उठ खड़े होकर सबसे पहले तो घर के दरवाज़े अच्छी तरह बंद किये, जिससे कोई भी बिना बैल बजाये अंदर ना आ जाए। और फिर सभी खिड़की के परदे सरकाए, क्योंकि हम दोनों का कपड़े पहनने का मूड ही नहीं था। उसके बाद फ्रिज में देखा तो खाने के नाम पर केवल अंडे और काफी सारी ब्रेड थी।
चित्रा ने 2-2 अंडे के दो ऑमलेट बना दिए और उसने 4 और मैंने 6 स्लाइस खा कर गरम दूध में कॉफ़ी मिला कर पी लिया। अच्छी एनर्जी भी आ गयी, और कॉफ़ी पीने से चुस्ती भी। फिर बातें करने की सोची तो चित्रा ने मुझसे पूछा कि मैंने क्या कभी किसी औरत या एडल्ट लड़की को आज से पहले नंगा देखा था?
मैं बोला “सिर्फ थोड़ी ताक-झाँक करके ही देखा है और वो भी सिर्फ एक को, लेकिन कई बार।” चित्रा भी कोई सीधी-सादी बेवक़ूफ़ तो थी नहीं, तो बोली “समझ गयी, अपनी मम्मी और मेरी चाची को को झाँक कर देखते हो जब वो नहाते होते हैं। अव्वल किस्म के बदमाश हो तुम तो, एक्चुअली हम दोनों ही, क्योंकि ताक-झाँक करने के मौके तो मैं भी छोड़ती नहीं हूँ।
आगे नहीं पूछूँगी। मैंने तो कई लड़कियां नंगी देखी हैं, बताऊँ कौन-कौन?” “ऑफ़ कोर्स मुझे पता करना है वो वो कौन थीं और तुमने कब और कैसे देखा?” मैं बोला। चित्रा ने कहा कि वोह बताएगी लेकिन पहले जानना चाहती है कि मैंने किसी को ख्यालों में नंगा देखा है या नंगा देखने बहुत ज़ोर की मर्ज़ी हुई है?
मैंने कहा “ये भी कोई पूछने की बात है? मैं तो अगर कोई भी सुन्दर या बड़े चूचे या मोटी गांड वाली लड़की या औरत देखता हूँ, तो फ़ौरन उसे ख्यालों में नंगा कर लेता हूँ। और कोई अगर ज्यादा अच्छी लग गयी तो उसके बारे में सोच कर घर आकर मौक़ा मिलते ही लौड़ा भी हिला लेता हूँ। सभी लड़के यही करते हैं !”
चित्रा ने भी मेरी बात पर हामी भर दी। और बोली कि लौड़े तो सब तरह के देखे ही होंगे मैंने क्योंकि लड़के तो मूतते समय एक दूसरे के सामने ही खड़े-खड़े अपना-अपना लंड बाहर करके धार मार लेते हैं। और बोली कि उसे पता है कि लड़के तो एक-दूसरे से मुठ भी मरवा लेते हैं, बड़े बेशरम होते हैं!
फिर बोली कि ये तो मैं जानता ही हूँगा कि बहनें एक दुसरे के साथ या अपनी मम्मी के साथ नहा लेती हैं, और हॉस्टल में रहनेवाली लड़कियां कभी-कभी इकट्ठे भी नंगी नहा लेती हैं। केवल वो लड़कियां शामिल नहीं होती जिनके या तो मम्मे बहुत छोटे हों या फिर बदन पर बहुत बाल होते हों।
“हाँ, लंड मैंने तुम्हारे वाले से पहले केवल चार ही कुछ ठीक तरह से देखे-एक पापा का लंड जब मम्मी उसे चूस रही थी और हम दो बहनें झांक कर देख रही थीं थोड़ा सा खिड़की का पर्दा खिसका कर। दूसरा अपनी बड़ी बहन के आशिक का लौड़ा देखा था, जब वो मेरी बहन से हमारे बागीचे मैं आम के पेड़ के पीछे चुसवा रहा था, और उन दोनों को मालूम नहीं था कि मैं पास के पेड़ के पीछे अपनी चूत में उंगली कर रही थी एक इंग्लिश मैगज़ीन में चुदाई की तस्वीरें देखते हुए।
