. अब वो भी मुझे किस करने लगा. फिर मैं अपने हाथो से उनके सोए हुए लंड को सहलाते हुए उपर-नीचे करने लगी.
मैने उनको बोला: पापा आपका लंड अभी भी खड़ा नही हुआ है.
ससुर: हा बेटी, सालों निकल गये, कोई मिला ही नही. और तुम्हारी सास को देख कर भी मज़ा नही आता है.
मैने हेस्ट हुए कहा: अब आप बिल्कुल भी चिंता मत करो. मैं आपके लंड को जवान बना दूँगी.
फिर मैने ससुर जी के लंड को अपने मूह में लिया, और उसको धीरे- धीरे चूसने लगी. और इधर ससुर जी को मज़ा आ रहा था. मैं उनका पूरा लंड अपने मूह में लेकर चूस्टी रही, और दूसरे हाथ से ससुर जी के टट्टून को सहलाती रही.
फिर ससुर जी का लंड एक-दूं से टाइट खड़ा हो गया, और मैने मुस्कुरा कर ससुर जी को देखा. मैं उनके लंड को किस करते हुए बोली-
मैं: देखो पापा, आपका लंड खड़ा हो गया.
इसके आयेज क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा.
दोस्तों ये है मेरी स्टोरी की पहला पार्ट. ई होप आप लोगों को मेरी स्टोरी अची लगी होगी.
प्लीज़ रिप्लाइ मे ओं मी एमाइल राजालोवेसोम्ेओने1@आउटलुक.को और इसका सेकेंड पार्ट जल्दी डालूंगी, और बतौँगी की प्रॉपर्टी पाने के लिया मुझे और क्या करना पड़ा. टिल देन बाइ-बाइ आप की कंगना छूट.