कहानी तब शुरू होती है, जब रंगार्ह गाओं में नेहा नाम की लड़की एक जवान के घर शादी करके आती है. जवान के घर एक बूढ़ी मा और छ्होटी बेहन सीमा रहते है, जो किराना की दुकान चला के गुज़ारा करते है. शादी के कुछ दिन बाद जवान ड्यूटी पर चला गया, और दुकान पर अब नेहा बैठने लगी थी.
गाओं के हर मर्द की नज़र नेहा पर थी, क्यूँ? क्यूंकी नेहा की छाती से उसके स्टअंन ऐसे लटक रहे थे, जैसे गुबारों में दूध भर दिया हो. वो ज़रा भी हिलती तो उसके स्टअंन झूल-झूल कर हिलते. अपने सुंदर गोरे चेहरे पर वो लाल लिपस्टिक लगती थी, और अपने मोटे कूल्हे को संभालते हुए तक जाती थी.
बैठती थी तो उसके कूल्हे फैल के चौड़े हो जाते थे. गाओं के लड़कों की नज़र सबसे ज़्यादा उसके भारी स्टान्नो पर थी, और वो नेहा के बारे में सोच-सोच कर खुद को संतुष्ट करते थे.
एक दिन रमेश और सुरेश, नेहा की दुकान पर गये:-
रमेश: नमस्ते भाभी जी, आपका हमारे गाओं में स्वागत है
नेहा: धन्यवाद भैया, बताइए मैं क्या सेवा कर सकती हू?
रमेश: 2 गोल्ड फ्लेक.
नेहा: वो तो नही है भैया.
सुरेश: अर्रे क्यूँ भाभी जी?
नेहा: आपके भैया नशा पट्टी के सख़्त खिलाफ है.
रमेश: ओह, चलिए कोई नही.
सुरेश: दूध तो मिलेगा.
नेहा: नही भैया, आज गाड़ी नही आई.
सुरेश: अर्रे आपके होते हुए गाड़ी की क्या ज़रूरत.
नेहा: क्या मतलब?
रमेश: इसका मतलब आपके घर में जो भैंस बँधी है, उसका दूध दे दीजिए.
नेहा: ओह, वो तो मुझे निकालना नही आता.
रमेश: हमे मौका दीजिए, हम सीखा देंगे.
रमेश और सुरेश अक्सर नेहा से दुकान पे बहाने से मिलने आते. ये सब सीमा देख रही थी, और समझ गयी थी लड़के दुकान पर सिर्फ़ नेहा के दूध की एक झलक लेने आते थे. एक दिन नेहा मंदिर से लौट रही थी.
तभी उसे पेड़ के नीचे रमेश, सुरेश और दट्टू मिले जो पत्ते खेल रहे थे. रमेश ने नेहा को रोका और पूछा “क्या हुआ भाभी जी, आज कल मंदिर के बहुत चक्कर लगा रही हो, सब ठीक तो है?”
नेहा बोली “कहा भैया, धंधा इतना मंदा चल रहा है की खाने पीने के लाले पद गये है”.
रमेश बोला “बताओ इतनी छ्होटी सी बात, भाभी तुम तो इतनी गदर हो की खड़े-खड़े हज़ारों कमा लो”.
नेहा बोली “वो कैसे?”
रमेश: आओ अंदर आके बताता हू.
वो नेहा को डटा और सुरेश के साथ झोपड़ी के अंदर ले गया.
रमेश: देखो भाभी, तुम्हे भी पता है की तुम कितनी आकर्षक हो. गाओं में हर लड़का तुम्हारे बारे में सोच के मूठ मारता है.
नेहा शर्मा गयी
सुरेश: हा भाभी, हम लोग ही कितनी बार तुम्हारे चूचों के बारे में सोच-सोच कर मूठ मारे है.