और तीसरा अपने माली का जब वो बागीचे की क्यारियों में गुड़ाई कर रहा था और उसका लौड़ा उसकी धोती के साइड से बाहर निकल कर लटक रहा था, और उसे इस बात का होश ही नहीं था। चौथा रिसेंटली देखने को मिला कॉलेज की लाइब्रेरी में। एक लड़के ने मुझे अकेला देख कर झट अपनी पैंट और चड्डी नीचे कर के मुझ को अपना लौड़ा पकड़वाना चाहा, और मैं तुरंत लाइब्रेरियन की डेस्क की ओर चली गयी।
“अच्छा ये बताओ कि हम दोनों अब मस्तराम की पोंडी कब इकट्ठे पढ़ेंगे?” चित्रा ने मेरे सोये लौड़े को जगाने के लिए उसके टोपे की टोपी को ऊपर-नीचे करते हुए पूछा। मैं बोला कि “वह बाद मैं देखेंगे कि इकट्ठी पढ़ाई कब करते हैं, पहले तुम कुर्सी पर बैठ जाओ और एक टांग एक हत्थे पर और दूसरी टाँग दूसरे हत्थे पर रख लो, जैसे तुमने मुझे बिठाया था। क्योंकि पूरी अच्छी तरह से खुली चूत को सामने से मैं देखना चाहता हूँ। तुम्हारे मूतने वाला छेद, चुदवाने वाला छेद, और चूत का चना यानी क्लिट कैसे दिखते हैं।”
चित्रा को मेरी बात सुन कर हंसी आ गयी, पर वो जैसे मैंने कहा था वैसे टांगें चौड़ी और चूत खुली करके बैठ गयी और मुझसे पास आने को कहा। मैंने बोला कि पहले थोड़ा चाटूँगा और चूसूंगा चूत को, उसके बाद मम्मी के कमरे से टॉर्च लाकर अच्छी तरह से देखूँगा। “हाय! तो चाटो ना मेरी चूत जल्दी प्लीज़” अपने चूतड़ थोड़े उचका कर चित्रा बोली।
उसने अपने दोनों हाथों से चूत को और खोला और चूत के ऊपरी हिस्से पर दाने पर उंगली रख कर बोली “पहले यहाँ चूसो फिर बड़ा सा मुंह खोल कर सारी की सारी चूत मुंह में लेकर चूसते रहना और उसका जूस पीते रहना।”
कभी ख्वाब में भी नहीं सोचा था कि कोई लड़की मुझसे इस तरह अपनी चूत चूसने के लिए बोलेगी। और ना यह पता था कि चूत चूसने में भी इतना मज़ा आ सकता है। तभी सोच लिया कि चित्रा से बोलूंगा कि जब में घर में रहूँ तो हमेशा बिना पैंटी ही रहा करे, तो जब भी मौक़ा लगे, मैं चूत चूस सकूं।
कुछ ही देर में चित्रा ने चूत चुसवाते-चुसवाते ज़ोर से मेरे सर को दोनों हाथ से अपनी चूत पर दबाया, और चूत से ढेर सारा पानी निकालते हुए झटके मारे, और निढाल सी होकर मेरा सर छोड़ दिया। मुझे इतना मज़ा आ रहा था कि मैं तो चूत चूसता रहा जब तक उसने खुद मेरा सर हटा कर मुझसे उठने के लिए नहीं कहा।
वह भी उठ खड़ी हुई और मुझसे लिपट कर बोली “यार, आज तुम्हारी वजह से पता चला कि आज तक का ज़िंदगी में मेरा सबसे प्यारा काम तो चूत चुसवाना या फिर लौड़ा चूसना ही है। और अब जब भी मौक़ा मिलेगा, मैं तुम्हारे इस लौड़े को नहीं छोड़ने वाली हूँ।”
कुछ भी हो, चित्रा ने खुद अपनी नंगी और चौड़ी की हुई चूत मुझे दिखाई, और फिर समझाया कि कहाँ क्या है। ऐसा मौक़ा मैं कैसे छोड़ देता? सभी खिड़कियों का पर्दा बंद करने से क्योंकि रोशनी कम हो गयी थी, मैंने चित्रा से कहा कि वो वैसे ही बैठी रहे मैं फ़ौरन टॉर्च लेकर आता हूँ। टोर्च लेने ऊपर मम्मी के बैडरूम मैं गया और उनकी ड्रावर खोली टॉर्च निकालने के लिए।
