चित्रा वापस अपनी पहली चुदाई की कहानी पर आ गयी।
चित्रा बता रही थी, “अंकल मेरे ऊपर थे अंकल का लंड मेरी चूत में आगे-पीछे हो रहा था। अब मेरी चूत में अंकल का लंड दर्द या जलन नहीं मस्ती के रगड़े लगा रहा था। मुझे मजा आने लगा। अंकल बस यही बोलते जा रहे थे, “आआआह चित्रा… आआह… मजा आ गया… आअह चित्रा… आह चित्रा।”
“मेरे मुंह से भी आआआह अंकल… आआआह अंकल… आआआह अंकल निकलने लगा। पता नहीं कब मेरी टांगें उठी, और मैंने टांगें अंकल की कमर के पीछे करके अंकल को अपनी टांगों में जकड़ लिया। चुदाई के मजे के मारे मेरे चूतड़ नीचे से अपने आप ही ऊपर-नीचे होने लगे।”
“अजीब नजारा था, बेटे की बीवी और बेटे का बाप दोनों नंगे गुत्थम-गुत्था हुए पड़े थे, और दोनों में तूफानी चुदाई हो रही थी।”
“राज सच पूछो तो अंकल ने ऐसे मुझे बाहों में जकड़ा हुआ था, ऐसे जोर-जोर से बिना रुके धक्के लगा रहे थे, जैसे आज के बाद उनको चूत ही नहीं मिलने वाली। उधर मैं भी ऐसे चूतड़ झटक-झटक कर चूत के अंदर लंड ले रही थी जैसे मुझे अब फिर कभी लंड ही नहीं मिलने वाला।”
ये कह कर चित्रा फिर हंस दी। चित्रा की बातें सुन कर मैं तो बस यही सोचता जा रहा था कि चित्रा क्या से क्या बन गयी थी।
चित्रा ने आगे बताया, “जिंदगी की पहली पहल चुदाई, वो भी ऐसी धुआंधार, मेरी टाइट कुंवारी फुद्दी दस मिनट भी वो चुदाई नहीं झेल पाई और मुझे मजा आ गया। मेरे मुंह से एक जोर की सिसकारी निकली, “अंकल निकल गया मेरा… आआआआह आ गया मुझे मजा… अंकल… आआह… आ गया मजा।” और मैं एक-दम ही ढीली हो गयी।”
“मेरी इस मजे वाली सिसकारी लेते ही अंकल ने आठ दस जोरदार धक्के और लगाए और फिर रुक गए। अंकल झड़े तो थे नहीं। अंकल का लंड खूंटे की तरह मेरी चूत में खड़ा था और मेरी चूत अंकल के खड़े लंड से भरी पड़ी थी। जैसे ही मैं ढीली हुई मेरी टांगें अंकल की कमर से अपने आप ही हट गयी।”
“मेरी टांगें हटते ही अंकल ने फिर एक पलटी मारी और मेरे ऊपर से उतर गए। पल्प की हल्की आवाज के साथ अंकल का मोटा खड़ा लंड मेरी चूत में से निकल गया। अंकल ने मेरे चूतड़ों के नीचे से तकिया निकाला और सीधे मेरी बगल में ही लेट गए।”
“मुझे जिंदगी की पहली चुदाई का मजा आ गया था। मेरे मन में यही एक सवाल था, “कमाल है? इतना मजा आता है लंड चूत में डलवाने का? तभी लड़कियां लंड लेने के लिए पागल हुई रहती हैं। नाईट बल्ब में सीधे लेटे अंकल का खूटे जैसा खड़ा लंड देख कर मेरी चूत में अजीब सी झुरझुरी हो रही थी।”