रमेश: अब सोचो भाभी, गाओं के लड़के सिर्फ़ तुम्हारे दूध देखने के लिए क्या-क्या नही कर सकते
सुरेश: हा, मैने गाओं में बात सुनी, वो तो तुम्हारी चूचियाँ देखने तक के लिए 500र्स देने को तैयार है.
नेहा चौंक के: मैं कैसे मान लू?
डटा: भाभी तुम अभी अपना ब्लाउस खोलो. मैं खुद तुम्हारी चूचियों में 500 का नोट धार दूँगा.
रमेश सुरेश और डटा ने 500-500 के 3 नोट निकाले, और नेहा के ब्लाउस में हाथ डाल कर घुसा दिए. नेहा शर्मा के कुछ नही बोल रही थी, और हैरान थी.
नेहा: ये तुम तीनो क्या कर रहे हो? हाथ हटाओ अपना.
रमेश: भाभी फीस तो मिल गयी तुम्हे. अब तो मज़े लेने दो.
सुरेश: वैसे भी और भी लोग तुम्हारे दूध छुएँगे, आदत डाल दो.
डटा: मैं तो कहता हू इसका ब्लाउस फाड़ देते है. इतने बड़े दूध को चूसेंगे नही तो क्या करेगी इनका?
रमेश और सुरेश ने डटा को रुकने का इशारा किया, ताकि वो 3 नेहा का विश्वास जीत सके. कुछ देर में तीनो ने नेहा को छ्चोढ़ दिया और कल 3 बजे आने को कहा. उन्होने नेहा को अंदर ब्रा ना पहन के आने को कहा.
नेहा दर्र गयी थी, पर उसके मॅन में था की जिस चीज़ को वो आज तक बोझ समझ रही थी, असल में लड़के उसके इतने दीवाने थे. नेहा अगले दिन 3 बजे पहुँच गयी. रमेश, सुरेश और डटा ने नेहा से पूछा की वो कैसे उसे विश्वास दिलाए की वो उसका ब्लाउस नही खुलने देंगे, और सिर्फ़ लड़कों को उसके दूध डोर से दिखाएँगे.
नेहा: मैं अभी अपना पल्लू गिरा दूँगी. तुम तीनो को मेरे साथ जो करना है करो, पर मेरे कपड़े इधर से उधर नही होने चाहिए.
नेहा के इतना कहते ही वो तीनो उस पर भूखे शेर की तरह टूट पड़े, और उसकी बाजू, गला और ब्लाउस से उभर के निकलते हुए दूध को नोच-नोच कर काटने और चाटने लगे. सुरेश ने फिर नेहा का ब्लाउस ज़ोर से पकड़ कर नीचे खींच दिया. इतने में रमेश और डटा उसके उभरे हुए हुए स्टान्नो को काटने लगे और खींच-खींच कर चूसने लगे.
उन तीनो ने नेहा के साथ ऐसा लगभग 1 घंटा किया, और अपनी तारक मिताई और उसे अगले दिन 2 ब्लाउस के साथ बुलाया. नेहा समझ गयी थी की कल वो ज़रूर उसको नंगा करके उसके दूध चूसने वाले थे.
उन तीनो को संतुष्ट करने के बदले नेहा के पास और पैसे कमाने का कोई ज़रिया नही था. इसलिए उसने रात भर जाग कर अपनी दूध की थैलियों को क्लिप से बाँध कर रखा और अपने निपल्स को खींचती रही.
अगले दिन नेहा जब झोपड़ी में घुसी, तो देखा वाहा एक चौथा बंदा भी था. नेहा घबरा गयी. रमेश ने नेहा को शांत करते हुए बोला, “अर्रे घबराव नही, तुम्हारे पास जितना समान है उसके लिए हम 4 काफ़ी है”. नेहा समझ गयी थी की वो सब मिल कर उसके दूध पीना चाहते थे.