ड्रावर मैं टॉर्च तो मिल ही गयी, और एक काला रबर का लौड़ा और निप्पल पंप भी मिला, जो मैंने देख कर वापस रख दिया। रबर के लौड़े की क्यों ज़रुरत पड़ती है माँ को, ये सोचने वाली बात ज़रूर थी। ख़ैर, टॉर्च लेकर चित्रा के पास जब तक पहुंचा मेरे लौड़े में अच्छी-खासी जान आ गयी थी, ये सोच कर कि चित्रा अब मुझे चूत-टयूशन देगी, और वो भी खुद अपनी खुली घनी और मखमली झांटों से भरी मुनिया पर टॉर्च से लाइट डाल कर।
नीचे चित्रा जी कोई खुराफाती हरकत किये बिना रहने वाली लड़की तो थीं नहीं। वो खुद बुर और झाटों पर हाथ फेर रही थी, और चूत या अपनी मुनिया को गीला किया हुआ था। मैंने उसी हाथ में जली हुई टोर्च उसे पकड़ा दी और कहा कि “लाइट मारो चूत पर और अपना लेक्चर शुरू करो”।
चित्रा बोली “अब ज़रा ध्यान से सुनना। क्लिट सबसे ऊपर, फिर मूतने वाला छेद, और उसके नीचे मेरा चुदवाने वाला छेद है। क्लिट वैसे आम तौर पर दिखाई नहीं देती, लेकिन जब मैं मस्ती में क्लिट को रगड़ती हूँ तो फूल कर लाल हो जाती है एक मिनी-लंड की तरह। जब मैं नाम लूँ तो तुम वहां अपनी ऊँगली रख देना।
मैं ‘हूँ’ बोलूं तो उस जगह को टोर्च की रोशनी में अच्छी तरह देख लेना। उस जगह के बारे में तुम्हारे देखते समय मैं सब कुछ बता दूँगी, और फिर तुम जब कहोगे तो मैं अगला नाम लूंगी। तुम उंगली रखना और इस तरह तुम सब सीख-समझ जाओगे। ठीक है? और हाँ, एक बात और, यह बताने के लिए कि तुम सब समझ गए हो, उसी जगह पर एक किस दे देना।”
मैं तो इतनी देर से मेरी प्यारी चित्रा बहन की और भी प्यारी चूत, झांटें, और गांड अपने सामने बिल्कुल नज़दीक और खुली, जो मैं चाहूँ करवाने को तैयार देख कर आधा पागल सा हो गया था, और उसकी सभी बातो पर हाँ करते हुए सोच रहा था, कि ना जाने मैंने क्या-क्या नेक काम किये होंगे अपने पिछले जन्म में कि ये सब मुझे नसीब हो रहा था।
तभी चित्रा बोली “गांड का छेद” और मैं चौंक गया क्योंकि वह तो सिलेबस मैं था ही नहीं? फिर भी चित्रा के चुदवाने वाले छेद के नीचे ऊँगली रख कर उंगली को नीचे खिसकाता हुआ गांड के छेद पर रुक गया। “वैरी गुड!” चित्रा बोली और फिर बोली “कुछ आदमी ऐसे भी होते हैं जिन्हें अपना लौड़ा यहां घुसाने मैं मज़ा आता है और कुछ औरतों को भी गांड मरवाना पसंद है।
लेकिन ज़्यादातर मर्द और औरत इसे बिल्कुल पसंद नहीं करते। तुम और मैं दोनों इसे नापसंद करने वालों मैं हैं, ओके? अब बताओ मूतने वाला छेद?” मैंने झट वहां उंगली रख दी। “गुड, इसके बारे मैं तो क्या बोलूं, सिर्फ कुछ करके ही दिखा सकती हूँ” इतना कहते ही उसने मूत की धार छोड़ दी। मैं झट पीछे हट गया तो बच गया, नहीं तो धार सीधी मेरे मूँह में जाती। “अब पहले पोंछो मेरी चूत को” चित्रा बोली, तो मैंने उसकी चूत अपने रूमाल से पोंछ दी।
थोड़ी मस्ती सूझी तो रूमाल हटा कर उसकी और अब मेरी भी हो गयी मुनिया को एक बार चाट कर चूम भी लिया, तो देखा कि चित्रा की गांड के छेद और टांगों में टेंशन आया और अनायास ही चूतड़ ऊपर को उठे। वो मुस्कुरा के बोली “ठहरो बदमाश! लेक्चर अभी पूरा नहीं हुआ है, उसके बाद ही इस सबकी परमिशन दूंगी।”
आगे की कहानी अगले पार्ट में।