“कुछ देर ऐसे ही सीधा लेटने के बाद अंकल ने फिर करवट ले ली। अंकल का सख्त लंड मेरे फिर से चूतड़ों को छूने लगा। अंकल ने फिर उंगली मेरी चूत में घुसेड़ दी। दो तीन बार उंगली चूत में अंदर-बाहर करने के बाद अंकल थोड़ा ऊपर हुए और मेरे होंठ अपने होठों में ले लिए। मेरी चूत फिर से फुर्र-फुर्र पानी छोड़ने लगी। अब मैं अंकल के लिए उनके बेटे की बीवी नहीं, सिर्फ एक कुंवारी फुद्दी थी, जिसको चोदने का अंकल पूरा-पूरा मजा लेना चाहते थे।”
“मैं सोच रही थी क्या फिर से चुदाई होने वाली थी? इस चूमा चाटी के दौरान मेरी चूत तो पहले ही एक और चुदाई के लिए तैयार हो चुकी थी। मगर नहीं, अगली चुदाई अभी नहीं होने वाली थी। अभी अगली में चुदाई में वक़्त लगने वाला था। एक बार कुंवारी टाइट चूत की चुदाई के मजे लेने के बाद अगली चुदाई की अब अंकल को कोई जल्दी नहीं थी।”
“अंकल समझ चुके थे कि हर लड़की की चूत की तरह मेरी चूत को भी लंड चाहिए। गांडू खस्सी युग का लंड इस मामले में बेकार है, और वो मेरी चुदाई कर नहीं पाता, किसी और के साथ चुदाई का जोखिम मैं उठा नहीं सकती। एक रात की मेरी चुदाई से अंकल जान चुके थे, कि अब मैं उनसे चुदे बिना रह नहीं पाऊंगी। अंकल मेरी और से निश्चिन्त हो चुके थे कि अब मैं कहीं जाने वाली नहीं।”
“अंकल इसी सोच के चलते उस रात चूत में लंड डालने वाली चुदाई के अलावा भी कुछ-कुछ अलग कर रहे थे। जरूर अंकल उस रात की चुदाई के दौरान कुछ ऐसा करना चाह रहे थे, जो वो शायद अब तक अपनी जिंदगी की अब तक की चुदाईयों के दौरान नहीं कर पाए थे। लेकिन जो भी था, मुझे मेरी पहली चुदाई का जो मजा आया था उसके बाद अब चुदाई की जल्दी अंकल को थी या नहीं थी, मगर मुझे चुदाई की जल्दी थी। मैं चाह रही थी एक बार फिर अंकल जल्दी से वैसे ही मेरी चुदाई करें जैसे अभी-अभी कर के हटे थे।”
“अंकल ने मेरी चूचियां पकड़ ली और धीरे-धीरे चूचियों के निप्पल मसलने लगे। अंकल का एक हाथ मेरी चूचियों पर था। दूसरे हाथ की उंगली चूत की फांकों के अंदर-ऊपर नीचे हो रही थी। मुझे बड़ा मजा आ रहा था। पता नहीं कितनी देर ये खेल चलता रहा। मस्ती के मारे मेरी चूत फुर्र-फुर्र पानी छोड़ रही थी। चूत का पानी बाहर तक टपक रहा था।”
“अंकल मेरे से ऊपर से हटे वापस मेरे पास लेट गए। अंकल सीधे लेटे हुए थे। हल्की रोशनी में मेरी नजर अंकल के खड़े लंड से हट नहीं रही थी। अंकल ने अपना खड़ा लंड मेरे हाथ में पकड़ा दिया। अंकल का खड़ा लंड बड़ा गर्म सा था।
कुछ देर तो मैंने ऐसे ही अंकल का लंड हाथ में पकड़े रक्खा, फिर मैंने अंकल का लंड धीरे-धीरे दबाना शुरू कर दिया। मुझे साफ़ पता चल रहा था कि जब मैं अंकल का लंड दबाती, तो लंड एक-दम कुछ और सख्त हो जाता था और साथ ही अंकल के मुंह से आवाज निकलती थी, “आह चित्रा।”
