अचानक ही मेरी छूट के आंदार उसका आधा लंड चला गया. मेरी बदन मे तो मानो जेसे 440 वलटज़ की करेंट डोड़ने लगा. हम दोनो ही एक साथ रुकते हुए स्थिर हो गये. मैं तो आँख बंद करते हुए आपने आप को अंदर ही अंदर सिकुड ली.
आयेज की कहानी…
मेरी दोनो हाथ जो की राहुल ने पकड़ रखा था ज़ोर से उसके लंड अंदर घुसते ही मैं ज़ोर से पकड़ ली उसकी हाथ को. मेरी ज़ोर से पकड़ने से राहुल ने आब पूरा ही छ्चोड़ दिया मेरी हाथ को और फिर एक दूं से उसका पूरा ही लंड मेरी छूट मई उतार दिया वो भी एक ही झटके मे.
उसके पूरा लंड आंदार जाते ही मैं अपनी बॉडी जो की उसके आधे लंड घुसने से सिकुड ली थी आब लूस करली और आँखे खोली तो हम दोनो की नज़रे मिली.
कुछ 30 सेकेंड एक दूसरे को असे ही देखने के बाद राहुल ने अपना लंड बाहर निकल लिया. उसके गरम लोहे जेसे रोड बाहर निकलते ही मेरी छूट को उसकी कमी महसूस होने लगी. मेरी छूट पे जो आग लग गयी थी उससे तो सिर्फ़ आब उसका लंड ही संभाल सकता था. मैं उससे बोल भी नही पा रही थी की वापस आंदार डालडो बोलके.
तो मैं उसके हाथ जो टाइट्ली पकड़ रखी थी उससे ढीली छ्चोड़ दी. तब फिर एक बार राहुल ने अपना लंड मेरी छूट के अंदर धकेल दिया. उसके लंड मेरी छूट के आंदार उतार ते ही मैं फिर से अपनी बॉडी को सिकुड ली और उसके हाथों को वापस टाइट्ली पकड़ ली. राहुल भी मेरी हाथों को टाइट्ली पकड़ लिया और आब धीरे धीरे लंड आंदार बाहर करने लगा.
(तो मेरी सब प्यारे देवरों, आप सबके आतूरता आब ख़त्म होगी. क्यू की फाइनली आब मेरी चुदाई होने वाली है. आप सब बड़े ही बेचेनी से मेरी चुदाई का ही इंतज़ार कर रहे थे. कहानी बहात ही लाते लिख रही हूँ इसीलये सॉरी सॉरी सॉरी. प्यारी भाभी को आप सब माफ़ कर ही सकते है.)
मेरी उतावलापन को आब जाके थोड़ी ठंडक मिली. क्यू की चार घंटे की कुछ ज़्यादा ही मोज मस्ती के बाद आख़िरकार मेरी गरम छूट मे उसके गरम लोहे जेसे लंड समा रहा था. मेरी तो शिसकी निकल ही जाती पर मैं अपनी होंतों को मजबूरन दबाते हुआ खुद को कंट्रोल कर रही थी. मैं उसे यह जताना भी नही चाहती थी की मैं भी उसके साथ दे रही हूँ करके.
और तो और खुद को भी नही रोक पा रही थी यूयेसेस से. मैं सिर्फ़ एक सेक्स डॉल की तरह राहुल के नीचे लेती रही. मेरी सारी एमोशन्स को अंदर ही आंदार रोक रखी.
राहुल भी बस आराम से धीरे धीरे सिर्फ़ कमर हिलाते हुआ लंड को आंदार बाहर करते हुआ एक दूं प्यार से छोड़ रहा था मुझे. उसने अपने आँखे बंद कर रखे थे और मूह को टाइट दबाई थे. मैं यूयेसेस से सपोरटिव हो गयी हूँ यॅ बात तो वो भी साँझ गया होगा.
सपोर्ट करते हुआ मैं बस अपनी एमोशन्स को दबाई रखी थी उसे ना देखते हुआ. सयद वो भी अपना एमोशन को कंट्रोल करने के लिया आँखे और मूह बंद कर रखे थे.
रूम का पंखा चालू नही था. तो इससके वजह से चुदाई करते वक़्त कुछ देर मई वो एक दूं से ही पसीने से लत पाठ हो गया. हलकी मैं एक दूं नॉर्मल थी. मेरी तो इश्स पल की ख़ुसी जो की एक तरह के परेशानी भी थी मेरी लिया यही सोचते हुआ थोड़ी पसीना सिर्फ़ चेहरे से ही निकले थे. मैं सिर्फ़ इश्स ख़ुसी के पल को महसूस करते हुआ आयेज जाके कुछ परेशानी ना हो यही सोच रही थी.
