ही दोस्तो, उमिद है आपको मेरी “तारक मेहता का ऊलतः चश्मः” चुदाई कहानी का पिच्छला पार्ट पसंद आया होगा. अब आयेज पढ़िए..
अब सुखी और अंजलि दोनो आयेज जेया चुकी थी. वो दोनो एक-एक रूम मे चली गयी थी. तभी अंजलि वाले रूम मे एक बाबा आया और उसने अंजलि को बोला-
बाबा: चल जल्दी से अपने कपड़े उतार और नंगी हो जेया. हमे पूजा करनी है.
अंजलि ने उसकी बात मान ली और जल्दी से अपने कपड़ो को खोल दिया. कपड़ो को उतारते ही, अंजलि ने अपनी ब्रा और पनटी भी उतार दी. अंजलि के बूब्स और गांद देख कर बाबा का भी लंड खड़ा हो गया और वो भी नंगा हो गया.
बाबा का खड़ा हुआ लंड देख कर अंजलि हैरान हो गयी, क्यूकी उसका लंड बहुत बड़ा था. उसका लंड देखते ही अंजलि के मॅन मे आया, की आज उसकी हालत बुरी होने वाली थी.
तभी बाबा अंजलि को अपने पास बुलाता है और बोलता है-
बाबा: तुझे लंड चूसना आता है.
अंजलि इस बात पर हा मे सिर हिलाती है. और अंजलि की हा सुन कर बाबा बोलता है-
बाबा: चल फिर जल्दी से लंड चूस.
अंजलि बाबा की बात मान कर उसके लंड को अपने हाथ मे लेती है और उसको अपने मूह ने डाल लेती है. फिर वो लंड को चूसना शुरू कर देती है.
अब अंजलि बड़े मज़े से उसके लंड को चूस रही थी, क्यूकी आज उसको बच्चा चाहिए था. बाबा अंजलि से अपना लंड चुस्वा रहा था और साथ मे पूजा भी कर रहा था. उसने दिए मे आग जला रखी थी और वो लंड चुसवाने का मज़ा भी साथ मे ले रहा था.
फिर थोड़ी देर लंड चुसवाने के बाद, बाबा ने अपना लंड अंजलि के मूह से बाहर निकाला और बोला-
बाबा: चल अब दूसरी साइड पर जेया कर बैठ जेया.
अंजलि उसके लंड को छोढ़ देती है और दूसरी साइड जेया कर बैठ जाती है. अब बाबा कुछ मंतर बोलना शुरू कर देता है. अंजलि बाबा के मंत्रो को सुनने लगती है और पूजा करनी शुरू कर देती है.
दूसरी तरफ अंजलि की सहेली सुखी को बाबा दूसरे कमरे मे ले जाता है और वाहा सुखी बाबा को देख कर पागल हो जाती है. बाबा बिल्कुल गोरा-चितता और दाढ़ी वाला था. सुखी बाबा को देखते ही उसकी दीवानी हो जाती है और उसका मॅन बाबा के पास जाने का करता है.
अब बाबा के बारे मे बता देता हू. बाबा का नाम रमेश था और एक बहुत तर्की बाबा था. उसके लंड का भी जवाब नही था. जो औरत एक बार भी उसका लंड ले लेती थी, वो उसकी दीवानी हो जाती थी.
सुखी ने देखा, की बाबा लंड एक-दूं मस्त था और वो सुखी के बिल्कुल सामने था. लेकिन बाबा ने अपने लंड पर रुमाल लिया हुआ था. सुखी को ये देख कर हैरानी हो रही थी, की पता नही क्यू बाबा ने अपने लंड पर रुमाल लिया हुआ था. बाबा का लंड कमाल का था और उसपे रुमाल की कोई ज़रूरत नही थी.
रमेश बाबा आराम से अपने ध्यान मे बैठा था और सुखी उसके सामने खड़ी उसको देख रही थी. तभी अचानक से एक बाबा उसके पीछे से आया और उसने सुखी को बोला-
बाबा: तेरी दोस्त को बच्चा चाहिए ना?
सुखी रमेश बाबा के ध्यान मे थी और अचानक से पीछे से आवाज़ सुन कर वो दर्र गयी. फिर वो होश मे आई और बोली-
सुखी: हा, मेरी दोस्त को बच्चा चाहिए.
फिर बाबा ने कहा: चल जल्दी से अपने कपड़े उतार और नंगी हो जेया. हमे पूजा करनी है.
तभी सुखी बाबा से कुछ पूछने लगी और तभी बाबा ने उसकी बात काट-ते हुए कहा-
बाबा: तू ये पूछना चाहती है, की मई तुझे नंगा होने के लिए क्यू बोल रहा हू? क्यूकी यहा तुझे पूजा करनी है और वाहा तेरी दोस्त पूजा कर रही है. अगर उसको देखना है, तो आग मे देख.
जब सुखी ने उस आग मे देखा, तो उसको ऐसा लगा, जैसे उसके सामने टीवी चल रहा हो. सुखी को अंजलि उस आग मे दिख रही थी और वो नंगी होके पूजा कर रही थी.