— अंकल का लंड चित्रा के मुंह में
“कुछ देर बाद मेरे सर के नीचे हाथ डाल कर मुझे ऊपर की तरफ उठा दिया। मैं समझ गयी अंकल मुझे बैठने के लिए कह रहे थे। एक पल मेरे मन में ख्याल आया, क्या चूत चुदाई से पहले कुछ और होने वाला है क्या। मैं उठ कर बैठ गयी। अचानक से अंकल ने मेरा सर पकड़ा और मुझे अपने लंड पर झुका दिया। अंकल का लंड मेरे मुंह के बिल्कुल सामने था। अंकल ने मेरे सर पर हल्के से हाथ फेरा और दुबारा सर को हल्का सा लंड की तरफ दबा दिया”
“मैं समझ गयी अंकल लंड चूसने के लिए कह रहे थे। मैंने लंड मुंह में ले लिया। पहली बार किसी मर्द का लंड मेरे मुंह में गया था, वो भी ऐसा मोटा कि लंड से मेरा मुंह पूरा भर गया था। मैं मस्ती में उन्ह उन्ह उन्ह की आवाज करती हुई जोर-जोर से लंड चूसने लगी। अंकल के लंड में से खट्टा-खट्टा नमकीन-नमकीन कुछ निकल रहा था जिसे मैं चाटती जा रही थी। चुदाई की मस्ती में लंड चुसाई का और भी ज्यादा मजा मजा आ रहा था।”
“ताबड़तोड़ लंड चुसाई के बाद अंकल ने मुझे लंड से और फिर से बेड पर चित्त लिटा दिया। फिर वही खेल चालू हो गया। अंकल उठे और झुक कर मेरे होंठ अपने होठों में ले लिए। अंकल का एक हाथ मेरी चूचियों को मसल रहा था, और दूसरा हाथ मेरी चूत को दबा रहा। अंकल ने एक चूत से सरकाते-सरकाते हाथ नीचे चूतड़ों की तरफ करना शुरू किया तो मैं समझ गयी अंकल चूतड़ों पर हाथ फेरना चाहते थे। मैं सीधी लेटी हुई थी। इसलिए अंकल का हाथ मेरे चूतड़ों तक नहीं पहुंच पा रहा था। मैंने टांगें मोड़ कर उठा ली। हां अब ठीक था।”
“अगले ही पल अंकल ने मेरे चूतड़ों का छेद ढूंढ लिया। अंकल ने उंगली एक बार मेरी चूत में घुसेड़ कर चूत की पानी से चिकनी की और चूत में से निकाल कर चूतड़ों की छेद में डाल दी। अंकल की उंगली मेरे चूतड़ों के छेद में थी और अंगूठा मेरे चूत का दाना रगड़ रहा था। बड़ा ही मजा आ रहा था उस वक़्त, बिलकुल असली चुदाई जैसा मजा।
मैं दुबारा चुदने के लिए मरी जा रही थी, लेकिन अंकल को अब इस चुदाई की कोइ जल्दी नहीं थी। मेरे चूतड़ अपने आप हिलने लगे। अंकल उठे और मुझे भी उठा कर बिठा लिया। मैं सोच रही थी अब क्या होने वाला था? चुदाई क्यों नहीं हो रही? तभी अंकल ने मुझे वहीं बेड के किनारे पर लिटा सीधा दियाI”
“मेरे चूतड़ों के नीचे तकिया लगा कर चूतड़ ऊपर उठा दिए और मेरी टांगें उठा कर चौड़ी कर दी। पक्का मेरी चूत खुल गयी होगी। मैंने सोचा अब क्या अंकल लंड चूत में डालने वाले थे? मैं मन ही मन कह रही थी, डालो भी अब अंकल और कितना तरसाओगे।”
— अंकल की चूत चुसाई और चित्रा का दूसरा मजा