आब कुछ देर और चुदाई के बाद उसके पसीने मेरी बॉडी पे तपाक ते हुआ गिरने लगे. तब जाके राहुल ने आँखे खोली तो दुबारा से हम दोनो की नज़रे मिली इश्स हालत मई. वो मुझे देखे जेया रहा था और मैं उसे देख रही थी. दोनो ही एक दूसरे को बिना एक्सप्रेशन्स के देखे रहे थे. पर राहुल के आँखे बता रहे थे की वो सयद दर रहा था.
पता नही क्यू वो मुझे असे डरते हुआ देख रहा था जब की साथ ही वो मुझे छोड़े जेया रहा था. मैं तो उससे नॉर्मल ही देख रही थी. तब अचानक वो अपने होंठो को मेरी होंठो की करीब ले आया किस करने के लिया. पर पास लेक वो रुक गया, पता नही क्यू और वो क्या सोचके रुक गया.
मैं उसके गरम साँसे महसूस करने लगी और वो भी मेरी सांसो को महसूस कर ही रहा होगा. आगर वो उसके होंठ मेरी होंठो से मिला भी देता तो मैं उसके साथ देती. पर यॅ मैं अपनी तरफ से नही करना चाहती थी.
फिर कुछ देर मई वो मुझ से दूर होते हुआ थोड़ी उपर उठके असे ही छोड़ने लगा. और धीरे धीरे उसके रफ़्तार भी बढ़ने लगी. तब मैं साँझ गयी की राहुल आब रिलीस करने वाला है. फिर मेरी मान मई यह ख़याल आई की राहुल तो निरोधक ( प्रोटेक्षन कॉंडम ) उसे ही नही कर रहा है. राहुल के साथ आब मेरी भी साँसे तेज़ होने लगी दर दर के.
अब राहुल के धक्के और तेज़्ज़ होने लगे. पहेले से मैं जो मूह बंद करते हुआ अपनी एमोशन्स को कंट्रोल मैं रखते हुआ और उसके झटको से जो मेरी मूह से शिसकिया भी नही निकालने दे रही थी, वो सिर्फ़ मुझे ही पता है की मैं कैसे कंट्रोल की थी. आप सब भी साँझ सकते हो की इश्स सिचुयेशन को मैं केसे सामना की होगी. काफ़ी मुस्किल थी पर एक भी शिसकी नही ली मैं.
चुदाई के आरंभ से जो हुँने एक दूसरे के हाथ को टाइट्ली पकड़े थे वो आब भी वेसए ही टाइट्ली पकड़ रखे थे. मेरी तो आब बस एक ही टेन्षन थी की कही वो मेरी आंदार ही ना झाड़ जाई. टेन्षन मई आके मैं उसके हाथ को छ्चोड़ दी, पर वो और ज़ोर से पकड़ते हुआ छोड़ने लगा.
कुछ देर छोड़ने के बाद वो मेरी हाथो को छ्चोड़ दिया और लंड को बाहर निकल के हिलाते हुआ सारा माल मेरी छूट के उपर ही छ्चोड़ दिया. तब जाके मेरी जान मई जान आई. क्यू की राहुल ने जो पानी निकलते वक़्त लंड बाहर निकल लिया और सारा पानी बाहर ही यानी मेरी छूट के उपर छ्चोड़ दिया.
मेरी आब की यॅ टेन्षन तो गयी पर मैं फिर भी खुस नही थी. आब मैं क्यू खुस नही थी आप सब मैल करके ज़रूर बताई. और मेरी यॅ एमोशन लेस चुदाई की कहानी केसी लगी आपको वो भी बताई. नेक्स्ट पार्ट मई मैं खुस क्यू नही थी वो बतौँगी.
और तो एक बात, अपनी खुद की स्टोरी बताने के लिए ऐसे ही लिखना स्टार्ट की थी मैं, पर अब मुझे कहानी लिखने मे थोड़ी बोरिंग सी लग रही है. क्यू की बतौँगी तो और कुछ 4-5 पार्ट्स बाकी है. अगर आप भी इंट्रेस्टेड नही हैं तो मैं कहानी नेक्स्ट पार्ट पर ख़तम कर लूँगी.