बड़ी गांद और बूब्स वाली भाभी की कहानी

ही फ्रेंड्स, मेरा नाम हर्ष रॉय है. और आज मैं आप लोगों के लिए लेके आ गया हू अपनी कहानी का अगला पार्ट. सबसे पहले पार्ट-1 को खूब सारा प्यार देने के लिए थॅंक योउ. तो अब ज़्यादा टाइम ना वेस्ट करते हुए पार्ट-2 पे आते है.

तो आप लोगों ने देखा की कैसे मैने भैया भाभी की सुहग्रात को देखा, और कैसे भैया ने भाभी को डिसपायंट किया. अब आयेज.

भैया भाभी की शादी को टीन साल हो चुके थे, और मेरा कॉलेज का 3र्ड एअर कंप्लीट हो चुका था. अब मेरा 4त एअर चल रहा था, जिसमे मेरी अभी प्लेसमेंट आंड इंटेर्नशिप चल रही थी.

तो आप लोगों को बता डू की ये जो टीन साल थे, वो कैसे काटते मुझे ही पता है. क्यूंकी मैं भाभी के प्यार में पागल हो चुका था. दिन में सुहग्रात वाली वीडियो देख के कम से कम दो बार मूठ मारता था.

और कुछ नही कर सकता था, क्यूंकी पस्त में जो इन्सिडेंट था ( मुझे लगता था की भाभी को पता चल गया होगा की मैने भाभी की ब्रा पे मूठ मारी थी, और उनकी चड्डी चुराई है ), और इस दर्र से मैने भाभी से इन 3 सालों में कभी बात नही की, और ना ही कभी भी उनके घर गया.

लेकिन मुझे क्या पता था की अब ऐसी परिस्थिति (सर्कम्स्टॅन्स) आने वाली थी, जिससे सब कुछ बदलने वाला था. चूँकि मेरा कॉलेज में 4त एअर चल रहा था, और मैने बहुत जगह इंटेर्नशिप के लिए अप्लाइ किया था, और खूब सारे इंटरव्यूस दिए थे. मुझे क्या पता था की मेरा इतना जल्दी सेलेक्षन भी हो जाएगा.

मेरा इंटेर्नशिप के लिए सेलेक्षन हो गया. बुत एक प्राब्लम थी, की जिस कंपनी में मेरी इंटेर्नशिप लगी थी, वो मेरी बुआ के घर के बहुत करीब थी, जहा मेरी जाने से फट-ती थी. अब सेलेक्षन हो गया तो फॅमिली को बताना तो पड़ना ही था. तो मैने पापा से बताया इस बारे में.

पापा: बहुत बढ़िया हुआ की तुम्हारा सेलेक्षन हो गया. कितने महीने का है ये इंटेर्नशिप?

मैं: पापा 3 महीने का.

पापा: कहा पे है ये कंपनी का ऑफीस?

मैं: बुआ के घर के पास ही है.

पापा: अछा तो जाओगे कैसे डेली तुम?

मैं: बिके से डेली सुबा जौंगा, और रात तक घर आ जौंगा.

पापा: नही, ये सही नही है. डेली तुम इतनी डोर जाओगे, वो भी बिके से. ये सेफ नही है, और उपर से तुम्हारी तबीयत भी खराब हो जाएगी.

मैं: पापा कुछ नही होगा.

पापा: नही ये सेफ नही है. एक काम करो, ये ऑफीस तुम्हारी बुआ के घर के पास ही है ना? उनसे पूच के मैं तुमको वही भेज देता हू.

मैं: पापा रहने दीजिए ना. मैं चला जौंगा बिके से आराम से. कोई दिक्कत नही होगी.

पापा: मैने बोला ना, सेफ नही है. रूको अभी मैं कुछ जुगाड़ लगता हू तुम्हारे रहने का वही पे.

उसके बाद पापा अपने रूम में चले गये, और बुआ से बात करने लगे. फिर बुआ ने बोला-

बुआ: बहुत बढ़िया है. बहुत दिन हो गये है वो मेरे घर भी नही आया, और ना ही अपनी भाभी टान्या से मिला है. इसी बहाने हम सब लोग उससे मिल भी लेंगे.

तो उसके बाद पापा ने मुझे बताया: तुम अपनी बुआ के घर पे चले जाओ. वाहा से अपनी 3 महीने की इंटेर्नशिप कंप्लीट कर लो.

तो मैने पापा से बोला: इसकी कोई ज़रूरत तो नही थी, लेकिन ठीक है, चला जौंगा.

क्या करता मैं, कोई ऑप्षन नही था. तो 2 दिन बाद मुझे मैल आई की 3 तारीख से कंपनी जाय्न करनी है, और आज थी 31 तारीख. मेरे पास थे अब सिर्फ़ 3 दिन सारा समान पॅक करने के लिए. तो सबसे पहले जो भी इंपॉर्टेंट डॉक्युमेंट थे, वो कलेक्ट किए, और इन सब में पूरा दिन निकल गया.

दूसरा दिन कपड़े खरीदने में, और पॅक करने में निकल गया, और अब था तीसरा और लास्ट दे, जब मुझे निकलना था बुआ के घर के लिए. तोड़ा दर्र तो लग रहा था बुआ के घर जाने में, और दिमाग़ में यही चल रहा था, की भाभी मेरे बारे में क्या सोचेंगी.

फिर मैं यही सोचते-सोचते सो गया. सुबा उठा और कुछ देर में निकालने का टाइम हो गया. फिर जब मैं अपने रूम से निकालने वाला था, तो अचानक से याद आया की भाभी की चड्डी रख लेता हू. शायद आयेज कुछ काम आ जाए, और रख भी ली. उसके बाद मैं निकल गया बुआ के घर के लिए.