“लेकिन अंकल को अभी भी लगता था चुदाई नहीं कुछ और करना था। अंकल नीचे फर्श पर घुटनों के बल बैठ गए। मुझे लगा अंकल फिर से मेरी चूत चाटेंगे। लेकिन ये क्या? अंकल जोर-जोर से मेरी चूत नहीं चूतड़ों का छेद चाट रहे थे। अंकल ने हाथों से मेरे चूतड़ खोल दिए, और छेद के ऊपर जुबान फिराने लगे। इस चूतड़ चुसाई का भी अपना अलग सा ही मजा आ रहा था।
मैं हैरान हो रही थी, कि इक्यावन साल के अंकल और ये सब? लग ही नहीं रहा था कि अधेड़ उम्र का आदमी मेरे साथ ये सब कर रहा था।
“अंकल तो ऐसे चुम्मा-चाटी कर रहे थे, मानो पहली बार बिना कपड़ों के लड़की देखी हो। लेकिन तभी मुझे अभी-अभी हो चुकी चुदाई का ध्यान आ गया। ये चुदाई तो अंकल ने ऐसे की थी जैसे पच्चीस छब्बीस साल का भरा पूरा मर्द करता है, और अभी भी अंकल का लंड झडा नहीं था। जल्दी ही अंकल ने चूतड़ों के छेद से चूत पर आ गए और जोर-जोर से चूत चूसने चाटने लगे। मेरी चूत पानी-पानी हुई जा रही थी। मैं चाह रही थी अंकल लंड चूत में डालें और चोदें मुझे। मगर नहीं, पता नहीं अंकल के मन में क्या था।”
“उसी पल मुझे अपनी सहेलियों की कही एक बात याद आ गयी। वो बताया करती थी, कि पहली रात मतलब सुहागरात वाली रात पति अपनी पत्नी की पूरी रात चुदाई करता है। आगे से पीछे ऊपर से नीचे, सब कुछ चूसता चाटता है मतलब चूत, गांड, मुंह सब जगह लंड डालता है और अपना भी सब कुछ चुसवाता चटवाता है, लंड भी और चूतड़ भी। उन लड़कियों के कहने के अनुसार तो फिर अंकल के साथ मेरी असली सुहागरात हो रही थी। मेरा भी पूरी रात नहीं तो आधी रात तक वही हाल होने वाला था जो मेरी सहेलियां बताया करती थीं।”
“वैसे तो लड़कियों को हर बात बढ़ा चढ़ा कर करने की आदत होती है, तब भी आधी रात ना भी हो तो भी तीन चार घंटे तो बैंड बजता ही होगा चूत का पहली रात की चुदाई में। यहां एक बार तो मैं चुद चुकी थी और अब मेरी दूसरी चुदाई की तैयारी हो रही थी। ये तो बाद में पता चला जब उस रात को हुई की चुदाईयों की मुझे गिनती ही याद नहीं रही।”
“अंकल ने इतनी चूसी मेरी चूत की मेरी चूत का पानी ही निकाल दिया। मेरे चूतड़ जोर से हिले और मुझे मजा आ गया। मेरे मुंह से बस इतना ही निकला, ” आअह अंकल… ये क्या… फिर निकाल दिया आपने मेरा.. फिर से मजा आ गया है मुझे।” क्या मस्त मजा आया था। मगर अंकल इसके बाद भी नहीं रुके और चूत चूसते रहे I
“अंकल ने चूत चूसनी छोड़ी और चूतड़ों का छेद चाटने लगे। कुछ देर बाद फिर चूत पर आ गए। कभी चूतड़, कभी चूत। इतनी चुसाई के बाद मेरी चूत फिर से दुबारा गरम हो गयी और मेरे चूतड़ अपने आप ऊपर-नीचे होने लगे। घंटा तो हो ही गया होगा ये सब करते हुए। अब जा कर अंकल ने चूत और चूतड़ चुसाई छोड़ी और लंड मेरी चूत पर ऊपर-नीचे रगड़ना शुरू कर दिया। इसमें और भी ज्यादा मजा आ रहा था।”