ये सब देख कर सुखी को पता चल गया, की बाबा जी को खूब गयाँ था. फिर सुखी ने बिल्कुल देर नही की और सबसे पहले अपनी सलवार और कुर्ता उतार दिए. उसके बाद सुखी ने ब्रा-पनटी भी उतार दिए और बाबा के सामने नंगी खड़ी हो गयी.
बाबा ने अपनी आँखें बंद की हुई थी और अभी तक उसने आँखें नही खोली थी. फिर बाबा बोला-
बाबा: चल अब बैठ जेया, पूजा शुरू होने वाली है.
अब सुखी चुप-छाप अंजलि की तरह पूजा करने के लिए बैठ गयी. फिर वो वैसा ही करने लग गयी, जैसा उसको बाबा करने के लिए बोल रहा था.
उधर दूसरे बाबा ने कुछ देर तक पूजा की और फिर उसने अंजलि को कहा, की वो डंडे लेके आए. अंजलि ने बाबा की बात सुन ली और डंडे लेकर आई. फिर बाबा ने कहा-
बाबा: अब इसको अपनी छूट मे डाल.
अंजलि ने डंडे को नीचे रखा और उस डंडे के उपर पैर नीचे करके बैठ गयी. तभी बाबा बोला-
बाबा: तेरी गांद नीचे नही लगनी चाहिए.
फिर अंजलि खड़ी हो गयी और उसने अपनी छूट के मूह को खोल लिया. उसके बाद उसने डंडे को पकड़ा और अपनी छूट के अंदर ले लिया.
डंडा अंदर लेते ही अंजलि को दर्द हुआ और उसके मूह से आहह निकल गयी. तभी बाबा उसको बोला-
बाबा: तेरे मूह से चीख नही निकलनी चाहिए. अगर चीख निकली, तो तेरा काम नही हो पाएगा.
ये सुन कर अंजलि तेज़ी से डंडा अपनी छूट के अंदर बाहर करने लगी. लेकिन उसने अपने मूह से ज़रा भी आवाज़ नही की. उसने अपने मूह को ज़ोर से बंद कर रखा था.
अब अंजलि डंडे के उपर ऐसे बैठी थी, जैसे किसी लंड के उपर बैठी हो. फिर अंजलि ने अपनी टाँगो को फैला लिया और डंडे का निचले का हिस्सा ज़मीन पर लगा लिया. उसके बाद वो उपर-नीचे होके डंडे को अपनी छूट मे लेने लग गयी. अब उसको काफ़ी मज़ा आ रहा था.
डंडा अंजलि की छूट मे काफ़ी अंदर तक चला गया था. फिर थोड़ी देर बाद बाबा ने अंजलि को रुकने के लिए कहा और उसके हाथ मे जल दे दिया. बाबा बोला-
बाबा: मई जैसे-जैसे बोलूँगा, तुम वैसे-वैसे डालती रहना.
अंजलि के उसकी बात मान ली और जैसा वो बोल रहा था, वैसा ही किया. डंडा लेने से अंजलि को काफ़ी दर्द हो रहा था. दूसरी तरफ सुखी से भी बाबा काफ़ी कुछ करवा रहा था. फिर बाबा ने सुखी को कहा-
बाबा: तेरी पूजा तब पूरी होगी, जब तू मेरा पानी निकालेगी.
सुखी बाबा की ये बात सुन कर हैरान हो गयी. तभी बाबा ने आग मे देखा, की अंजलि उधर अपनी छूट मे डंडा ले रही थी. ये देख कर बाबा ने सुखी से कहा-
बाबा: या तो मेरे लंड से पानी निकाल, या अपनी छूट मे डंडा ले.
सुखी ने कहा: जी मई आपका पानी निकाल दूँगी.
इस्पे बाबा ने कहा: चल फिर जल्दी से निकाल दे और काम ख़तम कर.
सुखी ने जल्दी से बाबा के लंड से रुमाल हटाया और एक-दूं से सुखी का मूह खुल्ला का खुल्ला रह गया. बाबा का लंड एक-दूं नाग की तरह लग रहा था और सुखी के हाथ मे भी नही आ रहा था.
फिर सुखी जल्दी से नीचे झुक गयी और लंड को मूह मे लेके चूसना शुरू कर दिया. उसका लंड इतना बड़ा था, की सुखी ने मूह मे भी नही जेया रहा था. लेकिन सुखी को कैसे भी करके उसका लंड चूसना था और वो घाप-घाप करके उसका लंड चूसने लग गयी.
थोड़ी देर बाद दूसरी साइड वाले बाबा ने भी अंजलि को लंड चूसने का काम दे दिया. फिर अंजलि भी बाबा का लंड चूसने लग गयी. अब सुखी और अंजलि दोनो अपने-अपने कमरे मे लंड चूसने का मज़ा ले रही थी.
थोड़ी देर बाद अंजलि के बाबा का पानी निकल गया और सुखी के बाबा का पानी भी निकल गया. दोनो ने अपने-अपने बाबा का माल अपने कपड़ो मे डाल लिया और आयेज की पूजा चालू होने का वेट करने लगी.
अब आयेज क्या होने वाला है, वो आपको अगले पार्ट मे पता चलेगा. कहानी की फीडबॅक देने के लिए मुझे मैल ज़रूर करे.