उन्होने नेहा को आश्वासन दिया की वो उसे 10000 र्स देंगे अगर वो अपना ब्लाउस खोल कर उन चारो के सामने अपने नंगे दूध हिला कर दिखा दे. और वो उसे 20000 देंगे अगर नेहा उन चारो को अपने दूध पर उन्हे चूमने दे तो.
नेहा दूसरी वाली डील के लिए राज़ी हो गयी. उसके हा बोलते ही वो चारों नेहा की तरफ दौड़ पड़े. 2 लड़कों ने उसके हाथ पकड़े, और बाकी दोनो ने उसका ब्लाउस फाड़ दिया.
नेहा का ब्लाउस फाड़ के उसे नंगा बिता दिया गया, और पहले तो उन चारों ने सिर्फ़ नेहा के भारी स्टान्नो को ऐसे नंगा लटके हुए देख के मूठ मारी. फिर उसके स्टान्नो को नोच-नोच कर चूसने लगे. 2 लड़के उसके खींच-खींच के चूस रहे थे, और बाकी 2 उसके स्टान्नो के बचे हिस्सों को मूह में लेके काट और चूस रहे थे.
नेहा के स्टान्नो को वो 4 लड़के ज़ोर-ज़ोर से अपनी तरफ खींच के जनवरो की तरह चूस और नोच रहे थे. वो कभी डाई तो कभी बाई और खीची जेया रही थी. नेहा के स्टान्नो का बुरा हाल हो चुका था. फिर चार लड़कों ने डिसाइड किया की वो 2-2 करके उसका दूध आराम से पीते है.
जीतने में 2 लड़के नेहा के स्टअंन चूस रहे थे, उतने में बाकी 2 लड़के उन तीनो को देख के मूठ मारने लगे. नेहा उनके लंबे काले लंड को देख के घबरा गयी थी. उन लड़कों ने लगभग 4 घंटो तक निरंतर नेहा के स्टान्नो को अलग-अलग तरीके से चूसा और 3 बार मूठ मारी.
अगले दिन रमेश दुकान पर एक लड़के को लेके आया और बोला की भाभी सिर्फ़ तुम्हारे दूध देखने के लिए ये लड़का 500र्स चुराया है.
नेहा: नही हम बच्चो को नही दिखाएँगे.
रमेश: भाभी स्टअंन बने ही बच्चो के लिए होते है. और वैसे भी ये 18 का है. इसको दिखा दो बेचारा बड़ा जोखिम उठा के पैसे लाया है.
नेहा लड़के को दुकान के अंदर ले गयी, और पल्लू गिरा के उसके सामने झुक गयी. उसके अपार दूध की थैले लटक के झूल रहे थे, जिसे देख के लड़के का लंड तुरंत खड़ा हो गया.
नेहा ने उसे कहा: ला मेरी फीस मेरे ब्लाउस में डाल दे.
और लड़के ने जैसे ही उसके स्टान्नो की मुलायम खाल का स्पर्श किया, उसका मूठ निकल गया. ये देख के नेहा बड़ी हैरान और खुश हुई. नेहा के मॅन में एक आइडिया आया. उसने एक दिन लाल सारी पहनी, जिसमे उसका गोरा बदन चालक के बाहर निकल रहा था.
साथ में उसने एक डीप नेक का ब्लाउस पहना जिसमे उसके दूध के थैले लगभग सारे उभर के बाहर आ रहे थे, और अपना पल्लू उसने हल्का सा सरका लिया, जिससे की उसके दूध दिख सके. वो इतना करके गाओं में निकल गयी.
छ्होटी गलियों में जाने के बाद उसने पाया की उसे पूरा गाओं जानता था. लड़के उसे देख कर अपनी पंत में हाथ डाल कर खुजने लगे. फिर एक जगह उसने झुकने के बहाने अपना पल्लू गिरा दिया, तो उसके थैले ब्लाउस के बाहर आने लगे.