चित्रा बता रही थी, “मगर सच बताऊं राज, सोच-सोच कर मन में लड्डू फुट रहे थे और चूत में पानी के फव्वारे छूट रहे थे कि ऐसी मस्त चुसाई, ऐसे मस्त चुदाई हो रही थी मेरी? मैं सोच रही थी अभी तक तो अंकल का लंड वैसा ही सख्त था और कितनी बार बैंड बजायेंगे अंकल मेरी चूत का।”
“मेरी बंद आखों के आगे मेरी अभी-अभी हुई चुदाई का सीन आ रहा था। मैं इंतजार करने लगी कब अंकल वैसा ही एक झटका लगाएं और अंकल का मोटा लंड रगड़ा लगाता हुआ मेरी चूत में जड़ तक बैठ जाए। मैं महसूस कर रही थी कि अंकल ने पहले की तरह ही एक हाथ से अपना लंड पकड़ा और मेरी चूत की फांकों के अंदर ऊपर नीचे करने लगे।”
— अंकल का लंड दुबारा चित्रा की चूत में और चित्रा को चुदाई का तीसरा मजा
“अंकल चूत में लंड ऊपर-नीचे कर रहे थे। तभी मुझे चूत के छेद पर अंकल का लंड जरा सा महसूस हुआ। अंकल वहीं रुक गए। अगले ही पल अंकल ने एक करारा झटका लगाया और पूरा लंड चूत के अंदर था। चूत पर धक्का इतना जोरदार था कि अंकल के मोर के अंडों की तरह के बड़े-बड़े टट्टे मेरी चूत पर ठप्प की आवाज के साथ टकराये।”
“अंकल ने लंड एक बार चूत में ठीक से बिठा लिया, बस फिर अंकल नहीं रुके। अंकल जोर-जोर से लंड अंदर-बाहर करके धक्के लगा रहे थे, और साथ-साथ बोल रहे थे, “आअह चित्रा… मजा गया… आ आअह चित्रा… बड़ा मजा आ रहा है… बड़ी ही टाइट फुद्दी है तुम्हारी चित्रा… आआह।” जब जब अंकल फुद्दी बोलते थे मेरा भी मन होता था मैं भी ऐसा ही कुछ बोलूं।”
“लंड के रगड़े चूत में महसूस हो रहे थे, मगर अब कोइ दर्द नहीं हो रहा था। मैं सोच रही थी, “हे भगवान! इतना मजा आता है चुदाई में? तभी लड़कियां एक बार चुदने के बाद हाय चुदाई हाय चुदाई की रट लगाए रहती हैं। मोटे लंड के रगड़ों से मेरी चूत गरम होने लगी। मेरे चूतड़ ऊपर-नीचे होने लगे। दस मिनट की चुदाई में मेरी सिसकारियां निकलने लगी, “आआह अंकल… बड़ा अच्छा लग रहा है… आआह अंकल… आआह अंकल… लगाओ अंकल। मेरे मुंह से सिसकारियों की आवाजें अपने आप निकल रहीं थीं।”
“मेरी सिसकारियां सुन कर अंकल के लंड के धक्कों की रफ्तार अपने आप और तेज हो गयी। इधर मुझे जन्नत का मजा आ रहा था। मेरे मुंह से निकल रहा था, “हां अंकल ऐसे ही लगाओ, जोर-जोर से।”
“अंकल भी आह चित्रा आह चित्रा बोल-बोल कर धक्के लगा रहे थे। अंकल के इन ताबड़-तोड़ धक्कों के बीच मुझे एक-दम से ही मजा आ गया। मेरे मुंह से बस यही निकला, “आआह अंकल… ये क्या… निकल गया मेरा… फिर आ गया मुझे मजा… आआआह।”