रास्ते भर मेरे माइंड में यही चल रहा था, की आयेज क्या होगा. और यही सोचते-सोचते बुआ का घर आ गया. फिर थोड़ी हिम्मत के साथ घर के गाते पे लगी बेल को बजाया. कुछ देर बाद बुआ ने दरवाज़ा खोला.

मैने बुआ को नमस्ते की, और उनके पैर छुए. बुआ मुझे अंदर ले गयी, और नीचे हॉल में बिताया. उन्होने भाभी को बोला-

बुआ: हर्ष आ गया है. उसके लिए छाई-पानी तो लाओ.

और मैं ये सुनते ही तोड़ा नर्वस हो गया. उसके बाद मैं और बुआ बात करने लगे, की बेबी (भाभी का 1.5 साल का एक लड़का है, जिसके बारे में मैं आप लोगों को बताना भूल गया) कैसा है. तो बुआ ने बोला की वो बढ़िया था. और ऐसे ही बात करते-करते भाभी छाई लेके आने लगी. मैं तो उनको देखता ही रह गया.

जब मैने उनको देखा, तो वो बिल्कुल बदल चुकी थी. वो ग्रे कलर का सूट-सलवार पहने हुए थी. नैने इसलिए बोला की वो बिल्कुल बदल चुकी थी, क्यूंकी उसके बूब्स दूध पिलाते-पिलाते बहुत बड़े हो चुके थे. और उनकी गांद तो क्या ही बोलू, और बड़ी हो चुकी थी.

फिर जब वो मेरे पास आ रही थी, तो उनके बूब्स और गांद दोनो बहुत हिल रहे थे. लेकिन मैं तो उनसे नज़रे नही मिला पा रहा था. फिर वो मेरे पास छाई लेके आई, और मेरे पास प्लेट को रखने लगी जिसमे छाई और नमकीन था.

जब वो प्लेट रख रही थी, तो जो नमकीन में स्पून रखा था, वो नीचे गिर गया, और वो उठाने के लिए झुकी. और जब वो झुकी, तो उनका दुपट्टा सरक गया. चूँकि मैं उनके सामने बैठा हुआ था, तो मैने देखा की भाभी के दोनो बड़े-बड़े बूब्स मुझे सॉफ-सॉफ दिखने लगे. भाभी ने जल्दी से अपना दुपट्टा सही कर लिया, और मैं भी जल्दी से कही और देखने लगा.

तो उसके बाद भाभी बोली: कैसे है देवर जी? और आप तो यहा आना ही भूल गया है.

मैं (तोड़ा शरमाते हुए): ठीक हू भाभी, और ऐसा कुछ नही है. मैं किसी को नही भूला हू.

भाभी: अछा तो आप हम लोगों से फोन पे बात क्यूँ नही करते है फिर?

मैं: वो तोड़ा बिज़ी था तो टाइम नही मिल पा रहा था.

और ऐसे ही मैने नोटीस किया की सब कुछ तो नॉर्मल था. भाभी भी एक-दूं नॉर्मल बिहेव कर रही थी. तो मैं सब कुछ भूल गया और हम सब बातें करने लगे. फिर उसके बाद बुआ ने भाभी से बोला-

बुआ: हर्ष को उसका रूम दिखा दो.

तो भाभी मुझे उपर अपने रूम के सामने वाले रूम में ले गयी, जो रूम खाली था. उसके बाद भाभी अपने रूम में चली गयी, और मैं अपने रूम में अपना समान सेट करके बातरूम में नहाने चला गया ( बातरूम मेरे रूम से अटॅच था ).

उसके बाद मैं नहा के निकला ही था, की भैया की आवाज़ सुनी मैने. क्यूंकी शाम हो चुकी थी, और भैया के ऑफीस से आने का यही टाइम था. तो मैं जल्दी से रेडी हो कर नीचे चला गया, जहा पर भैया बैठे थे. मैने भैया को हेलो बोला, और उसके बाद हम सब बातें करने लगे.

फिर बातें करते-करते 1 घंटा हो गया था. उसके बाद भैया बोले-

भैया: चल मेरे साथ बाहर घूम के आते है.

और उसके बाद मैं और भैया उनकी बिके पे बैठ कर घूमने चले गये. हमने खूब मज़े किए, और उसके बाद भाभी की कॉल आई भैया के फोन पे.

भाभी: खाने का टाइम हो गया है, आ जाइए दोनो लोग.

और उसके बाद हम सब घर पे आ कर भाभी के हाथो का खाना खाने लगे, जो की बहुत टेस्टी था. खाने के बाद मैने भाभी से बोला-

मैं: खाना बहुत टेस्टी था.

तो भाभी शर्मा गयी. उसके बाद हम सब ने थोड़ी देर तक बातें की, और हम सब अपने-अपने रूम में सोने के लिए चले गये. फिर सोते वक़्त मैने डिसाइड किया की सब कुछ बढ़िया चल रहा था.

भैया-भाभी इतने प्यारे था. और अब से मैं भाभी के लिए कुछ भी ग़लत नही सोचूँगा. फिर कुछ देर बाद मैं 7 बजे का अलार्म लगा के सो गया क्यूंकी कल मेरे इंटेर्नशिप का पहला दिन था, और मुझे टाइम से पहुचना था.

दोस्तो इस पार्ट में इतना ही. दोस्तों अगर मुझसे कोई ग़लती हुई तो माफ़ कीजिएगा. और कोई भी सजेशन या फीडबॅक देना हो तो आप लोग मुझे- हर्शरॉय@स्किफ.कॉम पे मैल कर सकते है.

थॅंकआइयू