नेहा को लगा की उसने ग़लती कर दी, क्यूंकी उसके दूध ना सिर्फ़ आयेज से बाहर निकल कर गिर रहे थे, बल्कि पीछे से भी बाहर निकल चुके थे. बस निपल ही ब्लाउस के अंदर थे. ये नज़ारा देख के छाई की तपरी पे खड़े लड़कों ने अपना लंड बाहर निकाल कर ज़ोर-ज़ोर से मूठ मारना शुरू कर दिया.
उसके आधे दूध ब्लाउस से बाहर निकल रहे थे, हिल रहे थे, लड़कों के मूह में पानी आ रहा था. कैसे करके नेहा ने समान उठाया, और अपने दूध के थैलों को किसी तरह ब्लाउस में फिट किया और चलती बनी. कुछ लड़के अब भी उसके हिलते हुए चूतड़ देख के मूठ मार रहे थे.
एक लड़के ने देखा की जहा नेहा खड़ी थी, वाहा एक पर्चा पड़ा है. उसपे लिखा था, “अगर जो देखा वो पसंद आया, तो नीचे दिए हुए पाते पर 1000र्स लेके आ जाओ”. ये खबर कुछ 6 लड़कों के हाथ लगी. अब वो 6 सोचने लगे की वो सब मिल कर नेहा के कैसे मज़े ले सकते थे. उन लड़कों ने हफ्ते भर नेहा के सपने देखे, और पैसे जुटा के पहुँच गये उसकी दुकान पर.
नेहा: जी बताइए.
लड़के- जी भाभी, वो आपके दूध के थैले फिरसे देखने थे.
नेहा अचंभित हो कर: हा, यहा से नही, पीछे वाले रास्ते से आना था.
नेहा ने तुरंत 6 लड़कों को घर के अंदर ले लिया. उसने तुरंत कहा, “आप सबसे अनुरोध है, की जो भी करना आराम से करना. मैं आपको अपना पूरा टाइम दूँगी. दूध भी पिलौंगी, बुत कृपया तोड़ा दांतो का इस्तेमाल कम करना. चूचियों पर काटने के निशान पड़ेंगे तो बाकी लोग चूसने से कतराएँगे.”
तभी उनमे से एक लड़का बोला: क्या बात कर रही हो भाभी. तुम्हारी ढूढ़ियों को तो हम ब्लाउस के उपर से ही चूस लेंगे.
ये सब बातें सीमा सुन रही थी, जिसके मॅन में लड़कों के खड़े लंड देखने की इच्छा थी. नेहा ने लड़कों से अपनी पंत उतारने को कहा, और कहा की सिर्फ़ अपना लंड चड्डी से बाहर निकालो. मैं उनको खड़ा होते हुए देखना चाहती हू. ये तमन्ना सीमा की भी थी.
लड़कों ने पंत उतरी और अपने-अपने लंड बाहर निकाले. भाभी के सुडौल शरीर को देख के ही कुछ लड़कों का लंड आधा खड़ा हो चुका था. फिर नेहा ने अपना पल्लू गिरा दिया, और देखा की सब के लंड फड़फदा के तंन चुके थे. उसने उनको अपने लंड को हाथ लगाने से माना कर रखा था, जिसमे लड़कों को भी मज़ा आ रहा था.
नेहा फिर नीचे झुकी, और अपने दूध के थैलों को हल्के से हिलाने लगी. इतना देखते ही सारे लड़कों ने अपने लंड पकड़ के हिलने शुरू कर दिए और मूठ मार ली. नेहा समझ गयी ये ककचे खिलाड़ी थे और इनसे पैसा बनाया जेया सकता था.
पर नेहा को भनक नही थी की कैसे उन 6 लड़कों को रमेश सुरेश और दट्टू ने अपनी कहानी बताई. की कैसे उन्होने नेहा के स्टान्नो को ना ही सिर्फ़ दबोचा, बल्कि अपने दांतो से नोच-नोच कर उसके दूध चूज़ भी.
इसके आयेज की कहानी अगले पार्ट में पढ़ने को मिलेगी.